12-11-2019, 03:09 PM
(This post was last modified: 12-11-2019, 03:13 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
नम्रता ये सुनते ही चोंक गयी, उसने आँखे खोल कर अरुण को देखा फिर सिर झुका कर बोली : “पर साहब वो वो तो एक औरत है उनके सामने अलग बात है आपके सामने मैं कैसे इस तरह...
अरुण फिर से गुस्से वाली आवाज़ मे बोला : “देख हमारे यहाँ ऐसा कुछ नही होता जो मेडम के साथ किया है वैसे ही मेरे साथ भी कर वरना अपनी और निमेश की नौकरी कही और ढूँढ ले समझी ”
अरुण का इतना कहना था की नम्रता के हाथ पाँव फूल गये |
वो अरुण के पाँव पकड़ कर बोली : “नही साहब ऐसा मत करो मैं सब करूँगी जो आप कहेंगे वो सब करूँगी ”
और फिर तो जैसे उसके अंदर एक नयी सफूर्ती आ गयी उसने आनन-फानन में अपनी साड़ी उतार फेंकी ब्लाउज़ भी खोलकर नीचे गिरा दिया पेटीकोट का नाडा खोला और उसे भी नीचे गिरा दिया एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी उसके सामने..
अब तो अरुण का दिमाग़ खराब सा हो गया इसी सीन को देखने के लिए वो कब से तड़प रहा था | नम्रता के नंगे शरीर को इतने करीब से देखकर वो तो उसका दीवाना सा हो गया | निमेश जैसे मर्द से चुदने के बाद भी उसका शरीर एकदम कुँवारी लड़की जैसा था | कसे हुए मोम्मे , सपाट पेट और एकदम नन्ही सी, बंद गले की चूत , जिस पर चमक रही बूंदे देखकर सॉफ बताया जा सकता था की वो कितनी देर से पनिया रही थी..
अब अरुण को इस हाथ लगे मौके का अच्छे से फायदा उठाना था.
उसने नम्रता को अपने उपर खींचा और अपने शरीर पर लगे तेल को उसके शरीर पर मलने लगा उसके बदन से रगड़ कर
नम्रता के नुकीले निप्पल्स अरुण को शूल की तरहा चुभ रहे थे पर उनकी चुभन को महसूस करके उसे मज़ा ही आ रहा था.
और नम्रता की चूत में से निकल रही देसी घी की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी
आज से पहले उसने ऐसी मदहोशी से भरी महक महसूस नही की थी.. इसलिए उसने नम्रता को खिसकाते हुए अपने मुँह पर लाकर बिठा दिया..
अब नज़ारा ये था की देश का एक बड़ा मंत्री, अपनी नौकरानी की नंगी चूत को चूस रहा था अपने मालिक के मुँह पर बैठकर, उनसे अपनी चूत चुस्वाकार इस वक़्त नम्रता भी अपने आप को किसी मंत्री से कम नही समझ रही थी संजना ने भी कल उसकी चूत चूसी थी, पर असली चुसाई कैसे होती है ये एक मर्द ही जानता है |
अरुण की लंबी जीभ को वो अपनी अंदरूनी दीवारों पर, अपनी क्लिट पर महसूस करके सिसकारियाँ मार रही थी
और अपने मालिक के बालों को पकड़ कर उन्हे और अंदर खींचने का प्रयत्न कर रही थी..
सॉफ पता चल रहा था की नम्रता के देसी बदन में विदेशी भूतनी घुस चुकी है..
अब उसके अंदर भी कुछ-2 हो रहा था, इसलिए वो खुद ही पलटकर अरुण पर उल्टी होकर 69 की पोज़िशन में लेट गयी और अरुण के फड़कते हुए लंड को मुँह में लेकर उसे जोरों से चूसने लगी..
सैक्सुअल टेन्षन इतनी बढ़ चुकी थी दोनो में की एक मिनट भी नही लगा उन दोनो को एक दूसरे के मुँह के अंदर झड़ने में ..
दोनो एक दूसरे का माल गटागट पी गये.
अरुण ने टाइम देखा, करीब डेढ़ घंटा हो चुका था, उसने तुरंत फोन उठा कर संजना को फोन किया ताकि उसे पता चल सके की दोबारा लंड खड़ा करके नम्रता की चूत मारने का टाइम उसके पास है या नही
पर संजना ने जब कहा की वो बस पहुँचने ही वाले है तो उसके सारे प्लान पर पानी फिर गया
पर आज के लिए भी , जो कुछ भी उसने नम्रता के साथ किया था, वो भी कम नही था..
