22-11-2019, 06:47 PM
update 44
दो दिन बीते और इन दो दिनों में मेरा और ऋतू का मिलना बदस्तूर जारी रहा| रात को ऋतू फ़ोन कर के पूछती की कल सुबह आप कहाँ इंटरव्यू देने जा रहे हो और अगले दिन सुबह मुझे Best of Luck wish करती, दोपहर को ये पूछती की इंटरव्यू कैसा रहा और शाम को हम मिलते| शुक्रवार को जब मैं उससे मिल कर लौटा तो रात को ऋतू का फ़ोन आया और मुझसे उसने शनिवार का प्लान पुछा| पर उस दिन मेरा कोई इंटरव्यू नहीं था इसलिए मैं घर पर ही रहने वाला था| मुझसे शाम का मिलने का वादा लिया और ऋतू खाना खाने चली गई| मैं भी अपना खाना बनाने में लग गया| बीते कुछ दिनों में कम से कम मैं खाना ढंग से खा रहा था, वरना तो रोज कच्चा-पक्का बना कर खा लिया करता था, बस एक बात थी, रात में बड़ी बेचैनी रहती थी! अगली सुबह मैं देर से उठा क्योंकि रात भर नींद ही नहीं आई| सुबह के दस बज होंगे की दरवाजे पर दस्तक हुई, मैं उठा और दरवाजा खोला| अभी ठीक से देख भी नहीं पाया था की ऋतू एक दम से अंदर आई और मेरे सीने से कस कर लिपट गई| उसके गर्म एहसास ने मेरी नींद भगा दी और मैं भी उसे कस कर गले लगा कर उसके सर को चूमने लगा| आखिर ऋतू मुझसे अलग हुई और दरवाजा बंद किया; "आप बैठो मैं चाय बनाती हूँ|" ये कह कर वो चाय बनाने लगी| चाय के साथ-साथ वो पोहा भी ले कर आई, ये पोहा उसने नाश्ते में न खा कर मेरे लिए लाई थी| "तो कोई कॉल आया?" ऋतू ने पुछा, उसका मतलब था की मैंने जहाँ-जहाँ इंटरव्यू दिए हैं वहां से कोई कॉल आया| "नहीं.... हाँ एक ऑफर आया है|" ये सुनते ही ऋतू खुश हो गई| "कितनी पे है?" उसने उत्साह से पुछा|
"35K ... मतलब 35,000/-" अब मेरे मुँह से ये सुन कर ऋतू की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा| पर जब मैंने आगे; "पर यहाँ नहीं बरैली जाना होगा!" कहा तो वो उदास हो गई| "मेरी जान! मैं नहीं जा रहा अपनी जानेमन को छोड़ कर|" मेरी बात से उसे तसल्ली हुई पर ख़ुशी नहीं| "चले जाओ ना! 35K कम नहीं होते!" ऋतू ने अपने मन को मारते हुए कहा| "सच में चला जाऊँ?" मैंने थोड़ा मस्ती करने के इरादे से कहा, ऋतू ने बस जवाब में सर हिला दिया| "पक्का?" मैंने फिर मस्ती करते हुए पुछा| "हाँ!!!! कौन सा हमेशा के लिए जाना है? 2 साल की ही तो बात है, फिर तो हम दोनों शादी कर लेंगे|" ऋतू ने बेमन से जवाब दिया और पूरी कोशिश की कि अपने मुँह पर नकली मुखौटा लगा ले| ऋतू उस समय मेरे सामने कुर्सी पर बैठी थी और मैं उसके सामने पलंग पर बैठा था| मैं उठा और जा के ऋतू को पीछे से अपने बाजुओं से जकड़ लिया और ऋतू के कान में होले से खुसफुसाया; "तुम्हें पता है पिछले कुछ दिनों से मुझे तुम्हारी 'लत' पड़ गई है| रात को बस तुम्हें ही याद करता रहता हूँ और तुम्हारी ही कमी महसूस करता हूँ, करवटें बदलता रहता हूँ| ऐसा क्या जादू कर दिया तुमने मुझ पर?" ये कहते हुए मैंने ऋतू के दाएँ गाल को चूम लिया| ऋतू उठ खड़ी हुई, मुझे बिस्तर तक खींच कर ले गई और मुझे अपने ऊपर झटके से खींच लिया| हम दोनों ही बिस्तर पर जा गिरे, नीचे ऋतू और उसके ऊपर मैं| हम दोनों ही की आँखों