14-11-2019, 12:53 AM
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Edit Reason: मेरी रूपाली दीदी अब रंडियों की तरह आवाज निकाल रही थी.... मैं भी अनायास ही मुस्कुरा दिया.. अब वो इस तरफ से दीदी पर चढ़ रहा था.. इस वक़्त उसकी पीठ मेरी
)
अगले दिन मैं अपने घर की छत पर बने हुए कमरे में अपने दोस्त के साथ बैठा हुआ लूडो खेल रहा था... शाम का समय था और हम दोनों पूरे मन से लूडो खेलने में व्यस्त थे... छत पर काफी शांति थी और हम दोनों भी चुपचाप खेल में व्यस्त थे... अचानक किसी की सीढ़ियां चढ़कर ऊपर आने की आवाज सुनके हमारे कान खड़े हो गए.. मेरे दोस्त को समझते देर नहीं लगी कि कौन ऊपर आ रही है... उसके मन की मुराद पूरी हो गई थी... शायद इसी लालच में वह मेरे साथ लूडो खेलने मेरे घर की छत पर आया था... मेरी रूपाली दीदी छत पर आ चुकी थी मुन्नी को अपनी गोद में लिय हुए.... हमारे कमरे का दरवाजा बंद था और खिड़कियां ऐसी बनी हुई थी कि अंदर से बाहर का नजारा तो देखा जा सकता था पर बाहर से अंदर कुछ भी दिखाई नहीं देता था... मेरी दीदी को बिल्कुल भी पता नहीं था कि हम दोनों छत पर ही हैं.. मेरी दीदी छत की एक तरफ जहां पड़ोसी की छत थी जाकर खड़ी हो गई और दूसरी तरफ देखने लगी.... मेरे दोस्त का मन अब लूडो खेलने में बिल्कुल नहीं लग रहा था... वह तो अब रूपाली दीदी को घूरे जा रहा था... और क्यों ना घूरे... आज मेरी रूपाली दीदी चिकनी चमेली बनी हुई थी बन ठन के... गुलाबी रंग की बैकलेस और स्लीवलैस चोली लो कट आधी चूचियां तो चोली के बाहर ही थी... बड़ी बड़ी चूची दूध की तरह सफेद और दूध से भरी हुई कसमसा रही थी मेरी रूपाली दीदी की चोली के अंदर... उनकी सांसों के साथ ऊपर नीचे होती हुई उनकी गोलाई जो चोली से बाहर निकलने को बेताब थे. चेहरे पर हल्का मेकअप.... बालों में गजरा आंखों में कजरा... कानों में बड़े-बड़े झुमके... होठों पर लाल लिपस्टिक.. चूचियो पर गुलाबी रंगत के 'अनार दाने' तन कर खड़े दूध से भरे हुए, लेकर मेरी रूपाली दीदी छत पर खड़ी थी और उनको देखकर मेरा दोस्त ऊपर से अपने औजार को मसलने लगा तो इसमें कोई हैरत की बात नहीं थी पर मेरे लिए शर्म की बात थी... उसे कुछ बोल भी नहीं पा रहा था मैं शर्म के मारे... अपने दोस्त की हरकतें देखकर मैं शर्म से पानी पानी हो गया था.. मैंने लूडो को बंद कर दिया था... वाह टकटकी लगाकर मेरी दीदी को निहार रहा था... मैंने भी देखा उन्हें अच्छी तरह... मेरी रूपाली दीदी का लहंगा उनकी पतली कमर के काफी नीचे बंधा हुआ था... सपाट पेट और गहरी नाभि साफ दिखाई दे रही थी उनकी गोरी गोरी चिकनी मक्खन जैसी..... उन्होंने चुनरी भी डाल रखी थी पर वह नाम मात्र की थी ..गले में पड़ी हुई थी और कुछ भी छुपाने ढकने में नाकाम थी मेरी दीदी की.... मैं गहरी सोच में पड़ा हुआ था कि आखिर मेरी रूपाली दीदी क्यों छत पर आई है इतनी" छम्मक छल्लो" बन ठन के.... मैंने सोचा शायद शादी के बाद इसी प्रकार बन ठन के रहती होगी घर में भी... सच कहूं दोस्तों तो मेरी दीदी स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी जिनको देखकर किसी का भी मन खराब हो जाए मेरे दोस्त का तो हो ही गया था..
. मेरे दोस्त की हरकतें काबू से बाहर हो चुकी थी... उससे रहा नहीं गया उसने अपनी पैंट उतार दी .. वह खिड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड हिलाने लगा मेरी रूपाली दीदी को देखते हुए..... रूपाली ...रूपाली...ओह… उसके मुंह से निकल रहा था...
साले तू क्या कर रहा है.. यह मेरी दीदी है.... मैंने उससे कहा..
बहन चोद मेरा निकल जाने दे पानी..ओह…ओह… रूपाली... उसने धीरे से कहा...
साले बंद कर हिलाना देखकर.. वरना तेरी गांड मार लूंगा मैं.... गुस्से में मैंने कहा...
बहन के लोड़े मैं तो बस हिला रहा हूं... तेरी रूपाली दीदी आज इसी छत पर नंगी होने वाली है... अगर मेरा विश्वास नहीं करता तो यहां देख ले दूसरी छत पर कौन लोग हैं.... मेरे दोस्त ने मुझसे कहा..
पहले मुझे उसकी बात का विश्वास नहीं हुआ पर जब मैं उसके पास गया और मैंने दूसरी छत की तरफ देखा तो मुझे यकीन हो गया कि आज मेरी दीदी छत पर कोई न कोई कांड करने आई है.. मेरे बगल वाली छत पर दो मुस्टडे खड़े थे... दिनेश और रवि... दिनेश मेरी रूपाली दीदी का पुराना यार... शादी के पहले मेरी रूपाली दीदी का टांका दिनेश से जुड़ा हुआ था... सब लोग कहते थे कि मेरी रूपाली दीदी को दिनेश दुल्हन बना के ले जाएगा.. कुछ कारणों से मेरी रूपाली दीदी की शादी नहीं हो पाई दिनेश के साथ.. इसके पीछे का कारण आपको फिर कभी बाद में बताऊंगा..
आज तो दिनेश अपने जिगरी दोस्त रवि के साथ छत पर खड़ा था.. शायद उन्हें पता था कि मेरी रूपाली दीदी आने वाली है छत पर... मेरी दीदी उनके सामने जाकर खड़ी हो गई थी... दिनेश मेरी दीदी को कुछ कह रहा था जो हमें तो बिल्कुल भी सुनाई नहीं दे रहा था पर सुनकर मेरी दीदी मुस्कुरा रही थी... रवि जो हमारे गांव का सबसे बदनाम और ठरकी लड़का है उसके साथ मेरी दीदी हंस हंस के बातें कर रही थी... मुझे बड़ा ही अजीब लग रहा था ऐसा देखकर..... कुछ देर तक उनकी बातें चलती रही फिर मेरी रूपाली दीदी का चेहरा एकदम गंभीर हो गया..
मुन्नी को अपने सीने पर टिका के खड़ी थी मेरी दीदी सर झुका के.. इसके बाद मेरी दीदी ने जो हरकत की मैं अंदर तक हिल गया... उन्होंने मुन्नी को साइड किया और अपने एक हाथ को चोली के अंदर डाल के अपनी एक चूची को चोली की कैद से आजाद कर दी.. मेरी रूपाली दीदी की एक चूची उनकी चोली के ऊपर से बाहर निकल के दिनेश और रवि की आंखों के सामने थी.... मैं और मेरा दोस्त भी इस नजारे को आंखें फाड़ फाड़ के देख रहे थे.. मेरा दोस्त तो मेरी रूपाली दीदी के चूची पर जड़े मोती जैसे गुलाबी दाने को देखकर पागल सा हो गया...
," वाह.. इसको कहते हैं चूचक.. कितना प्यारा और रसीला है.." आगे वह कुच्छ ना बोला.. वह जोर-जोर से अपने औजार को हिलाने लगा..
दिनेश और रवि का तो लग रहा था कपड़े फाड़ फाड़ कर बाहर आ जाएगा औजार .. उनकी पेंट में से... दोनों बड़ी बेशर्मी से मेरी रूपाली दीदी को देखते हुए ऊपर से ही अपने मोटे लण्ड को मसल रहे थे.. रवि की आंखों में भी साफ हवस दिखाई दे रही थी.. शादी के पहले तो वह मेरी रूपाली दीदी को भाभी भाभी बुलाता था... पर आज उसके तेवर भी बदले हुए लग रहे थे.... मैं सोच में डूबा हुआ था कि ऐसी क्या मजबूरी है मेरी रूपाली दीदी कि जो ऐसी हरकत कर रही है..
