14-11-2019, 07:18 PM
update 36
मुझे नींद का झौंका आ रहा था और ऋतू अपने बाएं हाथ से मेरे दाएँ हाथ को लॉक कर मेरे कंधे पर सर रख बैठी थी| उसकी ख़ुशी उसके चेहरे से झलक रही थी और दूसरी तरफ रोहित और काम्या जी भर के शो करने में लगे थे, एक दूसरे को छेड़ रहे थे, हँसी-ठिठोली कर रहे थे| पर ऋतू बहुत शांत थी और मन ही मन जैसे इस सब के लिए भगवान् को शुक्रिया कर रही थी| अभी मेरी आँख बंद ही हुई थी की उसने मुझे जगा दिया और बोली' "जानू! मुझे भूख लग रही है!" मैंने घडी देखि तो अभी शाम के 6 बजे थे, फिर उसे ऊपर रखे हुए चिप्स और थम्ब्स अप निकाल के दी| मैं हाथ मोड़ के बैठ गया, ऋतू ने पहला चिप्स मुझे खिलाया और फिर खुद खाने लगी| इतने में काम्या का ध्यान हमारी तरफ आया तो वो भी खाने के लिए उसी चिप्स के पैकेट पर टूट पड़ी| "मानु जी आप मेरी सीट पर बैठ जाओ|" काम्या बोली|
"हेल्लो मैडम! मैं आपके बॉयफ्रेंड के साथ बैठने यहाँ नहीं आया|" मैंने मजाक करते हुए कहा| तभी रितिका ने अपना चिप्स का पैकेट उसे दे दिया; "ये ले खा मोटी!" ये सुन कर हम चारों हँस पड़े| इतने में अनु मैडम का फ़ोन आ गया; "तो मानु जी बस मिल गई?"
"जी Mam मिल गई, इनफैक्ट मैं बस में ही हूँ| Sorry उस टाइम आपसे बात नहीं कर पाया|"
"अरे कोई बात नहीं, वो दरसल मैं कंपनी को मेल किया था तो उसने सारा डाटा भेज दिया है| सैटरडे रितिका आएगी तो मैं उसके साथ बैठ कर काम खत्म करती हूँ|" मैडम की बात सुन कर मैं ऋतू की तरफ हैरानी से देखने लगा| ऋतू ने अभी तक मैडम को नहीं बताया था की वो सैटरडे-संडे नहीं आ पायेगी! मैडम से बस इतनी ही बात हुई और फिर उन्होंने फ़ोन काट दिया| "ऋतू तूने मैडम को कॉल करके नहीं बताया?" मैंने ऋतू से पूछा तो वो अपनी जीभ दाँतों तले दबाते हुए बोली; "भूल गई! सॉरी! अभी कॉल करती हूँ|"
"पागल न बन! कल सुबह कॉल करिओ और बहाना अच्छा मारिओ वरना मैडम जबरदस्ती बुला लेंगी|" मैंने ऋतू को समझाया| खेर रात आठ बजे बस ने एक हॉल्ट लिया और खाना-पीना हुआ| मैं बस की यात्रा में कुछ ज्यादा खाता-पीता नहीं, चिप्स या बिस्किट और कोल्ड ड्रिंक्स, इससे ज्यादा कुछ नहीं लेता| काम्या और रोहित ने तो डाब कर पेला और पेट भर खाना खाया| ऋतू ने भी बस दो रोटी खाई और मुझे भी खाने को कहा पर मैंने मना कर दिया| रात के दस बजे होंगे, सारी लाइट्स ऑफ हो गईं और काम्या और रोहित का बस सेक्स चालु हो गया| दोनों एक दूसरे को चूमना शुरू कर चुके थे, ऋतू ये सब देख रही थी और मेरी नजर ऋतू पर थी| ऋतू बेचैन होने लगी थी पर जानती थी की हम बस में हैं और यहाँ कुछ भी करना पॉसिबल नहीं है| ऋतू ने अपने बाएँ हाथ को मेरी कमर में डाला और मेरी तरफ झुक कर मेरे सीने पर अपना सर रख लिया| उसका दाहिना हाथ मेरे पेट पर था और ध्यान अब भी काम्या और रोहित के चूमने पर था| वो दोनों ज्यादा तो कुछ नहीं कर रहे थे बस एक दूसरे को Kiss ही कर रहे थे और इतने से ही ऋतू की सांसें भारी होने लगी थीं| जिस दिन मैंने ऋतू का गुस्से से डाँटा था उस दिन से मैंने उसे जरा भी नहीं छुआ था और उसकी ये बेताबी फिर से बाहर आने लगी थी| माने झुक कर ऋतू के सर को चूमा ताकि वो अपने जज्बातों को काबू में कर ले| पर