में प्यास झलक रही थी| मैंने ऋतू की होठों को अपनी गिरफ्त में लिया और उनको चूसने लगा और इधर ऋतू के दोनों हाथ मेरी टी-शर्ट उतारने के लिए मेरी पीठ पर चल रहे थे| तभी अचानक से अनु का फ़ोन बज उठा, मैंने ऋतू को होठों को छोड़ा और स्क्रीन पर किसका नाम है ये देखा| मैंने कॉल साइलेंट किया और ऋतू की आँखों में देखा तो उसमें एक चिंगारी नजर आई| ऋतू ने करवट ले कर मुझे अपने बगल में गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई| उसने बहुत तेजी से मेरे होठों पर हमला किया और उसे चूसने लगी| आज उसका मुझे kiss करना बहुत आक्रामक था| मैं अपने दोनों हाथों से ऋतू का चेहरा थामना था पर ऋतू बार-बार अपनी गर्दन कुछ इस तरह हिला रही थी की मैं उसे थामने में असफल हो रहा था| उसका निशाने पर मेरे होंठ जिसे आज वो चूस के निचोड़ लेना चाहती थी| फिर अगले ऋतू मुझ पर से उतरी और अपने पटिआला का नाडा खोला और वो सरक कर नीचे जा गिरा, फिर उसने अपनी पैंटी निकाली और फटाफट मेरे लोअर को खींचा और उसे बिना पूरा निकाले बस लंड को बाहर निकाला| मैं उसे ये सब करता हुआ देख रहा था, वो फिर से मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को पकड़ के अपनी बुर पर टिकाया| धीरे-धीरे वो उस पर अपना वजन डालते हुए उसे अपनी बुर में समा ने लगी| दर्द की लकीरें उसके माथे पर छाईं थीं पर ऋतू अपने होठों को दबा के दर्द को अपने मुँह में होते नीचे आ रही थी| जैसे ही पूरा लंड अंदर पहुँचा की ऋतू की आँखें दर्द से बंद हो गईं, उसने अपने दोनों होठों अब भी अपने मुँह में दबा रखे थे और अपनी चीख मुँह में दफन कर चुकी थी| लगभ मिनट भर लगा उसे मेरे कांड को अपनी बुर में एडजस्ट करने में और फिर अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर टिका ऋतू ने ऊपर-नीचे होना शुरू किया| अगले पल ही उसकी स्पीड तेज हो चुकी थी और उसकी बुर अंदर ही अंदर मेरे लंड को जैसे चूसने लगी थी| मैं ऋतू की बुर का दबाव अपने लंड पर साफ़ महसूस कर रहा था, मेरा पूरा जिस्म एक डीएम से गर्म हो गया था मानो जैसे की उसकी बुर मेरे लंड के जरिये मेरी आत्मा को चूस रही हो| पाँच मिनट तक ऋतू जितना हो सके उतनी तेजी से मेरे लंड पर कूद रही थी और उसे निचोड़ रही थी| फिर अगले ही पल वो मुझ पर लेट गई और अपना सर मेरी छाती पर रख दिया| मैंने उसे नीचे किया, अपने घुटने बिस्तर पर टिकाये और तेजी से कमर हिलाना शुरू कर दिया| हर धक्के के साथ मेरी स्पीड बढ़ने लगी, ऋतू ने अपने दोनों हाथों से मेरा चेहरा थाम लिया और मेरी आँखों में देखने लगी| आज मैं पहली बार उसकी आँखों में एक आग देख पा रहा था, मुझे ऐसे लगने लगा जैसे वो यही आग मेरे जिस्म लगाना चाहती हो| ऋतू बिना पलकें झपके मेरी आँखों में देख रही थी, उसके मुँह से कोई सिसकारी नहीं निकल रही थी बस एक टक वो मेरी आँखों में झाँकने में लगी थी| हर धक्के के साथ उसका जिस्म हिल रहा था और नीचे उसकी बुर भी पूरी प्रतिक्रिया दे रही थी पर ऋतू की आँखें मेरी आँखों में गड़ी थी| पाँच मिनट होने को आये थे और अब ऋतू छूटने की कगार पर थी, तभी उसने अपनी पकड़ मेरे चेहरे पर कड़ी कर दी और मेरी आँखों में गुस्से से चिल्लाती हुई बोली; “You’re bloody mine!” इतना कहते हुए वो झड़ गई, उसके हाथों से मेरा चेहरा आजाद हुआ और इधर आखरी झटका मारता हुआ मैं भी उसकी बुर में झड़ गया और ऋतू के ऊपर से लुढ़क कर बगल में गिर गया|