इसलिए दोनो ने जल्दी-2 सब समेटा, नम्रता वापिस अपने क्वार्टर में चली गयी
और अरुण रात के खेल के लिए नयी तरकीबे सोचने लगा.
संजना और निमेश जब वापिस आए तो दोनो के चेहरे बता रहे थे की उनके अंदर क्या चल रहा है
संजना सीधा ड्रॉयिंग रूम में बनी बार में गयी और एक बड़ा सा पेग बना कर गटागट पी गयी.
हर घूँट के साथ उसे महसूस हो रहा था जैसे वो निमेश के लंड का पानी पी रही है
वही गर्माहट
वही नशीली स्मेल
निमेश के लंड से निकले पानी का ध्यान आते ही उसने अपने हाथों को देखा, जिनपर थोड़ी देर पहले ही निमेश का वीर्य गिरा था
उसने हाथ उपर किया और उसे फिर से सूंघने लगी
और एक बार फिर से उसकी खुश्बू में खो सी गयी.
तभी पीछे से अरुण की आवाज़ आई : “ये क्या कर रही हो ठीक तो हो ना तुम..?”
संजना सकपका सी गयी
और बोली : “या या आई एम फाइन बस ऐसे ही वहां थोड़ी पी ली थी, इसलिए घर आकर दोबारा मन कर रहा था सो आई थॉट ”
अरुण : “अर्रे इट्स ओके , मैने तुम्हे कभी कुछ करने से रोका थोड़े ही है इनफॅक्ट मैं भी अभी आने ही वाला था ”
इतना कहकर वो भी साइड वाली चेयर पर आकर बैठ गया और अपना पेग बनाने लगा..
तभी निमेश की आवाज़ आई : “मेडम ये ब्रीफ़केस आप कार में छोड़ आई थी ”
संजना : “ओह्ह ये वहीं रह गया था मैने ध्यान ही नही दिया ”
अरुण ने वो बेग लिया और उसे अपने रूम में बनी सेफ में रखने चला गया..
संजना की नज़रें निमेश से मिली, दोनो की आँखो मे एक ना बुझने वाली आग सॉफ देखी जा सकती थी..
संजना : “आओ तुम भी पी लो आज ”
निमेश की तो आँखे ही चमक उठी
आलीशान बार के अंदर एक से बढ़कर एक महँगी शराब की बोतले सजी हुई थी
उपर से संजना मेडम के साथ पीने का मौका वो भला कैसे छोड़ सकता था
तभी अरुण भी अंदर आते हुए बोला : “हाँ , निमेश आ जाओ तुम भी आज 2-2 पेग लगाते है और वैसे भी तुमने आज ताश खेलनी थी हमारे साथ आ जाओ, दिवाली तो 2 दिन बाद है, पर ये खेल अभी शुरू करते है ”
निमेश अंदर आकर बैठ गया
तभी अरुण बोला : “एक काम करो, नम्रता को भी बुला ही लो यही पर वो बेचारी क्या करेगी अकेली वहां बैठकर ”
निमेश ने मन में सोचा ‘हाँ साले , तू तो बोलेगा ही ऐसा तेरी अंदर की मंशा क्या है वो मैं अच्छे से जानता हूँ ‘
पर वो कुछ बोल नही सकता था, एक तो वो नौकर और उपर से उसके मन में भी तो वही हरामीपंति चल रही थी जो इस वक़्त अरुण के मन में थी.. इसलिए वो चुपचाप जाकर नम्रता को बुला लाया
नम्रता का भी दिल धड़क रहा था एक बार फिर से अपने साहब के सामने जाने से, अभी कुछ देर पहले उन्होने जिस अंदाज में उसकी चूत को निचोड़कर चूसा था, उसके बाद तो उसके पैर भी काँप से रहे थे चलते हुए और उनके लंड का ख़याल आते ही उसकी चूत भी गीली हो रही थी बार बार
सभी सोफे पर आकर बैठ गये हालाँकि निमेश और नम्रता सोफे पर, अपने मालिक-मालकिन के सामने बैठने से कतरा रहे थे, पर अरुण के ज़ोर देने पर दोनो बैठ ही गये अरुण ने निमेश के लिए भी एक लार्ज पेग बनाया और ताश की गड्डी लेकर वो वही आ गया और खेल शुरू कर दिया.