मेरा ये kiss ऐसा था मानो जैसे किसी ने गर्म तवे पर पानी का छींटा मारा हो| मेरे ऋतू के सर पर kiss करते ही वो मेरी आंखों में प्यास भरी आँखों से देखने लगी| वो आँखों ही आँखों में मुझसे मिन्नत करने लगी| मानो जैसे कह रही हो की बस एक Kiss! उसकी मासूम आँखों को देख कर मैं पिघलने लगा और झुक कर उसके अधरों पर अपने होठों को रख दिया| मैंने अपना मुँह थोड़ा सा खोला और उसके नीचले होंठ को धीरे से अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा| ऋतू का दायाँ हाथ मरे बाएँ गाल पर आ चूका था| ऋतू ने अपनी रस भरी जीभ मेरे मुँह में दाखिल कर दी थी और वो मेरी जीभ से समागम करने लगी थी| मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू के मुँह को थाम लिया था, और उसकी जीभ को अपने मुँह में चूसने लगा था| कुछ सेकंड बाद मैंने उसकी जीभ छोड़ दी और अपनी जीभ को धीरे से उसके मुँह में सरका दिया| मेरी जीभ का गर्म जोशी से स्वागत हुआ, रितिका के होठों ने उसे अपने दबाव से पकड़ लिया और ऋतू उसे चूसने लगी| इसी तरह हम दोनों बारी-बारी से एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे और ये सब हम बिना किसी आवाज के और धीरे-धीरे कर रहे थे| जब हम रुके और अलग हुए तो हमारे रस की एक तार हम दोनों के होठों के बीच थी| हम दोनों उस कुछ देर के लिए ये भी भूल चुके थे की हम घर पर नहीं बल्कि बस में हैं| जब हम अलग हुए तो ऋतू की नजर बगल वाली सीट जिस पर काम्या और रोहित बैठे थे उस पर पड़ी और वो एक दम से शर्मा कर मेरे सीने पर दोनों हाथों से अपना मुँह छुपा कर बैठ गई| मैंने जब उस तरफ देखा तो पाया की वो दोनों हमें ही देख रहे थे! हमारे kiss से अगर कोई संतुष्ट था तो वो थे काम्या और रोहित! हैरानी बात ये थी की मैं बिलकुल नहीं शरमाया बल्कि मुझे तो जैसे गर्व महसूस हो रहा था| ऐसा लगा जैसे मैं कोई टीचर हूँ और उन दोनों को Kiss करना सीखा रहा हूँ| मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू को अपने सीने से चिपकाया और हाथों को लॉक कर ऐसे जताया की वो मेरे पहलु में सुरक्षित है| मेरे ऐसा करने से ऋतू भी संतुष्ट हो गई की वो सुरक्षित है और उसने अपने दोनों हाथों से मुझे कस कर जकड़ लिया| कुछ देर बाद काम्या और रोहित एक दूसरे से कुछ खुसर-फुसर करते हुए सो गए| मुझे ऐसा लगा जैसे काम्या रोहित से कह रही हो की; "सीख मानु जी से कुछ! कितना passionately kiss करते हैं वो रितिका को?" और वो बेचारा जल-भुन के रह गया|
खेर सब सो चुके थे और एक अकेला मैं ही जाग रहा था| हाईवे में हवा से बातें करती हुई बस, वो साईरन बजाते हुए ट्रकों का गुजरना वो जगमगाती हुई ढाबों की लाइट्स, वो दूर कहीं किसी के घर की लाइट्स आदि को देखना| मुझे यही देखने में बड़ा मजा आ रहा था और मैं अपनी सोच में गुम था| बारह बजे ऋतू जाएगी और उसने मुझे इस तरह से जाएगा हुआ पाया तो पूछने लगी; "जानू! क्या हुआ? आप जाग क्यों रहे हो?"
"कुछ नहीं जान! मैं रात को बस में सोता नहीं हूँ, ये शान्ति और लाइट्स देखना मुझे अच्छा लगता है|" मैंने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा|
"एक बात कहूँ जानू? आपको पता है मुझे अभी कैसा लग रहा है?"