सासें दुरुस्त होने तक मेरे दिमाग बस ऋतू के वो शब्द ही घूम रहे थे, मैं समझ गया था की उसके मन में अब भी मुझे ले कर insecurity थी! पर मेरे कुछ कहने से पहले ही ऋतू मेरी तरफ पलटी और अपना सर मेरी छाती पर रखते हुए बोली; "जानू...." पर मैं ने उसकी बात काट दी और उसे खुद से दूर धकेला और उसके ऊपर आ गया| अब मेरी आँखों में भी वही आग थी जो कुछ पल उसकी आँखों में थी| "एक बार बोलूँगा उसे ध्यान से सुन और अपनी दिल और दिमाग में बिठा ले! मैं सिर्फ तेरा हूँ और तू सिर्फ मेरी है, हमारे बीच कोई नहीं आ सकता! समझ आया? आज के बाद फिर कभी तूने insecure फील किया ना तो खायेगी मेरे हाथ से!" मैंने गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए कहा और जवाब में ऋतू ने अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दीं और मैंने उसे एक जोरदार Kiss किया! ये Kiss इस बात को दर्शा रहा था की मेरा उसके लिए प्यार अटूट है और चाहे कुछ भी होजाये ये प्यार कभी कम नहीं होगा| Kiss कर के में ऋतू के ऊपर से हटा और बाथरूम चला गया, मुँह-हाथ धो कर बाहर आया तो ऋतू खिड़की के सामने अपनी दोनों टांगें अपनी छाती से मोड बैठी बाहर देख रही थी| मैं उसके साथ खड़ा हो कर बाहर देखने लगा और ऋतू ने अपने बाएँ हाथ को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मुझे अपने और नजदीक खींच लिया| “Go wash yourself!” मैंने कहा तो ऋतू उठी और मेरे सीने पर Kiss करके बाथरूम चली गई और मैं बाएँ हाथ से खिड़की को पकडे बाहर देखने लगा| ऋतू पीछे से आई और अपने गीले हाथों को मेरी छाती को जकड़ते हुए मुझसे सट कर खड़ी हो गई| मैं उसे अपने साथ बिस्तर पर ले गया और खींच कर उसे अपना ऊपर गिरा लिया, और हम ऐसे ही लेटे रहे| पूरी रात जिसने बड़ी मुश्किल से काटी हो उसके लिए तो ये पल खुशियों से भरा होगा| मुझे कब नींद आ गई कुछ होश नहीं रहा जब उठा तो कमरे में देसी घी की खुशबु फैली हुई थी| दाल रोटी खा कर हम दोनों खिड़की के सामने जमीन पर बैठे थे| ऋतू अपनी पीठ मेरे सीने से लगा कर बैठी थी;
ऋतू: आप वो बरैली वाली जॉब कर लो|
मैं: जान! आप जानते हो बरैली यहाँ से पाँच घंटे दूर है! फिर हम रोज-रोज नहीं मिल पाएंगे, सिर्फ एक संडे ही मिलेगा और उस दिन भी घर जाना पड़ गया तो?
ऋतू: थोड़ा एडजस्ट कर लेते हैं?
मैं: जान! एक आध दिन की बात नहीं है? यहाँ पर जॉब ओपनिंग कब खुलेगी कुछ पता नहीं है? और ये बताओ तब तक मेरे बिना आप रह लोगे?
ऋतू ये सुन कर खामोश हो गई!
मैं: मैं तो नहीं रह सकता आपके बिना| पता है पिछले कुछ दिनों से मेरा क्या हाल है आपके बिना? दिन तो जैसे-तैसे गुजर जाता है पर रात है की कमबख्त खत्म ही नहीं होती| मेरा दिल आपके जिस्म की गर्माहट पाने के लिए बेचैन रहता है| क्या जादू कर दिया तुमने मुझ पर?
