20-11-2019, 03:29 PM
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(06-03-2019, 04:00 AM)neerathemall Wrote: मुझे तो पहले से शक था कि मेरे जीजू बड़ी उम्र के थे इसलिए उन्हें रोमांस में इंटरेस्ट नहीं होगा . और उनसे एकदम विपरीत , संगीता दीदी बहुत रोमांटिक थी . संगीता दीदी के कहने पर मुझे बहुत दुःख हुआ और तरस खा कर मैंने उससे कहा , "दीदी ! अगर तुम्हें कोई ऐतराज ना हो तो मैं तुम्हें ले जा सकता हूँ खंडाला “
“सच सागर “ , संगीता दीदी ने तुरंत कहा और अगले ही पल वो मायूस होकर बोली "काश ! तुम्हारे जीजू ने ऐसा कहा होता ? क्योंकि ऐसी रोमांटिक जगह पर अपने जीवनसाथी के साथ जाने में ही मजा होता हैं . भाई और बहन के साथ जाने में नहीं ."
“ कौन कहता हैं ऐसा ? “ मैंने थोड़ा गुस्से से कहा , “सुनो , दीदी ! जब तक हम एक दूसरे के साथ कम्फर्टेबल हैं और वैसी रोमांटिक जगह का आनंद ले रहे हैं तो हम भाई -बहन हैं इससे क्या फर्क पड़ता हैं ? और वैसे भी हम दोनों में भाई -बहन के नाते से ज्यादा दोस्ती का नाता हैं . हम तो बिलकुल दोस्तों जैसे रहते हैं . है कि नहीं , दीदी ? “
“हाँ रे मेरे भाई , मेरे दोस्त !! “ संगीता दीदी ने खुश होकर कहा , लेकिन फिर भी मुझे ऐसा लगता हैं कि मेरे पति के साथ ऐसी जगह जाना ही उचित हैं .
“तो फिर मुझे नहीं लगता कि तुम कभी खंडाला देख सकोगी , दीदी . क्योंकि जीजू को तो कभी फुरसत ही नहीं मिलेगी दुकान से “
“हाँ , सागर ! ये भी बात सही हैं तुम्हारी . ठीक हैं !.. सोचेंगे आगे कभी खंडाला जाने के बारे में”
“आगे क्या , दीदी ! हम अभी जा सकते हैं खंडाला “
“अभी ? क्या पागल की तरह बात कर रहे हो “ संगीता दीदी ने हैरानी से कहा .
"अभी यानी . परसों हम मुंबई जाते समय , दीदी !" मैंने हंस के जवाब दिया .
"मुंबई जाते समय ? संगीता दीदी सोच में पड़ गयी , "ये कैसे संभव हैं , सागर ?"
"क्यों नहीं , दीदी ?" मैं उत्साह से उसे बताने लगा , "सोचो ! हम परसों सुबह मुंबई जा रहे हैं अपने घर , ठीक ? हम यहाँ से थोड़ा जल्दी निकलेंगे और खंडाला पहुंचते ही वहां उतर जायेंगे .फिर उस दिन हम खंडाला घूमेंगे और फिर दूसरे दिन सुबह की बस से हम हमारे
घर जायेंगे ."
"वो तो ठीक हैं . लेकिन रात को हम खंडाला में कहाँ रहेंगे ? " संगीता दीदी ने आगे पूछा .
"कहाँ यानी ? होटल में , दीदी !" मैंने झट से जवाब दिया .
"होटल में ??" संगीता दीदी सोच में पड़ गयी , "लेकिन हम उसी दिन रात को मुंबई नहीं जा सकते क्या ?"
"जा सकते हैं ना , दीदी ! लेकिन उससे कुछ नहीं होगा सिर्फ हमारी भागदौड़ ज्यादा होगी . क्योंकि हम पूरा खंडाला घूमेंगे जिससे रात तो होगी ही . और फिर तुम तो पहली बार खंडाला देखोगी और घूमोगी तो उस में समय तो लगेगा ही . और घूम फिर के तुम जरूर थक जाओगी और तुम्हें फिर आराम की जरूरत पड़ेगी . इसलिए रात को होटल में रुकना ही ठीक रहेगा”
"वैसे तुम्हारी बात तो ठीक हैं , सागर !" संगीता दीदी को मेरी बात ठीक लगी और वो बोली , "लेकिन सिर्फ इतना ही कि रात को होटल में भाई के साथ रहना थोड़ा अजीब सा लगता हैं "
"ओहो , कम आन , दीदी ! हम अजनबी तो नहीं हैं . और हम भाई -बहन हैं तो क्या हुआ , हम दोस्त भी तो हैं . तुम्हे जरा भी अजीब नहीं लगेगा वहां . तुम सिर्फ देखो , तुम्हें बहुत मजा आएगा वहां ."
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.