23-11-2019, 10:20 AM
करीबन 4-5 घंटे मे, हम लोग वहाँ पहुँच गये.
अंकल ने पहले से रिज़ॉर्ट बुक कर रखा था.
जिसमें, उन्होंने 2 रूम ले रखे थे.
एक में, वो लोग चले गये और एक में, मैं और मेरी मम्मी चले गये.
प्रोग्राम के हिसाब से, 1 घंटा आराम करने के बाद हमें निकलना था.
इस दौरान, मैं लगातार ये सोच रहा था की अंकल आज क्या जुगाड़ लगाएँगे.
खैर, मैं सबसे पहले जा के नहा लिया और अपने कपड़े पहन लिए.
फिर, मम्मी ने कहा – मैं भी अब नहाने जा रही हूँ… बहुत गरमी है…
मैंने कहा – ठीक है…
ना जाने क्यूँ, अब अब जब भी मम्मी बोलती थीं मेरा मन करता था की उनके मुँह में चाकू घुसेड दूं.
खैर, तभी अरूण आया और उसने मुझसे कहा – यार, मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है… वो सो गई हैं…
मेरी मम्मी वही थीं.
उन्होंने कहा – मैं देख के आती हूँ…
फिर, मैं भी चला गया.
मम्मी के साथ, अंकल बिस्तर पर बैठे थे और आंटी सोई हुई थीं.
मम्मी ने जा कर, अंकल से पूछा – क्या हुआ… ?? दीदी की तबीयत, ज़्यादा खराब हो गई है क्या… ??
अंकल ने कहा – हाँ… थोड़ी देर बाद, कहीं निकेलेंगे… अभी सोई हुई है…
मम्मी ने कहा – अरे, कोई बात नहीं… पहले आप, दीदी पर ध्यान दीजिए…
बहन के लौड़े, दोनों क्या एक्टिंग कर रहे थे.
कोई देखे, जिसे पता नहीं हो तो सोच ही ना पाए की 3-4 दिन पहले इन्होने रात भर ऐसी चुदाई करी है, जो कोई सोच भी ना सके.
दोस्तो, कोई क्या… मम्मी और मामा को देख कर, मुझे कभी शक नहीं हुआ की… ..
खैर..
फिर अंकल ने अपना तीर फेंका और कहा – अरूण और प्रणव, तुम लोग जा के रिज़ॉर्ट घूम आओ तब तक…
अरूण ने कहा – हाँ पापा… चल, प्रणव चलते हैं…
मैंने कहा – ठीक है…
और, मैं और अरूण निकल गये.
हम लोग, सामने के ही बगीचे में खेल रहे थे.
मैंने देखा, मेरी मम्मी उस रूम से निकल के अपने रूम मे आ गई थीं.
करीबन 10 मिनट हो गये.
फिर, मैंने देखा की अंकल अपने कमरे से निकले और इधर उधर देख के मम्मी के कमरे के तरफ चले गये और खटखटाया और धीरे से कमरे मे चले गये.
मैं जानता था, मम्मी ने दरवाज़ा खोला है और अभी अंकल क्या करने वाले हैं.
मुझे लगा, अंकल को ये भी फ़िक्र नहीं की आंटी की तबीयत खराब है.
मौका मिले तो ऐसे लोग, किसी की अर्थी पर चढ़ कर भी चुदाई कर लें.
खैर, मैंने अरूण से बहाना किया की मैं सूसू करके आता हूँ… तू थोडी देर, आंटी को भी देख ले… और मैं बगीचे के पीछे, साइड से कमरे की पीछे के साइड चला गया.
नीले रंग की काँच की खिड़की के थोड़े से भाग से, मुझे सब दिख रहा था.
अंकल ने, मेरी मम्मी को अपने गले से लगा रखा था.
मम्मी भी अरूण के पापा से पूरा चिपकी हुई थीं.
अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के कानों में कुछ कह रहे थे और उनके माथे पर चूम रहे थे और बीच बीच मे मेरी मम्मी के होंठों पर चुम्मी कर रहे थे.
मम्मी थोड़ा दूर हटी और फिर बोली – सुनिए, यहाँ नहीं… सब देख लेंगे…
अंकल ने, मेरी मम्मी के हाथ को पकड़ा और कहा – तू बहुत डरती है, मेरी जान… कोई नहीं है, यहाँ… वो सो रही है… याद कर, तू भी ऐसे ही चुदी होगी अपने भाई से, जब तेरा पति सो रहा था… देख, अब मुझे और मत तडपा… उस दिन “लंड फोड़, पलंग तोड़ चुदाई” करके मेरे लंड को गुब्बारा बना दिया है… और ये कहते हुए, अंकल ने मेरी मम्मी को अपने सीने से चिपका लिया और उनके होंठों को फिर से चूमने लगे.
मेरी मम्मी ने अपना हाथ पीछे करके, अंकल की गर्दन को पकड़ लिया और अंकल का पूरा साथ देने लगीं.
फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच की आवाज़े आने लगीं.
अंकल ने इस दौरान, हाथ पीछे करके मेरी मम्मी की स्कर्ट उठा दी थी और पैंटी के ऊपर से मेरी मम्मी के चुत्तड़ को सहला रहे थे.
मेरी मम्मी ने उस दिन पिंक कलर की पैंटी पहनी हुई थी.
अंकल अपनी दोनों हथेली से मेरी मम्मी के चुत्तड़ को मसलते हुए, मेरी मम्मी के होंठों को चूम रहे थे.
अंकल ने इसी दौरान, अपनी दोनों हथेली मेरी मम्मी की पैंटी के अंदर घुसा दी और चुत्तड़ मसलने लगे.
मम्मी ने हाथ पीछे करते हुए, हटाना चाहा लेकिन अंकल ने ऐसा करने नहीं दिया और मम्मी, अपना हाथ फिर से अंकल की गरदन पर पकड़ के अंकल का साथ देने लगीं.
मम्मी ने सैंडल पहनी हुई थी इसी लिए अंकल को मम्मी के होंठ चूमने मे कोई परेशानी नहीं हो रही थी क्यूंकि मम्मी, अंकल से हाइट में छोटी हैं.
इधर अंकल, कभी उन्हें कमर पकड़ के उठा लेते फिर उनके होंठ चूमते.
मम्मी के सैंडल पहने से, आज उनके लिए ये आसान था.
अंकल लगातार, मेरी मम्मी के होंठ चूस रहे थे.
कुछ देर बाद, अंकल ने एक हाथ पीछे से आगे कर लिया और मेरी मम्मी के चुचे को पकड़ लिया और टॉप के ऊपर से दबाने लगे.
मम्मी, अब मौन करने लगीं.
उनके मुंह से – आ अहह आ अहह आ अहह… की आवाज़ आने लगी.
अब मुझे लगा की कुछ और राज़ खुलेंगें.
अब दोनों, उस दिन की तरह बातें करना चालू करेंगें पर मुझे महसूस हुआ की चुदाई में इतना अश्लील होने में काफ़ी टाइम लगता है.
शायद, चूत में लंड डालने से पहले ऐसा ना हो.
खैर, अंकल अपने दाएँ हाथ से मेरी मम्मी की दाएँ चुचे को धीरे धीरे मसल रहे थे और अपने दूसरे हाथ से मेरी मम्मी के चुत्तड़ को सहला रहे थे और उन्हें चूम रहे थे.
कुछ देर और, ऐसा चलता रहा.
अंकल ने पहले से रिज़ॉर्ट बुक कर रखा था.
जिसमें, उन्होंने 2 रूम ले रखे थे.
एक में, वो लोग चले गये और एक में, मैं और मेरी मम्मी चले गये.
प्रोग्राम के हिसाब से, 1 घंटा आराम करने के बाद हमें निकलना था.
इस दौरान, मैं लगातार ये सोच रहा था की अंकल आज क्या जुगाड़ लगाएँगे.
खैर, मैं सबसे पहले जा के नहा लिया और अपने कपड़े पहन लिए.
फिर, मम्मी ने कहा – मैं भी अब नहाने जा रही हूँ… बहुत गरमी है…
मैंने कहा – ठीक है…
ना जाने क्यूँ, अब अब जब भी मम्मी बोलती थीं मेरा मन करता था की उनके मुँह में चाकू घुसेड दूं.
खैर, तभी अरूण आया और उसने मुझसे कहा – यार, मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है… वो सो गई हैं…
मेरी मम्मी वही थीं.
उन्होंने कहा – मैं देख के आती हूँ…
फिर, मैं भी चला गया.
मम्मी के साथ, अंकल बिस्तर पर बैठे थे और आंटी सोई हुई थीं.
मम्मी ने जा कर, अंकल से पूछा – क्या हुआ… ?? दीदी की तबीयत, ज़्यादा खराब हो गई है क्या… ??
अंकल ने कहा – हाँ… थोड़ी देर बाद, कहीं निकेलेंगे… अभी सोई हुई है…
मम्मी ने कहा – अरे, कोई बात नहीं… पहले आप, दीदी पर ध्यान दीजिए…
बहन के लौड़े, दोनों क्या एक्टिंग कर रहे थे.
कोई देखे, जिसे पता नहीं हो तो सोच ही ना पाए की 3-4 दिन पहले इन्होने रात भर ऐसी चुदाई करी है, जो कोई सोच भी ना सके.
दोस्तो, कोई क्या… मम्मी और मामा को देख कर, मुझे कभी शक नहीं हुआ की… ..
खैर..
फिर अंकल ने अपना तीर फेंका और कहा – अरूण और प्रणव, तुम लोग जा के रिज़ॉर्ट घूम आओ तब तक…
अरूण ने कहा – हाँ पापा… चल, प्रणव चलते हैं…
मैंने कहा – ठीक है…
और, मैं और अरूण निकल गये.
