17-11-2019, 09:25 AM
शावर
" यार सु सु तो छोटे बच्चे करते हैं , तुम तो ,... तुम्हारा वो भी ,... तो कर लो न , ... "
मैं टॉयलेट की ओर इशारा करते बोली और जोड़ा ,
" कहो तो मैं पकड़ कर जैसे तेरी मम्मी बचपन में पकड़ कर सुसु करवाती थीं , वैसे करवाना हो तो ,... "
बेचारे एकदम उनके चेहरे से लग रहा था , ....
बात मैंने मान ली , और कमोड की ओर पीठ कर खड़ी हो गयी , और वो ,...
वो भूल गए थे की मैं बाथरूम के मिरर में सब कुछ देख रही थी , ,,,, उनकी आँखे बंद थीं एकदम ,
दो समय उनकी आँखे एकदम जोर जोर से बंद कर हो जाती थीं ,
एक तो जब वो झड़ते थे और दूसरा , जी एकदम सही समझा आपने ,
सु सु करते समय ,
मेरा मन बदमाशी करने का कर रहा था , किसी तरह मैं अपने को कंट्रोल कर पा रही थी , निगाह मेरी उसी जगह टिकी थी , लेकिन ,...
कितनी देर मैं अपने को रोक पाती , ...
वो भी आलमोस्ट ,...
पर आँखे अभी भी बंद थी ,
मैं दबे पाँव उनके पीछे गयी सीधे उनके पीठ से सट कर खड़ी हो गयी , और उसे पकड़ लिया ,
अभी भी वो फनफनाया तन्नाया , धार थोड़ी हलकी सी , ... लेकिन
मैंने ' उसे ' पकड़ कर एक झटके से सुपाड़ा खोल दिया ,
और अब धार , सब कुछ बदल गया ,
और बेचारे वो , उन्होंने भी आँख खोल दी , ... मेरे उभार उनके पीठ से रगड़ रहे थे और ' वो ' मेरी मुट्ठी में ,
" हे छोड़ न , ... "
बिचारे वो , पहली बार ऐसा हुआ होगा की मैंने मूसलचंद को पकड़ा हो और उन्होंने छोड़ने को कहा हो ,
मैंने नहीं छोड़ा ,
मैंने नहीं छोड़ा , छोड़ती क्यों छोड़ने के लिए थोड़े ही पकड़ा था , वैसे भी जब वो पूरे जोश में होता था , तो मेरी मुट्ठी में नहीं आ पाता था ,
मांडव में उन्हें खूब गारियाँ सुनाई गयीं थी , उनकी माँ को भी ,
दूल्हा स्साला , गदहे का जना , घोड़े का जना
....
दूल्हे की माई गदहवा चोदी , घोड़वा चोदी
मुझे क्या मालूम था वो सब गारियाँ सही निकल जाएंगी , मुझे गदहा , घोडा मारका मिलेगा। वैसे ही लम्बा , मोटा और कड़क ,
मैंने उनसे एक सवाल पूछ लिया ,"
" अच्छा यार छोड़ती हूँ न , चल पहले ये बोल की इसे सबसे पहले किसने पकड़ा ,...
बोल न जैसे सही जबाब देगा , मैं छोड़ दूंगी , ....सबसे पहले "
कुछ झिझकते हुए वो बोले ,
" तूने "
मैंने कचकचा के उनका गाल पूरी जोर से काट लिया , मेरे बरछी कटार ऐसे निप्स उनकी पीठ में छेद कर रहे थे ,
एक हाथ में तो वो मूसल कस के मैंने पकड़ रखा था , दूसरे से मैंने उनके निप्स कस के स्क्रैच कर लिया , ...
और अंगूठे से उनके पी होल को छेड़ते हुए ( अभी भी वो 'रुके नहीं ' थे ) मैंने पूछ लिया
" अरे नहीं यार जब ये इतना खूंखार नहीं हुआ था ,... नूनी था ,... छोटा सा, ... किसी ने पकड़ा होगा , ये सुपाड़ा खोल के अच्छी तरह से तेल लगाया होगा , मालिश की होगी तभी तो ये इतना मुस्टंडा हुआ , बोल न सबसे [b]पहले , पकड़ के सुसु कराया होगा ,... "[/b]
समझ तो वो गए थे पर बोल नहीं रहे थे ,
मैंने कस के दबाते हुए कहा ,
" तो मैं छोडूंगी भी नहीं , बोल न , ऐसा क्या शर्मा रहे हो , बोल न किसने पकड़ा था इसे सबसे पहले , ..... "
मुश्किल से उनके बोल फूटे , " मम्मी ने "
बस मुझे तो मौका मिल गया ,
" अच्छा तो बचपन से अपनी मम्मी को अपना हथियार पकड़ा रहे हो , पकड़वा के हिलवा रहे हो , और उनके सामने , ...
