12-11-2019, 03:54 PM
उसके पास सीक़वेंस आया था….. 8,9,10 का, उसने जोरदार तरीके से हंसते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए… निमेश के पास इस बार भी पेयर आया था, 10 का… पर सीक़वेंस के सामने वो बेकार था.
निमेश ने नम्रता की तरफ देखा और धीरे से बोला : “चल जा….साब की मालिश कर दे…” ये एक ऐसी लाइन थी जिसमें वो एक तरह से अपनी बीवी को ये कह रहा था की जा, साहब को खुश कर दे…
नम्रता भी एक बार फिर अपने मालिक को मालिश करने के नाम से तप सी गयी…. उसके हाथ पैर फूल से गये… हालाँकि ऐसा उसके साथ पहली बार नही हुआ था, पर अब इसलिए हो रहा था क्योंकि उसका पति और मालिक की बीवी सामने बैठकर वो नज़ारा देखने वाले थे…
अरुण उठकर उसी सोफे पर जाकर लेट गया जहाँ कुछ देर पहले आधी नंगी होकर नम्रता अपना बदन मसलवा रही थी ..
और नम्रता से बोला : “चल, आजा जल्दी से…”
नम्रता धीरे-2 चलती हुई वहां आ गयी…
संजना वहां से हटकर निमेश के साथ वाली चेयर पर आकर बैठ गयी…
जहां से दोनो पूरे सीन को सॉफ तरह से देख पा रहे थे.
अरुण ने देखा की नम्रता अभी तक हिचकिचा रही है…
वो थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : “सुना नही….जल्दी आओ यहाँ और शुरू करो…”
अपने मालिक की वही सुबह वाली डांट सुनकर उसके बदन में फिर से तेज़ी आ गयी….
उसने आनन-फानन मे तेल की शीशी उठाई और उनके करीब जाकर खड़ी हो गयी…
अरुण ने एक बार फिर से घूर कर देखा तो उसने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए…
पहले कुर्ता..
फिर पयज़ामा और फिर बनियान भी.
अब अरुण सिर्फ़ एक बॉक्सर में लेटा हुआ था.
कमरे में मौजूद दोनो औरतें अच्छे से जानती थी की उस बॉक्सर के नीचे की चीज़ कैसी है…
संजना तो बरसों से चुदती आई थी उस लंड से…
इसलिए उसे कुछ ख़ास दिलचस्पी नही रह गयी थी इस खेल में.
वो तो बस यही सोच रही थी की काश निमेश जीत जाता ये गेम…
वो उसके काले कलूटे बदन को अपनी नर्म उंगलियों से मसलकर मसाज करती..
ठीक वैसे ही जैसे उसने जंगल की झाड़ियों में उसके लंड को पकड़ कर मूठ मारी थी उसकी…
भले ही अभी के लिए ये नही हो रहा था पर वो जान चुकी थी की आने वाली गेम्स में ऐसा मौका उसे ज़रूर मिलेगा…
इसलिए वो बड़ी ही प्यासी नज़रों से निमेश को देख रही थी, जो उससे सिर्फ़ 2 फीट की दूरी पर बैठा अपने लंड को मसल रहा था.
इस वक़्त निमेश का ध्यान अपनी बीवी नम्रता पर था
वो शायद देखना चाहता था की वो गाँव की भोली भाली औरत आज अपने पति के सामने किस हद्द तक खेलने की हिम्मत रखती है…
पर उसे ये नही पता था की वो सारी हदें तो सुबह ही पार कर चुकी थी, अपने मालिक को ऐसी ही मसाज देकर और उनके लंड को पीकर.
दूसरी तरफ नम्रता की नज़रें जब अरुण से मिली तो वो शरमा गयी…
शायद उसे सुबह वाली मसाज याद आ गयी थी…
अंदर से तो वो चाह रही थी की उनके लंड को पकड़े और उसपर भी तेल लगा कर उसे चमका दे
पर शर्म की वजह से वो नही कर पाई..
