12-11-2019, 08:25 AM
(This post was last modified: 31-01-2021, 03:10 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
घर वापसी
घर पहुँच के उन्हें लगा
जल्द से जल्द काम निपटा लें , सब के आने के पहले ,..
काम बहुत पड़ा था।
डस्टिंग ,क्लीनिंग और सुबह के काम की तैयारी ,
देह चूर चूर हो रही थी ,ऐसा मजा कभी नहीं आया जो जो हुआ ,जो जो उन दोनों ने मिल के कराया ,
इत्ती फैंटेसी थी उनकी ,
ब्ल्यू फिल्मे ,नेट की साइट्स ,
न कभी पढ़ी न कभी सोची
किसी तरह सब बातें भूलाने की कोशिश करते उन्होंने अपना काम शुरू किया ,
डस्टिंग ,झाड़ू लगाना ,बिस्तर
और जब वो टॉयलेट क्लीन कर रहे थे , मॉम का , एकदम चमकता होना चाहिए मालुम था उन्हें ,
जैसे कोई जबरदस्ती दरवाजा खोल के चला आये , बस कल रात की यादें धड़धड़ा कर घुस जाएँ
चार बार झड़े थे वो लेकिन वो गीता के साथ ,पहली बार
बादल कम हो चुके थे , भोर दस्तक दे रही थी लेकिन रात भी अलसा रही थी ,जाने को।
मस्त हवा चल रही थी , वो थोड़े थके लेकिन खूँटा खूब तन्नाया ,भूखा
और मंजू बाई के बड़े बड़े खूब भारी चूतड़ उनके चेहरे के ठीक ऊपर
गीता ने उन्हें चिढाते हुए अपने तगड़े हाथों से नीचे का पिछवाड़े का छेद खोलते हुए ,हंस के बोला ,
" भैय्या , माँ के पिछवाड़े का स्वाद तो तूने ले ही लिया ,ऊँगली से, जीभ अंदर डाल के , अब ज़रा अंदर का नजारा देख भी लो न। "
सीधे उनकी आँखों के सामने ,
उनको लग गया क्या होने वाला है ,
खूब बड़ा सा खुला हुआ गांड का छेद
और उन्होंने अपने होंठ जोर से भींच के बंद कर लिए पर गीता और मंजू बाई की जुगल बंदी के आगे पूरी रात उनकी नहीं चली तो इस समय क्या चलती।
गीता खिलखिलाई
" अरे भैया तेरी माँ बहन तो झट से खोल देती हैं अपने सब छेद , तू काहें खोलने में झिझक रहा है ,खोल न बड़ा सा मुंह , ... "
और उस छिनार ने पूरी ताकत से उनके नथुने बंद कर दिए और साथ ही जोर से उनके निप्स पकड़ के मोड़ दिए ,
कुछ दर्द से ,कुछ सांस लेने के लिए उन्होंने जैसे ही मुंह खोला ,मंजू बाई का खुला गांड का छेद सीधे उनके खुले मुंह पे ,
और गीता उनका हाथ आँगन में पड़े अपने ब्लाउज से बांधते बोली ,
" ये हुयी न बात ,माँ मैं कह रही थी न भैय्या खुद अपना मुंह खोल के , देख कित्ता बड़ा मुंह खोला है उन्होंने , ... "
और उसके साथ ही गीता ने आंगन में पड़े अपने ब्लाउज से उनके हाथ कस के मोड़ के बाँध दिए और कान में हलके से हड़काते बोली,
" खबरदार जो मुंह बंद करने की कोशिश की , बस तू पड़ा रह ऐसे ही अब जो करना होगा हम दोनों करेंगे। "
वो बंद कर सकते भी नहीं थी उनके नथुनों पे अब मंजू बाई के एक हाथ का कब्जा था ,
और गीता उनके खूंटे के ऊपर अपनी कसी चूत को रगड़ते ,
वो उसकी चूत चूस चुके थे ,चाट चुके थे ,ऊँगली कर चुके थे लेकिन चोदने के लिए तड़प रहे थे ,
और अब मंजू बाई की गांड उनके चेहरे पर ,
देख तो नहीं सकते थे लेकिन छुअन महसूस कर सकते थे , गीता की गुड़ की डली ऐसी आवाज सुन तो सकते थे ,
" चल भैय्या तू बहुत तड़प रहा था न तुझे बहन की चूत का मजा चखा ही देती हूँ ,चल बहनचोद। बस तू लेटे रहना आज मैं दूँगी मजा , ... "
और गीता की चूत के होंठ उनके तन्नाए सुपाड़े से रगड़ रहे थे ,
मंजू ने एक बार फिर अपने दोनों हाथों से अपनी गांड खूब जोर से चियार दी थी ,
" अरे भैया , प्लीज मेरी खातिर एक बार ज़रा सा जीभ निकाल के ,हाँ हाँ , थोड़ा सा और , बस ज़रा सा चाट लो न माँ की , ... "
और उसी के साथ गीता ने जो धक्का मारा उनका सुपाड़ा गीता की कसी किशोर चूत में ,
और उनकी जीभ तो बस अब उनके बजाय मंजू बाई और गीता की गुलाम हो चुकी थी ,निकल कर सीधे मंजू बाई की खुली ,...