शरम नहीं , और मुझसे नयी नयी लौंडिया की तरह लजा रहे हो सुसु करने में ,... "
मैंने जोर से चिढ़ाया।
वादा किया था इसलिए मुट्ठी से तो छोड़ दिया , लेकिन अपने मुंह में गपक लिया ,
पी होल , ... सुपाड़े के छेद पर अभी भी दस पांच बूँद ,.... मैंने जीभ की टिप से सीधे पी होल वाले छेद में डाल कर , ...
फिर सुपाडे के चारो ओर भी लपड़ सपड़ , साफ़ सुफ्फ , चिक्कन मुक्कन कर के ,...
हालत उनकी खराब थी , ... किसी तरह शिकायत के अंदाज में बोले ,
" ठीक है , फिर तुम भी न ,... जो कुछ होगा सामने , समझ लो ,... "
" यार मैं नहीं शर्माने वाली , शर्माउंगी किससे ,.... तुमसे ? अरे मैं तो ,... तुम्ही घबड़ा जाते हो ,... चलो अभी पहले नहा लो "
उन्हें उलटे चैलेन्ज देती मैं उन्हें शावर के नीचे खींच कर ले गयी ,
जब हम दोनों साथ साथ नहाते थे तो शावर साथ साथ , फिर मैं उन्हें साबुन लगाती और वो मुझे , ...
जाहिर है वो कुछ ख़ास जगहों ओर ज्यादा रगड़ रगड़ कर के साबुन लगाते , ...
आज भी हम दोनों साथ साथ चिपके शावर में , ...
,
उनके बालो में ऊँगली करते मुझे लगा ,... कि
" हे कितने दिन से शैम्पू नहीं किया '
झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया , यहाँ से जाने के चार दिन पहले , ... जो मैंने किया था वही , यानी ११-१२ दिन हो गए थे ,
" तुम भी न , एक हफता वहां ऐसे ही , अच्छा चलो मैं करती हूँ "
और जम के मैंने उनके बालों में शैम्पू किया फिर देह में साबुन लगाने लगी।जब से मैं आयी थी , इस लड़के की कुछ चीजों की जिम्मेदारी मेरी हो गयी थी , पूरी। देह की , कपडा कौन सा पहनना है , नाख़ून कटा की नहीं , ... शैम्पू , ...
साबुन लगाते समय जैसे मेरे उभारों पर इनका ध्यान रहता था , मेरा ध्यान भी , जी आपने सही समझा ,
इनके कमर के नीचे , न सिर्फ उस मोटे मूसल को मैं रगड़ रगड़ के साफ करती थी , बल्कि उसके आस पास के हिस्सों को भी ,
सुपाड़ा अच्छी तरह खोल के , ... वहां भी ,
बस मैं उसी तरह साबुन लगा रही थी , ...
और जिस दिन शैम्पू होता था मेरा फायदा ही फ़ायदा , उनकी आँखे बंद रहती थीं , कम से कम दस पंद्रह मिनट , जब तक शैम्पू का झाग सर से निकल कर इनके चेहरे पर , ...
और अगर मेरी शरारतों से तंग हो कर इन्होने आँख खोलने की कोशिश की भी तो मैं तुरंत चिल्लाती ,
" हे आँख में चला जाएगा , आँख बंद कर , ... आँख बंद। "
और ये घबड़ा कर आँख बंद कर लेते थे।
मोटे खूंटे पे रगड़ के साबुन लगाते लगाते मुझे कल रात का ध्यान आया , ...रबड़ी जिस के नाम से ये चिढ़ते थे , मैंने न सिर्फ अपने अगवाड़े ही नहीं पिछवाड़े भी लगा के ,... पहली बार इस तरह से बंद मैंने उनसे अपना पिछवाड़ा चुमवाया , चटवाया , ... और मैंने भी तो उनके पिछवाड़े भी , ... पहली बार , किस भी और जीभ अंदर डालकर , ... बहुत मजा आ रहा था उनकी तड़प देख के , ,
बस हाथ के इशारे से मैंने उन्हें निहुराया , पिछवाड़ा ऊपर , फिर ढेर सारा दोनों नितम्बों पर ,
" यार सु सु तो छोटे बच्चे करते हैं , तुम तो ,... तुम्हारा वो भी ,... तो कर लो न , ... "
मैं टॉयलेट की ओर इशारा करते बोली और जोड़ा ,
" कहो तो मैं पकड़ कर जैसे तेरी मम्मी बचपन में पकड़ कर सुसु करवाती थीं , वैसे करवाना हो तो ,... "
बेचारे एकदम उनके चेहरे से लग रहा था , ....