सभी की नज़रें ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने-2 माल के उपर थी
यानी निमेश की संजना पर और अरुण की नम्रता पर.
हालाँकि संजना और नम्रता भी निमेश और अरुण को रह -रहकर देख ही रही थी, पर इतना नही जितना वो दोनो हरामी मर्द..
खैर, खेल शुरू हुआ, अरुण ने पत्ते बाँटे, दोनो आपस में ही खेल रहे थे, संजना और नम्रता बैठकर एक दूसरे से बाते करने लगे
संजना थोड़ी सी बोर हो रही थी
और उसकी चूत में भी थोड़ी बहुत खुजली हो रही थी
उसका मन नम्रता से पहले जैसी मसाज करवाने का था, इसलिए उसने नम्रता से अपने बेडरूम में चलने के लिए कहा
ये सुनते ही अरुण समझ गया की संजना के मन में क्या चल रहा है
उसने कुछ तरकीबे पहले से सोच रखी थी, और उनमें से एक पर अमल करने का वक़्त अब आ चुका था
उसने संजना को रोकते हुए कहा : “अरे, बैठो डार्लिंग, अभी मॉर्निंग में ही तो मसाज करवाई थी तुमने, इतनी जल्दी -2 कारवाओगी तो ये नम्रता तो थक ही जाएगी है ना नम्रता ..”
नम्रता बेचारी अपने मालिक की बात का अर्थ समझ कर शर्माकर रह गयी..
अरुण आगे बोला : “देखो भाई, मेरे दिमाग़ में एक खेल आ रहा है, ये जो ताश का खेल है, इसे थोड़ा इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए हम कुछ एक्टिविटीस करेंगे और जो जीतेगा, उसे इनाम में वो मिलेगा जो गेम से पहले हम डिसाईड करेंगे ओके ”
सभी के दिमाग़ की घंटी बज उठी
निमेश की तो बाँछे ही खिल गयी उस बात का मतलब समझकर
और संजना थोड़ी कन्फ्यूज़ सी हो गयी, क्योंकि उसे विश्वास ही नही हो रहा था की अरुण जैसा, उँचे रुतबे का आदमी, इस तरह की गेम अपने नौकरों के साथ खेलेगा, जिसमें अगर वो नौकर जीत गये तो कुछ भी करवा लेंगे वो तो
अरुण फिर से गुस्से वाली आवाज़ मे बोला : “देख हमारे यहाँ ऐसा कुछ नही होता जो मेडम के साथ किया है वैसे ही मेरे साथ भी कर वरना अपनी और निमेश की नौकरी कही और ढूँढ ले समझी ”
अरुण का इतना कहना था की नम्रता के हाथ पाँव फूल गये |
वो अरुण के पाँव पकड़ कर बोली : “नही साहब ऐसा मत करो मैं सब करूँगी जो आप कहेंगे वो सब करूँगी ”
और फिर तो जैसे उसके अंदर एक नयी सफूर्ती आ गयी उसने आनन-फानन में अपनी साड़ी उतार फेंकी ब्लाउज़ भी खोलकर नीचे गिरा दिया पेटीकोट का नाडा खोला और उसे भी नीचे गिरा दिया एक मिनट के अंदर ही अंदर वो पूरी तरह से नंगी होकर खड़ी थी उसके सामने..
अब तो अरुण का दिमाग़ खराब सा हो गया इसी सीन को देखने के लिए वो कब से तड़प रहा था | नम्रता के नंगे शरीर को इतने करीब से देखकर वो तो उसका दीवाना सा हो गया | निमेश जैसे मर्द से चुदने के बाद भी उसका शरीर एकदम कुँवारी लड़की जैसा था | कसे हुए मोम्मे , सपाट पेट और एकदम नन्ही सी, बंद गले की चूत , जिस पर चमक रही बूंदे देखकर सॉफ बताया जा सकता था की वो कितनी देर से पनिया रही थी..
अब अरुण को इस हाथ लगे मौके का अच्छे से फायदा उठाना था.
उसने नम्रता को अपने उपर खींचा और अपने शरीर पर लगे तेल को उसके शरीर पर मलने लगा उसके बदन से रगड़ कर
नम्रता के नुकीले निप्पल्स अरुण को शूल की तरहा चुभ रहे थे पर उनकी चुभन को महसूस करके उसे मज़ा ही आ रहा था.