उन्होंने जो अगली हरकत कि उसे देखकर तो बड़े बड़ों का ईमान डोल जाए..... उन्होंने एक हाथ से अपनी चूची को पकड़ा और उसे अच्छी तरह दबाया... मेरी दीदी के गुलाबी निप्पल पर दूध की बूंदे चमकने लगी... उन्होंने मुन्नी को अपनी चूची पर रख लिया और उसके मुंह में अपना निप्पल ठेल उसे अपना दूध पिलाने लगी.
…. आह... साले .. बहन के लोड़े... वैसे तो तेरी रूपाली दीदी बड़ी संस्कारी बनती है ... साली...…. आह.... पर यह तो पूरी रंडी छिनाल है....…. आह…. आह देख कैसे यारों को दिखा दिखा कर अपना दूध पिला रही है... अपनी बच्ची को..…. आह मादरजात…. आह... जी चाहता है अभी जाकर तेरी दीदी की चोली फाड़ के रंडी का सारा दूध पी जाऊं... पूरा सुखा दूंगा तेरी दीदी की छातियों को चूस चूस …. आह.. साले वैसे तेरी दीदी की चूचियां है जबरदस्त.... ऐसी चूची टाइट बिल्कुल खड़ी खड़ी मैंने तो आज तक नहीं देखी...…. आह.... मेरा दोस्त अपने हवस के आवेश में बके जा रहा था और मैं चुपचाप सुन रहा था...
और सुनने के अलावा मेरे पास चारा ही क्या रह गया था. बेशर्मी की हद पार कर दी थी मेरी रूपाली दीदी.... एक बेचारा भाई भला क्या जवाब देता मेरे दोस्त की कामुक बातें और हरकत का...
खुले आसमान के नीचे मेरी रूपाली दीदी अपनी चोली खोल दूध पिला रही थी मुन्नी को अपने यार और उसके दोस्त के आगे..
मेरी दीदी अपने सीने से चिपकाए हुए मुन्नी को मातृत्व सुख का अनुभव करती हुई आंखें बंद किए खड़ी थी... और मेरा दोस्त... वह तो अपने लण्ड को ऐसे हिला रहा था मानो मेरी दीदी को अपने लण्ड पर बिठा के उछाल रहा हो....
साले मेरा मन कर रहा है तेरी रूपाली दीदी को अभी यही छत की रेलिंग पर झुका की रंडी की गांड मार लू..... बोलते बोलते मेरे दोस्त ने अपने औजार को निचोड़ के रख दीया....
बगल वाले छत पर दिनेश और रवि की हालत भी कुछ इसी प्रकार की थी... उनके मन में भी कुछ इसी प्रकार की इच्छाएं जग गई थी... शायद इसीलिए अब दिनेश से रहा नहीं गया और वह छत से कूद के हमारी छत पर आ गया... मेरी दीदी को इस बात का एहसास तब हुआ जब दिनेश उनके बिल्कुल पास आ गया... दिनेश की आंखों में हवस और उसकी पैंट में खड़े मोटे लंबे बांस को देखकर मेरी दीदी घबरा गई और पीछे की तरफ हटने लगी... दिनेश ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की तो मेरी दीदी भागने लगी...
भागकर मेरी दीदी हमारे कमरे की तरफ ही आने लगी... मेरी तो गांड फट गई कि कहीं मेरी दीदी इस कमरे में ही ना घुस जाए और मेरे दोस्त को ऐसी हालत में देख ले... पर दिनेश ने मेरी दीदी को पकड़ लिया कमरे में घुसने के ठीक पहले हमारी खिड़की के सामने जिसके पीछे मैं और मेरे दोस्त खड़े थे...
कहां भाग रही है बहन की लोहड़ी.... दिनेश ने मेरी दीदी का हाथ पकड़ते हुए कहा.
देखो कुछ ऐसी वैसी हरकत मत करना... मुझे डर लग रहा है.. मेरी रूपाली दीदी न सर झुका के जवाब दे दिया उसे...
हम दोनों को अब उनकी बातें साफ-साफ सुनाई दे रही थी... बस एक खिड़की का फासला था हमारे बीच...
मुन्नी ने मेरी दीदी का दूध पीना बंद कर दिया था .वह भी डर गई थी और दिनेश को टुकुर-टुकुर देख रही थी...... मेरी रूपाली दीदी की एक चूची अभी भी चोली के बाहर थी दूध से लथपथ..
मुझे भी तेरा दूध पीना है.... दिनेश ने अजीब सी डिमांड मेरी दीदी के सामने रख दी.. मेरी दीदी शर्म के मारे लाल हो गई...
देखो तुम अपने वादे से मुकर रहे हो... हमारी बात तो बस दिखाने भर की हुई थी.. दीदी ने शर्माते हुए कहा.
हां साली मैंने वादा किया था... पर अब मेरा मूड बदल गया है देख कर.... मुझे तो बस पीना है तेरी छाती का दूध.. दिनेश की आंखें वासना से लाल हो रही थी...
उसने अपने एक हाथ की उंगलियों से मेरी दीदी की गुलाबी चूचक पर लगे हुए दूध की बूंदों को लपेटा और अपने मुंह में ले लिया..
उसकी हरकत से मेरी दीदी सिसक उठी....
आह , उई ई ओह्ह.... दिनेश ऐसा मत करो.... यह तो छोटे बच्चों के लिए होता है.... मेरी बात को समझो.. रूपाली दीदी ने सिसक के कहा...
साली मुझे मत सिखा क्या बच्चों के लिए होता है और क्या मर्दों के लिए.... तेरा पति भी तो पीता होगा ..रात भर .... खुद अपनी चूचियां पकड़ कर उसे पिलाती होगी रंडी तु और मुझे नखरे दिखा रही है.. बोलते बोलते दिनेश ने मेरी रूपाली दीदी की खुली हुई चूची को अपने हाथ में दबोच कर दबाना शुरू कर दिया... मेरी दीदी की चूची से दूध की धार निकलने लगी....
हाए राम!.... आह , उई ई मम्मी... दिनेश..... यह क्या कर रहे हो.... आह प्लीज छोड़ दो.... आह ... कोई देख लेगा.... मेरी रूपाली दीदी बिलबिला उठी... गुहार लगा रही थी मेरी दीदी दिनेश से...
पर दिनेश ने मेरी दीदी की गुहार पर ध्यान नहीं दिया बल्कि उसने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए मेरी दीदी की चूची को अपने मुंह में भर लिया और सरप सरप दूध पीने लगा.. जितना बड़ा हो सकता था उतना बड़ा मुंह खोलकर उसमें मेरी दीदी की चूची को भर कर दिनेश पी रहा था... मेरी दीदी की आंखें बंद हो गई और वह सिसक रही थी...…. आह... कोई देख लेगा... हाय राम..... रवि भी देख रहा है...उई ई ओह्ह मां..... दांत क्यों काट रहे हो.... बोलते हुए मेरी दीदी चीख उठी थी.... दिनेश ने दीदी के गुलाबी निपल्स पर दांत काट लिया था...
हरामजादा रवि ना सिर्फ देख रहा था बल्कि छत कूद के हमारी छत पर आ गया था और मेरी दीदी और दिनेश से कुछ ही कदम की दूरी पर खड़ा था.... उसने अपना मोटा लंबा काला 10 इंच का लण्ड पैंट से बाहर निकाल रखा था और मेरी दीदी की तरफ खड़ा करके अपने हाथ में पकड़े हुए था...
दिनेश....आह... तुम्हें मेरी कसम.आहआह.... रुक जाओ ना...आहआह... मेरी दीदी ने बिलखते सीसकते हुए कहा.
दिनेश ने मेरे रूपाली दीदी की बात मान ली... और उनकी चूची को अपने मुंह से आजाद कर दिया.... उसके चेहरे और मुंह पर मेरी दीदी का दूध लगा हुआ था ठीक वैसे ही जैसे हिरनी का शिकार करने के बाद शेर के मुंह पर खून लगा होता है....
साली रंडी अपनी चोली खोल .. मुझे तो तेरा दूध पीना है अच्छी तरह से... दिनेश ने कामुक तरीके से मुस्कुरा कर कहा..
प्लीज मेरी बात मान जाओ... आज के लिए.. घर में सब लोग हैं और छत पर कोई भी आ सकता है... मैं बर्बाद हो जाऊंगी मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.. मेरी दीदी लगभग रोने ही लगी थी...