ऋतू: ये मेरे प्यार का भूत है जो आपके जिस्म से चिपका हुआ है!
ऋतू ने हँसते हुए कहा| पर कुछ देर चुप रहने के बाद वो मुस्कुराते हुए बोली;
ऋतू: जानू दशेहरा आने वाला है|
मैं: हाँ तो?
ऋतू: फिर करवाचौथ आएगा....
इतना कह के ऋतू चुप हो गई और उसके पेट में तितलियाँ उड़ने लगीं| मैं समझ गया की उसका मतलब क्या है;
मैं: तो क्या चाहिए मेरी जानू को करवाचौथ पर? (मैंने ऋतू को कस कर अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा|)
ऋतू: बस आप!
मैं: मैं तो तुम्हारा हो चूका हूँ ना?
ऋतू: वो पूरा दिन मैं आपके साथ बिताऊँगी और उस दीं उपवास भी रखूँगी|
मैं: जो हुक्म बेगम साहिबा!
ये सुनते ही ऋतू खिलखिला कर हँस पड़ी| उसकी ये खिलखिलाती हँसी मुझे बहुत पसंद थी और में आँख मूंदें उसकी इस हँसी को अपनी रूह में उतारने लगा| पर अगले ही पल वो चुप हो गई और मेरी तरफ आलथी-पालथी मार के बैठ गई और मेरी आँखों में देखते हुए बोली;
ऋतू: I’m sorry जानू! मैंने उस टाइम आपको ..... वो सब कहा!
मैं: हम्म्म... कोई बात नहीं| I know तू मुझे ले कर कितना possessive है but तेरी insecurity मुझे बहुत गुस्सा दिलाती है|
ऋतू: मैं क्या करूँ? बहुत मुश्किल से मैंने अपनी इस insecurity को काबू किया था पर कुतिया (काम्या) की वजह से सब कुछ खराब हो गया! मुझे आप पर भरोसा है पर मुझे ये डर लगता है की अनु मैडम आपको मुझसे छीन लेगी| अब तो आपने उन्हें अनु भी कहना शुरू कर दिया! आपको पता है मुझे कितनी जलन होती है जब आप उसे अनु कहते हो? प्लीज मेरे लिए उससे मिलना बंद कर दो? मैंने आप से जो भी माँगा है आपने वो दिया है, प्लीज ये एक आखरी बार... प्लीज... मैं आगे से आपसे कुछ नहीं माँगूगी|
ऋतू ने रोते-रोते सब कहा और फिर आकर मेरे सीने से लग गई और रोती रही|
मैं: अनु के साथ बस एक आखरी प्रेजेंटेशन बाकी है उसके बाद वो अपने रास्ते और मैं अपने रास्ते|
ऋतू: उसके बाद आप उससे नहीं मिलोगे ना?
मैं: नहीं
ऋतू: Thank you!
