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Adultery रीमा की दबी वासना
जितेश - मैडम आप सो गयी | 

रीमा उंघते हुई बोली - नहीं तुमारी जिंदगी के बारे में सोच रही हूँ | ऐसा क्यों होता है जब सब ठीक चल रहा हो तो सब बिगड़ जाता है | या जो चाहो वो कभी जिदगी में मिलता ही नहीं | या हम जैसा बनना चाहते है वैसा ही बन जाते है  | 
जितेश ने एक लम्बी साँस ली - यही जिंदगी है |
रीमा - कभी क्रिस्टीना से मिलाने या पता लगाने की कोशिश नहीं की | 
जितेश - नहीं, टूटी कांच दुबारा कब जुड़ती है | दीदी  तो कच्ची कांच की थी पहले पता चल जाता तो पलकों पर बिठाकर रखता | 
रीमा - कितना बज गया है | 
जितेश हाथ वाली घड़ी देखता हुआ - 3 | 
रीमा - हमें सोना चाहिए |
जितेश कुछ ही देर में गहरी नीद में सोने लगा लेकिन रीमा की आँखों से नीच कोसो दूर थी | उसे घर रोहित प्रियम रोहिणी सबकी याद आने लगी | कितने परेशान होंगे सब के सब, आखिर मै कहाँ आकर फंस गयी | पता नहीं कब इस जंजाल से निकल पाऊँगी | ये तो किस्मत अच्छी है जितेश  भला इंसान है वरना कोई दरिंदा पता नहीं अब तक कितनी बार मेरा जिस्म नोच चूका होता | टैंक्स क्रिस्टीना इसे इतनी कम उम्र में औरत का पाठ पढ़ाने के लिए | यही सब सोचते सोचते रीमा की पलके भी मुंदने लगी | 


 सुबह जब रीमा की नींद खुली तो देखा जितेश पूरी तरह तैयार हो चुका है और वह तेजी से जमीन के नीचे बनी सुरंग से  होता हुआ  बाहर निकल गया बाहर जाने से पहले उसने भीमा को बोल दिया कि ड्राई फ्रूट और खाना कहां रखा है |  अगर वह नहीं आया तो कम से कम खाना खा लेगी क्योंकि अगर वह दोपहर को ना लौटा तो उसका इंतजार ना करें और वह कोशिश करेगा शाम को लौटने की लेकिन अगर शाम तक भी नहीं लौटता है तो उसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है और चुपचाप फ्रूट  खा करके आराम से लेटी रहे और बाहर जाने की बिल्कुल कोशिश न करें चारों तरफ बहुत खतरा है और कोई भी उसको पहचान करके उसकी खबर जो है वह विलास या सूर्यदेव को दे सकता है | रीमा जितेश की हिदायत का पूरी तरह से पालन किया लेकिन जितेश ना तो दोपहर को आया और ना ही शाम को आया रीमा ने खाना खाया और शाम को फल फ्रूट खा कर वह फिर से बिस्तर पर लेट गई लेकिन उसकी आंखों में नींद नहीं थी उसकी आंखों में पिछले चौबीस 48 घंटों में जो कुछ भी हुआ वह पूरी तरह से तैयार रहा था कहां से कहां पहुंच गई थी |  रोहित कैसा होगा प्रियम कैसा होगा अनिल कैसे होंगे उसकी उसकी दीदी रोहिणी कैसी होगी यही सब सोचकर वह परेशान होने लगी थी जब काफी परेशान हो गई तो उसने अपने आपको वहां से हटा के जितेश  के बारे में सोचना शुरू किया और जितेश और उसकी दीदी क्रिस्टीना  की चुदाई के बारे में सोचने लगी | उसकी  कहानी के बारे में सोचने लगी उसके उस फूले हुए मोटे तगड़े लंड को देख करके अपने अंदर जगे  अरमानों के बारे में सोचने लगी | रीमा को एक एक पल बाद ही उसे यह सब गलत लगा और वह कुछ और ही सोचने लगी लेकिन इन्हीं सबके उल्टा सीधा सही गलत है ख्यालों के विचार खोते खोते रीमा बिस्तर पर आधी रात तक करवते बदलती रही आधी रात तक लुढ़कते रही हालांकि जितेश बोल कर गया था अगर वह शाम तक ना आए तो कोई चिंता ना करें लेकिन अगर कल तक नहीं आएगा तो उसे चिंता में  होना चाहिए था | क्हयोंकि कल तक एक तो खाने को कुछ नहीं बचेगा | रीमा  इसी उधेड़बुन में तड़पती फड़कती  खुद के बारे में सोचती चिंता में डूबी निराशा से भरी हुई हताशा और उल्लास इन सबके बीच में ऊपर नीचे तैरती हुई