12-11-2019, 04:12 PM
अरुण ने अपने पत्ते एक-2 करके उठाए….
पहला पत्ता उसके पास इक्का आया…वो बहुत खुश हो गया…
दूसरा उठाया तो वो बादशाह निकला…. अब तो उसे अंदर से गुदगुदी सी होने लगी थी और इस बात का पूरा भरोसा हो गया था की तीसरा पत्ता भी उसी के अनुसार ही निकलेगा… तीसरा पत्ता उठाया तो वो खुशी से चिल्ला ही पड़ा…
वो बेगम आई थी उसके पास…
यानी इक्का बादशाह और बेगम की सीक़वेंस…
पिछली गेम के बाद इस बार भी सीक़वेंस…
और सबसे बड़ी सीक़वेंस थी ये तो.
अपने पत्ते देखकर वो ज़ोर से चिल्लाया…..येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स
पर इस बीच वो ये नही देख पाया की निमेश ने बड़ी सफाई से अपनी आस्तीन के पत्तों को निकालकर अपने हाथ में पकड़े पत्तों से बदल लिया है…
अरुण ने हंसते हुए निमेश से कहा : “निमेश, लगता है तेरा जादू आज मेरे सामने नही चलने वाला….ये देख, क्या आया है मेरे पास…”
इतना कहकर उसने एक-2 करते हुए अपने तीनो पत्ते उसके सामने फेंक दिए…
निमेश भी मंत्री की किस्मत देखकर हैरान रह गया
हर बार उनके पास खेलने लायक पत्ते आ रहे थे…
और लगातार 2 बार से सीक़वेंस भी…
कोई और होता तो अपना माथा पीट लेता और अपनी बीवी को एक बार फिर से मंत्री जी की सेवा करने के लिए भेज देता…
पर इस बार ऐसा नही होने वाला था…
निमेश ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते नीचे फेंकने शुरू कर दिए
पहला पत्ता 2 था…
दूसरा भी 2
और
तीसरा भी 2.
यानी उसने 2 की ट्रेल बना कर अपनी आस्तीन में छुपाई थी…
और ट्रेल के सामने तो अच्छे से अच्छे पत्ते फैल हो जाते है.
अरुण बेचारा निमेश के पत्ते देखता रह गया…
उसे तो जैसे विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी सबसे बड़ी सीक़वेंस पिट गयी है..
वहीं दूसरी तरफ संजना के होंठों पर एक सेक्सी मुस्कान आ चुकी थी और चूत में रिसाव भी…
क्योंकि वो जानती थी की अब उस कमरे में क्या होने वाला है.
निमेश मंद-2 मुस्कुराता हुआ लंबे वाले सोफे पर जाकर बैठ गया.. | अरुण ने बुझे मन से संजना को देखा और इशारा करके उसे निमेश की तरफ जाने के लिए कहा…
ये वो मौका था जब उसके मन में हर तरह के विचार आ रहे थे…
वो सोच रहा था की खेल जाए भाड़ में, वो अपनी बीवी को ऐसे अपने नौकर के सामने क्यो नौकर बनने दे, क्यो उसकी मसाज करवाए ।
और उसे इस बात का भी पता था की उसके ऐसा करने से कोई आवाज़ भी नही उठाएगा
ना तो निमेश और नम्रता में इतनी हिम्मत थी और ना ही उसकी बीवी संजना में …
पर ना जाने क्या नशा सा था इस गेम का, नम्रता को पूरी तरह पाने का, की वो ये डिसीज़न ले ही नही पाया…
संजना अपनी कश्मीरी गांड मटकाते हुए निमेश की तरफ चल दी…
निमेश तो अपनी मालकिन को अपनी तरफ आते हुए देखकर ऐसा महसूस कर रहा था जैसे आज उसकी सुहागरात है और एक हूर परी उससे चुदवाने के लिए उसके पास आ रही है.
संजना उसके सामने आकर खड़ी हो गयी…
और उसने निमेश की टी शर्ट को पकड़कर उपर खींच लिया…
निमेश तो मंत्रमुगध सा होकर अपनी मालकिन के सामने खिलोना सा बन गया, जिसने एक-2 करके उसके सारे कपड़े उतार दिए..