पर अरुण तो यही करवाने के लिए इस गेम को खेल रहा था…
उसने नम्रता का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया…
वो बेचारी अपने मालिक की इस हरकत को देखकर काँप सी गयी….
उसने घबरा कर अपने पति निमेश की तरफ देखा, जिसने लास्ट मूमेंट पर अपनी नज़रें घुमा कर संजना की तरफ कर ली, जैसे वो उन्हे देख ही नही रहा था…
संजना भी निमेश को देखकर कुछ बात करने लगी जैसे उसे भी उनके खेल में कोई दिलचस्पी नही थी..
अरुण के लंड को पकड़ कर नम्रता को भी कुछ-2 होने लगा था…
उसके जहन में एक बार फिर से सुबह वाली बातें घूमने लगी…
और वो सोच-सोचकर उसके हाथ अरुण के लंड पर कसते चले गये.
नम्रता की आँखो में गुलाबीपन उतर आया…
उसकी साँसे तेज हो गयी…
छातियाँ उपर नीचे होने लगी..
छूट से पानी रिसने लगा…
होंठ फड़फड़ाने लगे…
और ये सब हुआ सिर्फ़ एक लंड पकड़कर.
मर्दों के लंड में कितनी ताक़त होती है, अपने लंड के दम पर वो औरत के शरीर में कैसे-2 बदलाव ले आते है, शायद ये उन्हे भी नही पता होता..
रह रहकर नम्रता तिरछी आँखे करके निमेश को देख रही थी और उसकी तरफ से मिल रहे अनदेखेपन से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी…
उसने कस कर आँखे बंद कर ली पूरी लगन से अपने मालिक की सेवा करने लगी…
उसकी हालत इस वक़्त उस बिल्ली की तरह थी जो अपनी आँखे बंद करके ये सोचती है की उसे कोई नही देख रहा..
पर वो बोडम महिला कितनी ग़लत थी ये उस कमरे में मोजूद हर इंसान जानता था…
नम्रता की आँखे बंद होते देखकर निमेश समझ गया की वो अब सब कुछ करके रहेगी…
अपनी ही बीवी को ऐसी हरकत करते देखकर उसे इस वक़्त बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा था, उसे तो मज़ा आ रहा था ये सोचकर की जब उसका नंबर आएगा तो संजना मेडम भी अपने पति के सामने उसके साथ ऐसा ही करेगी… | अरुण ने अपने बॉक्सर को भी निकाल दिया… हालाँकि इस वक़्त निमेश भी उसी कमरे मे मोजूद था पर अब तक वो भी जान चुका था की निमेश तो संजना के लालच में कुछ भी नही बोलेगा… और नम्रता तो उसकी बोतल में पहले ही उतर चुकी थी… अब तो बस पूरा नंगा होकर उसे इस खेल की अच्छे से शुरूवात करनी थी.
अरुण का अंडरवीयर निकलते ही उसका कड़क लंड नम्रता के सामने पकी हुई फसल की तरह लहराने लगा…
नम्रता तो पहले ही अपने सपनो की रंगीन दुनिया में पहुँच चुकी थी…
उसने एक बार फिर से उस नंगे लंड पर कब्जा जमा लिया और उसपर तेल लगाकर उसकी मालिश करने लगी…
अरुण भी अपनी बीवी संजना से नज़रें मिलाकर उसके दिल में चल रही उथल पुथल को जानने की कोशिश कर रहा था…
और उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर और निमेश की तरफ प्यासी नज़रों से देखने के अंदाज से उसे पता चल गया था की वो भी इस खेल में सब कुछ करने को तैयार है.
इसलिए उसने अपने लंड को मसलवाते हुए संजना के बूब्स पर हाथ रख दिया…
वो कुछ ना बोली
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से सिसकारी निकलने से बचाई.