साली रांड... ज्यादा नखरे मत दिखा... आज अच्छे से पी लेने दे मुझे तेरा दूध... बोलते हुए दिनेश ने मेरे रूपाली दीदी की गोद में से मुन्नी को खींच लिया और सामने पड़ी हुई खटिया पर मुन्नी को लिटा दिया...
मेरी दीदी खड़े-खड़े रोने लगी... जालिम दिनेश ने मेरी दीदी के रोने की परवाह किए बिना बड़ी तेजी से उनकी चोली खोल दी.. दिनेश को अच्छी तरह पता था कि मेरी दीदी के चोली के हुक कैसे खोलते हैं...
सुनील ने मेरी रूपाली दीदी की चोली खोल के नीचे जमीन पर फेंक दी... दीदी ने ब्रा तो पहनी नहीं थी सो उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां दूध की तरह सफेद और दूध से भरी हुई दिनेश के सामने अकड़ के खड़ी थी.. गुलाबी निप्पल खड़े खड़े .... दिनेश ने बिना देर किए अपने मजबूत हाथों में मेरी दीदी के दोनों बड़े उभारों को दबोच लिया और दबाने लगा... नीचे झुककर मेरी दीदी की दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर चूसने लगा दिनेश...
" उं उं ,छोड़ न हट... दिनेश....... पागल हो क्या.... कोई आ जाएगा...…. आह , उई ई मां... रवि तुम ही समझाओ ना दिनेश को...…. आह , ... यह तुम क्या कर रहे हो... मेरी दीदी की निगाह जैसे ही रवि पड़ी वह चीख उठी...
रवि तो मैं रूपाली दीदी के बिल्कुल पास खड़ा था... और देख रहा था दिनेश की हरकतें मेरी दीदी के साथ.... उसने अपनी पैंट की जिप खोल रखी थी और उसके हाथ में उसका मोटा खड़ा ,कड़ा खूब भूखा ,तन्नाया ,... मुसल था..जैसे संपेरा कोई पिटारा खोले और खुलते ही मोटा कड़ियल जहरीला नाग फन काढ़ कर खड़ा हो जाए। काफी बड़ा और खूब मोटा लण्ड है रवि का.. मैंने बिल्कुल पास से देखा....... असलम और जुनैद से भी बढ़कर... मैंने मन ही मन तुलना की....ये देख के मेरी आँखे फटी रह गयी...
आह , उई ई ओह्ह.... दांत से मत काटो ना प्लीज....आह ओह्ह... कुछ दिनों में मेरे पति आने वाले है.ओह्ह.... उनको निशान देखकर पता चल जाएगा.......
मेरी दीदी बिलबिला उठी थी... वह रोते हुए बोली... उनकी आंखें बंद होने लगी थी... क्योंकि दिनेश ना सिर्फ मेरी दीदी का दूध पी रहा था बल्कि वह अपने दांतो से निशान भी लगा रहा था...
साली रंडी... देखने दे उसे भी... उस गांडू को भी तो पता चले.... मैं तो उसके सामने तुझे पेलूंगा रंडी तेरा लहंगा उठा के..... दिनेश ने मेरी दीदी की चूची पर एक और बाइट लेने के बाद मुंह ऊपर उठा कर कहा... साथ ही साथ उसने अपना एक हाथ मेरी दीदी के लहंगे के अंदर घुसा दिया... और मेरी दीदी की फुलझड़ी को अपनी उंगलियों से मसल डाला..... उसने दोबारा मेरी दीदी की एक चूची को अपने दांतों में दबा लिया... उसका एक हाथ मेरी दीदी की पतली कमर पर था और दूसरा हाथ मेरी दीदी की के लहंगे के अंदर उनकी फुलझड़ी पर.........
हाय राम... दिनेश मेरी मजबूरी को समझो...…. आह...... मेरे पति बहुत सीधे साधे इंसान है...…. आह…. आह... उनको अच्छी तरह पता है कि उस दिन जंगल में मेरे साथ क्या-क्या किया था…. आह…. आह असलम और जुनैद ने...…. आह..... वह मेरी मजबूरी समझ गए.. मेरा बलात्कार हुआ था.......…. आह…. आह... प्लीज मेरी कसम उनके सामने कुछ ऐसी वैसी हरकत मत करना कि डूब के मर जाने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता रहे.... सिसक सिसक कि मेरी रूपाली दीदी दिनेश को अपनी मजबूरी बता रही थी..
दिनेश तो उनकी बातें शायद सुन भी नहींरहा था... वह लगा पड़ा था मेरी दीदी को चूसने में...
देख रूपाली.... उस दिन जंगल में जो हुआ था हम दोनों को भी पता है... तूने ही बताया था.. तेरा गांडू पति भी जानता है वह ....तेरा चुटिया भाई... उसके सामने ही तो तेरी बजाई थी उन दोनों ने... वह तुझे फिर फोन करेंगे और तुझे बुलाएंगे.. उन्होंने तुम्हारी वीडियो भी तो बना लि है.... तुझे जाना ही पड़ेगा.... तेरे गांडू पति में इतना दम नहीं है कि तुम्हें उन गुंडों के चंगुल से निकाल सके..... जब वह फोन करे तो तुम मत उठाना... बाकी सब मैं संभाल लूंगा.. मेरे पापा एमएलए हैं तुझे तो पता ही है कि मेरी पहुंच कितनी दूर तक है... बस तू भी मुझे खुश कर दे... तेरे नाम का बहुत सारा मक्खन निकाल चुका हूं आज तू भी कुछ मेहनत कर.... बोलते हुए रवि मेरी दीदी के पीछे आ गया और उनको अपनी बाहों में जकड़ लिया.. और उसका मोटा लंबा बांस सीधे मेरी दीदी की गांड की दरार के बीच.... शुक्र है कि दीदी का लहंगा अभी भी उनकी रक्षा कर रहा था.. रवि ने गांड के ऊपर से झटके देने भी शुरू कर दिए थे...
हाय दैया ..... रवि ना मत करो ना...... आह , उई ई मां.. प्लीज इतना जोर से नहीं..... आह .... मेरी दीदी झटपटआने लगी थी... क्योंकि रवि ने मेरी रूपाली दीदी की गांड पर झटके देने के साथ-साथ उनका लहंगा भी ऊपर उठाना शुरू कर दिया था...
नीचे दिनेश अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसने मेरी दीदी के लहंगे का नाड़ा खोल दिया... नाड़ा खुलते ही मेरी दीदी का लहंगा जमीन पे पहुंच गया.... एक झटके में उसने मेरी दीदी की पैंटी को उनके घुटनों तक पहुंचा दिया...
उसने मेरी दीदी की टांगों को जबरदस्ती पकड़ के अलग-अलग किया.... उनकी गुलाबी फुलझड़ी दिनेश के चेहरे के सामने थी.... उसने अपनी लंबी जीभ बाहर निकाली और मेरी दीदी की गुलाबी चिकनी योनि पर लहरा दिया... भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगा मेरी दीदी की गुलाबी योनि को दिनेश..... ऊपर से रवि मेरी दीदी की गांड पर अपने मोटे काले लंबे बांस को टीका के खड़ा था... उसके दोनों हाथ मेरी दीदी की दोनों चूचियां थी जिनको वह मर्दन कर रहा था.. दूध निकल के झुके हुए दिनेश पर गिर रहा था......
हाय मैं मर जाऊंगी.... हाय दइया ...... दिनेश.... मत करो ना.... आह , उई ई ओह्ह... मेरा भाई भी घर में है...इशह ! क्या करते हो? ऊई माँ ! अह्ह्ह ! आहह… ओइंआ ! मान भी जाओ ना .. आहह !’...
मेरी दीदी आंखें बंद किए हुए बिलख रही थी सिसक रही थी चीख रही थी.....
दिनेश तो मेरी रूपाली दीदी की 'फूल्झड़ी' में जीभ घुमा रहा था;...
रवि मैं तुम पर भरोसा कर रही हूं.... बोलते हुए मेरी दीदी ने हाथ पीछे किया और अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया रवि के काले मोटे लंबे मुसल को.... मेरा मुसल भी खड़ा हो गया दीदी की हरकत देखकर... मेरा दोस्त नीचे नंगा बैठा था... पानी निकल गया था उसका... मुरझाया हुआ पकड़कर वह सामने का नजारा देख रहा था...
साले तू भी मुट्ठ मार ले... उसने मुझसे कहा...
नहीं यार ऐसा करना ठीक नहीं है मेरी दीदी है .... मैंने धीरे से कहा..
हिला ले रंडी रूपाली के भाई.... तुझे आराम मिलेगा... तेरी दीदी तो मजा ले रही है.... और तू अपना छोटा चेतन पकड़ कर बैठा देख रहा है... मेरे दोस्त ने कहा...
