11-11-2019, 09:56 AM
केशव की जलती हुई आँखे उसके जिस्म मे जहाँ-2 पड़ रही थी, उसे ऐसे लग रहा था की वो हिस्सा जल रहा है..उसकी छातियाँ...उसकी नाभि...उसके होंठ...उसके कान...आँखे..और चूत भी बुरी तरह से सुलग रही थी उसकी.
काजल : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''
वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर केशव के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.
केशव : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''
इतना सुनते ही काजल का मन हुआ की केशव से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.
![[Image: giphy.gif]](https://media.giphy.com/media/ZtXRIYDgExTos/giphy.gif)
उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.
काजल : "तो फिर किस …… किसके...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''
उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..
केशव भी अब गेम में आ चुका था...वो भी काजल को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..
केशव : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''
केशव का हर शब्द काजल की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धकेल रहा था...जो शायद केशव के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के रूप मे रहने वाला था.
काजल : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ आ रहा ....''
काजल : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''
वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर केशव के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.
केशव : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''
इतना सुनते ही काजल का मन हुआ की केशव से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.
![[Image: giphy.gif]](https://media.giphy.com/media/ZtXRIYDgExTos/giphy.gif)
उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.
काजल : "तो फिर किस …… किसके...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''
उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..
केशव भी अब गेम में आ चुका था...वो भी काजल को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..
केशव : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''
केशव का हर शब्द काजल की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धकेल रहा था...जो शायद केशव के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के रूप मे रहने वाला था.
काजल : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ आ रहा ....''


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