11-11-2019, 08:44 PM
वो धीरे-2 चलती हुई उसकी टाँगो के बीच पहुँची..और उसके खड़े हुए लंड के ठीक सामने जाकर उसने अपने होंठों की गर्म हवा छोड़ी और बोली : "हैल्लो मास्टर....कैसे है आप...''
जवाब मे सिर्फ़ उसके अंडरवीयर में क़ैद लंड ने एक जोरदार झटका मारा...जिसे सारिका ने बड़े ही करीब से महसूस किया...उसका तो मन कर रहा था की उसके अंडरवीयर को नीचे खिसकाए और चूस ले उसे ..पर अभी उसकी मास्टर यानी काजल का ये हुक्म नही था..
इसलिए वो वापिस पीछे आई और उसी तरह बिल्लू और गणेश की टाँगों के बीच जाकर उन्हे भी विश किया.
बिल्लू ने तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे अपने खड़े हुए लंड पर झुकाने की भी कोशिश की पर तभी काजल ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ एक हंटर टाइप का डंडा उसके हाथों पर मारा और बोली : "जब तक मैं नही कहूँगी, वो कुछ भी तुम्हारी मर्ज़ी का नही करेगी...''
खेल सच मे काफ़ी रोचक होता जा रहा था...
उनके मायूस चेहरों को देखकर काजल की हँसी निकल गयी और साथ ही निकला उसकी योजना का अगला चरण....
वो बोली : "अच्छा ठीक है...अगर तुम सभी इससे अपनी मर्ज़ी का कुछ करवाना चाहते हो तो इसके लिए तुम्हे पैसा खर्च करना पड़ेगा...''
सभी की आँखे चमक उठी...अपनी मर्ज़ी से वो उसके साथ कुछ भी कर सकते थे...
सभी एक साथ चिल्ला पड़े...पहले मैं...पहले मैं..
काजल : "पर वो जो भी करेगी , दूर से ही ...तुम इसको हाथ नही लगा पाओगे...''
सभी एक बार फिर से मायूस हो गये..पर फिर भी, जितना मिल रहा था उसे भी वो खोना नही चाहते थे..काजल ने हर एक्ट की कीमत भी उन्हे बता दी, दस हज़ार रूपए ...जिसे देने में उन्हे कोई परेशानी नही थी..
सबसे पहले राणा ने अपने दिल की बात बताई : "सारिका को बोलो की ये तुम्हे पालतू कुतिया की तरह प्यार करे...तुम्हे चाटकार..अपनी जीभ से...''
शायद ये उसकी फेंटसी थी, उसने भी एक मूवी में ऐसे देखा था, और काजल और सारिका को ऐसा करता देखकर उसके मन में वो बात फिर से उभर आई...वैसे तो वो अपने आप को चटवाना चाहता था सारिका से..पर उसके लिए काजल ने मना कर दिया था...इसलिए उसने काजल ऐसा करने को कहा..
काजल भी मुस्कुरा दी...और सारिका की तरफ देखकर उसे अपनी तरफ खींचा..
जवाब मे सिर्फ़ उसके अंडरवीयर में क़ैद लंड ने एक जोरदार झटका मारा...जिसे सारिका ने बड़े ही करीब से महसूस किया...उसका तो मन कर रहा था की उसके अंडरवीयर को नीचे खिसकाए और चूस ले उसे ..पर अभी उसकी मास्टर यानी काजल का ये हुक्म नही था..
इसलिए वो वापिस पीछे आई और उसी तरह बिल्लू और गणेश की टाँगों के बीच जाकर उन्हे भी विश किया.
बिल्लू ने तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे अपने खड़े हुए लंड पर झुकाने की भी कोशिश की पर तभी काजल ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ एक हंटर टाइप का डंडा उसके हाथों पर मारा और बोली : "जब तक मैं नही कहूँगी, वो कुछ भी तुम्हारी मर्ज़ी का नही करेगी...''
खेल सच मे काफ़ी रोचक होता जा रहा था...
उनके मायूस चेहरों को देखकर काजल की हँसी निकल गयी और साथ ही निकला उसकी योजना का अगला चरण....
वो बोली : "अच्छा ठीक है...अगर तुम सभी इससे अपनी मर्ज़ी का कुछ करवाना चाहते हो तो इसके लिए तुम्हे पैसा खर्च करना पड़ेगा...''
सभी की आँखे चमक उठी...अपनी मर्ज़ी से वो उसके साथ कुछ भी कर सकते थे...
सभी एक साथ चिल्ला पड़े...पहले मैं...पहले मैं..
काजल : "पर वो जो भी करेगी , दूर से ही ...तुम इसको हाथ नही लगा पाओगे...''
सभी एक बार फिर से मायूस हो गये..पर फिर भी, जितना मिल रहा था उसे भी वो खोना नही चाहते थे..काजल ने हर एक्ट की कीमत भी उन्हे बता दी, दस हज़ार रूपए ...जिसे देने में उन्हे कोई परेशानी नही थी..
सबसे पहले राणा ने अपने दिल की बात बताई : "सारिका को बोलो की ये तुम्हे पालतू कुतिया की तरह प्यार करे...तुम्हे चाटकार..अपनी जीभ से...''
शायद ये उसकी फेंटसी थी, उसने भी एक मूवी में ऐसे देखा था, और काजल और सारिका को ऐसा करता देखकर उसके मन में वो बात फिर से उभर आई...वैसे तो वो अपने आप को चटवाना चाहता था सारिका से..पर उसके लिए काजल ने मना कर दिया था...इसलिए उसने काजल ऐसा करने को कहा..
काजल भी मुस्कुरा दी...और सारिका की तरफ देखकर उसे अपनी तरफ खींचा..