10-11-2019, 10:11 PM
काजल : "ये तू कर क्या रहा है...मुझे भी तो बता ज़रा...''
केशव : "रूको दीदी. ...बस थोड़ी देर और...''
और उसके बाद केशव ने 3 बार और पत्ते बाँटे ...और हर बार काजल के पत्ते भारी थे...और हर बार उसके पास चाल खेलने लायक ही पत्ते आ रहे थे...कभी पेयर ...कभी कलर...कभी सीक्वेंस ...
आख़िर मे केशव बोला : "दीदी...लगता है आपके अंदर कोई शक्ति छुपी है...या कोई वरदान है ,आप देख रही हो ना...हर बार आपके पत्ते कितने जबरदस्त आ रहे हैं...''
काजल : "हाँ तो....''
केशव (अपने चेहरे पर चालाकी भरी मुस्कान लाते हुए) : "दीदी ...मेरे पास एक प्लान है..''
काजल : "प्लान....? कैसा प्लान...और किसलिए.."
केशव : "देखो दीदी...आजकल दीवाली का टाइम है..और इस टाइम सभी लोग जुआ खेलते हैं...वैसे जुआ खेलने वाले तो पूरा साल खेलते हैं पर इन दिनों और भी ज़्यादा और बड़ी-2 गेम्स होती है ...और इसलिए वो कल में इतने पैसे जीत कर लाया था...''
काजल : "हाँ ...तो ..? "
केशव : "तो अगर हम लोग ये जुआ खेले...मेरा मतलब है की तुम...तो शायद काफ़ी पैसे आ सकते हैं...मेरे जितने भी दोस्त है वो सब खेलने वाले हैं...उनके साथ खेलेंगे..और मुझे पूरा विश्वास है की आप ही जीतोगे ..आप देख रहे हो ना, किस तरह के पत्ते आते हैं हर बार आपके पास...''
काजल का तो दिमाग़ ही घूम गया उसकी बात सुनकर..
काजल : "तू पागल हो गया है....तू चाहता है की में तेरी तरह जुआ खेलूं ..और वो भी तेरे उन आवारा दोस्तों के साथ...तुझे शर्म नही आएगी की तेरी बहन बाहर जाकर जुआ खेले...कभी सुना है तूने की कोई लड़की जुआ खेलती है...तुझे पता भी है की कितनी बदनामी होगी हमारी...''
केशव : "रूको दीदी. ...बस थोड़ी देर और...''
और उसके बाद केशव ने 3 बार और पत्ते बाँटे ...और हर बार काजल के पत्ते भारी थे...और हर बार उसके पास चाल खेलने लायक ही पत्ते आ रहे थे...कभी पेयर ...कभी कलर...कभी सीक्वेंस ...
आख़िर मे केशव बोला : "दीदी...लगता है आपके अंदर कोई शक्ति छुपी है...या कोई वरदान है ,आप देख रही हो ना...हर बार आपके पत्ते कितने जबरदस्त आ रहे हैं...''
काजल : "हाँ तो....''
केशव (अपने चेहरे पर चालाकी भरी मुस्कान लाते हुए) : "दीदी ...मेरे पास एक प्लान है..''
काजल : "प्लान....? कैसा प्लान...और किसलिए.."
केशव : "देखो दीदी...आजकल दीवाली का टाइम है..और इस टाइम सभी लोग जुआ खेलते हैं...वैसे जुआ खेलने वाले तो पूरा साल खेलते हैं पर इन दिनों और भी ज़्यादा और बड़ी-2 गेम्स होती है ...और इसलिए वो कल में इतने पैसे जीत कर लाया था...''
काजल : "हाँ ...तो ..? "
केशव : "तो अगर हम लोग ये जुआ खेले...मेरा मतलब है की तुम...तो शायद काफ़ी पैसे आ सकते हैं...मेरे जितने भी दोस्त है वो सब खेलने वाले हैं...उनके साथ खेलेंगे..और मुझे पूरा विश्वास है की आप ही जीतोगे ..आप देख रहे हो ना, किस तरह के पत्ते आते हैं हर बार आपके पास...''
काजल का तो दिमाग़ ही घूम गया उसकी बात सुनकर..
काजल : "तू पागल हो गया है....तू चाहता है की में तेरी तरह जुआ खेलूं ..और वो भी तेरे उन आवारा दोस्तों के साथ...तुझे शर्म नही आएगी की तेरी बहन बाहर जाकर जुआ खेले...कभी सुना है तूने की कोई लड़की जुआ खेलती है...तुझे पता भी है की कितनी बदनामी होगी हमारी...''