गीता की चूत जोर जोर से उनके लन्ड को भींच रही थी और गीता की आवाज ,उनके कान में
" चाट साले मादरचोद ,अरे एक बार माँ का परसाद मिल गया न तो देखना बहुत जल्द जिस भोंसडे से निकला है उसे भी ऐसे ही चाटेगा , और हम सब के सामने, .... "
और उसी के साथ गीता ने भी पूरा जोर लगाया ,मंजू बाई ने भी ,...
गीता ने एक साथ दो उँगलियाँ उनकी गांड में भी पेल दी ,पूरे जड़ तक गोल गोल घुमाते
मंजू बाई की आवाज ,...
ले मुन्ना ले न , ले और
आधे घंटे तक ,...
लेकिन तब तक घंटी बजी ,
गनीमत थी ,मोबाइल की ,दरवाजे की नहीं।
और वो रात से वापस दिन में लौटे।
मेरा ही मेसेज था ,
" हम लोग निकल रहे हैं , ३०-४० मिनट में पहुंचेंगे "
सफाई वो कर चुके थे।
उन्होंने चैन की सांस ली , खुद नहा धो के फ्रेश हुए , फिर चाय के लिए पानी गरम करने को रखा ,ब्रेकफास्ट की तैयारी और तभी दरवाजे की घंटी बजी।
हम लोग आ गए थे।
घर पहुँच के उन्हें लगा
जल्द से जल्द काम निपटा लें , सब के आने के पहले ,..
काम बहुत पड़ा था।
डस्टिंग ,क्लीनिंग और सुबह के काम की तैयारी ,
देह चूर चूर हो रही थी ,ऐसा मजा कभी नहीं आया जो जो हुआ ,जो जो उन दोनों ने मिल के कराया ,
इत्ती फैंटेसी थी उनकी ,
ब्ल्यू फिल्मे ,नेट की साइट्स ,
न कभी पढ़ी न कभी सोची
किसी तरह सब बातें भूलाने की कोशिश करते उन्होंने अपना काम शुरू किया ,
डस्टिंग ,झाड़ू लगाना ,बिस्तर
और जब वो टॉयलेट क्लीन कर रहे थे , मॉम का , एकदम चमकता होना चाहिए मालुम था उन्हें ,
जैसे कोई जबरदस्ती दरवाजा खोल के चला आये , बस कल रात की यादें धड़धड़ा कर घुस जाएँ
चार बार झड़े थे वो लेकिन वो गीता के साथ ,पहली बार
बादल कम हो चुके थे , भोर दस्तक दे रही थी लेकिन रात भी अलसा रही थी ,जाने को।
मस्त हवा चल रही थी , वो थोड़े थके लेकिन खूँटा खूब तन्नाया ,भूखा
और मंजू बाई के बड़े बड़े खूब भारी चूतड़ उनके चेहरे के ठीक ऊपर
गीता ने उन्हें चिढाते हुए अपने तगड़े हाथों से नीचे का पिछवाड़े का छेद खोलते हुए ,हंस के बोला ,
" भैय्या , माँ के पिछवाड़े का स्वाद तो तूने ले ही लिया ,ऊँगली से, जीभ अंदर डाल के , अब ज़रा अंदर का नजारा देख भी लो न। "
सीधे उनकी आँखों के सामने ,
उनको लग गया क्या होने वाला है ,
खूब बड़ा सा खुला हुआ गांड का छेद
और उन्होंने अपने होंठ जोर से भींच के बंद कर लिए पर गीता और मंजू बाई की जुगल बंदी के आगे पूरी रात उनकी नहीं चली तो इस समय क्या चलती।
गीता खिलखिलाई
" अरे भैया तेरी माँ बहन तो झट से खोल देती हैं अपने सब छेद , तू काहें खोलने में झिझक रहा है ,खोल न बड़ा सा मुंह , ... "
और उस छिनार ने पूरी ताकत से उनके नथुने बंद कर दिए और साथ ही जोर से उनके निप्स पकड़ के मोड़ दिए ,