अब वो सिर्फ़ अपने धारी वाले कच्छे में बैठा था…
और उसके कच्छे में से उफान मार रहे लंड की मोटाई देखकर दूर बैठा अरुण समझ गया की अंदर का माल उसके लंड से डबल है…
संजना ने तेल की शीशी उठाई और उसके काले शरीर पर धार बनाकर डाली और अपने कोमल हाथों से उसकी मालिश करने लगी…
संजना को तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी काले और कठोर पत्थर पर तेल रगड़ रही है…
उसके शरीर की कसावट से वो उसके लंड की ताक़त का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी.
संजना लगभग उसके उपर झुक कर उसकी मालिश कर रही थी…
उसने अभी तक वही कपड़े पहने हुए थे जो वो बाहर पहन कर गयी थी…
वो एक डिज़ाईनर टॉप था, जिसे वो तेल के दाग लगाकर खराब नही करना चाहती थी…
इसलिए उसने एक ही झटके में अपना टॉप निकाल कर साइड में रख दिया…
और अरुण से बोली : “डार्लिंग, आई होप यू डोंट माइंड, ये मेरा डिजाइनर पीस है, खराब ना हो जाए ये…”
अरुण : “ओ या…. इट्स ओक डार्लिंग….”
बेचारा इसके अलावा और बोल भी क्या सकता था..
और निमेश का तो बुरा हाल हो गया
संजना ने जाली वाली ब्रा पहनी हुई थी जिसमे उसके सफेद बूब्स किसी चाँद की तरहा लग रहे थे…
ब्रा की जाली ने उन्हे किसी बादल की तरह ढक रखा था…
और वो जाली इतनी पारदर्शी थी की उसमे से मेमसाहब के गुलाबी रंग के निप्पल्स सॉफ दिख रहे थे…
पर संजना वहीं नही रुकी, उसने खड़े होकर अपनी जीन्स भी निकाल दी और साइड में उछाल दी, अंदर उसने मेचिंग पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसकी गांड लगभग नंगी होकर और चूत सिर्फ़ हल्के पर्दे में छुप कर सबके सामने थी…
अरुण को शायद इसकी उम्मीद नही थी पर वो कुछ बोलने की हालत में ही नही था…
अपनी मॉडेल वाली बॉडी दिखाती हुई, इठलाती हुई संजना एकबार फिर से निमेश की मालिश करने लगी…
अरुण अब उस तरफ देख ही नही रहा था, उसे ये सब देखना अच्छा हि नहीं लग रहा था, उसने एक बार फिर से नम्रता के नमकीन बदन को देखकर अपना लंड मसलना शुरू कर दिया..
निमेश तो अपनी लाइफ के सबसे हसीन पल जी रहा था इस वक़्त
संगमरमर जैसे शरीर की मालकिन उसके काले बदन की मालिश कर रही थी…
अचानक अपने तेल से सने हाथों को संजना ने निमेश के कच्छे के अंदर डाल दिया…
निमेश की तो साँसे उपर की उपर ओए नीचे की नीचे रह गयी
निमेश के शेर को एक बार फिर से अपनी कोमल उंगलियों के पिंजरें में जकड़ कर उसने ज़ोर से मसल दिया..
निमेश के मुँह से एक आह सी निकल गयी
”आआआआआआआआआआअहह…….. मेंमसाआआआआआआब्ब…”
साला कमीना जान बूझकर मेंमसाब् बोल रहा था, जो उसके मन को एक अजीब तरह की ठंडक पहुँचा रहा था.
दूसरी तरफ अरुण उन शब्दों को सुनकर भी अनसुना करने का प्रयत्न कर रहा था…
जो काम वो कुछ देर पहले नम्रता से करवा रहा था वही काम करने के लिए वो भला अब संजना को कैसे मना कर सकता था…
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की नम्रता से वो काम करवाना पड़ रहा था और संजना वो काम खुद करने में लगी थी..
गाँव की भोली भाली औरत और शहर की हाइ सोसायटी में रहने वाली मेडम में कुछ तो फ़र्क होना स्वाभाविक ही था.
