11-11-2019, 08:06 PM
काजल ने टाइम देखा, राणा और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने केशव को फोन किया, उसने काजल को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और काजल के साथ सारिका भी थी, इसलिए केशव ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज काजल की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..काजल के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..
खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात काजल अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे..
आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.
खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात काजल अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे..
आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.