"कैसा?" मैंने पूछा|
"ऐसा लग रहा है जैसे हम दोनों घर से भाग रहे हैं और कल से हमारी एक नयी जिंदगी शुरू होगी| जहाँ हमें इन समाज के बंधनों की कोई जर्रूरत या परवाह नहीं होगी| कोई रोक-टोक नहीं! हम आजाद परींदे होंगे! वो फिल्मों वाली फीलिंग आ रही है, जिसमें हीरो अपनी हेरोइन को इसी तरह अपने पहलु में छुपाये घर से भगा कर ले जा रहा हो|"
"हम्म... वो दिन भी आएगा मेरी जान! अब आप सो जाओ!" मैंने ऋतू के सर को चूमते हुए कहा|
"हम जयपुर कब पहुँचेंगे?" ऋतू ने फिर से मेरे सीने पर सर रखते हुए पूछा|
"सुबह 4 बजे!"
'तो आप भी सो जाओ थोड़ी देर|" ऋतू ने मुझे उसकी गोद में सर रख कर सोने का निमंत्रण देते हुए कहा|
"आप सो जाओ जान! मुझे ये लाइट्स देखने में आनंद आ रहा है|"
"ठीक है तो मैं भी आपके साथ जागूँगी| मैं भी तो देखूँ की आप किस आनंद की बात कर रहे हो|" पर ऋतू कुछ देर ही मैं बोर हो गई और मेरे कंधे पर सर रख कर सो गई| मैंने धीरे से अपनी जेब से फ़ोन निकाला और अपनी एक सेल्फी ली| ऋतू मेरे कंधे पर सर रख कर सोते हुए बड़ी प्यारी लग रही थी| फिर मैं फ़ोन से स्लो मोशन वीडियो बनाने लगा, फिर फ़ोन से हेडफोन्स लगाए और गाने सुनने लगा, इसी तरह से मैंने सारी रात पार की| सुबह पौने चार बजे मैंने ऋतू को उठा दिया और काम्या और रोहित को भी उठा दिया| ठीक 4 बजे हमारा स्टैंड आ गया| अपना सामान ले कर हम चारों उतरे और मैंने फटफट ऑटो किया, अब बैठने की बारी आई तो काम्या बोली; "रोहित तू आगे बैठ जा!" आगे का मतलब था ड्राइवर के साथ और ये सुन कर वो काम्या की तरफ सावलिया नजरों से देखने लगा| मुझे हँसी तो बहुत आई पर मैं कुछ नहीं बोला और हम तीनों पीछे बैठ गए| मैंने नेविगेशन ऑन कर दी थी की कहीं ऑटो वाला होशियारी न करे और मैं ऑटो वाले को ऐसे बता रहा था जैसे मैं इस इलाके से परिचित हूँ| वो भी मुझसे पूछ रहा था की; "बाबू आप यहीं के रहने वाले हो?" मैंने भी जवाब में हाँ कहा और उसे आगे ज्यादा बात करने का मौका नहीं दिया| पर रोहित तो चूतिया ही निकला वो पूछने लगा; "मानु आप जयपुर के हो?" अब उसकी बात सुन कर मैं काम्या की तरफ देखने लगा और वो अपना सर पीटते हुए बोली; "He's bluffing you moron!" तब जा कर उसे समझ आया और वो चुप कर गया| होटल पहुँच कर मैंने अपनी रिजर्वेशन दिखाई और हम अपने-अपने कमरे में आ गए| सामान रख कर मेरा जासूसी दिमाग चालु हो गया और मैं अपना और ऋतू का फ़ोन ले कर कमरे घूमन शुरू कर दिया| ये Oyo का होटल था और हल ही में इसके बारे में छपा था की यहाँ पर रूम्स के अंदर हिडन कैमरा लगे होते हैं| ऋतू बड़ी हैरानी से मुझे ये जासूसी करते हुए देख रही थी और जब मेरी तहक़ीक़ात पूरी हो गई तो वो बोली; "ये आप क्या कर रहे थे?" तब मैंने ऋतू को सारी बात बताई और वो कहने लगी की हम कहीं और चलते हैं| "जान! किस होटल में कैमरा लगा है ये किसी को नहीं पता, पर अपनी तरफ से चेक कर लेना बेहतर है| इस कमरे में कहीं कोई कैमरा नहीं है| So relax! okay?!" मेरी बात से ऋतू आश्वस्त हो गई और हम अपने कपडे बदल कर लेट गए|
