22-01-2019, 02:46 PM
(This post was last modified: 30-11-2023, 03:16 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सरोज - बोलिये न क्या आप फोटो देख सोचते हैं? की काश आपकी भी एक बेटी होती।। ? आप को एक बेटी की कमी महसूस होती है न? बेटी होती तो आपका ख्याल रखती आपके लिये खाना बनाती।। है न?
(सरोज का इशारा पहले फोटो को रात में देख मुट्ठ मारने के तरफ था। लेकिन फिर बाद में उसने बड़ी ही चतुराई से अपनी बात को बदल दिया)
शमशेर - हा।। हाँ बहु।। यही ।। मैं यही सोचता हूँ (शमशेर ने राहत की साँस ली)
मै अपने मन में सोच रहा था।। साला शमशेर, अगर मेरी बहु की तरह उसकी बेटी होती तो उसे यहाँ आने की जरुरत ही नहीं पडती।। वो अपनी बेटी को नंगा देख मूठ मार रहा होता और कभी मौका मिलने पे अपनी बेटी को चोद डालता।
मै - बहु।। ये केक ख़राब हो रहा है थोड़ा सा तो खा लो मैंने और शमशेर ने बड़े प्यार से ख़रीदा है।।
सरोज - बाबूजी।। मुझे खाने का मन तो नहीं है लेकिन आप कहते हैं तो थोड़ा सा किनारे से खा लेती हू।
शमशेर - नहीं नहीं बहु।। तुम ऐसा करो ऊपर से केक की क्रीम खा लो नहीं वो वो ख़राब हो जाएगा।
सरोज - ओके अंकल।। (और फिर बहु ने ऊँगली से ऊपर के क्रीम में सनी शमशेर के वीर्य को चाटने लगी।।।)
सरोज - उम् अंकल।। बहुत मजा आ रहा है।। आपका क्रीम चाटने में।। बहु आँख बंद कर सेक्सी अन्दाज़ में एक रंडी की तरह मुट्ठ चाट्ने लगी (शायद बहु को पता चल गया था की ये क्रीम नहीं मुट्ठ है।। क्योंकि उसे अब तो मूठ का स्वाद पता चल चूका था।। )
शमशेर - (बहु को अपना मुट्ठ चाटता देख पागल हो रहा था। ) हाँ बहु।। और चाटो।। मेरा पूरा क्रीम चाट लो बहु।।। (शमशेर अपना मुठ बहु के होठ पे रगड़ने लगा। बहु सारे क्रीम और मूठ बहु के सलवार सूट पे भी गिर गये।। इधर बहु भी कामुक भंगिमाएँ बना कर मुट्ठ का आनन्द ले रही थी।
बहु के इस हरकत से मेरे लंड में जोश आ रहा था। मन हुआ की अभी खड़े होकर बहु के मुह में अपना लंड पेल दूँ। लेकिन मैं संभल गया। बहु से वादा जो किया था की मेरे और बहु के बीच जो कुछ अनजाने में हुआ उसे किसी को उसकी भनक नहीं लगने दूंगा।)
बहु सारा क्रीम ख़तम कर चुकी थे उसकी हालत देख ऐसा लग रहा था जैसे ५-६ लोगों ने उसके मुह और बदन पे अपना माल गिराया हो।।
बहु अपने आप को साफ़ करने के लिये वाशरूम चलि गई।। इधर शमशेर अपना मुट्ठ मार कर बहुत संतुष्ट हो गया और वो मुझे धन्यवाद बोला। दोपहर का लंच करने के बाद शमशेर अपने घर चला गया। अब पूरे घर मैं मैं और मेरी बहु अकेले थे।
दोपहर को बहु अपने कमरे में थी।। मैं उसे खोजता हुआ उसके कमरे के नज़दीक गया, देखा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था।।
मै - बहु।।
सरोज - जी बाबूजी।।
मै - क्या कर रही हो?
सरोज - चेंज कर रही हूँ बाबूजी।।
मै - क्यों कहीं जाना है बहु?
सरोज - (दरवाज़ा खोल कर मेरे सामने आती है।।।) नहीं बाबूजी।। आपको बोला था न पापा आ रहे हैं इस लिए मैं तैयार हो रही थी। आपके लाये हुए गिफ्ट में से ही कुछ पहन लु।?
बिस्तर पे बहु का टॉप फेंका हुआ था, बहु एक ब्लैक कलर के ब्रा और पैन्टी पहने हुई थी साथ में उसने पेंटी के ऊपर स्कार्फ़ सा बाँध रखा था जो उसकी मांसल जाँघो को और खूबसूरत बना रहा था।।
तभी बहु के मोबाइल पे उसके पापा का फ़ोन आता है।
पापा - बेटा।। कैसी हो?
