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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (with pics )
#30
उसकी ब्लेक ब्रा मे कसे हुए उसके दोनो मुम्मे किसी टेनिस बॉल्स की तरह अपने जाल मे फँसे हुए दिख गये उसे...उसने गहरी मुस्कान के साथ बिल्लू की तरफ देखा...वो भी शायद उस गहराई को देख चुका था...दोनों के चेहरों पर कुटिलता से भरी हँसी  गयी..और आँखो ही आँखो मे उन्होने काजल की जवानी से भरी छातियों का गुणगान कर दिया..

अगली गेम शुरू हुई...इस बार दो ब्लाइंड चलने के बाद बिल्लू ने पत्ते देखे और पेक कर दिया..दो और ब्लाइंड चलने के बाद केशव ने पत्ते उठा लिए...वो अभी के लिए ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था...पर उसके पास बड़े ही बेकार पत्ते आए...7, 3, 5.

उसने बिना शो माँगे ही पैक कर दिया...

गणेश ने फिर से हंसते हुए सारे पैसे उठा लिए.

केशव : "आज तो लगता है इसी का दिन है...दो गेम में ही डेड -दो हज़ार जीत गया...''

गणेश : "केशव भाईये तो वक़्त-2 की बात है...कल तुम्हारा दिन था...आज मेरा दिन है...और वैसे भीअभी तो खेल शुरू हुआ है...शायद तुम जीत जाओ आगे चलकर...''

केशव ने मन मे सोचा 'वो तो होना ही है...एक बार काजल को आने दो बीच मे..फिर देखनातुम्हारी जेब कैसे खाली करवाता हूँ मैं...''

अगला खेल शुरू हुआ..तभी केशव बोला : "मैं ज़रा बाथरूम होकर आता हू...तुम मेरे पत्ते काजल को बाँट दो...तब तक ये खेल लेगी...''

इसमे भला उन दोनो को क्या परेशानी हो सकती थी..उनके तो चेहरे और भी ज़्यादा चमक उठे..

केशव उठकर उपर चला गया..

काजल सोफे पर बैठी..उसका दिल अब जोरो से धड़क रहा था..गणेश ने गड्डी को काजल की तरफ बढ़ाया .ताकि वो उसे काट सके..जैसे ही काजल ने गड्डी पर हाथ रखागणेश ने उसके हाथ के उपर अपना हाथ रखकर उसे दबोच लिया..

गणेश : "अर्रे...अर्रे ....ऐसे नही....इतने पत्ते मत निकालो...थोड़ा आराम से...आधे से कम काटो...आराम से...''

और ये सब कहते-2 वो काजल के नर्म और मुलायम हाथ को अपने कठोर हाथों से सहला भी रहा था..

काजल भी उसके ऐसे स्पर्श के महसूस करके कसमसा उठी..उसके शरीर के रोँये खड़े हो गये...क्योंकि आज तक उसे किसी ने इस तरह से छुआ नही था..कल अपने भाई का स्पर्श और अब इस गणेश का...दो दिन मे दो मर्दों के शरीर ने उसे छुआ था..ये एक कुँवारी लड़की के लिए एक शॉक से कम नही होता..
काजल ने थोड़े से ही पत्ते उठाए और ताश को काट कर नीचे रख दिया.गणेश ने पत्ते बाँटे.

बूट के बाद सभी ने 3-3 बार ब्लाइंड चली..काजल वैसे तो निश्चिन्त ही थीक्योंकि उसे पता था की उसके पत्ते अच्छे ही निकलेंगे..पर एक डर भी लग रहा था..की कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए...
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल (with pics ) - by sisfucker31 - 10-11-2019, 11:07 PM



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