मुझे नींद का झौंका आ रहा था और ऋतू अपने बाएं हाथ से मेरे दाएँ हाथ को लॉक कर मेरे कंधे पर सर रख बैठी थी| उसकी ख़ुशी उसके चेहरे से झलक रही थी और दूसरी तरफ रोहित और काम्या जी भर के शो करने में लगे थे, एक दूसरे को छेड़ रहे थे, हँसी-ठिठोली कर रहे थे| पर ऋतू बहुत शांत थी और मन ही मन जैसे इस सब के लिए भगवान् को शुक्रिया कर रही थी| अभी मेरी आँख बंद ही हुई थी की उसने मुझे जगा दिया और बोली' "जानू! मुझे भूख लग रही है!" मैंने घडी देखि तो अभी शाम के 6 बजे थे, फिर उसे ऊपर रखे हुए चिप्स और थम्ब्स अप निकाल के दी| मैं हाथ मोड़ के बैठ गया, ऋतू ने पहला चिप्स मुझे खिलाया और फिर खुद खाने लगी| इतने में काम्या का ध्यान हमारी तरफ आया तो वो भी खाने के लिए उसी चिप्स के पैकेट पर टूट पड़ी| "मानु जी आप मेरी सीट पर बैठ जाओ|" काम्या बोली|
"हेल्लो मैडम! मैं आपके बॉयफ्रेंड के साथ बैठने यहाँ नहीं आया|" मैंने मजाक करते हुए कहा| तभी रितिका ने अपना चिप्स का पैकेट उसे दे दिया; "ये ले खा मोटी!" ये सुन कर हम चारों हँस पड़े| इतने में अनु मैडम का फ़ोन आ गया; "तो मानु जी बस मिल गई?"
"जी Mam मिल गई, इनफैक्ट मैं बस में ही हूँ| Sorry उस टाइम आपसे बात नहीं कर पाया|"
"अरे कोई बात नहीं, वो दरसल मैं कंपनी को मेल किया था तो उसने सारा डाटा भेज दिया है| सैटरडे रितिका आएगी तो मैं उसके साथ बैठ कर काम खत्म करती हूँ|" मैडम की बात सुन कर मैं ऋतू की तरफ हैरानी से देखने लगा| ऋतू ने अभी तक मैडम को नहीं बताया था की वो सैटरडे-संडे नहीं आ पायेगी! मैडम से बस इतनी ही बात हुई और फिर उन्होंने फ़ोन काट दिया| "ऋतू तूने मैडम को कॉल करके नहीं बताया?" मैंने ऋतू से पूछा तो वो अपनी जीभ दाँतों तले दबाते हुए बोली; "भूल गई! सॉरी! अभी कॉल करती हूँ|"
"पागल न बन! कल सुबह कॉल करिओ और बहाना अच्छा मारिओ वरना मैडम जबरदस्ती बुला लेंगी|" मैंने ऋतू को समझाया| खेर रात आठ बजे बस ने एक हॉल्ट लिया और खाना-पीना हुआ| मैं बस की यात्रा में कुछ ज्यादा खाता-पीता नहीं, चिप्स या बिस्किट और कोल्ड ड्रिंक्स, इससे ज्यादा कुछ नहीं लेता| काम्या और रोहित ने तो डाब कर पेला और पेट भर खाना खाया| ऋतू ने भी बस दो रोटी खाई और मुझे भी खाने को कहा पर मैंने मना कर दिया| रात के दस बजे होंगे, सारी लाइट्स ऑफ हो गईं और काम्या और रोहित का बस सेक्स चालु हो गया| दोनों एक दूसरे को चूमना शुरू कर चुके थे, ऋतू ये सब देख रही थी और मेरी नजर ऋतू पर थी| ऋतू बेचैन होने लगी थी पर जानती थी की हम बस में हैं और यहाँ कुछ भी करना पॉसिबल नहीं है| ऋतू ने अपने बाएँ हाथ को मेरी कमर में डाला और मेरी तरफ झुक कर मेरे सीने पर अपना सर रख लिया| उसका दाहिना हाथ मेरे पेट पर था और ध्यान अब भी काम्या और रोहित के चूमने पर था| वो दोनों ज्यादा तो कुछ नहीं कर रहे थे बस एक दूसरे को Kiss ही कर रहे थे और इतने से ही ऋतू की सांसें भारी होने लगी थीं| जिस दिन मैंने ऋतू का गुस्से से डाँटा था उस दिन से मैंने उसे जरा भी नहीं छुआ था और उसकी ये बेताबी फिर से बाहर आने लगी थी| माने झुक कर ऋतू के सर को चूमा ताकि वो अपने जज्बातों को काबू में कर ले| पर मेरा ये kiss ऐसा था मानो जैसे किसी ने गर्म तवे पर