पहला पत्ता उसके पास इक्का आया…वो बहुत खुश हो गया…
दूसरा उठाया तो वो बादशाह निकला…. अब तो उसे अंदर से गुदगुदी सी होने लगी थी और इस बात का पूरा भरोसा हो गया था की तीसरा पत्ता भी उसी के अनुसार ही निकलेगा… तीसरा पत्ता उठाया तो वो खुशी से चिल्ला ही पड़ा…
वो बेगम आई थी उसके पास…
यानी इक्का बादशाह और बेगम की सीक़वेंस…
पिछली गेम के बाद इस बार भी सीक़वेंस…
और सबसे बड़ी सीक़वेंस थी ये तो.
अपने पत्ते देखकर वो ज़ोर से चिल्लाया…..येसस्स्स्स्स्स्स्सस्स
पर इस बीच वो ये नही देख पाया की निमेश ने बड़ी सफाई से अपनी आस्तीन के पत्तों को निकालकर अपने हाथ में पकड़े पत्तों से बदल लिया है…
अरुण ने हंसते हुए निमेश से कहा : “निमेश, लगता है तेरा जादू आज मेरे सामने नही चलने वाला….ये देख, क्या आया है मेरे पास…”
इतना कहकर उसने एक-2 करते हुए अपने तीनो पत्ते उसके सामने फेंक दिए…
निमेश भी मंत्री की किस्मत देखकर हैरान रह गया
हर बार उनके पास खेलने लायक पत्ते आ रहे थे…
और लगातार 2 बार से सीक़वेंस भी…
कोई और होता तो अपना माथा पीट लेता और अपनी बीवी को एक बार फिर से मंत्री जी की सेवा करने के लिए भेज देता…
पर इस बार ऐसा नही होने वाला था…
निमेश ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते नीचे फेंकने शुरू कर दिए
पहला पत्ता 2 था…
दूसरा भी 2
और
तीसरा भी 2.
यानी उसने 2 की ट्रेल बना कर अपनी आस्तीन में छुपाई थी…
और ट्रेल के सामने तो अच्छे से अच्छे पत्ते फैल हो जाते है.
अरुण बेचारा निमेश के पत्ते देखता रह गया…
उसे तो जैसे विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी सबसे बड़ी सीक़वेंस पिट गयी है..
वहीं दूसरी तरफ संजना के होंठों पर एक सेक्सी मुस्कान आ चुकी थी और चूत में रिसाव भी…
क्योंकि वो जानती थी की अब उस कमरे में क्या होने वाला है.
निमेश मंद-2 मुस्कुराता हुआ लंबे वाले सोफे पर जाकर बैठ गया.. | अरुण ने बुझे मन से संजना को देखा और इशारा करके उसे निमेश की तरफ जाने के लिए कहा…
ये वो मौका था जब उसके मन में हर तरह के विचार आ रहे थे…
वो सोच रहा था की खेल जाए भाड़ में, वो अपनी बीवी को ऐसे अपने नौकर के सामने क्यो नौकर बनने दे, क्यो उसकी मसाज करवाए ।
और उसे इस बात का भी पता था की उसके ऐसा करने से कोई आवाज़ भी नही उठाएगा
ना तो निमेश और नम्रता में इतनी हिम्मत थी और ना ही उसकी बीवी संजना में …
पर ना जाने क्या नशा सा था इस गेम का, नम्रता को पूरी तरह पाने का, की वो ये डिसीज़न ले ही नही पाया…
संजना अपनी कश्मीरी गांड मटकाते हुए निमेश की तरफ चल दी…
निमेश तो अपनी मालकिन को अपनी तरफ आते हुए देखकर ऐसा महसूस कर रहा था जैसे आज उसकी सुहागरात है और एक हूर परी उससे चुदवाने के लिए उसके पास आ रही है.
संजना उसके सामने आकर खड़ी हो गयी…
और उसने निमेश की टी शर्ट को पकड़कर उपर खींच लिया…
निमेश तो मंत्रमुगध सा होकर अपनी मालकिन के सामने खिलोना सा बन गया, जिसने एक-2 करके उसके सारे कपड़े उतार दिए..