और नम्रता की चूत में से निकल रही देसी घी की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी
आज से पहले उसने ऐसी मदहोशी से भरी महक महसूस नही की थी.. इसलिए उसने नम्रता को खिसकाते हुए अपने मुँह पर लाकर बिठा दिया..
अब नज़ारा ये था की देश का एक बड़ा मंत्री, अपनी नौकरानी की नंगी चूत को चूस रहा था अपने मालिक के मुँह पर बैठकर, उनसे अपनी चूत चुस्वाकार इस वक़्त नम्रता भी अपने आप को किसी मंत्री से कम नही समझ रही थी संजना ने भी कल उसकी चूत चूसी थी, पर असली चुसाई कैसे होती है ये एक मर्द ही जानता है |
अरुण की लंबी जीभ को वो अपनी अंदरूनी दीवारों पर, अपनी क्लिट पर महसूस करके सिसकारियाँ मार रही थी
और अपने मालिक के बालों को पकड़ कर उन्हे और अंदर खींचने का प्रयत्न कर रही थी..
सॉफ पता चल रहा था की नम्रता के देसी बदन में विदेशी भूतनी घुस चुकी है..
अब उसके अंदर भी कुछ-2 हो रहा था, इसलिए वो खुद ही पलटकर अरुण पर उल्टी होकर 69 की पोज़िशन में लेट गयी और अरुण के फड़कते हुए लंड को मुँह में लेकर उसे जोरों से चूसने लगी..
सैक्सुअल टेन्षन इतनी बढ़ चुकी थी दोनो में की एक मिनट भी नही लगा उन दोनो को एक दूसरे के मुँह के अंदर झड़ने में ..
दोनो एक दूसरे का माल गटागट पी गये.
अरुण ने टाइम देखा, करीब डेढ़ घंटा हो चुका था, उसने तुरंत फोन उठा कर संजना को फोन किया ताकि उसे पता चल सके की दोबारा लंड खड़ा करके नम्रता की चूत मारने का टाइम उसके पास है या नही
पर संजना ने जब कहा की वो बस पहुँचने ही वाले है तो उसके सारे प्लान पर पानी फिर गया
पर आज के लिए भी , जो कुछ भी उसने नम्रता के साथ किया था, वो भी कम नही था..
इसलिए दोनो ने जल्दी-2 सब समेटा, नम्रता वापिस अपने क्वार्टर में चली गयी
और अरुण रात के खेल के लिए नयी तरकीबे सोचने लगा.
संजना और निमेश जब वापिस आए तो दोनो के चेहरे बता रहे थे की उनके अंदर क्या चल रहा है
संजना सीधा ड्रॉयिंग रूम में बनी बार में गयी और एक बड़ा सा पेग बना कर गटागट पी गयी.
हर घूँट के साथ उसे महसूस हो रहा था जैसे वो निमेश के लंड का पानी पी रही है
वही गर्माहट
वही नशीली स्मेल
निमेश के लंड से निकले पानी का ध्यान आते ही उसने अपने हाथों को देखा, जिनपर थोड़ी देर पहले ही निमेश का वीर्य गिरा था
उसने हाथ उपर किया और उसे फिर से सूंघने लगी
और एक बार फिर से उसकी खुश्बू में खो सी गयी.
तभी पीछे से अरुण की आवाज़ आई : “ये क्या कर रही हो ठीक तो हो ना तुम..?”
संजना सकपका सी गयी
और बोली : “या या आई एम फाइन बस ऐसे ही वहां थोड़ी पी ली थी, इसलिए घर आकर दोबारा मन कर रहा था सो आई थॉट ”
अरुण : “अर्रे इट्स ओके , मैने तुम्हे कभी कुछ करने से रोका थोड़े ही है इनफॅक्ट मैं भी अभी आने ही वाला था ”
इतना कहकर वो भी साइड वाली चेयर पर आकर बैठ गया और अपना पेग बनाने लगा..
तभी निमेश की आवाज़ आई : “मेडम ये ब्रीफ़केस आप कार में छोड़ आई थी ”
संजना : “ओह्ह ये वहीं रह गया था मैने ध्यान ही नही दिया ”
अरुण ने वो बेग लिया और उसे अपने रूम में बनी सेफ में रखने चला गया..
संजना की नज़रें निमेश से मिली, दोनो की आँखो मे एक ना बुझने वाली आग सॉफ देखी जा सकती थी..