उसकी साड़ी का पल्लू खिसककर नीचे आ गया, अरुण ने उसके पेटीकोट में फंसी साड़ी को बाहर निकाल कर नीचे गिरा दिया, और अब वो सिर्फ एक पेटीकोट और ब्लाउस में खड़ी थी
अरुण के दिमाग़ में भी इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था..
उसे ये तो पता चल ही चुका था की जिस तरह की नंगी गेम वो खेलना चाहता है उसके लिए सभी तैयार है…
पर वो एक ही बार में उसे नंगा करके , चुदाई की शुरूवात करके, इस खेल की मर्यादा और मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था…
वो सब कुछ आराम से करने वालो में से था…
इसलिए उसने नम्रता के बूब्स को सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से दबाया, उसे नंगा नही किया…
हालाँकि अरुण के हाथ लगाने से नम्रता के निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे, और उन्हे अब अरुण के गीले होंठों और तेज दाँतों की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर अरुण सिर्फ़ उन्हे उपर-2 से मसलता रहा…
अरुण की इस हरकत से नम्रता बुरी तरह से उत्तेजित हो रही थी…
और उसके हाथ पहले से ज़्यादा तेज़ी से उसके लंड को मसाज कर उसका रस निकालने की तैयारी में लगे हुए थे… और करीब 2 मिनट की जोरदार मालिश के बाद अरुण के लंड से तेल निकलकर उसी के पेट पर गिरने लगा.
अरुण सिसकारी मारकर उसके बूब्स को मसलता रह गया..
”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स उम्म्म्ममममममममममम आआआआआआआहह”
नम्रता का मन तो बहुत कर रहा था की वो उस रस को उठाकर निगल जाए पर अपनी तरफ से कोई पहल करने की उसकी हिम्मत नही हुई..
निमेश भी अपनी बीवी की कला को किसी दर्शक की तरह देखकर काफ़ी खुश हुआ…
उसने जिस अंदाज में अपने मालिक की मूठ मारी थी उसके बाद उसका रास्ता सॉफ हो चुका था.
अब तो उसे किसी भी हालत में अगली गेम जीतनी ही थी और इसके लिए वो अपने जुए की कला का पूरा इस्तेमाल करना चाहता था..
उसने जल्दी से ताश की गड्डी उठाई और उसमें से 3 पत्ते निकाल कर अपनी आस्तीन में छुपा लिए…
संजना ने जब देखा तो वो समझ गयी की वो क्या करना चाहता है…
और ऐसा करने से उसने भी नही रोका क्योंकि वो तो खुद चाहती थी की निमेश अगली गेम जीते..
नम्रता ने अपने मालिक के पेट पर गिरे पानी को टावल से सॉफ करके उन्हे फिर से उनका बॉक्सर पहना दिया, उसके अलावा उन्होने कुछ और पहना ही नही…
नम्रता भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस में आकर वहां बैठ गयी…
अब उसे भी अपनी उभरी हुई छातियों का जलवा दिखाने में मज़ा आ रहा था…
और एक बार फिर से अगली गेम की शुरूवात हो गयी.
अगली गेम के लिए जब अरुण ने पत्ते बाँटे तो उसने वही नियम दोहरा दिए, जो पिछली गेम में थे…
हालाँकि वो अभी-2 झड़ा था पर अगली बार में वो अपने लंड को नम्रता से चुस्वा कर मज़े लेना चाहता था…
और मर्द की फ़ितरत तो आप सभी जानते ही है, लंड चुसवाने के नाम से तो मरा हुआ आदमी भी उठकर बैठ जाता है ये तो फिर भी सिर्फ़ झड़ा हुआ था..
पिछली गेम जीतने के बाद वो थोड़ा जोश में भी था, उसे बस यही लग रहा था की उसका लक्क चल रहा है, और इस पूरी गेम में वही जीतेगा और वही नम्रता से हर तरह के मज़े भी लेता रहेगा…
पर ये तो तभी होता ना जब सामने निमेश ना बैठा होता.
निमेश तो अपनी चाल पहले ही चल चुका था, कुछ ख़ास पत्तों को अपनी आस्तीन में छुपा कर.