अब वो सिर्फ़ अपने धारी वाले कच्छे में बैठा था…
और उसके कच्छे में से उफान मार रहे लंड की मोटाई देखकर दूर बैठा अरुण समझ गया की अंदर का माल उसके लंड से डबल है…
संजना ने तेल की शीशी उठाई और उसके काले शरीर पर धार बनाकर डाली और अपने कोमल हाथों से उसकी मालिश करने लगी…
संजना को तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी काले और कठोर पत्थर पर तेल रगड़ रही है…
उसके शरीर की कसावट से वो उसके लंड की ताक़त का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी.
संजना लगभग उसके उपर झुक कर उसकी मालिश कर रही थी…
उसने अभी तक वही कपड़े पहने हुए थे जो वो बाहर पहन कर गयी थी…
वो एक डिज़ाईनर टॉप था, जिसे वो तेल के दाग लगाकर खराब नही करना चाहती थी…
इसलिए उसने एक ही झटके में अपना टॉप निकाल कर साइड में रख दिया…
और अरुण से बोली : “डार्लिंग, आई होप यू डोंट माइंड, ये मेरा डिजाइनर पीस है, खराब ना हो जाए ये…”
अरुण : “ओ या…. इट्स ओक डार्लिंग….”
बेचारा इसके अलावा और बोल भी क्या सकता था..
और निमेश का तो बुरा हाल हो गया
संजना ने जाली वाली ब्रा पहनी हुई थी जिसमे उसके सफेद बूब्स किसी चाँद की तरहा लग रहे थे…
ब्रा की जाली ने उन्हे किसी बादल की तरह ढक रखा था…
और वो जाली इतनी पारदर्शी थी की उसमे से मेमसाहब के गुलाबी रंग के निप्पल्स सॉफ दिख रहे थे…
पर संजना वहीं नही रुकी, उसने खड़े होकर अपनी जीन्स भी निकाल दी और साइड में उछाल दी, अंदर उसने मेचिंग पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसकी गांड लगभग नंगी होकर और चूत सिर्फ़ हल्के पर्दे में छुप कर सबके सामने थी…
अरुण को शायद इसकी उम्मीद नही थी पर वो कुछ बोलने की हालत में ही नही था…
अपनी मॉडेल वाली बॉडी दिखाती हुई, इठलाती हुई संजना एकबार फिर से निमेश की मालिश करने लगी…
अरुण अब उस तरफ देख ही नही रहा था, उसे ये सब देखना अच्छा हि नहीं लग रहा था, उसने एक बार फिर से नम्रता के नमकीन बदन को देखकर अपना लंड मसलना शुरू कर दिया..
निमेश तो अपनी लाइफ के सबसे हसीन पल जी रहा था इस वक़्त
संगमरमर जैसे शरीर की मालकिन उसके काले बदन की मालिश कर रही थी…
अचानक अपने तेल से सने हाथों को संजना ने निमेश के कच्छे के अंदर डाल दिया…
निमेश की तो साँसे उपर की उपर ओए नीचे की नीचे रह गयी
निमेश के शेर को एक बार फिर से अपनी कोमल उंगलियों के पिंजरें में जकड़ कर उसने ज़ोर से मसल दिया..
निमेश के मुँह से एक आह सी निकल गयी
”आआआआआआआआआआअहह…….. मेंमसाआआआआआआब्ब…”
साला कमीना जान बूझकर मेंमसाब् बोल रहा था, जो उसके मन को एक अजीब तरह की ठंडक पहुँचा रहा था.
दूसरी तरफ अरुण उन शब्दों को सुनकर भी अनसुना करने का प्रयत्न कर रहा था…
जो काम वो कुछ देर पहले नम्रता से करवा रहा था वही काम करने के लिए वो भला अब संजना को कैसे मना कर सकता था…
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की नम्रता से वो काम करवाना पड़ रहा था और संजना वो काम खुद करने में लगी थी..
गाँव की भोली भाली औरत और शहर की हाइ सोसायटी में रहने वाली मेडम में कुछ तो फ़र्क होना स्वाभाविक ही था.