बात मैंने मान ली , और कमोड की ओर पीठ कर खड़ी हो गयी , और वो ,...
वो भूल गए थे की मैं बाथरूम के मिरर में सब कुछ देख रही थी , ,,,, उनकी आँखे बंद थीं एकदम ,
दो समय उनकी आँखे एकदम जोर जोर से बंद कर हो जाती थीं ,
एक तो जब वो झड़ते थे और दूसरा , जी एकदम सही समझा आपने ,
सु सु करते समय ,
मेरा मन बदमाशी करने का कर रहा था , किसी तरह मैं अपने को कंट्रोल कर पा रही थी , निगाह मेरी उसी जगह टिकी थी , लेकिन ,...
कितनी देर मैं अपने को रोक पाती , ...
वो भी आलमोस्ट ,...
पर आँखे अभी भी बंद थी ,
मैं दबे पाँव उनके पीछे गयी सीधे उनके पीठ से सट कर खड़ी हो गयी , और उसे पकड़ लिया ,
अभी भी वो फनफनाया तन्नाया , धार थोड़ी हलकी सी , ... लेकिन
मैंने ' उसे ' पकड़ कर एक झटके से सुपाड़ा खोल दिया ,
और अब धार , सब कुछ बदल गया ,
और बेचारे वो , उन्होंने भी आँख खोल दी , ... मेरे उभार उनके पीठ से रगड़ रहे थे और ' वो ' मेरी मुट्ठी में ,
" हे छोड़ न , ... "
बिचारे वो , पहली बार ऐसा हुआ होगा की मैंने मूसलचंद को पकड़ा हो और उन्होंने छोड़ने को कहा हो ,
मैंने नहीं छोड़ा ,
मैंने नहीं छोड़ा , छोड़ती क्यों छोड़ने के लिए थोड़े ही पकड़ा था , वैसे भी जब वो पूरे जोश में होता था , तो मेरी मुट्ठी में नहीं आ पाता था ,
मांडव में उन्हें खूब गारियाँ सुनाई गयीं थी , उनकी माँ को भी ,
दूल्हा स्साला , गदहे का जना , घोड़े का जना
....
दूल्हे की माई गदहवा चोदी , घोड़वा चोदी
मुझे क्या मालूम था वो सब गारियाँ सही निकल जाएंगी , मुझे गदहा , घोडा मारका मिलेगा। वैसे ही लम्बा , मोटा और कड़क ,
मैंने उनसे एक सवाल पूछ लिया ,"
" अच्छा यार छोड़ती हूँ न , चल पहले ये बोल की इसे सबसे पहले किसने पकड़ा ,...
बोल न जैसे सही जबाब देगा , मैं छोड़ दूंगी , ....सबसे पहले "
कुछ झिझकते हुए वो बोले ,
" तूने "
मैंने कचकचा के उनका गाल पूरी जोर से काट लिया , मेरे बरछी कटार ऐसे निप्स उनकी पीठ में छेद कर रहे थे ,
एक हाथ में तो वो मूसल कस के मैंने पकड़ रखा था , दूसरे से मैंने उनके निप्स कस के स्क्रैच कर लिया , ...
और अंगूठे से उनके पी होल को छेड़ते हुए ( अभी भी वो 'रुके नहीं ' थे ) मैंने पूछ लिया
" अरे नहीं यार जब ये इतना खूंखार नहीं हुआ था ,... नूनी था ,... छोटा सा, ... किसी ने पकड़ा होगा , ये सुपाड़ा खोल के अच्छी तरह से तेल लगाया होगा , मालिश की होगी तभी तो ये इतना मुस्टंडा हुआ , बोल न सबसे [b]पहले , पकड़ के सुसु कराया होगा ,... "[/b]
समझ तो वो गए थे पर बोल नहीं रहे थे ,
मैंने कस के दबाते हुए कहा ,
" तो मैं छोडूंगी भी नहीं , बोल न , ऐसा क्या शर्मा रहे हो , बोल न किसने पकड़ा था इसे सबसे पहले , ..... "
मुश्किल से उनके बोल फूटे , " मम्मी ने "
बस मुझे तो मौका मिल गया ,
" अच्छा तो बचपन से अपनी मम्मी को अपना हथियार पकड़ा रहे हो , पकड़वा के हिलवा रहे हो , और उनके सामने , ...