निमेश ने नम्रता की तरफ देखा और धीरे से बोला : “चल जा….साब की मालिश कर दे…” ये एक ऐसी लाइन थी जिसमें वो एक तरह से अपनी बीवी को ये कह रहा था की जा, साहब को खुश कर दे…
नम्रता भी एक बार फिर अपने मालिक को मालिश करने के नाम से तप सी गयी…. उसके हाथ पैर फूल से गये… हालाँकि ऐसा उसके साथ पहली बार नही हुआ था, पर अब इसलिए हो रहा था क्योंकि उसका पति और मालिक की बीवी सामने बैठकर वो नज़ारा देखने वाले थे…
अरुण उठकर उसी सोफे पर जाकर लेट गया जहाँ कुछ देर पहले आधी नंगी होकर नम्रता अपना बदन मसलवा रही थी ..
और नम्रता से बोला : “चल, आजा जल्दी से…”
नम्रता धीरे-2 चलती हुई वहां आ गयी…
संजना वहां से हटकर निमेश के साथ वाली चेयर पर आकर बैठ गयी…
जहां से दोनो पूरे सीन को सॉफ तरह से देख पा रहे थे.
अरुण ने देखा की नम्रता अभी तक हिचकिचा रही है…
वो थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : “सुना नही….जल्दी आओ यहाँ और शुरू करो…”
अपने मालिक की वही सुबह वाली डांट सुनकर उसके बदन में फिर से तेज़ी आ गयी….
उसने आनन-फानन मे तेल की शीशी उठाई और उनके करीब जाकर खड़ी हो गयी…
अरुण ने एक बार फिर से घूर कर देखा तो उसने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए…
पहले कुर्ता..
फिर पयज़ामा और फिर बनियान भी.
अब अरुण सिर्फ़ एक बॉक्सर में लेटा हुआ था.
कमरे में मौजूद दोनो औरतें अच्छे से जानती थी की उस बॉक्सर के नीचे की चीज़ कैसी है…
संजना तो बरसों से चुदती आई थी उस लंड से…
इसलिए उसे कुछ ख़ास दिलचस्पी नही रह गयी थी इस खेल में.
वो तो बस यही सोच रही थी की काश निमेश जीत जाता ये गेम…
वो उसके काले कलूटे बदन को अपनी नर्म उंगलियों से मसलकर मसाज करती..
ठीक वैसे ही जैसे उसने जंगल की झाड़ियों में उसके लंड को पकड़ कर मूठ मारी थी उसकी…
भले ही अभी के लिए ये नही हो रहा था पर वो जान चुकी थी की आने वाली गेम्स में ऐसा मौका उसे ज़रूर मिलेगा…
इसलिए वो बड़ी ही प्यासी नज़रों से निमेश को देख रही थी, जो उससे सिर्फ़ 2 फीट की दूरी पर बैठा अपने लंड को मसल रहा था.
इस वक़्त निमेश का ध्यान अपनी बीवी नम्रता पर था
वो शायद देखना चाहता था की वो गाँव की भोली भाली औरत आज अपने पति के सामने किस हद्द तक खेलने की हिम्मत रखती है…
पर उसे ये नही पता था की वो सारी हदें तो सुबह ही पार कर चुकी थी, अपने मालिक को ऐसी ही मसाज देकर और उनके लंड को पीकर.
दूसरी तरफ नम्रता की नज़रें जब अरुण से मिली तो वो शरमा गयी…
शायद उसे सुबह वाली मसाज याद आ गयी थी…
अंदर से तो वो चाह रही थी की उनके लंड को पकड़े और उसपर भी तेल लगा कर उसे चमका दे
पर शर्म की वजह से वो नही कर पाई..
पर अरुण तो यही करवाने के लिए इस गेम को खेल रहा था…
उसने नम्रता का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया…
वो बेचारी अपने मालिक की इस हरकत को देखकर काँप सी गयी….