उसने मेरा देख लिया था उभार...
देख मैं तभी हिला लूंगा जब तुम मुझसे वादा करें कि यह बात किसी को भी नहीं बोलेगा.. तुमने तो सुना ही जंगल वाली बात.... मैंने उसे कहा...
हां बहन चोद तू टेंशन मत ले.... मुझे समझ आ गया कि तेरे दीदी का क्या चक्कर चल रहा है.... मैं किसी को नहीं बताऊंगा... मैं तो बस यह चाहता हूं कि तू भी शांत हो जा....... मेरे दोस्त ने मुझे दिलासा.... दिया...
मैं अपने छोटे से लंड को पेंट के बाहर निकाल के हिलाने लगा.. ठीक उसी प्रकार से जैसे मेरी दीदी हाथ पीछे करके रवि के लंड को मेहंदी लगे हाथ में ले कर ऊपर नीचे कर रही थी.... दिनेश मेरी रूपाली दीदी की फुलझड़ी को चाट चाट के और गुलाबी बना रहा था...
मेरी रूपाली दीदी अपने हाथ में रवि के लंड को हिला रही थी....लेकिन हैरान करने वाली तो उनके लंड की मोटाई थी.. देखने से ऐसा लग रहा था कि शायद उसकी गोलाई दीदी के हाथ में नहीं समा पा रही थी, कम से कम मेरी कलाई जितना मोटा लंड था… एक बार तो मेरा गला सुख गया.. मेरी दीदी खूब जोर लगा रही थी... शायद उनका इरादा हिला हिला के रवि का माल निकालने पला हिला के रवि का माल निकालने पर था... पर मेरी दीदी गलत थी...
एक झटके में उसने मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया... उसकी हरकत देखकर दिनेश भी हतप्रभ हो गया.... दीदी की फुलझड़ी में घुसा हुआ उसका जीभ बाहर निकल गया....
रवि ने मेरे दीदी को छत की रेलिंग के सहारे टिका दिया.... मेरी रूपाली दीदी छत की रेलिंग पर हाथ टीका घोड़ी बन गई थी...
दिनेश नीचे बैठ गया था पूरा नजारा देख रहा था .... बड़ी तेजी से उसने खुद को नंगा कर दिया...
रवि ने मेरी रूपाली दीदी की गांड को दबोच लिया... और उनकी बड़ी गांड रवि के सामने थी.... मेरी दीदी की गांड का छेद काफी बड़ा लग रहा था.... आपको तो पता ही है क्यों...... रवि को भी पता चल चुका था..... उसने बिना देर किए हुए अपना मोटा मुसल मेरी रूपाली दीदी की गांड की छेद पर टीका एक जोरदार धक्का मारा.... उसका आधा लौड़ा मेरी दीदी की गांड के छेद में समा गया... मेरी रूपाली दीदी की गांड का छल्ला पार करके रवि का मोटा मूसल मेरी दीदी की गांड में समाया हुआ था..
उसने फिर दूसरा झटका दिया... फिर तीसरा......उई ई ओह्ह फट गई...क्या करते हो? ऊई माँ ! अह्ह्ह ! आहह… ओइंआ !... मेरी रूपाली दीदी चीख रही थी...
कितना मादक था यह नजारा ! बता नहीं सकता दोस्तो.. शब्द कम पड़ रहे हैं..
और उधर वो दोनों हाथों से दीदी के मोटे चूतड़ों को थाम के उनकी गांड के भीतर झटके मारे जा रहा था....
हे भगवान ! क्या लंड था उस आदमी का.. ! किसी सेक्स मूवी की तरह एक फुट लंबा और इतना मोटा..... हर झटके के साथ मेरी रूपाली दीदी बिलख रही थी....
‘आह.. आहह !’ क्या मस्त चूतड़ थे दीदी के ! दिल तो कर रहा था कि पूरी जिंदगी दीदी की गाण्ड ही चाटता रहूँ.. मेरा छोटा चेतन अपने हाथ में था.....
मेरी रूपाली दीदी के मुँह से एक कामुक आहह निकल गई.. इतनी कामुक कराह थी कि मैं तो झड़ने वाला था…
दोनों के मुँह से कामुक आवाज़ें आ रही थी.. आहह म्म… ओह्ह…
रवि ने अपना लंड मेरी रूपाली दीदी की गांड में जितना हो सकता था उतना अंदर ठेल दीया...
दूध सी गोरी चूचियाँ.. मसली जाने की वजह से लाल हो गई थी.. उनकी घुंडियाँ एकदम कड़क हो गई थी.. फिर उसने ज़ोर ज़ोर से चूचियो को मसलना शुरू कर दिया..
अब दीदी के मचलने की बारी थी..
वो बस कसमसा रही थी.. बेचैन हो रही थी.. आहह… ओह्ह्ह… आइ… ई… यई…
और कामुक आवाज़ में कुछ कुछ बोल रही थी… अम्म आह.. और.. आउच हह.. आराम से… एम्म्म… हाँ पियो इन्हे.. दूध निकालो इनमें से.. निचोड़ लो सब कुछ आज.. आअहह…
मेरी रूपाली दीदी अब रंडियों की तरह आवाज निकाल रही थी....
मैं भी अनायास ही मुस्कुरा दिया..
अब वो इस तरफ से दीदी पर चढ़ रहा था.. इस वक़्त उसकी पीठ मेरी तरफ थी और वो दीदी की टाँगों के बीच था.. उसने मेरी दीदी के बालों को पकड़ रखा था अपने हाथ से... उसके झटकों ने मेरी रूपाली दीदी की गांड फाड़ के रख दी थी....
सिर्फ़ कुछ इंच की दूरी पर मेरी दीदी की पावरोटी जैसे फूली हुई चूत थी.. दोनों फांकों पर हल्के बाल थे.. चूत बहुत पनियाई हुई थी.. और लबलबा रही थी… मानो चीख चीख कर लंड माँग रही हो।
मेरी रूपाली दीदी की साँस अब बहुत तेज़ चलने लगी थी- ..आहह..एम्म ! चोदो मुझे.. ! प्लीज़ मुझे चोदो…आह ह्ह्ह्ह.. और मत तड़पाओ… मेरी दीदी छत की रेलिंग पकड़कर चीख रही थी और पीछे से झटके पे झटके दिए जा रहा था रवि.....
दीदी की गाण्ड अपने आप ऊपर की तरफ उठ कर लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी मगर रवि को उन्हें तड़पाने में मजा आ रहा था... वह मेरी दीदी की गांड में गोल गोल घुमा रहा था अपने मोटे काले लंबे मुसल को...
अब तो मेरी रूपाली दीदी की पनियाई चूत और जोर से बहने लगी और उनका चूतरस उनकी चूत से बहता हुआ उनकी गाण्ड के छेद तक चला गया..
मेरी दीदी के चूतरस ने लुब्रिकेंट का काम किया और मेरी दीदी की गांड में रवि का लोड़ा खूब तेजी से अंदर बाहर होने लगा...
चूत और गाण्ड पर चूतरस लगे होने की वजह से बहुत चमक रही थी ऐसा लग रहा था मानो मेरे आगे जन्नत की सबसे सुंदर चूत और गांड है…
तभी रवि ने अपना मोटा मुसल मेरी दीदी की गांड म से खींच कर बाहर निकाल लिया.... उसने अपना लौड़ा मेरी रूपाली दीदी की चूत के मुहाने पर रख कर चूत और चूत का दाना रगड़ने लगा..
एक ही रगड़ ने दीदी के मुँह से चीख निकलवा दी.. ओइं आह्ह्हह्ह ! आअहह प्लीज़ और मत तड़पाओ मुझे ईईए ! अह.. इस…म्मम…
साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी दीदी की !
इधर उनकी गाण्ड और जोर से मचल मचल कर लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी… और तभी उसने लंड को चूत पर टिका कर एक ज़ोरदार झटका दिया.. और आधा लंड दीदी की पनियाई चूत के अंदर उतार दिया..
“आह ह्ह्ह्ह…” वो आदमी दीदी की चूत की गर्मी का एहसास पाते ही कराह उठा..
उधर दीदी भी दर्द और काम से मचल कर चीख उठी.. …उई माँ …आई ईई ई…
फिर तो रवि ने 2-3 झटके और मारे और पूरा लंड मेरी दीदी की नाज़ुक चूत के अंदर उतार दिया। उस वक़्त तो ऐसा लग रहा था मानो किसी ने ज़बरदस्ती यह लंड चूत में फंसा दिया और अब यह नहीं निकलेगा...