कुछ दर्द से ,कुछ सांस लेने के लिए उन्होंने जैसे ही मुंह खोला ,मंजू बाई का खुला गांड का छेद सीधे उनके खुले मुंह पे ,
और गीता उनका हाथ आँगन में पड़े अपने ब्लाउज से बांधते बोली ,
" ये हुयी न बात ,माँ मैं कह रही थी न भैय्या खुद अपना मुंह खोल के , देख कित्ता बड़ा मुंह खोला है उन्होंने , ... "
और उसके साथ ही गीता ने आंगन में पड़े अपने ब्लाउज से उनके हाथ कस के मोड़ के बाँध दिए और कान में हलके से हड़काते बोली,
" खबरदार जो मुंह बंद करने की कोशिश की , बस तू पड़ा रह ऐसे ही अब जो करना होगा हम दोनों करेंगे। "
वो बंद कर सकते भी नहीं थी उनके नथुनों पे अब मंजू बाई के एक हाथ का कब्जा था ,
और गीता उनके खूंटे के ऊपर अपनी कसी चूत को रगड़ते ,
वो उसकी चूत चूस चुके थे ,चाट चुके थे ,ऊँगली कर चुके थे लेकिन चोदने के लिए तड़प रहे थे ,
और अब मंजू बाई की गांड उनके चेहरे पर ,
देख तो नहीं सकते थे लेकिन छुअन महसूस कर सकते थे , गीता की गुड़ की डली ऐसी आवाज सुन तो सकते थे ,
" चल भैय्या तू बहुत तड़प रहा था न तुझे बहन की चूत का मजा चखा ही देती हूँ ,चल बहनचोद। बस तू लेटे रहना आज मैं दूँगी मजा , ... "
और गीता की चूत के होंठ उनके तन्नाए सुपाड़े से रगड़ रहे थे ,
मंजू ने एक बार फिर अपने दोनों हाथों से अपनी गांड खूब जोर से चियार दी थी ,
" अरे भैया , प्लीज मेरी खातिर एक बार ज़रा सा जीभ निकाल के ,हाँ हाँ , थोड़ा सा और , बस ज़रा सा चाट लो न माँ की , ... "
और उसी के साथ गीता ने जो धक्का मारा उनका सुपाड़ा गीता की कसी किशोर चूत में ,
और उनकी जीभ तो बस अब उनके बजाय मंजू बाई और गीता की गुलाम हो चुकी थी ,निकल कर सीधे मंजू बाई की खुली ,...
गीता की चूत जोर जोर से उनके लन्ड को भींच रही थी और गीता की आवाज ,उनके कान में
" चाट साले मादरचोद ,अरे एक बार माँ का परसाद मिल गया न तो देखना बहुत जल्द जिस भोंसडे से निकला है उसे भी ऐसे ही चाटेगा , और हम सब के सामने, .... "
और उसी के साथ गीता ने भी पूरा जोर लगाया ,मंजू बाई ने भी ,...
गीता ने एक साथ दो उँगलियाँ उनकी गांड में भी पेल दी ,पूरे जड़ तक गोल गोल घुमाते
मंजू बाई की आवाज ,...
ले मुन्ना ले न , ले और
आधे घंटे तक ,...
लेकिन तब तक घंटी बजी ,
गनीमत थी ,मोबाइल की ,दरवाजे की नहीं।
और वो रात से वापस दिन में लौटे।
मेरा ही मेसेज था ,
" हम लोग निकल रहे हैं , ३०-४० मिनट में पहुंचेंगे "
सफाई वो कर चुके थे।
उन्होंने चैन की सांस ली , खुद नहा धो के फ्रेश हुए , फिर चाय के लिए पानी गरम करने को रखा ,ब्रेकफास्ट की तैयारी और तभी दरवाजे की घंटी बजी।
हम लोग आ गए थे।