किसी तरह से आधी रात को सो गई जब सुबह आंख खुली तो देखा कमरे में अभी भी कोई नहीं इसका मतलब जितेश अभी भी नहीं आया था इधर रात में एक आदमी आया और उसने दरवाजे के अंदर से एक चिट्ठी जो है नीचे सरका दी और तेजी से चला गया | रीमा ने चिट्ठी खोलकर पड़ी और  वह हैरान रह गई उसके होश उड़ गए उसे नहीं पता था कि यह सच है या गलत है लेकिन चिट्ठी में लिखा था हो सकता है जितेश अब कभी न लौटे हालांकि वह लिखने वाला भी निश्नचिंत नही था कि कि जो वह लिख रहा है वह कितना श्यौर है  उसने चिट्ठी  ही में लिख दिया था जो मैं लिख रहा हूं वह मान भी सकते हो और नहीं भी |  लेकिन अभी फिलहाल जितेश  का कोई सुराग नहीं है वो  कहां है किसके साथ है और क्या कर रहा है इसलिए आप कोई गलतफहमी  को पाल के मत रखिए मुझसे आपको संदेश को पहुचाने के  पहले ही जितेश ने कह दिया था इसलिए मैंने यह संदेश आप तक पहुंचा दिया सुबह जितेश का संदेश पढ़ते ही रीमा और ज्यादा चिंता में डूब गई अब वो क्या करें घर का कमरा बाहर से बंद था सुरंग के जरिए वह बाहर निकल सकती थी लेकिन जितेश ने साफ साफ मना कर रखा था अपनी ही चिंता दुख में से शक्ति रीमा बिस्तर पर ही इधर-उधर उड़ा उड़ा के रोती रही | इसी बीच में कुछ देर बाद वह वह कमरे में का अच्छे से जायजा लेने लगी और उसे एक कैसेट्स मिल गई  | वह  लगा कर उसे  टीवी पर मूवी देखने लगी ताकि इन सब चिंताओं से उसका मन भटक करके कहीं दूर चला जाए लेकिन जो उसने मूवी लगाई थी वह किसी फिल्म की मूवी नहीं थी वह जितेश के खुद के बनाए हुए वीडियो थे जो वह जो जो कि उसका एक तरह से लाइफ एल्बम था वह जितेश के लाइफ एल्बम को पूरी तरह से देखने लगी आखरी में जितेश ने एक वीडियो बनाया था जिसमें उसने एक अच्छा सा मैसेज दिया हुआ था जिंदगी दो पल की है इसे पूरी तरह से जीना चाहिए पता नहीं अगले कल हम जिंदा रहे या ना रहे और यह वीडियो उसने  में बाथरूम के अंदर बनाया था जब वह नहा रहा था और अपने लंड को सहला रहा था | रीमा ने उसे एक बार देखा दो बार देखा तीन बार देखा और उसे दोपहर तक देखती रही वह बार-बार जितेश  के उस तो जिस्म को देख रही थी और उसके मोटे मुसल लंड को देखने में मस्त थी | रीमा की वासना अंदर से हिलोरे मार रही थी लेकिन उसका मन यह मानने को तैयार नहीं था आखिर रीमा ने भी स्वीकार कर लिया जितेश उसे अच्छा लगने लगा है | और रीमा चाहती थी कि जितेश वापस लौट आए तो वह अपने मन के अरमान पूरे कर ले और अपना सबकुछ  जितेश पर लुटा करके जितेश को भी उसके किए का फल वापस लौटा दे | रीमा ने मन ही मन ठान लिया था कि जैसे ही जितेश आएगा सबसे पहले वह अपने आप को , इस खूबसूरत बदन को जितेश को सौंप देगी ताकि उसके एहसान का बदला हमेशा के लिए चुका दे और साथ में उसके अपने अरमानों को भी वह पूरा कर दें | वह जितेश को पसंद करने लगी थी पता नहीं जितेश को पसंद करने लगी थी या सिर्फ उसके मुसल लंड से चुदने की चाहत थी इधर 12:00 बज गए थे अब सिर्फ फल फ्रूट ही खाने को बचे थे रीमा ने  काट के फल फ्रूट खाए और फिर बिस्तर पर आगे लेट गई | रीमा का इंतजार  खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था शाम हो गई अजितेश अभी तक नहीं लौटा था | इधर शाम का धुंधलका छाने लगा था और इधर धीमा को भी नींद आ गई | 