मैं त… त..तो… तो… गा… ग… गाइइ.. मेरी रूपाली दीदी झड़ने लगी... रवि ने अपना मोटा लौड़ा मेरी दीदी दीदी की योनि से बाहर निकाल लिया और उन्हें आराम से पूरा मौका दिया झड़ने का..... फिर उसने मेरी रूपाली दीदी को नीचे झुका दिया... बाल पकड़ के उसने मेरी दीदी के मुंह में लौड़ा दे दिया...
अपनी गांड से निकला हुआ लौड़ा रवि का अपनी फुलझड़ी में झटके खाने के बाद मेरी रूपाली दीदी उसे मुंह में लेकर चूस रही थी....
रवि ने मेरी दीदी को पूरा नीचे झुका रखा था... उसका लौड़ा मेरी दीदी के मुंह में अंदर बाहर हो रहा था......
रवि का मोटा लौड़ा मेरी रूपाली दीदी की आलमोस्ट हलक तक धंसा था। मेरी दीदी के तालू से रगड़ता हुआ अन्दर तक , मेरी दीदी चोक हो रही थी , उनके गाल दुख रहे थे उनका मुंह फटा जा रहा था पर फिर भी मेरी रूपाली दीदी जोर जोर से चूस रही थी...
साली ,तेरी माँ का भोसड़ा चोदूँ , क्या मस्त माल पैदा किया है , क्या चूसती है जानू ,चूस कस कस के ,... रवि मेरी दीदी को बोल रहा था..
और पल भर के लिए दुखते गालों को आराम देने के लिए मेरी दीदी ने मुंह हटाया और उसके तने लण्ड को साइड से चाटने लगी तो रवि से बर्दाश्त नहीं हुआ उसने दोबारा मेरी रूपाली दीदी के मुंह में लौड़ा जबरदस्ती डाल दिया....ये देख के मेरी आँखे फटी रह गयी की मेरी दीदी ने एकदम जड़ तक लण्ड घोंट लिया था , बेस तक लण्ड उनके मुंह में घुसा था लेकिन वो जोर जोर से चूसे जा रही थी।
. मेरे दोस्त की हरकतें काबू से बाहर हो चुकी थी... उससे रहा नहीं गया उसने अपनी पैंट उतार दी .. वह खिड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड हिलाने लगा मेरी रूपाली दीदी को देखते हुए..... रूपाली ...रूपाली...ओह… उसके मुंह से निकल रहा था...
साले तू क्या कर रहा है.. यह मेरी दीदी है.... मैंने उससे कहा..
बहन चोद मेरा निकल जाने दे पानी..ओह…ओह… रूपाली... उसने धीरे से कहा...
साले बंद कर हिलाना देखकर.. वरना तेरी गांड मार लूंगा मैं.... गुस्से में मैंने कहा...
बहन के लोड़े मैं तो बस हिला रहा हूं... तेरी रूपाली दीदी आज इसी छत पर नंगी होने वाली है... अगर मेरा विश्वास नहीं करता तो यहां देख ले दूसरी छत पर कौन लोग हैं.... मेरे दोस्त ने मुझसे कहा..
पहले मुझे उसकी बात का विश्वास नहीं हुआ पर जब मैं उसके पास गया और मैंने दूसरी छत की तरफ देखा तो मुझे यकीन हो गया कि आज मेरी दीदी छत पर कोई न कोई कांड करने आई है.. मेरे बगल वाली छत पर दो मुस्टडे खड़े थे... दिनेश और रवि... दिनेश मेरी रूपाली दीदी का पुराना यार... शादी के पहले मेरी रूपाली दीदी का टांका दिनेश से जुड़ा हुआ था... सब लोग कहते थे कि मेरी रूपाली दीदी को दिनेश दुल्हन बना के ले जाएगा.. कुछ कारणों से मेरी रूपाली दीदी की शादी नहीं हो पाई दिनेश के साथ.. इसके पीछे का कारण आपको फिर कभी बाद में बताऊंगा..
आज तो दिनेश अपने जिगरी दोस्त रवि के साथ छत पर खड़ा था.. शायद उन्हें पता था कि मेरी रूपाली दीदी आने वाली है छत पर... मेरी दीदी उनके सामने जाकर खड़ी हो गई थी... दिनेश मेरी दीदी को कुछ कह रहा था जो हमें तो बिल्कुल भी सुनाई नहीं दे रहा था पर सुनकर मेरी दीदी मुस्कुरा रही थी... रवि जो हमारे गांव का सबसे बदनाम और ठरकी लड़का है उसके साथ मेरी दीदी हंस हंस के बातें कर रही थी... मुझे बड़ा ही अजीब लग रहा था ऐसा देखकर..... कुछ देर तक उनकी बातें चलती रही फिर मेरी रूपाली दीदी का चेहरा एकदम गंभीर हो गया..
मुन्नी को अपने सीने पर टिका के खड़ी थी मेरी दीदी सर झुका के.. इसके बाद मेरी दीदी ने जो हरकत की मैं अंदर तक हिल गया... उन्होंने मुन्नी को साइड किया और अपने एक हाथ को चोली के अंदर डाल के अपनी एक चूची को चोली की कैद से आजाद कर दी.. मेरी रूपाली दीदी की एक चूची उनकी चोली के ऊपर से बाहर निकल के दिनेश और रवि की आंखों के सामने थी.... मैं और मेरा दोस्त भी इस नजारे को आंखें फाड़ फाड़ के देख रहे थे.. मेरा दोस्त तो मेरी रूपाली दीदी के चूची पर जड़े मोती जैसे गुलाबी दाने को देखकर पागल सा हो गया...
," वाह.. इसको कहते हैं चूचक.. कितना प्यारा और रसीला है.." आगे वह कुच्छ ना बोला.. वह जोर-जोर से अपने औजार को हिलाने लगा..
दिनेश और रवि का तो लग रहा था कपड़े फाड़ फाड़ कर बाहर आ जाएगा औजार .. उनकी पेंट में से... दोनों बड़ी बेशर्मी से मेरी रूपाली दीदी को देखते हुए ऊपर से ही अपने मोटे लण्ड को मसल रहे थे.. रवि की आंखों में भी साफ हवस दिखाई दे रही थी.. शादी के पहले तो वह मेरी रूपाली दीदी को भाभी भाभी बुलाता था... पर आज उसके तेवर भी बदले हुए लग रहे थे.... मैं सोच में डूबा हुआ था कि ऐसी क्या मजबूरी है मेरी रूपाली दीदी कि जो ऐसी हरकत कर रही है..
उन्होंने जो अगली हरकत कि उसे देखकर तो बड़े बड़ों का ईमान डोल जाए..... उन्होंने एक हाथ से अपनी चूची को पकड़ा और उसे अच्छी तरह दबाया... मेरी दीदी के गुलाबी निप्पल पर दूध की बूंदे चमकने लगी... उन्होंने मुन्नी को अपनी चूची पर रख लिया और उसके मुंह में अपना निप्पल ठेल उसे अपना दूध पिलाने लगी.
…. आह... साले .. बहन के लोड़े... वैसे तो तेरी रूपाली दीदी बड़ी संस्कारी बनती है ... साली...…. आह.... पर यह तो पूरी रंडी छिनाल है....…. आह…. आह देख कैसे यारों को दिखा दिखा कर अपना दूध पिला रही है... अपनी बच्ची को..…. आह मादरजात…. आह... जी चाहता है अभी जाकर तेरी दीदी की चोली फाड़ के रंडी का सारा दूध पी जाऊं... पूरा सुखा दूंगा तेरी दीदी की छातियों को चूस चूस …. आह.. साले वैसे तेरी दीदी की चूचियां है जबरदस्त.... ऐसी चूची टाइट बिल्कुल खड़ी खड़ी मैंने तो आज तक नहीं देखी...…. आह.... मेरा दोस्त अपने हवस के आवेश में बके जा रहा था और मैं चुपचाप सुन रहा था...
और सुनने के अलावा मेरे पास चारा ही क्या रह गया था. बेशर्मी की हद पार कर दी थी मेरी रूपाली दीदी.... एक बेचारा भाई भला क्या जवाब देता मेरे दोस्त की कामुक बातें और हरकत का...
खुले आसमान के नीचे मेरी रूपाली दीदी अपनी चोली खोल दूध पिला रही थी मुन्नी को अपने यार और उसके दोस्त के आगे..
मेरी दीदी अपने सीने से चिपकाए हुए मुन्नी को मातृत्व सुख का अनुभव करती हुई आंखें बंद किए खड़ी थी... और मेरा दोस्त... वह तो अपने लण्ड को ऐसे हिला रहा था मानो मेरी दीदी को अपने लण्ड पर बिठा के उछाल रहा हो....