पानी का छींटा मारा हो| मेरे ऋतू के सर पर kiss करते ही वो मेरी आंखों में प्यास भरी आँखों से देखने लगी| वो आँखों ही आँखों में मुझसे मिन्नत करने लगी| मानो जैसे कह रही हो की बस एक Kiss! उसकी मासूम आँखों को देख कर मैं पिघलने लगा और झुक कर उसके अधरों पर अपने होठों को रख दिया| मैंने अपना मुँह थोड़ा सा खोला और उसके नीचले होंठ को धीरे से अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा| ऋतू का दायाँ हाथ मरे बाएँ गाल पर आ चूका था| ऋतू ने अपनी रस भरी जीभ मेरे मुँह में दाखिल कर दी थी और वो मेरी जीभ से समागम करने लगी थी| मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू के मुँह को थाम लिया था, और उसकी जीभ को अपने मुँह में चूसने लगा था| कुछ सेकंड बाद मैंने उसकी जीभ छोड़ दी और अपनी जीभ को धीरे से उसके मुँह में सरका दिया| मेरी जीभ का गर्म जोशी से स्वागत हुआ, रितिका के होठों ने उसे अपने दबाव से पकड़ लिया और ऋतू उसे चूसने लगी| इसी तरह हम दोनों बारी-बारी से एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे और ये सब हम बिना किसी आवाज के और धीरे-धीरे कर रहे थे| जब हम रुके और अलग हुए तो हमारे रस की एक तार हम दोनों के होठों के बीच थी| हम दोनों उस कुछ देर के लिए ये भी भूल चुके थे की हम घर पर नहीं बल्कि बस में हैं| जब हम अलग हुए तो ऋतू की नजर बगल वाली सीट जिस पर काम्या और रोहित बैठे थे उस पर पड़ी और वो एक दम से शर्मा कर मेरे सीने पर दोनों हाथों से अपना मुँह छुपा कर बैठ गई| मैंने जब उस तरफ देखा तो पाया की वो दोनों हमें ही देख रहे थे! हमारे kiss से अगर कोई संतुष्ट था तो वो थे काम्या और रोहित! हैरानी बात ये थी की मैं बिलकुल नहीं शरमाया बल्कि मुझे तो जैसे गर्व महसूस हो रहा था| ऐसा लगा जैसे मैं कोई टीचर हूँ और उन दोनों को Kiss करना सीखा रहा हूँ| मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू को अपने सीने से चिपकाया और हाथों को लॉक कर ऐसे जताया की वो मेरे पहलु में सुरक्षित है| मेरे ऐसा करने से ऋतू भी संतुष्ट हो गई की वो सुरक्षित है और उसने अपने दोनों हाथों से मुझे कस कर जकड़ लिया| कुछ देर बाद काम्या और रोहित एक दूसरे से कुछ खुसर-फुसर करते हुए सो गए| मुझे ऐसा लगा जैसे काम्या रोहित से कह रही हो की; "सीख मानु जी से कुछ! कितना passionately kiss करते हैं वो रितिका को?" और वो बेचारा जल-भुन के रह गया|
खेर सब सो चुके थे और एक अकेला मैं ही जाग रहा था| हाईवे में हवा से बातें करती हुई बस, वो साईरन बजाते हुए ट्रकों का गुजरना वो जगमगाती हुई ढाबों की लाइट्स, वो दूर कहीं किसी के घर की लाइट्स आदि को देखना| मुझे यही देखने में बड़ा मजा आ रहा था और मैं अपनी सोच में गुम था| बारह बजे ऋतू जाएगी और उसने मुझे इस तरह से जाएगा हुआ पाया तो पूछने लगी; "जानू! क्या हुआ? आप जाग क्यों रहे हो?"
"कुछ नहीं जान! मैं रात को बस में सोता नहीं हूँ, ये शान्ति और लाइट्स देखना मुझे अच्छा लगता है|" मैंने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा|
"एक बात कहूँ जानू? आपको पता है मुझे अभी कैसा लग रहा है?"