तब जा कर ऋतू का रोना बंद हो गया| जब सुबह ऋतू ने मुझसे 'You’re bloody mine!' कहा था मैं तब ही समझ चूका था की उसकी insecurity कभी खत्म नहीं होगी| मैं चाहे उसे कितना भी समझा लूँ वो नहीं समझेगी और फिर कहीं वो कुछ उल्टा-सीधा न कर दे इसलिए मैंने उसकी बात मान ली थी| इतना प्यार करता था ऋतू से की उसके लिए एक दोस्ती कुर्बान करने जा रहा था! शाम को ठीक 6 बजे मैंने ऋतू को उसके हॉस्टल छोड़ा और घर आ गया| घर घुसते ही अनु का फ़ोन आ गया, उन्होंने मुझे प्रेजेंटेशन देने के लिए समय माँगा| मंडे का दिन फाइनल प्रेजेंटेशन था और उन्होंने मुझे ठीक ग्यारह बजे उसी कैफ़े में बुलाया| इधर मेरी मेल पर मुझे एक इंटरव्यू के लिए मंडे को बारह बजे बुलाया गया| इसलिए मैंने अनु को फ़ोन कर के प्रेजेंटेशन 10 बजे reschedule करवाई और वो मान भी गईं|
दो दिन बीते और इन दो दिनों में मेरा और ऋतू का मिलना बदस्तूर जारी रहा| रात को ऋतू फ़ोन कर के पूछती की कल सुबह आप कहाँ इंटरव्यू देने जा रहे हो और अगले दिन सुबह मुझे Best of Luck wish करती, दोपहर को ये पूछती की इंटरव्यू कैसा रहा और शाम को हम मिलते| शुक्रवार को जब मैं उससे मिल कर लौटा तो रात को ऋतू का फ़ोन आया और मुझसे उसने शनिवार का प्लान पुछा| पर उस दिन मेरा कोई इंटरव्यू नहीं था इसलिए मैं घर पर ही रहने वाला था| मुझसे शाम का मिलने का वादा लिया और ऋतू खाना खाने चली गई| मैं भी अपना खाना बनाने में लग गया| बीते कुछ दिनों में कम से कम मैं खाना ढंग से खा रहा था, वरना तो रोज कच्चा-पक्का बना कर खा लिया करता था, बस एक बात थी, रात में बड़ी बेचैनी रहती थी! अगली सुबह मैं देर से उठा क्योंकि रात भर नींद ही नहीं आई| सुबह के दस बज होंगे की दरवाजे पर दस्तक हुई, मैं उठा और दरवाजा खोला| अभी ठीक से देख भी नहीं पाया था की ऋतू एक दम से अंदर आई और मेरे सीने से कस कर लिपट गई| उसके गर्म एहसास ने मेरी नींद भगा दी और मैं भी उसे कस कर गले लगा कर उसके सर को चूमने लगा| आखिर ऋतू मुझसे अलग हुई और दरवाजा बंद किया; "आप बैठो मैं चाय बनाती हूँ|" ये कह कर वो चाय बनाने लगी| चाय के साथ-साथ वो पोहा भी ले कर आई, ये पोहा उसने नाश्ते में न खा कर मेरे लिए लाई थी| "तो कोई कॉल आया?" ऋतू ने पुछा, उसका मतलब था की मैंने जहाँ-जहाँ इंटरव्यू दिए हैं वहां से कोई कॉल आया| "नहीं.... हाँ एक ऑफर आया है|" ये सुनते ही ऋतू खुश हो गई| "कितनी पे है?" उसने उत्साह से पुछा|
"35K ... मतलब 35,000/-" अब मेरे मुँह से ये सुन कर ऋतू की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा| पर जब मैंने आगे; "पर यहाँ नहीं बरैली जाना होगा!" कहा तो वो उदास हो गई| "मेरी जान! मैं नहीं जा रहा अपनी जानेमन को छोड़ कर|" मेरी बात से उसे तसल्ली हुई पर ख़ुशी नहीं| "चले जाओ ना! 35K कम नहीं होते!" ऋतू ने अपने मन को मारते हुए कहा| "सच में चला जाऊँ?" मैंने थोड़ा मस्ती करने के इरादे से कहा, ऋतू ने बस जवाब में सर हिला दिया| "पक्का?" मैंने फिर मस्ती करते हुए पुछा| "हाँ!!!! कौन सा हमेशा के लिए जाना है? 