साले मेरा मन कर रहा है तेरी रूपाली दीदी को अभी यही छत की रेलिंग पर झुका की रंडी की गांड मार लू..... बोलते बोलते मेरे दोस्त ने अपने औजार को निचोड़ के रख दीया....
बगल वाले छत पर दिनेश और रवि की हालत भी कुछ इसी प्रकार की थी... उनके मन में भी कुछ इसी प्रकार की इच्छाएं जग गई थी... शायद इसीलिए अब दिनेश से रहा नहीं गया और वह छत से कूद के हमारी छत पर आ गया... मेरी दीदी को इस बात का एहसास तब हुआ जब दिनेश उनके बिल्कुल पास आ गया... दिनेश की आंखों में हवस और उसकी पैंट में खड़े मोटे लंबे बांस को देखकर मेरी दीदी घबरा गई और पीछे की तरफ हटने लगी... दिनेश ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की तो मेरी दीदी भागने लगी...
भागकर मेरी दीदी हमारे कमरे की तरफ ही आने लगी... मेरी तो गांड फट गई कि कहीं मेरी दीदी इस कमरे में ही ना घुस जाए और मेरे दोस्त को ऐसी हालत में देख ले... पर दिनेश ने मेरी दीदी को पकड़ लिया कमरे में घुसने के ठीक पहले हमारी खिड़की के सामने जिसके पीछे मैं और मेरे दोस्त खड़े थे...
कहां भाग रही है बहन की लोहड़ी.... दिनेश ने मेरी दीदी का हाथ पकड़ते हुए कहा.
देखो कुछ ऐसी वैसी हरकत मत करना... मुझे डर लग रहा है.. मेरी रूपाली दीदी न सर झुका के जवाब दे दिया उसे...
हम दोनों को अब उनकी बातें साफ-साफ सुनाई दे रही थी... बस एक खिड़की का फासला था हमारे बीच...
मुन्नी ने मेरी दीदी का दूध पीना बंद कर दिया था .वह भी डर गई थी और दिनेश को टुकुर-टुकुर देख रही थी...... मेरी रूपाली दीदी की एक चूची अभी भी चोली के बाहर थी दूध से लथपथ..
मुझे भी तेरा दूध पीना है.... दिनेश ने अजीब सी डिमांड मेरी दीदी के सामने रख दी.. मेरी दीदी शर्म के मारे लाल हो गई...
देखो तुम अपने वादे से मुकर रहे हो... हमारी बात तो बस दिखाने भर की हुई थी.. दीदी ने शर्माते हुए कहा.
हां साली मैंने वादा किया था... पर अब मेरा मूड बदल गया है देख कर.... मुझे तो बस पीना है तेरी छाती का दूध.. दिनेश की आंखें वासना से लाल हो रही थी...
उसने अपने एक हाथ की उंगलियों से मेरी दीदी की गुलाबी चूचक पर लगे हुए दूध की बूंदों को लपेटा और अपने मुंह में ले लिया..
उसकी हरकत से मेरी दीदी सिसक उठी....
आह , उई ई ओह्ह.... दिनेश ऐसा मत करो.... यह तो छोटे बच्चों के लिए होता है.... मेरी बात को समझो.. रूपाली दीदी ने सिसक के कहा...
साली मुझे मत सिखा क्या बच्चों के लिए होता है और क्या मर्दों के लिए.... तेरा पति भी तो पीता होगा ..रात भर .... खुद अपनी चूचियां पकड़ कर उसे पिलाती होगी रंडी तु और मुझे नखरे दिखा रही है.. बोलते बोलते दिनेश ने मेरी रूपाली दीदी की खुली हुई चूची को अपने हाथ में दबोच कर दबाना शुरू कर दिया... मेरी दीदी की चूची से दूध की धार निकलने लगी....
हाए राम!.... आह , उई ई मम्मी... दिनेश..... यह क्या कर रहे हो.... आह प्लीज छोड़ दो.... आह ... कोई देख लेगा.... मेरी रूपाली दीदी बिलबिला उठी... गुहार लगा रही थी मेरी दीदी दिनेश से...
पर दिनेश ने मेरी दीदी की गुहार पर ध्यान नहीं दिया बल्कि उसने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए मेरी दीदी की चूची को अपने मुंह में भर लिया और सरप सरप दूध पीने लगा.. जितना बड़ा हो सकता था उतना बड़ा मुंह खोलकर उसमें मेरी दीदी की चूची को भर कर दिनेश पी रहा था... मेरी दीदी की आंखें बंद हो गई और वह सिसक रही थी...…. आह... कोई देख लेगा... हाय राम..... रवि भी देख रहा है...उई ई ओह्ह मां..... दांत क्यों काट रहे हो.... बोलते हुए मेरी दीदी चीख उठी थी.... दिनेश ने दीदी के गुलाबी निपल्स पर दांत काट लिया था...
हरामजादा रवि ना सिर्फ देख रहा था बल्कि छत कूद के हमारी छत पर आ गया था और मेरी दीदी और दिनेश से कुछ ही कदम की दूरी पर खड़ा था.... उसने अपना मोटा लंबा काला 10 इंच का लण्ड पैंट से बाहर निकाल रखा था और मेरी दीदी की तरफ खड़ा करके अपने हाथ में पकड़े हुए था...
दिनेश....आह... तुम्हें मेरी कसम.आहआह.... रुक जाओ ना...आहआह... मेरी दीदी ने बिलखते सीसकते हुए कहा.
दिनेश ने मेरे रूपाली दीदी की बात मान ली... और उनकी चूची को अपने मुंह से आजाद कर दिया.... उसके चेहरे और मुंह पर मेरी दीदी का दूध लगा हुआ था ठीक वैसे ही जैसे हिरनी का शिकार करने के बाद शेर के मुंह पर खून लगा होता है....
साली रंडी अपनी चोली खोल .. मुझे तो तेरा दूध पीना है अच्छी तरह से... दिनेश ने कामुक तरीके से मुस्कुरा कर कहा..
प्लीज मेरी बात मान जाओ... आज के लिए.. घर में सब लोग हैं और छत पर कोई भी आ सकता है... मैं बर्बाद हो जाऊंगी मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी.. मेरी दीदी लगभग रोने ही लगी थी...
साली रांड... ज्यादा नखरे मत दिखा... आज अच्छे से पी लेने दे मुझे तेरा दूध... बोलते हुए दिनेश ने मेरे रूपाली दीदी की गोद में से मुन्नी को खींच लिया और सामने पड़ी हुई खटिया पर मुन्नी को लिटा दिया...
मेरी दीदी खड़े-खड़े रोने लगी... जालिम दिनेश ने मेरी दीदी के रोने की परवाह किए बिना बड़ी तेजी से उनकी चोली खोल दी.. दिनेश को अच्छी तरह पता था कि मेरी दीदी के चोली के हुक कैसे खोलते हैं...
सुनील ने मेरी रूपाली दीदी की चोली खोल के नीचे जमीन पर फेंक दी... दीदी ने ब्रा तो पहनी नहीं थी सो उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां दूध की तरह सफेद और दूध से भरी हुई दिनेश के सामने अकड़ के खड़ी थी.. गुलाबी निप्पल खड़े खड़े .... दिनेश ने बिना देर किए अपने मजबूत हाथों में मेरी दीदी के दोनों बड़े उभारों को दबोच लिया और दबाने लगा... नीचे झुककर मेरी दीदी की दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर चूसने लगा दिनेश...
" उं उं ,छोड़ न हट... दिनेश....... पागल हो क्या.... कोई आ जाएगा...…. आह , उई ई मां... रवि तुम ही समझाओ ना दिनेश को...…. आह , ... यह तुम क्या कर रहे हो... मेरी दीदी की निगाह जैसे ही रवि पड़ी वह चीख उठी...
रवि तो मैं रूपाली दीदी के बिल्कुल पास खड़ा था... और देख रहा था दिनेश की हरकतें मेरी दीदी के साथ.... उसने अपनी पैंट की जिप खोल रखी थी और उसके हाथ में उसका मोटा खड़ा ,कड़ा खूब भूखा ,तन्नाया ,... मुसल था..जैसे संपेरा कोई पिटारा खोले और खुलते ही मोटा कड़ियल जहरीला नाग फन काढ़ कर खड़ा हो जाए। काफी बड़ा और खूब मोटा लण्ड है रवि का.. मैंने बिल्कुल पास से देखा....... असलम और जुनैद से भी बढ़कर... मैंने मन ही मन तुलना की....ये देख के मेरी आँखे फटी रह गयी...
