10-11-2019, 11:25 PM
बिल्लू : "हाँ भाई...जाओ ...मना कर लाओ उसको ...ऐसे दिल छोटा नही करते....मैं भी तो इतनी गेम हारने के बाद जीता हूँ ..वो भी जीतेगी..जाओ बुला लाओ उसको...तब तक हम इंतजार करते है...''
केशव भागकर किचन मे गया...काजल रुंआसी सी होकर चाय बना रही थी..
केशव : "क्या दीदी...आप भी ना....ऐसे अपना मूड मत खराब करो...''
काजल एक दम से रो पड़ी और केशव से लिपट गयी : "मैने कहा था ना, मुझसे नही होगा ये...तुमने बेकार मे अपने इतने पैसे बर्बाद किए मेरी वजह से...ऐसे ही चलता रहा तो कल वाले सारे पैसे हार जाओगे...माँ का इलाज कैसे करवाएँगे...''
केशव उसकी पीठ सहलाता हुआ बोला : "ऐसा मत सोचो दीदी ....चलो चुप हो जाओ...कोई ना कोई बात तो ज़रूर है...मेरा अंदाज़ा खाली नही जाता ऐसे...''
और फिर कुछ देर चुप रहकर वो बोला : "दीदी...ये टोटके बाजी वाला खेल होता है...अगर तुम जीत रहे हो तो तुमने क्या पहना था ये याद रखो..किस सीट पर बैठे थे वो याद रखो....''
काजल : "मतलब ??"
केशव : "मतलब ये की तुम शायद उन्ही चीज़ो की वजह से जीत रही थी जो उस वक़्त वहाँ मोजूद थी...जैसे तुम्हारे कपड़े...तुमने कल रात को अपना नाइट सूट पहना हुआ था..वही पहन कर आओ...शायद उसकी वजह से तुम जीत रही थी कल...''
काजल : "तू पागल हो गया है...तेरे सामने अलग बात थी..पर इन दोनो के सामने मैं नाइट सूट क्यो पहनू ....नही मैं नही पहनने वाली....मुझसे नही होगा..''
अब भला वो अपने भाई से क्या बोलती की वो नाइट सूट क्यो नही पहनना चाहती..उसका गला इतना चोडा है की उसकी क्लीवेज साफ दिखाई देती है उसमे...और उसकी कसी हुई जांघों की बनावट भी उभरकर आती है उसमे क्योंकि उसका पायज़ामा काफ़ी टाइट है...
केशव : "दीदी ...आप समझने की कोशिश करो...मैने कहा ना, इनसे घबराने की ज़रूरत नही है...इन्हे भी अपना भाई समझो...जाओ जल्दी से पहन कर आओ...मैं चाय लेकर जाता हुआ अंदर...''
केशव भागकर किचन मे गया...काजल रुंआसी सी होकर चाय बना रही थी..
केशव : "क्या दीदी...आप भी ना....ऐसे अपना मूड मत खराब करो...''
काजल एक दम से रो पड़ी और केशव से लिपट गयी : "मैने कहा था ना, मुझसे नही होगा ये...तुमने बेकार मे अपने इतने पैसे बर्बाद किए मेरी वजह से...ऐसे ही चलता रहा तो कल वाले सारे पैसे हार जाओगे...माँ का इलाज कैसे करवाएँगे...''
केशव उसकी पीठ सहलाता हुआ बोला : "ऐसा मत सोचो दीदी ....चलो चुप हो जाओ...कोई ना कोई बात तो ज़रूर है...मेरा अंदाज़ा खाली नही जाता ऐसे...''
और फिर कुछ देर चुप रहकर वो बोला : "दीदी...ये टोटके बाजी वाला खेल होता है...अगर तुम जीत रहे हो तो तुमने क्या पहना था ये याद रखो..किस सीट पर बैठे थे वो याद रखो....''
काजल : "मतलब ??"
केशव : "मतलब ये की तुम शायद उन्ही चीज़ो की वजह से जीत रही थी जो उस वक़्त वहाँ मोजूद थी...जैसे तुम्हारे कपड़े...तुमने कल रात को अपना नाइट सूट पहना हुआ था..वही पहन कर आओ...शायद उसकी वजह से तुम जीत रही थी कल...''
काजल : "तू पागल हो गया है...तेरे सामने अलग बात थी..पर इन दोनो के सामने मैं नाइट सूट क्यो पहनू ....नही मैं नही पहनने वाली....मुझसे नही होगा..''
अब भला वो अपने भाई से क्या बोलती की वो नाइट सूट क्यो नही पहनना चाहती..उसका गला इतना चोडा है की उसकी क्लीवेज साफ दिखाई देती है उसमे...और उसकी कसी हुई जांघों की बनावट भी उभरकर आती है उसमे क्योंकि उसका पायज़ामा काफ़ी टाइट है...
केशव : "दीदी ...आप समझने की कोशिश करो...मैने कहा ना, इनसे घबराने की ज़रूरत नही है...इन्हे भी अपना भाई समझो...जाओ जल्दी से पहन कर आओ...मैं चाय लेकर जाता हुआ अंदर...''