2 साल की ही तो बात है, फिर तो हम दोनों शादी कर लेंगे|" ऋतू ने बेमन से जवाब दिया और पूरी कोशिश की कि अपने मुँह पर नकली मुखौटा लगा ले| ऋतू उस समय मेरे सामने कुर्सी पर बैठी थी और मैं उसके सामने पलंग पर बैठा था| मैं उठा और जा के ऋतू को पीछे से अपने बाजुओं से जकड़ लिया और ऋतू के कान में होले से खुसफुसाया; "तुम्हें पता है पिछले कुछ दिनों से मुझे तुम्हारी 'लत' पड़ गई है| रात को बस तुम्हें ही याद करता रहता हूँ और तुम्हारी ही कमी महसूस करता हूँ, करवटें बदलता रहता हूँ| ऐसा क्या जादू कर दिया तुमने मुझ पर?" ये कहते हुए मैंने ऋतू के दाएँ गाल को चूम लिया| ऋतू उठ खड़ी हुई, मुझे बिस्तर तक खींच कर ले गई और मुझे अपने ऊपर झटके से खींच लिया| हम दोनों ही बिस्तर पर जा गिरे, नीचे ऋतू और उसके ऊपर मैं| हम दोनों ही की आँखों में प्यास झलक रही थी| मैंने ऋतू की होठों को अपनी गिरफ्त में लिया और उनको चूसने लगा और इधर ऋतू के दोनों हाथ मेरी टी-शर्ट उतारने के लिए मेरी पीठ पर चल रहे थे| तभी अचानक से अनु का फ़ोन बज उठा, मैंने ऋतू को होठों को छोड़ा और स्क्रीन पर किसका नाम है ये देखा| मैंने कॉल साइलेंट किया और ऋतू की आँखों में देखा तो उसमें एक चिंगारी नजर आई| ऋतू ने करवट ले कर मुझे अपने बगल में गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गई| उसने बहुत तेजी से मेरे होठों पर हमला किया और उसे चूसने लगी| आज उसका मुझे kiss करना बहुत आक्रामक था| मैं अपने दोनों हाथों से ऋतू का चेहरा थामना था पर ऋतू बार-बार अपनी गर्दन कुछ इस तरह हिला रही थी की मैं उसे थामने में असफल हो रहा था| उसका निशाने पर मेरे होंठ जिसे आज वो चूस के निचोड़ लेना चाहती थी| फिर अगले ऋतू मुझ पर से उतरी और अपने पटिआला का नाडा खोला और वो सरक कर नीचे जा गिरा, फिर उसने अपनी पैंटी निकाली और फटाफट मेरे लोअर को खींचा और उसे बिना पूरा निकाले बस लंड को बाहर निकाला| मैं उसे ये सब करता हुआ देख रहा था, वो फिर से मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे लंड को पकड़ के अपनी बुर पर टिकाया| धीरे-धीरे वो उस पर अपना वजन डालते हुए उसे अपनी बुर में समा ने लगी| दर्द की लकीरें उसके माथे पर छाईं थीं पर ऋतू अपने होठों को दबा के दर्द को अपने मुँह में होते नीचे आ रही थी| जैसे ही पूरा लंड अंदर पहुँचा की ऋतू की आँखें दर्द से बंद हो गईं, उसने अपने दोनों होठों अब भी अपने मुँह में दबा रखे थे और अपनी चीख मुँह में दफन कर चुकी थी| लगभ मिनट भर लगा उसे मेरे कांड को अपनी बुर में एडजस्ट करने में और फिर अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर टिका ऋतू ने ऊपर-नीचे होना शुरू किया| अगले पल ही उसकी स्पीड तेज हो चुकी थी और उसकी बुर अंदर ही अंदर मेरे लंड को जैसे चूसने लगी थी| मैं ऋतू की बुर का दबाव अपने लंड पर साफ़ महसूस कर रहा था, मेरा पूरा जिस्म एक डीएम से गर्म हो गया था मानो जैसे की उसकी बुर मेरे लंड के जरिये मेरी आत्मा को चूस रही हो| पाँच मिनट तक ऋतू जितना हो सके उतनी तेजी से मेरे लंड पर कूद रही थी और उसे निचोड़ रही थी| फिर अगले ही पल वो मुझ पर लेट गई और अपना सर मेरी छाती पर रख दिया| मैंने उसे नीचे किया, अपने घुटने बिस्तर पर टिकाये और तेजी से कमर हिलाना शुरू कर दिया| हर धक्के के साथ मेरी स्पीड बढ़ने लगी, ऋतू ने अपने दोनों हाथों से मेरा चेहरा थाम लिया और मेरी आँखों में देखने लगी| आज मैं पहली बार उसकी आँखों में एक आग देख पा रहा था, मुझे ऐसे लगने लगा जैसे वो यही आग मेरे जिस्म लगाना चाहती हो| ऋतू बिना पलकें झपके मेरी आँखों में देख रही थी, उसके मुँह से कोई सिसकारी नहीं निकल रही थी बस एक टक वो मेरी