 इधर रोहित वापस लौट आया था उसने अनिल के साथ मिलकर रीमा  के पोस्टर पूरे शहर में लगवा दिए थे टीवी पर अनाउंस भी करवा दिया था प्रियम और राजू को भी पता चल गया था कि रीमा खो गई है | प्रियम राजू ही  क्यों पूरे शहर को पता चल गया था कि रीमा किडनैप हो गई है | सिक्युरिटी धड़ाधड़ हर जगह छापे मार रही थी जो भी उसके पास में था वह कर रही थी | वही रोहित अब कुछ ज्यादा ही चिंतित होने लगा था अनिल भी  चिंतित होने लगे थे | यहां रीमा  एक छोटे से बस्ती के एक छोटे से घर में बंद किसी अनजान आदमी का इंतजार कर रही थी | घर में टीवी था लेकिन सिर्फ कैसेट के लिए चलता था | इसलिए उसे दीं दुनिया की कोई खबर नहीं थी | अब इस कमरे का मालिक जितेश ही उसके दबे हुए अरमानों और ख्वाहिशों की नई मंजिल थी रीमा सो रही थी रात के 9:00 बजे के करीब जितेश वापस लौटा | उसके एक हाथ में पट्टी बंधी थी | दुसरे  हाथ में खाने का सामान था | पीठ पर एक बैग भी था  जो कि पैसों से भरा हुआ था जितेश के अंदर आते ही पहले बैग खोलकर पैसे गिनने लगा | कुछ देर बाद रीमा  की आंखें खुल गई उसने देखा  पैसों से भरा हुआ एक बैग है और जितेश उसमें के पैसे गिन रहा था | उसका जैकेट अलग पड़ा हुआ था जिसमे उसकी दो गन रखी हुई थी |  और खाने का सामान भी अलग रखा हुआ था | रीमा को देखते ही जितेश बोला- मैडम आप तुम जाग गई | मैं कुछ खास काम से गया हुआ था, वहां जाकर एक गहरी मुसीबत में फंस गया  मुझे लगा था कि अब शायद कभी वापस नहीं लूंगा लेकिन ईश्वर का शुक्र है मेरी जान बच गई और मैं वापस लौट आया तुम्हें जब वह चिट्ठी मिली होगी | तब तुम डरी तो नहीं थी | 
रीमा - नहीं मैं एक उम्मीद पर जिंदा थी और मेरी उम्मीद सही साबित हुई | 
रीमा - तुम वापस आ गए मुझे खुशी है | इतना कहकर रीमा जितेश के पास आ गयी  और अपने रसीले कांपते ओंठो को जितेश के सूखे ओंठो पर रख दिया और  कस कर चूम लिया और चुमते  ही चली गई | जितेश भी पैसा गिनना छोड़ कर रीमा को चूमने लगा |  रीमा ने कसकर जितेश को बाहों में भर लिया था जितेश की बाहें रीमा के चुताड़ो के ऊपर चली गई और जितेश ने उन्हें अपनी ताकतवर हथेलियों में लेकर मसलने लगा |  रीमा खुद के जिस्म को जितेश के बदन के खिलाफ रगड़ने लगी |  दोनों एक दूसरे को पता नहीं कब तक चुमते रहे थे | जितेश समझ गया था रीमा क्या चाहती है लेकिन जितेश ने कहा - पहले खाना खा ले इसके लिए पूरी रात पड़ी है | 
रीमा शर्म से झेप गयी | अब उनके बीच का झिझक का पर्दा  हट चूका था च आफ गई थी | 
जितेश बोला - इसमें शर्माने की क्या बात है  कोई नहीं तुम जवान हो सबके मन में अरमान होते हैं मेरे मन में भी हैं मुझे खुशी है तुम भी वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा था | 
 रीमा को ऐसा लगा जैसे जितेश ने उसके मन की बात  कर ली है हालांकि को कुछ बोली नहीं | 
 इधर जितेश ने फटाफट पैसो वाला बैग पैक करके खाना गरम खाने चला गया और बहुत जल्दी खाना गर्म करके ले आया | उसके बाद दोनों बैठ कर खाना खाने लगे | खाना खाने के बाद जितेश बिस्तर पर आ गया और बैग में रखे बचे पैसे  गिनने लगा था | बैग में पुरे 300000 थे जब पैसे की गिनती खत्म हो गई तो जितेश ने उन पैसों को एक जमीन में बने ही में एक अलमारी खोलकर रख दिया और ऊपर से फिर से दरी बिछा दी इमरान थी |  जितेश आधे से ज्यादा काम तो जमीन के अंदर ही करता है |  इसके बाद जितेश रीमा के पास आ गया और रीमा के हाथ अपने हाथों में लेकर उसे सहलाने लगा था | रीमा को अहसास था की अब क्या होने वाला है, कहाँ रीमा अपने ही नंगे बदन को देखने में शर्माती थी | आज एक अनजान मर्द के सामने अपनी अनंत वासनाओं की गुलाम बनकर जवानी का वो खेल खेलने को आतुर थी जो संभ्य समाज में बिलकुल सही नहीं कहा जाता | आभी भी रीमा को नहीं