सरोज - ठीक हूँ पापा आप कैसे हैं?
पापा- मैं ठीक हूँ बहु, तुम्हारा जन्मदिन है तो मैं अपना ऑफिस छोड़ तुम्हारे पास आ रहा हूँ तुमसे मिलने, अभी १ घंटे में पहुच जाऊँगा।
सरोज - ओके पापा मैं वेट कर रही हूँ आपका।
(मैं बिस्तर पे था और बहु मेरे सामने खड़ी हो अपने पापा से बात कर रही थी, एक बेटी को अपने पापा से इस अवस्था में बात करता देख मेरा लंड खडा हो गया। )
सरोज - ओह पापा। १ घंटे में आ जायेंगे क्या पहनू मैं। उनकी बेटी अच्छी दिखनी चाहिए न।।।
मै - बहु।। कुछ भी पहन लो जो भी तुम्हे अच्छा लगे।
सरोज - बाबूजी अगर आप कहें तो मैं जीन्स टॉप पहन लूँ? या फिर साड़ी?
मै - ठीक है बहु जीन्स टॉप ही पहन लो।
सरोज - आप एक मिनट यहाँ बिस्तर पे बैठिये न प्लीज कहीं मत जाइये मैं एक जीन्स टॉप पहन के आती हूं।। बताइये की कैसी है।।
(बहु कमरे से अटैच बाथरूम में चेंज करने चलि गई। थोड़ी देर में वो एक ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स पहन के बहार आयी।। टाइट टॉप में बहु की चूचियां कसी हुई बड़ी सी दिख रही थी)
मै - बहु ये कपडे तुम्हे थोड़ा टाइट आ रहे है।।
बहु वापस बाथरूम में चलि जाती है और मिरर में अपने आप को चारो तरफ से देखती है। बाबू जी, प्लीज इधर आईये न।।
मै - (बाथरूम के दरवाजे के पास पहुच कर) क्या हुआ बहु?
सरोज - ये टॉप बहुत ज्यादा टाइट है, मैंने पहन तो लिया है लेकिन ये अब निकल नहीं रहि।।।
(बहु अपनी टॉप उठाकर निकालने की कोशिश कर रही थी, इस कोशिश में उसकी नवेल मुझे साफ़ नज़र आती है। आज़ उसकी नवेल ज्यादा सेक्सी लग रही थी। डीप वाइड और स्मूथ।।। शायद जीन्स के टाइट होने से ऐसा था)
(सरोज का इशारा पहले फोटो को रात में देख मुट्ठ मारने के तरफ था। लेकिन फिर बाद में उसने बड़ी ही चतुराई से अपनी बात को बदल दिया)
शमशेर - हा।। हाँ बहु।। यही ।। मैं यही सोचता हूँ (शमशेर ने राहत की साँस ली)
मै अपने मन में सोच रहा था।। साला शमशेर, अगर मेरी बहु की तरह उसकी बेटी होती तो उसे यहाँ आने की जरुरत ही नहीं पडती।। वो अपनी बेटी को नंगा देख मूठ मार रहा होता और कभी मौका मिलने पे अपनी बेटी को चोद डालता।
मै - बहु।। ये केक ख़राब हो रहा है थोड़ा सा तो खा लो मैंने और शमशेर ने बड़े प्यार से ख़रीदा है।।
सरोज - बाबूजी।। मुझे खाने का मन तो नहीं है लेकिन आप कहते हैं तो थोड़ा सा किनारे से खा लेती हू।
शमशेर - नहीं नहीं बहु।। तुम ऐसा करो ऊपर से केक की क्रीम खा लो नहीं वो वो ख़राब हो जाएगा।
सरोज - ओके अंकल।। (और फिर बहु ने ऊँगली से ऊपर के क्रीम में सनी शमशेर के वीर्य को चाटने लगी।।।)
सरोज - उम् अंकल।। बहुत मजा आ रहा है।। आपका क्रीम चाटने में।। बहु आँख बंद कर सेक्सी अन्दाज़ में एक रंडी की तरह मुट्ठ चाट्ने लगी (शायद बहु को पता चल गया था की ये क्रीम नहीं मुट्ठ है।। क्योंकि उसे अब तो मूठ का स्वाद पता चल चूका था।। )
शमशेर - (बहु को अपना मुट्ठ चाटता देख पागल हो रहा था। ) हाँ बहु।। और चाटो।। मेरा पूरा क्रीम चाट लो बहु।।। (शमशेर अपना मुठ बहु के होठ पे रगड़ने लगा। बहु सारे क्रीम और मूठ बहु के सलवार सूट पे भी गिर गये।। इधर बहु भी कामुक भंगिमाएँ बना कर मुट्ठ का आनन्द ले रही थी।
बहु के इस हरकत से मेरे लंड में जोश आ रहा था। मन हुआ की अभी खड़े होकर बहु के मुह में अपना लंड पेल दूँ। लेकिन मैं संभल गया। बहु से वादा जो किया था की मेरे और बहु के बीच जो कुछ अनजाने में हुआ उसे किसी को उसकी भनक नहीं लगने दूंगा।)
बहु सारा क्रीम ख़तम कर चुकी थे उसकी हालत देख ऐसा लग रहा था जैसे ५-६ लोगों ने उसके मुह और बदन पे अपना माल गिराया हो।।
बहु अपने आप को साफ़ करने के लिये वाशरूम चलि गई।। इधर शमशेर अपना मुट्ठ मार कर बहुत संतुष्ट हो गया और वो मुझे धन्यवाद बोला। दोपहर का लंच करने के बाद शमशेर अपने घर चला गया। अब पूरे घर मैं मैं और मेरी बहु अकेले थे।
दोपहर को बहु अपने कमरे में थी।। मैं उसे खोजता हुआ उसके कमरे के नज़दीक गया, देखा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था।।
मै - बहु।।
सरोज - जी बाबूजी।।
मै - क्या कर रही हो?