हम लोग, सामने के ही बगीचे में खेल रहे थे.
मैंने देखा, मेरी मम्मी उस रूम से निकल के अपने रूम मे आ गई थीं.
करीबन 10 मिनट हो गये.
फिर, मैंने देखा की अंकल अपने कमरे से निकले और इधर उधर देख के मम्मी के कमरे के तरफ चले गये और खटखटाया और धीरे से कमरे मे चले गये.
मैं जानता था, मम्मी ने दरवाज़ा खोला है और अभी अंकल क्या करने वाले हैं.
मुझे लगा, अंकल को ये भी फ़िक्र नहीं की आंटी की तबीयत खराब है.
मौका मिले तो ऐसे लोग, किसी की अर्थी पर चढ़ कर भी चुदाई कर लें.
खैर, मैंने अरूण से बहाना किया की मैं सूसू करके आता हूँ… तू थोडी देर, आंटी को भी देख ले… और मैं बगीचे के पीछे, साइड से कमरे की पीछे के साइड चला गया.
नीले रंग की काँच की खिड़की के थोड़े से भाग से, मुझे सब दिख रहा था.
अंकल ने, मेरी मम्मी को अपने गले से लगा रखा था.
मम्मी भी अरूण के पापा से पूरा चिपकी हुई थीं.
अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के कानों में कुछ कह रहे थे और उनके माथे पर चूम रहे थे और बीच बीच मे मेरी मम्मी के होंठों पर चुम्मी कर रहे थे.
मम्मी थोड़ा दूर हटी और फिर बोली – सुनिए, यहाँ नहीं… सब देख लेंगे…
अंकल ने, मेरी मम्मी के हाथ को पकड़ा और कहा – तू बहुत डरती है, मेरी जान… कोई नहीं है, यहाँ… वो सो रही है… याद कर, तू भी ऐसे ही चुदी होगी अपने भाई से, जब तेरा पति सो रहा था… देख, अब मुझे और मत तडपा… उस दिन “लंड फोड़, पलंग तोड़ चुदाई” करके मेरे लंड को गुब्बारा बना दिया है… और ये कहते हुए, अंकल ने मेरी मम्मी को अपने सीने से चिपका लिया और उनके होंठों को फिर से चूमने लगे.
मेरी मम्मी ने अपना हाथ पीछे करके, अंकल की गर्दन को पकड़ लिया और अंकल का पूरा साथ देने लगीं.
फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच फुच फच की आवाज़े आने लगीं.
अंकल ने इस दौरान, हाथ पीछे करके मेरी मम्मी की स्कर्ट उठा दी थी और पैंटी के ऊपर से मेरी मम्मी के चुत्तड़ को सहला रहे थे.
मेरी मम्मी ने उस दिन पिंक कलर की पैंटी पहनी हुई थी.
अंकल अपनी दोनों हथेली से मेरी मम्मी के चुत्तड़ को मसलते हुए, मेरी मम्मी के होंठों को चूम रहे थे.
अंकल ने इसी दौरान, अपनी दोनों हथेली मेरी मम्मी की पैंटी के अंदर घुसा दी और चुत्तड़ मसलने लगे.
मम्मी ने हाथ पीछे करते हुए, हटाना चाहा लेकिन अंकल ने ऐसा करने नहीं दिया और मम्मी, अपना हाथ फिर से अंकल की गरदन पर पकड़ के अंकल का साथ देने लगीं.
मम्मी ने सैंडल पहनी हुई थी इसी लिए अंकल को मम्मी के होंठ चूमने मे कोई परेशानी नहीं हो रही थी क्यूंकि मम्मी, अंकल से हाइट में छोटी हैं.
इधर अंकल, कभी उन्हें कमर पकड़ के उठा लेते फिर उनके होंठ चूमते.
मम्मी के सैंडल पहने से, आज उनके लिए ये आसान था.
अंकल लगातार, मेरी मम्मी के होंठ चूस रहे थे.
कुछ देर बाद, अंकल ने एक हाथ पीछे से आगे कर लिया और मेरी मम्मी के चुचे को पकड़ लिया और टॉप के ऊपर से दबाने लगे.
मम्मी, अब मौन करने लगीं.
उनके मुंह से – आ अहह आ अहह आ अहह… की आवाज़ आने लगी.
अब मुझे लगा की कुछ और राज़ खुलेंगें.
अब दोनों, उस दिन की तरह बातें करना चालू करेंगें पर मुझे महसूस हुआ की चुदाई में इतना अश्लील होने में काफ़ी टाइम लगता है.
शायद, चूत में लंड डालने से पहले ऐसा ना हो.
खैर, अंकल अपने दाएँ हाथ से मेरी मम्मी की दाएँ चुचे को धीरे धीरे मसल रहे थे और अपने दूसरे हाथ से मेरी मम्मी के चुत्तड़ को सहला रहे थे और उन्हें चूम रहे थे.
कुछ देर और, ऐसा चलता रहा.