उसने घबरा कर अपने पति निमेश की तरफ देखा, जिसने लास्ट मूमेंट पर अपनी नज़रें घुमा कर संजना की तरफ कर ली, जैसे वो उन्हे देख ही नही रहा था…
संजना भी निमेश को देखकर कुछ बात करने लगी जैसे उसे भी उनके खेल में कोई दिलचस्पी नही थी..
अरुण के लंड को पकड़ कर नम्रता को भी कुछ-2 होने लगा था…
उसके जहन में एक बार फिर से सुबह वाली बातें घूमने लगी…
और वो सोच-सोचकर उसके हाथ अरुण के लंड पर कसते चले गये.
नम्रता की आँखो में गुलाबीपन उतर आया…
उसकी साँसे तेज हो गयी…
छातियाँ उपर नीचे होने लगी..
छूट से पानी रिसने लगा…
होंठ फड़फड़ाने लगे…
और ये सब हुआ सिर्फ़ एक लंड पकड़कर.
मर्दों के लंड में कितनी ताक़त होती है, अपने लंड के दम पर वो औरत के शरीर में कैसे-2 बदलाव ले आते है, शायद ये उन्हे भी नही पता होता..
रह रहकर नम्रता तिरछी आँखे करके निमेश को देख रही थी और उसकी तरफ से मिल रहे अनदेखेपन से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी…
उसने कस कर आँखे बंद कर ली पूरी लगन से अपने मालिक की सेवा करने लगी…
उसकी हालत इस वक़्त उस बिल्ली की तरह थी जो अपनी आँखे बंद करके ये सोचती है की उसे कोई नही देख रहा..
पर वो बोडम महिला कितनी ग़लत थी ये उस कमरे में मोजूद हर इंसान जानता था…
नम्रता की आँखे बंद होते देखकर निमेश समझ गया की वो अब सब कुछ करके रहेगी…
अपनी ही बीवी को ऐसी हरकत करते देखकर उसे इस वक़्त बिल्कुल भी गुस्सा नही आ रहा था, उसे तो मज़ा आ रहा था ये सोचकर की जब उसका नंबर आएगा तो संजना मेडम भी अपने पति के सामने उसके साथ ऐसा ही करेगी… | अरुण ने अपने बॉक्सर को भी निकाल दिया… हालाँकि इस वक़्त निमेश भी उसी कमरे मे मोजूद था पर अब तक वो भी जान चुका था की निमेश तो संजना के लालच में कुछ भी नही बोलेगा… और नम्रता तो उसकी बोतल में पहले ही उतर चुकी थी… अब तो बस पूरा नंगा होकर उसे इस खेल की अच्छे से शुरूवात करनी थी.
अरुण का अंडरवीयर निकलते ही उसका कड़क लंड नम्रता के सामने पकी हुई फसल की तरह लहराने लगा…
नम्रता तो पहले ही अपने सपनो की रंगीन दुनिया में पहुँच चुकी थी…
उसने एक बार फिर से उस नंगे लंड पर कब्जा जमा लिया और उसपर तेल लगाकर उसकी मालिश करने लगी…
अरुण भी अपनी बीवी संजना से नज़रें मिलाकर उसके दिल में चल रही उथल पुथल को जानने की कोशिश कर रहा था…
और उसके मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर और निमेश की तरफ प्यासी नज़रों से देखने के अंदाज से उसे पता चल गया था की वो भी इस खेल में सब कुछ करने को तैयार है.
इसलिए उसने अपने लंड को मसलवाते हुए संजना के बूब्स पर हाथ रख दिया…
वो कुछ ना बोली
पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुँह से सिसकारी निकलने से बचाई.
उसकी साड़ी का पल्लू खिसककर नीचे आ गया, अरुण ने उसके पेटीकोट में फंसी साड़ी को बाहर निकाल कर नीचे गिरा दिया, और अब वो सिर्फ एक पेटीकोट और ब्लाउस में खड़ी थी
अरुण के दिमाग़ में भी इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था..
