12-11-2019, 04:23 PM
संजना ने एक बार फिर से उसके लंड पर कब्जा जमा लिया और कच्छे का नाडा खोलकर उसे पूरी तरह से बाहर निकाल लिया…
निमेश कभी अपने आग उगलते लंड को और अभी संजना मेडम के सैक्सी चेहरे को देखता…
दोनो की आँखे एक दूसरे से जैसे कुछ कह रही थी और फिर उन आँखो की भाषा संजना ने समझ ली और अपना सिर धीरे-2 नीचे करना शुरू कर दिया
निमेश का दिल धाड़-2 कर रहा था, ये सोचकर की उसकी सपनो की रानी, उसकी मालकिन, उसका काला भुसंड लंड चूसेगी ।
संजना ने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और वही सबसे पहले निमेश के लंड से टच हुई…
वो सीसीया उठा…
”उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़…..मेंमसाआब…”
और उसने एक हाथ उपर करके संजना मेडम का बाँया मुम्मा पकड़ लिया…
और अब सीसीयाने की बारी संजना की थी…
”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स… उम्म्म्मममममममममममममम…आआआआअहह”
उसके बूब्स उसकी बॉडी का सबसे वीक पॉइंट था, उन्हे दबाकर तो कोई रिक्शावाला भी उसे चोदने के लिए तैयार कर सकता था…
निमेश ने उसके सिर पर दबाव डालकर उसके मुँह में अपना लंड घुसेड़ दिया संजना के मुँह में वो पूरी तरह से जा भी नही रहा था फिर भी निमेश ने नीचे से धक्का देकर और उसके सिर के पीछे हाथ लगाकर उसके मुँह में अपना घीस जैसा काला और मोटा लंड उतार दिया…
संजना को इसी तरह की ज़बरदस्ती पसंद थी
उसकी हमेशा से फेंटसी रही थी की उसका पार्ट्नर अलग-2 तरीके से उसे टॉर्चर करके उसकी मर्ज़ी के विपरीत उसकी चुदाई करे, पर वो खुद ही इतनी बड़ी चुदक़्कड़ थी की सामने वाले को ऐसा करने का मौका भी नही मिलता था …
पर आज निमेश के साथ वो अपनी जिंदगी की उन दबी हुई इच्छाओं को पूरा कर लेना चाहती थी..
सामने बैठा अरुण अपनी बीवी के इश्स रूप को देखकर ज़्यादा हैरान नही हुआ, वो जानता था की एक बार शुरू होने के बाद संजना को रोक पाना मुश्किल होगा…
इसलिए वो हर गेम खुद ही जीतने की फिराक में था…
पर अब कुछ नही हो सकता था
संजना आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी
उसके मुँह में निमेश का पूरा लंड था और निमेश के हाथ में उसका पूरा मुम्मा..
नम्रता बेचारी अपने पति की रंगरेलियाँ देखकर शरमा रही थी
अचानक उसने महसूस किया की अरुण साहब का पैर उसके पेटीकोट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है…
वो तो पहले से ही अपने पति और संजना मेडम के खेल को देखकर गर्म हो रही थी, अपने मालिक के पैरों को अपने पेटीकोट पर दस्तक देते देखकर उसने अपनी पूरी दरियादिली दिखाते हुए अपने दोनो पैर खोल दिए
अरुण का पैर पेड़ के तने की तरह उसके पेटीकोट में घुसता चला गया और सीधा जाकर उसके ताजमहल के दरवाजे पर रुका…
उसने अंदर कच्छी नही पहनी हुई थी | चूत तो पहले से ही गीली थी, हल्के दबाव के साथ अरुण का मोटा अंगूठा नम्रता की रिसती चूत में घुस गया और उसके मुँह से हल्की सी सिसक निकल गयी…
पर वो इतनी धीरे थी की वो सिसक निमेश और संजना तक नही पहुँची
वैसे भी उनकी तरफ से आ रही सिसकारियाँ और आवाज़ें काफ़ी तेज थी और उन्हे इस तरफ देखने का टाइम ही नही था…
खेल अपने पुर शबाब पर आ चुका था
अब ये कोई मामूली जुए का खेल नही रह गया था
एक ऐसा ज़रिया बन चुका था जिसमे एक दूसरे का इस्तेमाल करके अपनी उत्तेजना को शांत करना था सभी को..
बस देखना ये था की सबसे ज़्यादा सेटिसफाई कौन होता है और कैसे..