सरोज - चेंज कर रही हूँ बाबूजी।।
मै - क्यों कहीं जाना है बहु?
सरोज - (दरवाज़ा खोल कर मेरे सामने आती है।।।) नहीं बाबूजी।। आपको बोला था न पापा आ रहे हैं इस लिए मैं तैयार हो रही थी। आपके लाये हुए गिफ्ट में से ही कुछ पहन लु।?
बिस्तर पे बहु का टॉप फेंका हुआ था, बहु एक ब्लैक कलर के ब्रा और पैन्टी पहने हुई थी साथ में उसने पेंटी के ऊपर स्कार्फ़ सा बाँध रखा था जो उसकी मांसल जाँघो को और खूबसूरत बना रहा था।।
तभी बहु के मोबाइल पे उसके पापा का फ़ोन आता है।
पापा - बेटा।। कैसी हो?
सरोज - ठीक हूँ पापा आप कैसे हैं?
पापा- मैं ठीक हूँ बहु, तुम्हारा जन्मदिन है तो मैं अपना ऑफिस छोड़ तुम्हारे पास आ रहा हूँ तुमसे मिलने, अभी १ घंटे में पहुच जाऊँगा।
सरोज - ओके पापा मैं वेट कर रही हूँ आपका।
(मैं बिस्तर पे था और बहु मेरे सामने खड़ी हो अपने पापा से बात कर रही थी, एक बेटी को अपने पापा से इस अवस्था में बात करता देख मेरा लंड खडा हो गया। )
सरोज - ओह पापा। १ घंटे में आ जायेंगे क्या पहनू मैं। उनकी बेटी अच्छी दिखनी चाहिए न।।।
मै - बहु।। कुछ भी पहन लो जो भी तुम्हे अच्छा लगे।
सरोज - बाबूजी अगर आप कहें तो मैं जीन्स टॉप पहन लूँ? या फिर साड़ी?
मै - ठीक है बहु जीन्स टॉप ही पहन लो।
सरोज - आप एक मिनट यहाँ बिस्तर पे बैठिये न प्लीज कहीं मत जाइये मैं एक जीन्स टॉप पहन के आती हूं।। बताइये की कैसी है।।
(बहु कमरे से अटैच बाथरूम में चेंज करने चलि गई। थोड़ी देर में वो एक ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स पहन के बहार आयी।। टाइट टॉप में बहु की चूचियां कसी हुई बड़ी सी दिख रही थी)
मै - बहु ये कपडे तुम्हे थोड़ा टाइट आ रहे है।।
बहु वापस बाथरूम में चलि जाती है और मिरर में अपने आप को चारो तरफ से देखती है। बाबू जी, प्लीज इधर आईये न।।
मै - (बाथरूम के दरवाजे के पास पहुच कर) क्या हुआ बहु?
सरोज - ये टॉप बहुत ज्यादा टाइट है, मैंने पहन तो लिया है लेकिन ये अब निकल नहीं रहि।।।
(बहु अपनी टॉप उठाकर निकालने की कोशिश कर रही थी, इस कोशिश में उसकी नवेल मुझे साफ़ नज़र आती है। आज़ उसकी नवेल ज्यादा सेक्सी लग रही थी। डीप वाइड और स्मूथ।।। शायद जीन्स के टाइट होने से ऐसा था)