संजना : “आओ तुम भी पी लो आज ”
निमेश की तो आँखे ही चमक उठी
आलीशान बार के अंदर एक से बढ़कर एक महँगी शराब की बोतले सजी हुई थी
उपर से संजना मेडम के साथ पीने का मौका वो भला कैसे छोड़ सकता था
तभी अरुण भी अंदर आते हुए बोला : “हाँ , निमेश आ जाओ तुम भी आज 2-2 पेग लगाते है और वैसे भी तुमने आज ताश खेलनी थी हमारे साथ आ जाओ, दिवाली तो 2 दिन बाद है, पर ये खेल अभी शुरू करते है ”
निमेश अंदर आकर बैठ गया
तभी अरुण बोला : “एक काम करो, नम्रता को भी बुला ही लो यही पर वो बेचारी क्या करेगी अकेली वहां बैठकर ”
निमेश ने मन में सोचा ‘हाँ साले , तू तो बोलेगा ही ऐसा तेरी अंदर की मंशा क्या है वो मैं अच्छे से जानता हूँ ‘
पर वो कुछ बोल नही सकता था, एक तो वो नौकर और उपर से उसके मन में भी तो वही हरामीपंति चल रही थी जो इस वक़्त अरुण के मन में थी.. इसलिए वो चुपचाप जाकर नम्रता को बुला लाया
नम्रता का भी दिल धड़क रहा था एक बार फिर से अपने साहब के सामने जाने से, अभी कुछ देर पहले उन्होने जिस अंदाज में उसकी चूत को निचोड़कर चूसा था, उसके बाद तो उसके पैर भी काँप से रहे थे चलते हुए और उनके लंड का ख़याल आते ही उसकी चूत भी गीली हो रही थी बार बार
सभी सोफे पर आकर बैठ गये हालाँकि निमेश और नम्रता सोफे पर, अपने मालिक-मालकिन के सामने बैठने से कतरा रहे थे, पर अरुण के ज़ोर देने पर दोनो बैठ ही गये अरुण ने निमेश के लिए भी एक लार्ज पेग बनाया और ताश की गड्डी लेकर वो वही आ गया और खेल शुरू कर दिया.
सभी की नज़रें ताश के पत्तो से ज़्यादा अपने-2 माल के उपर थी
यानी निमेश की संजना पर और अरुण की नम्रता पर.
हालाँकि संजना और नम्रता भी निमेश और अरुण को रह -रहकर देख ही रही थी, पर इतना नही जितना वो दोनो हरामी मर्द..
खैर, खेल शुरू हुआ, अरुण ने पत्ते बाँटे, दोनो आपस में ही खेल रहे थे, संजना और नम्रता बैठकर एक दूसरे से बाते करने लगे
संजना थोड़ी सी बोर हो रही थी
और उसकी चूत में भी थोड़ी बहुत खुजली हो रही थी
उसका मन नम्रता से पहले जैसी मसाज करवाने का था, इसलिए उसने नम्रता से अपने बेडरूम में चलने के लिए कहा
ये सुनते ही अरुण समझ गया की संजना के मन में क्या चल रहा है
उसने कुछ तरकीबे पहले से सोच रखी थी, और उनमें से एक पर अमल करने का वक़्त अब आ चुका था
उसने संजना को रोकते हुए कहा : “अरे, बैठो डार्लिंग, अभी मॉर्निंग में ही तो मसाज करवाई थी तुमने, इतनी जल्दी -2 कारवाओगी तो ये नम्रता तो थक ही जाएगी है ना नम्रता ..”
नम्रता बेचारी अपने मालिक की बात का अर्थ समझ कर शर्माकर रह गयी..
अरुण आगे बोला : “देखो भाई, मेरे दिमाग़ में एक खेल आ रहा है, ये जो ताश का खेल है, इसे थोड़ा इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए हम कुछ एक्टिविटीस करेंगे और जो जीतेगा, उसे इनाम में वो मिलेगा जो गेम से पहले हम डिसाईड करेंगे ओके ”
सभी के दिमाग़ की घंटी बज उठी
निमेश की तो बाँछे ही खिल गयी उस बात का मतलब समझकर
और संजना थोड़ी कन्फ्यूज़ सी हो गयी, क्योंकि उसे विश्वास ही नही हो रहा था की अरुण जैसा, उँचे रुतबे का आदमी, इस तरह की गेम अपने नौकरों के साथ खेलेगा, जिसमें अगर वो नौकर जीत गये तो कुछ भी करवा लेंगे वो तो