आह , उई ई ओह्ह.... दांत से मत काटो ना प्लीज....आह ओह्ह... कुछ दिनों में मेरे पति आने वाले है.ओह्ह.... उनको निशान देखकर पता चल जाएगा.......
मेरी दीदी बिलबिला उठी थी... वह रोते हुए बोली... उनकी आंखें बंद होने लगी थी... क्योंकि दिनेश ना सिर्फ मेरी दीदी का दूध पी रहा था बल्कि वह अपने दांतो से निशान भी लगा रहा था...
साली रंडी... देखने दे उसे भी... उस गांडू को भी तो पता चले.... मैं तो उसके सामने तुझे पेलूंगा रंडी तेरा लहंगा उठा के..... दिनेश ने मेरी दीदी की चूची पर एक और बाइट लेने के बाद मुंह ऊपर उठा कर कहा... साथ ही साथ उसने अपना एक हाथ मेरी दीदी के लहंगे के अंदर घुसा दिया... और मेरी दीदी की फुलझड़ी को अपनी उंगलियों से मसल डाला..... उसने दोबारा मेरी दीदी की एक चूची को अपने दांतों में दबा लिया... उसका एक हाथ मेरी दीदी की पतली कमर पर था और दूसरा हाथ मेरी दीदी की के लहंगे के अंदर उनकी फुलझड़ी पर.........
हाय राम... दिनेश मेरी मजबूरी को समझो...…. आह...... मेरे पति बहुत सीधे साधे इंसान है...…. आह…. आह... उनको अच्छी तरह पता है कि उस दिन जंगल में मेरे साथ क्या-क्या किया था…. आह…. आह असलम और जुनैद ने...…. आह..... वह मेरी मजबूरी समझ गए.. मेरा बलात्कार हुआ था.......…. आह…. आह... प्लीज मेरी कसम उनके सामने कुछ ऐसी वैसी हरकत मत करना कि डूब के मर जाने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता रहे.... सिसक सिसक कि मेरी रूपाली दीदी दिनेश को अपनी मजबूरी बता रही थी..
दिनेश तो उनकी बातें शायद सुन भी नहींरहा था... वह लगा पड़ा था मेरी दीदी को चूसने में...
देख रूपाली.... उस दिन जंगल में जो हुआ था हम दोनों को भी पता है... तूने ही बताया था.. तेरा गांडू पति भी जानता है वह ....तेरा चुटिया भाई... उसके सामने ही तो तेरी बजाई थी उन दोनों ने... वह तुझे फिर फोन करेंगे और तुझे बुलाएंगे.. उन्होंने तुम्हारी वीडियो भी तो बना लि है.... तुझे जाना ही पड़ेगा.... तेरे गांडू पति में इतना दम नहीं है कि तुम्हें उन गुंडों के चंगुल से निकाल सके..... जब वह फोन करे तो तुम मत उठाना... बाकी सब मैं संभाल लूंगा.. मेरे पापा एमएलए हैं तुझे तो पता ही है कि मेरी पहुंच कितनी दूर तक है... बस तू भी मुझे खुश कर दे... तेरे नाम का बहुत सारा मक्खन निकाल चुका हूं आज तू भी कुछ मेहनत कर.... बोलते हुए रवि मेरी दीदी के पीछे आ गया और उनको अपनी बाहों में जकड़ लिया.. और उसका मोटा लंबा बांस सीधे मेरी दीदी की गांड की दरार के बीच.... शुक्र है कि दीदी का लहंगा अभी भी उनकी रक्षा कर रहा था.. रवि ने गांड के ऊपर से झटके देने भी शुरू कर दिए थे...
हाय दैया ..... रवि ना मत करो ना...... आह , उई ई मां.. प्लीज इतना जोर से नहीं..... आह .... मेरी दीदी झटपटआने लगी थी... क्योंकि रवि ने मेरी रूपाली दीदी की गांड पर झटके देने के साथ-साथ उनका लहंगा भी ऊपर उठाना शुरू कर दिया था...
नीचे दिनेश अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसने मेरी दीदी के लहंगे का नाड़ा खोल दिया... नाड़ा खुलते ही मेरी दीदी का लहंगा जमीन पे पहुंच गया.... एक झटके में उसने मेरी दीदी की पैंटी को उनके घुटनों तक पहुंचा दिया...
उसने मेरी दीदी की टांगों को जबरदस्ती पकड़ के अलग-अलग किया.... उनकी गुलाबी फुलझड़ी दिनेश के चेहरे के सामने थी.... उसने अपनी लंबी जीभ बाहर निकाली और मेरी दीदी की गुलाबी चिकनी योनि पर लहरा दिया... भूखे कुत्ते की तरह चाटने लगा मेरी दीदी की गुलाबी योनि को दिनेश..... ऊपर से रवि मेरी दीदी की गांड पर अपने मोटे काले लंबे बांस को टीका के खड़ा था... उसके दोनों हाथ मेरी दीदी की दोनों चूचियां थी जिनको वह मर्दन कर रहा था.. दूध निकल के झुके हुए दिनेश पर गिर रहा था......
हाय मैं मर जाऊंगी.... हाय दइया ...... दिनेश.... मत करो ना.... आह , उई ई ओह्ह... मेरा भाई भी घर में है...इशह ! क्या करते हो? ऊई माँ ! अह्ह्ह ! आहह… ओइंआ ! मान भी जाओ ना .. आहह !’...
मेरी दीदी आंखें बंद किए हुए बिलख रही थी सिसक रही थी चीख रही थी.....
दिनेश तो मेरी रूपाली दीदी की 'फूल्झड़ी' में जीभ घुमा रहा था;...
रवि मैं तुम पर भरोसा कर रही हूं.... बोलते हुए मेरी दीदी ने हाथ पीछे किया और अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया रवि के काले मोटे लंबे मुसल को.... मेरा मुसल भी खड़ा हो गया दीदी की हरकत देखकर... मेरा दोस्त नीचे नंगा बैठा था... पानी निकल गया था उसका... मुरझाया हुआ पकड़कर वह सामने का नजारा देख रहा था...
साले तू भी मुट्ठ मार ले... उसने मुझसे कहा...
नहीं यार ऐसा करना ठीक नहीं है मेरी दीदी है .... मैंने धीरे से कहा..
हिला ले रंडी रूपाली के भाई.... तुझे आराम मिलेगा... तेरी दीदी तो मजा ले रही है.... और तू अपना छोटा चेतन पकड़ कर बैठा देख रहा है... मेरे दोस्त ने कहा...
उसने मेरा देख लिया था उभार...
देख मैं तभी हिला लूंगा जब तुम मुझसे वादा करें कि यह बात किसी को भी नहीं बोलेगा.. तुमने तो सुना ही जंगल वाली बात.... मैंने उसे कहा...
हां बहन चोद तू टेंशन मत ले.... मुझे समझ आ गया कि तेरे दीदी का क्या चक्कर चल रहा है.... मैं किसी को नहीं बताऊंगा... मैं तो बस यह चाहता हूं कि तू भी शांत हो जा....... मेरे दोस्त ने मुझे दिलासा.... दिया...
मैं अपने छोटे से लंड को पेंट के बाहर निकाल के हिलाने लगा.. ठीक उसी प्रकार से जैसे मेरी दीदी हाथ पीछे करके रवि के लंड को मेहंदी लगे हाथ में ले कर ऊपर नीचे कर रही थी.... दिनेश मेरी रूपाली दीदी की फुलझड़ी को चाट चाट के और गुलाबी बना रहा था...
मेरी रूपाली दीदी अपने हाथ में रवि के लंड को हिला रही थी....लेकिन हैरान करने वाली तो उनके लंड की मोटाई थी.. देखने से ऐसा लग रहा था कि शायद उसकी गोलाई दीदी के हाथ में नहीं समा पा रही थी, कम से कम मेरी कलाई जितना मोटा लंड था… एक बार तो मेरा गला सुख गया.. मेरी दीदी खूब जोर लगा रही थी... शायद उनका इरादा हिला हिला के रवि का माल निकालने पला हिला के रवि का माल निकालने पर था... पर मेरी दीदी गलत थी...
एक झटके में उसने मेरी रूपाली दीदी को अपनी गोद में उठा लिया... उसकी हरकत देखकर दिनेश भी हतप्रभ हो गया.... दीदी की फुलझड़ी में घुसा हुआ उसका जीभ बाहर निकल गया....
रवि ने मेरे दीदी को छत की रेलिंग के सहारे टिका दिया.... मेरी रूपाली दीदी छत की रेलिंग पर हाथ टीका घोड़ी बन गई थी...