उसे ये तो पता चल ही चुका था की जिस तरह की नंगी गेम वो खेलना चाहता है उसके लिए सभी तैयार है…
पर वो एक ही बार में उसे नंगा करके , चुदाई की शुरूवात करके, इस खेल की मर्यादा और मज़ा नही बिगाड़ना चाहता था…
वो सब कुछ आराम से करने वालो में से था…
इसलिए उसने नम्रता के बूब्स को सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से दबाया, उसे नंगा नही किया…
हालाँकि अरुण के हाथ लगाने से नम्रता के निप्पल अकड़ कर खड़े हो चुके थे, और उन्हे अब अरुण के गीले होंठों और तेज दाँतों की ज़रूरत महसूस हो रही थी, पर अरुण सिर्फ़ उन्हे उपर-2 से मसलता रहा…
अरुण की इस हरकत से नम्रता बुरी तरह से उत्तेजित हो रही थी…
और उसके हाथ पहले से ज़्यादा तेज़ी से उसके लंड को मसाज कर उसका रस निकालने की तैयारी में लगे हुए थे… और करीब 2 मिनट की जोरदार मालिश के बाद अरुण के लंड से तेल निकलकर उसी के पेट पर गिरने लगा.
अरुण सिसकारी मारकर उसके बूब्स को मसलता रह गया..
”सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स उम्म्म्ममममममममममम आआआआआआआहह”
नम्रता का मन तो बहुत कर रहा था की वो उस रस को उठाकर निगल जाए पर अपनी तरफ से कोई पहल करने की उसकी हिम्मत नही हुई..
निमेश भी अपनी बीवी की कला को किसी दर्शक की तरह देखकर काफ़ी खुश हुआ…
उसने जिस अंदाज में अपने मालिक की मूठ मारी थी उसके बाद उसका रास्ता सॉफ हो चुका था.
अब तो उसे किसी भी हालत में अगली गेम जीतनी ही थी और इसके लिए वो अपने जुए की कला का पूरा इस्तेमाल करना चाहता था..
उसने जल्दी से ताश की गड्डी उठाई और उसमें से 3 पत्ते निकाल कर अपनी आस्तीन में छुपा लिए…
संजना ने जब देखा तो वो समझ गयी की वो क्या करना चाहता है…
और ऐसा करने से उसने भी नही रोका क्योंकि वो तो खुद चाहती थी की निमेश अगली गेम जीते..
नम्रता ने अपने मालिक के पेट पर गिरे पानी को टावल से सॉफ करके उन्हे फिर से उनका बॉक्सर पहना दिया, उसके अलावा उन्होने कुछ और पहना ही नही…
नम्रता भी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउस में आकर वहां बैठ गयी…
अब उसे भी अपनी उभरी हुई छातियों का जलवा दिखाने में मज़ा आ रहा था…
और एक बार फिर से अगली गेम की शुरूवात हो गयी.
अगली गेम के लिए जब अरुण ने पत्ते बाँटे तो उसने वही नियम दोहरा दिए, जो पिछली गेम में थे…
हालाँकि वो अभी-2 झड़ा था पर अगली बार में वो अपने लंड को नम्रता से चुस्वा कर मज़े लेना चाहता था…
और मर्द की फ़ितरत तो आप सभी जानते ही है, लंड चुसवाने के नाम से तो मरा हुआ आदमी भी उठकर बैठ जाता है ये तो फिर भी सिर्फ़ झड़ा हुआ था..
पिछली गेम जीतने के बाद वो थोड़ा जोश में भी था, उसे बस यही लग रहा था की उसका लक्क चल रहा है, और इस पूरी गेम में वही जीतेगा और वही नम्रता से हर तरह के मज़े भी लेता रहेगा…
पर ये तो तभी होता ना जब सामने निमेश ना बैठा होता.
निमेश तो अपनी चाल पहले ही चल चुका था, कुछ ख़ास पत्तों को अपनी आस्तीन में छुपा कर.