शरम नहीं , और मुझसे नयी नयी लौंडिया की तरह लजा रहे हो सुसु करने में ,... "
मैंने जोर से चिढ़ाया।
वादा किया था इसलिए मुट्ठी से तो छोड़ दिया , लेकिन अपने मुंह में गपक लिया ,
पी होल , ... सुपाड़े के छेद पर अभी भी दस पांच बूँद ,.... मैंने जीभ की टिप से सीधे पी होल वाले छेद में डाल कर , ...
फिर सुपाडे के चारो ओर भी लपड़ सपड़ , साफ़ सुफ्फ , चिक्कन मुक्कन कर के ,...
हालत उनकी खराब थी , ... किसी तरह शिकायत के अंदाज में बोले ,
" ठीक है , फिर तुम भी न ,... जो कुछ होगा सामने , समझ लो ,... "
" यार मैं नहीं शर्माने वाली , शर्माउंगी किससे ,.... तुमसे ? अरे मैं तो ,... तुम्ही घबड़ा जाते हो ,... चलो अभी पहले नहा लो "
उन्हें उलटे चैलेन्ज देती मैं उन्हें शावर के नीचे खींच कर ले गयी ,
जब हम दोनों साथ साथ नहाते थे तो शावर साथ साथ , फिर मैं उन्हें साबुन लगाती और वो मुझे , ...
जाहिर है वो कुछ ख़ास जगहों ओर ज्यादा रगड़ रगड़ कर के साबुन लगाते , ...
आज भी हम दोनों साथ साथ चिपके शावर में , ...
,
उनके बालो में ऊँगली करते मुझे लगा ,... कि
" हे कितने दिन से शैम्पू नहीं किया '
झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया , यहाँ से जाने के चार दिन पहले , ... जो मैंने किया था वही , यानी ११-१२ दिन हो गए थे ,
" तुम भी न , एक हफता वहां ऐसे ही , अच्छा चलो मैं करती हूँ "
और जम के मैंने उनके बालों में शैम्पू किया फिर देह में साबुन लगाने लगी।जब से मैं आयी थी , इस लड़के की कुछ चीजों की जिम्मेदारी मेरी हो गयी थी , पूरी। देह की , कपडा कौन सा पहनना है , नाख़ून कटा की नहीं , ... शैम्पू , ...
साबुन लगाते समय जैसे मेरे उभारों पर इनका ध्यान रहता था , मेरा ध्यान भी , जी आपने सही समझा ,
इनके कमर के नीचे , न सिर्फ उस मोटे मूसल को मैं रगड़ रगड़ के साफ करती थी , बल्कि उसके आस पास के हिस्सों को भी ,
सुपाड़ा अच्छी तरह खोल के , ... वहां भी ,
बस मैं उसी तरह साबुन लगा रही थी , ...
और जिस दिन शैम्पू होता था मेरा फायदा ही फ़ायदा , उनकी आँखे बंद रहती थीं , कम से कम दस पंद्रह मिनट , जब तक शैम्पू का झाग सर से निकल कर इनके चेहरे पर , ...
और अगर मेरी शरारतों से तंग हो कर इन्होने आँख खोलने की कोशिश की भी तो मैं तुरंत चिल्लाती ,
" हे आँख में चला जाएगा , आँख बंद कर , ... आँख बंद। "
और ये घबड़ा कर आँख बंद कर लेते थे।
मोटे खूंटे पे रगड़ के साबुन लगाते लगाते मुझे कल रात का ध्यान आया , ...रबड़ी जिस के नाम से ये चिढ़ते थे , मैंने न सिर्फ अपने अगवाड़े ही नहीं पिछवाड़े भी लगा के ,... पहली बार इस तरह से बंद मैंने उनसे अपना पिछवाड़ा चुमवाया , चटवाया , ... और मैंने भी तो उनके पिछवाड़े भी , ... पहली बार , किस भी और जीभ अंदर डालकर , ... बहुत मजा आ रहा था उनकी तड़प देख के , ,
बस हाथ के इशारे से मैंने उन्हें निहुराया , पिछवाड़ा ऊपर , फिर ढेर सारा दोनों नितम्बों पर ,