11-11-2019, 07:31 PM
काजल : "अपनी किस्मत की भी बात होती है...मुझसे अच्छा तो तू खेलता है, फिर भी तू हमेशा हारता ही है...और साथ ही साथ मेरे हुस्न का भी कमाल है ये...इसके बिना भी ये पैसे कमाने मुश्किल थे....''
केशव उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं आपने राणा के साथ कुछ...''
काजल : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''
केशव की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं राणा ने उसकी कुँवारी चूत तो नही फाड़ डाली..और काजल भी उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..
वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''
केशव ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कुछ तो मज़े लिए ही है राणा ने उसकी बहन के साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..
काजल ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , केशव तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके लंड पर..
वो समझ गया की काजल उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..
काजल बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''
केशव के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कुछ बोले..
और यहा इस वक़्त काजल उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..
उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...काजल पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को केशव ने चूसना शुरू किया..
केशव उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं आपने राणा के साथ कुछ...''
काजल : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''
केशव की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं राणा ने उसकी कुँवारी चूत तो नही फाड़ डाली..और काजल भी उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..
वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''
केशव ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कुछ तो मज़े लिए ही है राणा ने उसकी बहन के साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..
काजल ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , केशव तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके लंड पर..
वो समझ गया की काजल उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..
काजल बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''
केशव के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कुछ बोले..
और यहा इस वक़्त काजल उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..
उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...काजल पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को केशव ने चूसना शुरू किया..