निमेश के सामने उसके सपनो की मल्लिका यानी उसकी मेमसाब उसका लंड चूस रही थी और वो भी अपने पति के सामने जो एक पति होने के साथ -2 देश का एक मंत्री भी था और उसका मालिक भी ऐसे में निमेश अपना लंड संजना मेडम से चुस्वाते हुए अपने आप को काफ़ी बड़ा महसूस कर रहा था |
और उसी बड़प्पन के आवेश में आकर, उसने संजना के बालों को पकड़ा और अपना लंड धक्का देकर सीधा उसकी हलक में उतार दिया और बड़े ही गंदे तरीके से उससे बोला
”चूस साली …कुतिया …ऐसे लंड तूने सपने में ही देखे होंगे…चाट इसे अच्छे से….गोटियों को भी चमका दे चूस्कर …साली हरामजादी….”
उसके इन शब्दों ने अरुण को अंदर तक किलसा दिया निमेश इस वक़्त उसकी पत्नी से ठीक वैसे ही बर्ताव कर रहा था जैसे 2 दिन पहले वो अपने क्वार्टर में नम्रता के साथ कर रहा था जब अरुण ने उन्हे छुपकर चुदाई करते देखा था… उसकी ऊँचे रुतबे वाली बीवी के साथ वो गँवार एक रंडी जैसा बर्ताव कर रहा था |
ऐसे उमें सका गुस्से में आना तो स्वाभाविक ही था…
और संजना का क्या हाल हो रहा होगा ये सब ज़िल्लत सहते हुए, ये जानने के लिए उसने संजना के चेहरे की तरफ देखा तो हैरान रह गया, वो तो दुगनी मस्ती में भरकर उसके लंड को चूस रही थी, ठीक वैसे ही जैसा निमेश उसे चूसने के लिए कह रहा था, उसे ललचा रहा था, उसके मुँह में लंड ठूसकर अपने इशारो पर नचवा रहा था.
अरुण समझ गया की उसकी बीवी पर कौन सा भूत चढ़ गया है…
वो उसे भी अक्सर इसी तरह का बर्ताव करने के लिए उकसाया करती थी, जिसमे अरुण उसके साथ ज़बरदस्ती करके, उसे गालियां देकर उसकी चुदाई करे
पर शुरू से ही सभ्य समाज में रहने के कारण उसे ना तो इस तरह की संगत मिली थी और न ही इतना उँचा रुतबा होने की वजह से चुदाई में कोई मुश्किल आती थी…
पर उसे क्या पता था की ये संजना के मन की अंदरूनी फैंटेसी है जो आज निमेश के माध्यम से पूरी होने जा रही थी..
निमेश कभी अपने आग उगलते लंड को और अभी संजना मेडम के सैक्सी चेहरे को देखता…
दोनो की आँखे एक दूसरे से जैसे कुछ कह रही थी और फिर उन आँखो की भाषा संजना ने समझ ली और अपना सिर धीरे-2 नीचे करना शुरू कर दिया
निमेश का दिल धाड़-2 कर रहा था, ये सोचकर की उसकी सपनो की रानी, उसकी मालकिन, उसका काला भुसंड लंड चूसेगी ।
संजना ने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और वही सबसे पहले निमेश के लंड से टच हुई…
वो सीसीया उठा…
”उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़…..मेंमसाआब…”
और उसने एक हाथ उपर करके संजना मेडम का बाँया मुम्मा पकड़ लिया…
और अब सीसीयाने की बारी संजना की थी…
”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स… उम्म्म्मममममममममममममम…आआआआअहह”
उसके बूब्स उसकी बॉडी का सबसे वीक पॉइंट था, उन्हे दबाकर तो कोई रिक्शावाला भी उसे चोदने के लिए तैयार कर सकता था…
निमेश ने उसके सिर पर दबाव डालकर उसके मुँह में अपना लंड घुसेड़ दिया संजना के मुँह में वो पूरी तरह से जा भी नही रहा था फिर भी निमेश ने नीचे से धक्का देकर और उसके सिर के पीछे हाथ लगाकर उसके मुँह में अपना घीस जैसा काला और मोटा लंड उतार दिया…
संजना को इसी तरह की ज़बरदस्ती पसंद थी
उसकी हमेशा से फेंटसी रही थी की उसका पार्ट्नर अलग-2 तरीके से उसे टॉर्चर करके उसकी मर्ज़ी के विपरीत उसकी चुदाई करे, पर वो खुद ही इतनी बड़ी चुदक़्कड़ थी की सामने वाले को ऐसा करने का मौका भी नही मिलता था …
पर आज निमेश के साथ वो अपनी जिंदगी की उन दबी हुई इच्छाओं को पूरा कर लेना चाहती थी..