पता था वो जितेश की तरफ आकर्षित है या सिर्फ उसके लंड से चुदने की चाहत में पगलायी हुई है | कुछ भी हो रीमा को जितेश नंगा तो देख ही चूका है | रीमा भी जितेश का लंड देख चुकी है तो अब छिपाने को बचा क्या था | बस वासना का चूत चुदाई का खेल बचा था | रीमा ने इसके लिए पूरी तरह से मन बना लिया था | उसे पता था एक बार ये वक्त निकल गया तो हमेशा जितेश को हाशिल करने की कसक उसके मन में जिंदगी भर बनी रहेगी | भले ही चारो तरफ वह खतरों से घिरी थी लेकिन जो हालत थे और जो मन के दबे अरमान थे उनके हाथो वो बेबस थी या उन्हें पूरा करना चाहती थी | दोनों ने एक दुसरे की कहानी सुनी थी इसलिए हल्का सा भावनात्मक लगाव भी हो गया था | रीमा ने ऊपर जितेश की ही शर्त पहन रखी थी | नीचे वो जितेश का ही एक हाफ पेंट पहने थी |  इधर जितेश ने अपने कपड़े उतार दिए | उसे  देख रीमा ओ समझ  में आ गया था  कि अब किसी पर्दे का समय नहीं है | जो उसके दिल में है वही उसे करना चाहिए और खुल कर जीना चाहिए |  रीवा ने भी अपनी शर्ट के बटन खोल दिए और जितेश के करीब आ गई और जितेश के ठोस जिस्म के सहलाने लगी थी | रीमा  के नरम हाथों का स्पर्श पाते ही जितेश के अंदर के अरमान फिर से उठने लगे  थे | उसे लगा जैसे उसकी टीचर दीदी वापस आ गई हो | ऐसा लगा जैसे  वह फिजा का मांसल पेट सहला रहा हो | लेकिन ये न तो क्रिस्टीना थी न फिजा थी  ये रीमा थी | रीमा का मादक बदन की गंध जब जितेश की नाक में घुसनी शुरू हुई तो जितेश को अहसास हुआ रीमा की मादकता उसकी दीदी से कई गुना ज्यादा है | रीमा एक सम्पूर्ण भरे पुरे बदन की मालकिन थी |  इधर रीमा की शर्ट के बटन खुलते ही जितेश के हाथ बरबस ही रीमा के स्तनों पर पंहुच गए | जितेश रीमा के बड़े बड़े उठे उरोजो को मसलने लगा था | रीमा धीरे-धीरे जितेश के ऊपर झुकती चली गई और उसकी पेंटी की बेल्ट खोल दी और पेंट की ज़िप को खोल दिया और अपना हाथ अन्दर घुसेड दिया |  अन्दर जाकर उसके मूसल लंड को टटोल कर उसका साइज़ का जायजा लेने लगी |  उसके मुसल लंड के हाहाकारी साइज़ को देखकर के अचंभित होने लगी थी | 
रीमा - तुमारा औजार तो बहुत बड़ा है, चीखे उबल पड़ती होगी जिसकी चूत पर ये औजार रख देते होगे | 
जितेश रीमा की तारीफ सुनकर खुस हुआ लेकिन उसे टोकते हुए बोला - मैडम ये तो चीटिंग है | सब कुछ खुलकर होगा | ये औजार सौजार नहीं चलेगा | लंड बोलो सीधे | 
रीमा उसे ताना देती हुई - ठीक है ठीक है और ये मैडम मैडम भी नहीं चलेगा | रीमा कहो मुझे | 
जितेश - ठीक है मैडम अब से रीमा ही बोलूँगा | 
रीमा जितेश की पेंट के अन्दर उसका फूलता  हुआ लंड सहलाती हुई बोली  हैरान होने लगी | आखिर  उसे बड़े  मोटे मुसल  लंड ही क्यों पसंद आते हैं जैसे रोहित का जैसे अनिल का और अब जितेश का | हालांकि उसे अपनी चाहत पर अपनी ख्वाहिशों पर हैरानी के साथ गर्व भी था |  आखिर उसे मोटे लंड ही पसंद है तो है | उसने धीरे से अपनी नरम उंगलियों से जितेश के गरम फूल रहे मोटे लंड को पकड़कर बाहर निकालने लगी | जितेश का लंड बड़ी मुश्किल से रीमा बाहर निकाल पाई | 
[Image: download%2B%25282%2529.jpg]

उसके लंड के बाहर निकलते ही रीमा की आंखे चौड़ी हो गयी | लंड नहीं था बड़ा सा मुसल था | रीमा तेजी से उसे अपनी मुठ्ठी में भरकर सहलाने लगी | जितेश का लंड पूरी तरह से फूल चूका था | उसका सुपाडा उसकी खाल छोड़ चूका था | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 11-11-2019, 12:38 AM



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