आँखों में झाँकने में लगी थी| हर धक्के के साथ उसका जिस्म हिल रहा था और नीचे उसकी बुर भी पूरी प्रतिक्रिया दे रही थी पर ऋतू की आँखें मेरी आँखों में गड़ी थी| पाँच मिनट होने को आये थे और अब ऋतू छूटने की कगार पर थी, तभी उसने अपनी पकड़ मेरे चेहरे पर कड़ी कर दी और मेरी आँखों में गुस्से से चिल्लाती हुई बोली; “You’re bloody mine!” इतना कहते हुए वो झड़ गई, उसके हाथों से मेरा चेहरा आजाद हुआ और इधर आखरी झटका मारता हुआ मैं भी उसकी बुर में झड़ गया और ऋतू के ऊपर से लुढ़क कर बगल में गिर गया|
सासें दुरुस्त होने तक मेरे दिमाग बस ऋतू के वो शब्द ही घूम रहे थे, मैं समझ गया था की उसके मन में अब भी मुझे ले कर insecurity थी! पर मेरे कुछ कहने से पहले ही ऋतू मेरी तरफ पलटी और अपना सर मेरी छाती पर रखते हुए बोली; "जानू...." पर मैं ने उसकी बात काट दी और उसे खुद से दूर धकेला और उसके ऊपर आ गया| अब मेरी आँखों में भी वही आग थी जो कुछ पल उसकी आँखों में थी| "एक बार बोलूँगा उसे ध्यान से सुन और अपनी दिल और दिमाग में बिठा ले! मैं सिर्फ तेरा हूँ और तू सिर्फ मेरी है, हमारे बीच कोई नहीं आ सकता! समझ आया? आज के बाद फिर कभी तूने insecure फील किया ना तो खायेगी मेरे हाथ से!" मैंने गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए कहा और जवाब में ऋतू ने अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दीं और मैंने उसे एक जोरदार Kiss किया! ये Kiss इस बात को दर्शा रहा था की मेरा उसके लिए प्यार अटूट है और चाहे कुछ भी होजाये ये प्यार कभी कम नहीं होगा| Kiss कर के में ऋतू के ऊपर से हटा और बाथरूम चला गया, मुँह-हाथ धो कर बाहर आया तो ऋतू खिड़की के सामने अपनी दोनों टांगें अपनी छाती से मोड बैठी बाहर देख रही थी| मैं उसके साथ खड़ा हो कर बाहर देखने लगा और ऋतू ने अपने बाएँ हाथ को मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मुझे अपने और नजदीक खींच लिया| “Go wash yourself!” मैंने कहा तो ऋतू उठी और मेरे सीने पर Kiss करके बाथरूम चली गई और मैं बाएँ हाथ से खिड़की को पकडे बाहर देखने लगा| ऋतू पीछे से आई और अपने गीले हाथों को मेरी छाती को जकड़ते हुए मुझसे सट कर खड़ी हो गई| मैं उसे अपने साथ बिस्तर पर ले गया और खींच कर उसे अपना ऊपर गिरा लिया, और हम ऐसे ही लेटे रहे| पूरी रात जिसने बड़ी मुश्किल से काटी हो उसके लिए तो ये पल खुशियों से भरा होगा| मुझे कब नींद आ गई कुछ होश नहीं रहा जब उठा तो कमरे में देसी घी की खुशबु फैली हुई थी| दाल रोटी खा कर हम दोनों खिड़की के सामने जमीन पर बैठे थे| ऋतू अपनी पीठ मेरे सीने से लगा कर बैठी थी;
ऋतू: आप वो बरैली वाली जॉब कर लो|
मैं: जान! आप जानते हो बरैली यहाँ से पाँच घंटे दूर है! फिर हम रोज-रोज नहीं मिल पाएंगे, सिर्फ एक संडे ही मिलेगा और उस दिन भी घर जाना पड़ गया तो?
ऋतू: थोड़ा एडजस्ट कर लेते हैं?
मैं: जान! एक आध दिन की बात नहीं है? यहाँ पर जॉब ओपनिंग कब खुलेगी कुछ पता नहीं है? और ये बताओ तब तक मेरे बिना आप रह लोगे?
ऋतू ये सुन कर खामोश हो गई!
मैं: मैं तो नहीं रह सकता आपके बिना| पता है पिछले कुछ दिनों से मेरा क्या हाल है आपके बिना? दिन तो जैसे-तैसे गुजर जाता है पर रात है की कमबख्त खत्म ही नहीं होती| मेरा दिल आपके जिस्म की गर्माहट पाने के लिए बेचैन रहता है| क्या जादू कर दिया तुमने मुझ पर?