सामने बैठा अरुण अपनी बीवी के इश्स रूप को देखकर ज़्यादा हैरान नही हुआ, वो जानता था की एक बार शुरू होने के बाद संजना को रोक पाना मुश्किल होगा…
इसलिए वो हर गेम खुद ही जीतने की फिराक में था…
पर अब कुछ नही हो सकता था
संजना आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी
उसके मुँह में निमेश का पूरा लंड था और निमेश के हाथ में उसका पूरा मुम्मा..
नम्रता बेचारी अपने पति की रंगरेलियाँ देखकर शरमा रही थी
अचानक उसने महसूस किया की अरुण साहब का पैर उसके पेटीकोट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है…
वो तो पहले से ही अपने पति और संजना मेडम के खेल को देखकर गर्म हो रही थी, अपने मालिक के पैरों को अपने पेटीकोट पर दस्तक देते देखकर उसने अपनी पूरी दरियादिली दिखाते हुए अपने दोनो पैर खोल दिए
अरुण का पैर पेड़ के तने की तरह उसके पेटीकोट में घुसता चला गया और सीधा जाकर उसके ताजमहल के दरवाजे पर रुका…
उसने अंदर कच्छी नही पहनी हुई थी | चूत तो पहले से ही गीली थी, हल्के दबाव के साथ अरुण का मोटा अंगूठा नम्रता की रिसती चूत में घुस गया और उसके मुँह से हल्की सी सिसक निकल गयी…
पर वो इतनी धीरे थी की वो सिसक निमेश और संजना तक नही पहुँची
वैसे भी उनकी तरफ से आ रही सिसकारियाँ और आवाज़ें काफ़ी तेज थी और उन्हे इस तरफ देखने का टाइम ही नही था…
खेल अपने पुर शबाब पर आ चुका था
अब ये कोई मामूली जुए का खेल नही रह गया था
एक ऐसा ज़रिया बन चुका था जिसमे एक दूसरे का इस्तेमाल करके अपनी उत्तेजना को शांत करना था सभी को..
बस देखना ये था की सबसे ज़्यादा सेटिसफाई कौन होता है और कैसे..
निमेश के सामने उसके सपनो की मल्लिका यानी उसकी मेमसाब उसका लंड चूस रही थी और वो भी अपने पति के सामने जो एक पति होने के साथ -2 देश का एक मंत्री भी था और उसका मालिक भी ऐसे में निमेश अपना लंड संजना मेडम से चुस्वाते हुए अपने आप को काफ़ी बड़ा महसूस कर रहा था |
और उसी बड़प्पन के आवेश में आकर, उसने संजना के बालों को पकड़ा और अपना लंड धक्का देकर सीधा उसकी हलक में उतार दिया और बड़े ही गंदे तरीके से उससे बोला
”चूस साली …कुतिया …ऐसे लंड तूने सपने में ही देखे होंगे…चाट इसे अच्छे से….गोटियों को भी चमका दे चूस्कर …साली हरामजादी….”
उसके इन शब्दों ने अरुण को अंदर तक किलसा दिया निमेश इस वक़्त उसकी पत्नी से ठीक वैसे ही बर्ताव कर रहा था जैसे 2 दिन पहले वो अपने क्वार्टर में नम्रता के साथ कर रहा था जब अरुण ने उन्हे छुपकर चुदाई करते देखा था… उसकी ऊँचे रुतबे वाली बीवी के साथ वो गँवार एक रंडी जैसा बर्ताव कर रहा था |
ऐसे उमें सका गुस्से में आना तो स्वाभाविक ही था…
और संजना का क्या हाल हो रहा होगा ये सब ज़िल्लत सहते हुए, ये जानने के लिए उसने संजना के चेहरे की तरफ देखा तो हैरान रह गया, वो तो दुगनी मस्ती में भरकर उसके लंड को चूस रही थी, ठीक वैसे ही जैसा निमेश उसे चूसने के लिए कह रहा था, उसे ललचा रहा था, उसके मुँह में लंड ठूसकर अपने इशारो पर नचवा रहा था.
अरुण समझ गया की उसकी बीवी पर कौन सा भूत चढ़ गया है…
वो उसे भी अक्सर इसी तरह का बर्ताव करने के लिए उकसाया करती थी, जिसमे अरुण उसके साथ ज़बरदस्ती करके, उसे गालियां देकर उसकी चुदाई करे
पर शुरू से ही सभ्य समाज में रहने के कारण उसे ना तो इस तरह की संगत मिली थी और न ही इतना उँचा रुतबा होने की वजह से चुदाई में कोई मुश्किल आती थी…
पर उसे क्या पता था की ये संजना के मन की अंदरूनी फैंटेसी है जो आज निमेश के माध्यम से पूरी होने जा रही थी..