23-11-2019, 09:34 AM
तो दोस्तो..ये था राहुल की जिंदगी का पहला भाग...और दूसरा भाग शुरू हुआ कुछ महीने बाद...जब दीवाली करीब थी..
राहुल और सबा की जिंदगी में ये दीवाली कैसे-2 रंग लाने वाली थी और क्या-2 धमाके करने वाली थी,इसका अंदाज़ा दोनो को ही नही था.
दशहरे वाले दिन पूरी कॉलोनी में काफ़ी रौनक थी...सबने मिलकर वहां एक हाउसिंग वैलफेयर कमेटी बनाई हुई थी जो ऐसे कार्यकर्म आयोजित करती थी जिसमें ज़्यादातर हर त्योहार को मिल जुलकर मनाया जाता था...दशहरे वाले दिन भी एक छोटा सा रावण बना कर उसका दहन किया गया..और बाद में सभी ने मिल जुलकर डिनर भी किया.
राहुल का बॉस शशांक सिन्हा इस सोसायटी की वेलफेयर कमेटी का प्रेसीडेंट था...इसलिए ऐसे सभी कार्यकर्म की ज़िम्मेदारी उसी के कंधो पर रहती थी.
डिनर के टाइम भी माहौल काफ़ी खुशनुमा था...
सोसायटी की सारी महिलाए अपने-२ ग्रुप बनाकर टेबल पर बैठी गप्पे मार रही थी...बच्चे पास ही बने पार्क में खेल रहे थे...और सभी मर्द अपने -२ ग्रुप में बैठकर खाना खा रहे थे या दारू पी रहे थे..
ऐसे ही एक टेबल पर राहुल अपने बॉस शशांक के साथ बैठा था, साथ में थे सोसायटी के ३ लोग और
बियर पीते हुए इधर - उधर की बाते होने, कुछ देर बाद वहीं बैठे गुप्ता जी ने एक टॉपिक छेड़ा,जिसे सुनकर सभी के कान खड़े हो गये..
गुप्तजी : "अरे भाई...दीवाली आने वाली है...कुछ सोचा है अब की बार कैसे मैनेज करेंगे...''
राहुल का बॉस शशांक बोला : "सोचना क्या है...हमेशा की तरह वही पुराना तरीका...बारी-2 से सभी के घर पर...ऐसा करने से किसी पर बर्डन भी नही पड़ता और एंजाय भी हो जाता है...''
गुप्तजी : "वो तो मुझे भी पता है...पर मैं जिस बारे में बात कर रहा हू वो तो समझो सिन्हा साहब...इस बार कैसे करेंगे...हमारे मेंबर्स तो काफ़ी कम है...ऐसे मज़ा नही आएगा...''
उनकी बात सुनकर शशांक बोला : "गुप्ताजी ...सब हो जाएगा....आप बस देखते रहिए...मेंबर्स की कमी थोड़े ही है....ये है ना राहुल...ये जॉइन करेगा इस बार....''
राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था,एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...
राहुल और सबा की जिंदगी में ये दीवाली कैसे-2 रंग लाने वाली थी और क्या-2 धमाके करने वाली थी,इसका अंदाज़ा दोनो को ही नही था.
दशहरे वाले दिन पूरी कॉलोनी में काफ़ी रौनक थी...सबने मिलकर वहां एक हाउसिंग वैलफेयर कमेटी बनाई हुई थी जो ऐसे कार्यकर्म आयोजित करती थी जिसमें ज़्यादातर हर त्योहार को मिल जुलकर मनाया जाता था...दशहरे वाले दिन भी एक छोटा सा रावण बना कर उसका दहन किया गया..और बाद में सभी ने मिल जुलकर डिनर भी किया.
राहुल का बॉस शशांक सिन्हा इस सोसायटी की वेलफेयर कमेटी का प्रेसीडेंट था...इसलिए ऐसे सभी कार्यकर्म की ज़िम्मेदारी उसी के कंधो पर रहती थी.
डिनर के टाइम भी माहौल काफ़ी खुशनुमा था...
सोसायटी की सारी महिलाए अपने-२ ग्रुप बनाकर टेबल पर बैठी गप्पे मार रही थी...बच्चे पास ही बने पार्क में खेल रहे थे...और सभी मर्द अपने -२ ग्रुप में बैठकर खाना खा रहे थे या दारू पी रहे थे..
ऐसे ही एक टेबल पर राहुल अपने बॉस शशांक के साथ बैठा था, साथ में थे सोसायटी के ३ लोग और
बियर पीते हुए इधर - उधर की बाते होने, कुछ देर बाद वहीं बैठे गुप्ता जी ने एक टॉपिक छेड़ा,जिसे सुनकर सभी के कान खड़े हो गये..
गुप्तजी : "अरे भाई...दीवाली आने वाली है...कुछ सोचा है अब की बार कैसे मैनेज करेंगे...''
राहुल का बॉस शशांक बोला : "सोचना क्या है...हमेशा की तरह वही पुराना तरीका...बारी-2 से सभी के घर पर...ऐसा करने से किसी पर बर्डन भी नही पड़ता और एंजाय भी हो जाता है...''
गुप्तजी : "वो तो मुझे भी पता है...पर मैं जिस बारे में बात कर रहा हू वो तो समझो सिन्हा साहब...इस बार कैसे करेंगे...हमारे मेंबर्स तो काफ़ी कम है...ऐसे मज़ा नही आएगा...''
उनकी बात सुनकर शशांक बोला : "गुप्ताजी ...सब हो जाएगा....आप बस देखते रहिए...मेंबर्स की कमी थोड़े ही है....ये है ना राहुल...ये जॉइन करेगा इस बार....''
राहुल जो अभी तक चुपचाप बैठकर अपनी बियर के सीप लगा रहा था,एकदम से अपना नाम सुनकर चोंक गया...उसे तो पता भी नही था की किस बारे में बात चल रही है...वो बेचारा अवाक सा होकर कभी गुप्ताजी और कभी अपने बॉस शशांक को देखने लगा..जैसे उनसे पूछना चाहता हो की किसमें उसे जॉइन करवा रहे है...