11-11-2019, 11:21 AM
काजल (नाराज़गी भरे स्वर मे) : "क्या केशव....तुम भी ना, उसको भगा नही सकते थे क्या...इतना सही सरूर बन चुका था ...साला एन टाइम पर आ टपका...''
केशव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''
काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक इतने साल वेट ही तो किया है...कुछ देर और सही...''
वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..
जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''
केशव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना देगी.....''
और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर केशव नीचे आ गया और दरवाजा खोल दिया
बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.
केशव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''
बिल्लू : "केशव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''
केशव : "कैसे ....''
बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक नंबर का जुवारी है...बड़े-2 केसिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या केसिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''
जीवन के साथ भी केशव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..
केशव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''
केशव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''
काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक इतने साल वेट ही तो किया है...कुछ देर और सही...''
वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..
जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''
केशव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना देगी.....''
और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर केशव नीचे आ गया और दरवाजा खोल दिया
बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.
केशव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''
बिल्लू : "केशव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''
केशव : "कैसे ....''
बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक नंबर का जुवारी है...बड़े-2 केसिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या केसिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''
जीवन के साथ भी केशव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..
केशव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''