दिनेश नीचे बैठ गया था पूरा नजारा देख रहा था .... बड़ी तेजी से उसने खुद को नंगा कर दिया...
रवि ने मेरी रूपाली दीदी की गांड को दबोच लिया... और उनकी बड़ी गांड रवि के सामने थी.... मेरी दीदी की गांड का छेद काफी बड़ा लग रहा था.... आपको तो पता ही है क्यों...... रवि को भी पता चल चुका था..... उसने बिना देर किए हुए अपना मोटा मुसल मेरी रूपाली दीदी की गांड की छेद पर टीका एक जोरदार धक्का मारा.... उसका आधा लौड़ा मेरी दीदी की गांड के छेद में समा गया... मेरी रूपाली दीदी की गांड का छल्ला पार करके रवि का मोटा मूसल मेरी दीदी की गांड में समाया हुआ था..
उसने फिर दूसरा झटका दिया... फिर तीसरा......उई ई ओह्ह फट गई...क्या करते हो? ऊई माँ ! अह्ह्ह ! आहह… ओइंआ !... मेरी रूपाली दीदी चीख रही थी...
कितना मादक था यह नजारा ! बता नहीं सकता दोस्तो.. शब्द कम पड़ रहे हैं..
और उधर वो दोनों हाथों से दीदी के मोटे चूतड़ों को थाम के उनकी गांड के भीतर झटके मारे जा रहा था....
हे भगवान ! क्या लंड था उस आदमी का.. ! किसी सेक्स मूवी की तरह एक फुट लंबा और इतना मोटा..... हर झटके के साथ मेरी रूपाली दीदी बिलख रही थी....
‘आह.. आहह !’ क्या मस्त चूतड़ थे दीदी के ! दिल तो कर रहा था कि पूरी जिंदगी दीदी की गाण्ड ही चाटता रहूँ.. मेरा छोटा चेतन अपने हाथ में था.....
मेरी रूपाली दीदी के मुँह से एक कामुक आहह निकल गई.. इतनी कामुक कराह थी कि मैं तो झड़ने वाला था…
दोनों के मुँह से कामुक आवाज़ें आ रही थी.. आहह म्म… ओह्ह…
रवि ने अपना लंड मेरी रूपाली दीदी की गांड में जितना हो सकता था उतना अंदर ठेल दीया...
दूध सी गोरी चूचियाँ.. मसली जाने की वजह से लाल हो गई थी.. उनकी घुंडियाँ एकदम कड़क हो गई थी.. फिर उसने ज़ोर ज़ोर से चूचियो को मसलना शुरू कर दिया..
अब दीदी के मचलने की बारी थी..
वो बस कसमसा रही थी.. बेचैन हो रही थी.. आहह… ओह्ह्ह… आइ… ई… यई…
और कामुक आवाज़ में कुछ कुछ बोल रही थी… अम्म आह.. और.. आउच हह.. आराम से… एम्म्म… हाँ पियो इन्हे.. दूध निकालो इनमें से.. निचोड़ लो सब कुछ आज.. आअहह…
मेरी रूपाली दीदी अब रंडियों की तरह आवाज निकाल रही थी....
मैं भी अनायास ही मुस्कुरा दिया..
अब वो इस तरफ से दीदी पर चढ़ रहा था.. इस वक़्त उसकी पीठ मेरी तरफ थी और वो दीदी की टाँगों के बीच था.. उसने मेरी दीदी के बालों को पकड़ रखा था अपने हाथ से... उसके झटकों ने मेरी रूपाली दीदी की गांड फाड़ के रख दी थी....
सिर्फ़ कुछ इंच की दूरी पर मेरी दीदी की पावरोटी जैसे फूली हुई चूत थी.. दोनों फांकों पर हल्के बाल थे.. चूत बहुत पनियाई हुई थी.. और लबलबा रही थी… मानो चीख चीख कर लंड माँग रही हो।
मेरी रूपाली दीदी की साँस अब बहुत तेज़ चलने लगी थी- ..आहह..एम्म ! चोदो मुझे.. ! प्लीज़ मुझे चोदो…आह ह्ह्ह्ह.. और मत तड़पाओ… मेरी दीदी छत की रेलिंग पकड़कर चीख रही थी और पीछे से झटके पे झटके दिए जा रहा था रवि.....
दीदी की गाण्ड अपने आप ऊपर की तरफ उठ कर लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी मगर रवि को उन्हें तड़पाने में मजा आ रहा था... वह मेरी दीदी की गांड में गोल गोल घुमा रहा था अपने मोटे काले लंबे मुसल को...
अब तो मेरी रूपाली दीदी की पनियाई चूत और जोर से बहने लगी और उनका चूतरस उनकी चूत से बहता हुआ उनकी गाण्ड के छेद तक चला गया..
मेरी दीदी के चूतरस ने लुब्रिकेंट का काम किया और मेरी दीदी की गांड में रवि का लोड़ा खूब तेजी से अंदर बाहर होने लगा...
चूत और गाण्ड पर चूतरस लगे होने की वजह से बहुत चमक रही थी ऐसा लग रहा था मानो मेरे आगे जन्नत की सबसे सुंदर चूत और गांड है…
तभी रवि ने अपना मोटा मुसल मेरी दीदी की गांड म से खींच कर बाहर निकाल लिया.... उसने अपना लौड़ा मेरी रूपाली दीदी की चूत के मुहाने पर रख कर चूत और चूत का दाना रगड़ने लगा..
एक ही रगड़ ने दीदी के मुँह से चीख निकलवा दी.. ओइं आह्ह्हह्ह ! आअहह प्लीज़ और मत तड़पाओ मुझे ईईए ! अह.. इस…म्मम…
साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी दीदी की !
इधर उनकी गाण्ड और जोर से मचल मचल कर लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी… और तभी उसने लंड को चूत पर टिका कर एक ज़ोरदार झटका दिया.. और आधा लंड दीदी की पनियाई चूत के अंदर उतार दिया..
“आह ह्ह्ह्ह…” वो आदमी दीदी की चूत की गर्मी का एहसास पाते ही कराह उठा..
उधर दीदी भी दर्द और काम से मचल कर चीख उठी.. …उई माँ …आई ईई ई…
फिर तो रवि ने 2-3 झटके और मारे और पूरा लंड मेरी दीदी की नाज़ुक चूत के अंदर उतार दिया। उस वक़्त तो ऐसा लग रहा था मानो किसी ने ज़बरदस्ती यह लंड चूत में फंसा दिया और अब यह नहीं निकलेगा...
मैं त… त..तो… तो… गा… ग… गाइइ.. मेरी रूपाली दीदी झड़ने लगी... रवि ने अपना मोटा लौड़ा मेरी दीदी दीदी की योनि से बाहर निकाल लिया और उन्हें आराम से पूरा मौका दिया झड़ने का..... फिर उसने मेरी रूपाली दीदी को नीचे झुका दिया... बाल पकड़ के उसने मेरी दीदी के मुंह में लौड़ा दे दिया...
अपनी गांड से निकला हुआ लौड़ा रवि का अपनी फुलझड़ी में झटके खाने के बाद मेरी रूपाली दीदी उसे मुंह में लेकर चूस रही थी....
रवि ने मेरी दीदी को पूरा नीचे झुका रखा था... उसका लौड़ा मेरी दीदी के मुंह में अंदर बाहर हो रहा था......
रवि का मोटा लौड़ा मेरी रूपाली दीदी की आलमोस्ट हलक तक धंसा था। मेरी दीदी के तालू से रगड़ता हुआ अन्दर तक , मेरी दीदी चोक हो रही थी , उनके गाल दुख रहे थे उनका मुंह फटा जा रहा था पर फिर भी मेरी रूपाली दीदी जोर जोर से चूस रही थी...
साली ,तेरी माँ का भोसड़ा चोदूँ , क्या मस्त माल पैदा किया है , क्या चूसती है जानू ,चूस कस कस के ,... रवि मेरी दीदी को बोल रहा था..
और पल भर के लिए दुखते गालों को आराम देने के लिए मेरी दीदी ने मुंह हटाया और उसके तने लण्ड को साइड से चाटने लगी तो रवि से बर्दाश्त नहीं हुआ उसने दोबारा मेरी रूपाली दीदी के मुंह में लौड़ा जबरदस्ती डाल दिया....ये देख के मेरी आँखे फटी रह गयी की मेरी दीदी ने एकदम जड़ तक लण्ड घोंट लिया था , बेस तक लण्ड उनके मुंह में घुसा था लेकिन वो जोर जोर से चूसे जा रही थी।