11-11-2019, 10:07 AM
शाम को 7 बजे के आस पास काजल भी आ गयी..केशव ने दरवाजा खोला तो दोनों के चेहरों पर एक अलग ही स्माइल थी ...केशव का तो मन कर रहा था की वहीं के वहीं उसके गले लग जाए..पर वो पहले ये यकीन भी कर लेना चाहता था की कल वाली बात से वो नाराज़ तो नही है.
काजल उपर अपने कमरे मे चली गयी...कुछ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.
केशव अंदर बैठा टीवी देख रहा था...काजल ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "केशव...तूने भी चाय पीनी है क्या..''
केशव सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कुछ भी पी लूँगा...''
काजल उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कुराने लगी...केशव ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''
काजल एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए काजल के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..
काजल : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कुछ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''
केशव : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी ...''
काजल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''
और फिर उसने केशव को अपने गले से लगा लिया...केशव ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज की ये हग और दिनों से कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कुछ ज़्यादा ही लंबी..
केशव के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..
काजल उपर अपने कमरे मे चली गयी...कुछ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.
केशव अंदर बैठा टीवी देख रहा था...काजल ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "केशव...तूने भी चाय पीनी है क्या..''
केशव सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कुछ भी पी लूँगा...''
काजल उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कुराने लगी...केशव ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''
काजल एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए काजल के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..
काजल : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कुछ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''
केशव : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी ...''
काजल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''
और फिर उसने केशव को अपने गले से लगा लिया...केशव ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज की ये हग और दिनों से कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कुछ ज़्यादा ही लंबी..
केशव के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..