ऋतू: ये मेरे प्यार का भूत है जो आपके जिस्म से चिपका हुआ है!
ऋतू ने हँसते हुए कहा| पर कुछ देर चुप रहने के बाद वो मुस्कुराते हुए बोली;
ऋतू: जानू दशेहरा आने वाला है|
मैं: हाँ तो?
ऋतू: फिर करवाचौथ आएगा....
इतना कह के ऋतू चुप हो गई और उसके पेट में तितलियाँ उड़ने लगीं| मैं समझ गया की उसका मतलब क्या है;
मैं: तो क्या चाहिए मेरी जानू को करवाचौथ पर? (मैंने ऋतू को कस कर अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहा|)
ऋतू: बस आप!
मैं: मैं तो तुम्हारा हो चूका हूँ ना?
ऋतू: वो पूरा दिन मैं आपके साथ बिताऊँगी और उस दीं उपवास भी रखूँगी|
मैं: जो हुक्म बेगम साहिबा!
ये सुनते ही ऋतू खिलखिला कर हँस पड़ी| उसकी ये खिलखिलाती हँसी मुझे बहुत पसंद थी और में आँख मूंदें उसकी इस हँसी को अपनी रूह में उतारने लगा| पर अगले ही पल वो चुप हो गई और मेरी तरफ आलथी-पालथी मार के बैठ गई और मेरी आँखों में देखते हुए बोली;
ऋतू: I’m sorry जानू! मैंने उस टाइम आपको ..... वो सब कहा!
मैं: हम्म्म... कोई बात नहीं| I know तू मुझे ले कर कितना possessive है but तेरी insecurity मुझे बहुत गुस्सा दिलाती है|
ऋतू: मैं क्या करूँ? बहुत मुश्किल से मैंने अपनी इस insecurity को काबू किया था पर कुतिया (काम्या) की वजह से सब कुछ खराब हो गया! मुझे आप पर भरोसा है पर मुझे ये डर लगता है की अनु मैडम आपको मुझसे छीन लेगी| अब तो आपने उन्हें अनु भी कहना शुरू कर दिया! आपको पता है मुझे कितनी जलन होती है जब आप उसे अनु कहते हो? प्लीज मेरे लिए उससे मिलना बंद कर दो? मैंने आप से जो भी माँगा है आपने वो दिया है, प्लीज ये एक आखरी बार... प्लीज... मैं आगे से आपसे कुछ नहीं माँगूगी|
ऋतू ने रोते-रोते सब कहा और फिर आकर मेरे सीने से लग गई और रोती रही|
मैं: अनु के साथ बस एक आखरी प्रेजेंटेशन बाकी है उसके बाद वो अपने रास्ते और मैं अपने रास्ते|
ऋतू: उसके बाद आप उससे नहीं मिलोगे ना?
मैं: नहीं
ऋतू: Thank you!
तब जा कर ऋतू का रोना बंद हो गया| जब सुबह ऋतू ने मुझसे 'You’re bloody mine!' कहा था मैं तब ही समझ चूका था की उसकी insecurity कभी खत्म नहीं होगी| मैं चाहे उसे कितना भी समझा लूँ वो नहीं समझेगी और फिर कहीं वो कुछ उल्टा-सीधा न कर दे इसलिए मैंने उसकी बात मान ली थी| इतना प्यार करता था ऋतू से की उसके लिए एक दोस्ती कुर्बान करने जा रहा था! शाम को ठीक 6 बजे मैंने ऋतू को उसके हॉस्टल छोड़ा और घर आ गया| घर घुसते ही अनु का फ़ोन आ गया, उन्होंने मुझे प्रेजेंटेशन देने के लिए समय माँगा| मंडे का दिन फाइनल प्रेजेंटेशन था और उन्होंने मुझे ठीक ग्यारह बजे उसी कैफ़े में बुलाया| इधर मेरी मेल पर मुझे एक इंटरव्यू के लिए मंडे को बारह बजे बुलाया गया| इसलिए मैंने अनु को फ़ोन कर के प्रेजेंटेशन 10 बजे reschedule करवाई और वो मान भी गईं|