"कैसा?" मैंने पूछा|
"ऐसा लग रहा है जैसे हम दोनों घर से भाग रहे हैं और कल से हमारी एक नयी जिंदगी शुरू होगी| जहाँ हमें इन समाज के बंधनों की कोई जर्रूरत या परवाह नहीं होगी| कोई रोक-टोक नहीं! हम आजाद परींदे होंगे! वो फिल्मों वाली फीलिंग आ रही है, जिसमें हीरो अपनी हेरोइन को इसी तरह अपने पहलु में छुपाये घर से भगा कर ले जा रहा हो|"
"हम्म... वो दिन भी आएगा मेरी जान! अब आप सो जाओ!" मैंने ऋतू के सर को चूमते हुए कहा|
"हम जयपुर कब पहुँचेंगे?" ऋतू ने फिर से मेरे सीने पर सर रखते हुए पूछा|
"सुबह 4 बजे!"
'तो आप भी सो जाओ थोड़ी देर|" ऋतू ने मुझे उसकी गोद में सर रख कर सोने का निमंत्रण देते हुए कहा|
"आप सो जाओ जान! मुझे ये लाइट्स देखने में आनंद आ रहा है|"
"ठीक है तो मैं भी आपके साथ जागूँगी| मैं भी तो देखूँ की आप किस आनंद की बात कर रहे हो|" पर ऋतू कुछ देर ही मैं बोर हो गई और मेरे कंधे पर सर रख कर सो गई| मैंने धीरे से अपनी जेब से फ़ोन निकाला और अपनी एक सेल्फी ली| ऋतू मेरे कंधे पर सर रख कर सोते हुए बड़ी प्यारी लग रही थी| फिर मैं फ़ोन से स्लो मोशन वीडियो बनाने लगा, फिर फ़ोन से हेडफोन्स लगाए और गाने सुनने लगा, इसी तरह से मैंने सारी रात पार की| सुबह पौने चार बजे मैंने ऋतू को उठा दिया और काम्या और रोहित को भी उठा दिया| ठीक 4 बजे हमारा स्टैंड आ गया| अपना सामान ले कर हम चारों उतरे और मैंने फटफट ऑटो किया, अब बैठने की बारी आई तो काम्या बोली; "रोहित तू आगे बैठ जा!" आगे का मतलब था ड्राइवर के साथ और ये सुन कर वो काम्या की तरफ सावलिया नजरों से देखने लगा| मुझे हँसी तो बहुत आई पर मैं कुछ नहीं बोला और हम तीनों पीछे बैठ गए| मैंने नेविगेशन ऑन कर दी थी की कहीं ऑटो वाला होशियारी न करे और मैं ऑटो वाले को ऐसे बता रहा था जैसे मैं इस इलाके से परिचित हूँ| वो भी मुझसे पूछ रहा था की; "बाबू आप यहीं के रहने वाले हो?" मैंने भी जवाब में हाँ कहा और उसे आगे ज्यादा बात करने का मौका नहीं दिया| पर रोहित तो चूतिया ही निकला वो पूछने लगा; "मानु आप जयपुर के हो?" अब उसकी बात सुन कर मैं काम्या की तरफ देखने लगा और वो अपना सर पीटते हुए बोली; "He's bluffing you moron!" तब जा कर उसे समझ आया और वो चुप कर गया| होटल पहुँच कर मैंने अपनी रिजर्वेशन दिखाई और हम अपने-अपने कमरे में आ गए| सामान रख कर मेरा जासूसी दिमाग चालु हो गया और मैं अपना और ऋतू का फ़ोन ले कर कमरे घूमन शुरू कर दिया| ये Oyo का होटल था और हल ही में इसके बारे में छपा था की यहाँ पर रूम्स के अंदर हिडन कैमरा लगे होते हैं| ऋतू बड़ी हैरानी से मुझे ये जासूसी करते हुए देख रही थी और जब मेरी तहक़ीक़ात पूरी हो गई तो वो बोली; "ये आप क्या कर रहे थे?" तब मैंने ऋतू को सारी बात बताई और वो कहने लगी की हम कहीं और चलते हैं| "जान! किस होटल में कैमरा लगा है ये किसी को नहीं पता, पर अपनी तरफ से चेक कर लेना बेहतर है| इस कमरे में कहीं कोई कैमरा नहीं है| So relax! okay?!" मेरी बात से ऋतू आश्वस्त हो गई और हम अपने कपडे बदल कर लेट गए|