10-11-2019, 10:08 PM
और फिर केशव ने काजल को सभी तरह के पत्तो के बारे मे बताया की क्या बड़ा होता है...क्या छोटा...सुच्ची किसे कहते हैं...कलर...पेयर ..सीक्वेंस ...सभी की जानकारी दी उसने..
केशव : "ये गेम तो आप जीत गयी...''
काजल : "अब पैसे तो रखे नही है हमने ...फिर मुझे क्या मिलेगा...''
वो मंद -2 मुस्कुरा भी रही थी ये बोलते हुए...
केशव को उसकी हँसी का जो मतलब नज़र आ रहा था..वो कहना नही चाहता था...और ये भी नही बोलना चाहता था की जीतने के बाद वो क्या माँगने की बात कर रही है...
केशव : "वो बाद मे बता देना...अभी मुझे कुछ और देखना है...''
काजल : "क्या ???"
और जान बूझकर काजल ने अपने दोनो हाथ अपनी छातियों पर रख लिए...जैसे केशव उन्हे ही देखने की बात कर रहा हो..
और फिर केशव के मासूमियत से भरे चेहरे पर पसीना देखकर वो खुद ही हंस-हंसकर लोट-पोट हो गयी...
काजल : "हा हा हा ....केशव तू भी ना....कितना बड़ा भोंदू है...पता नही तूने वो सब कैसे किया होगा सारिका के साथ...वो तो तुझे कक्चा खा गयी होगी...''
केशव : "मुझे ...और वो....आप ये बात कैसे कह सकती हो ...''
वो ताश की गड्डी को पीटता हुआ बोला
काजल : "मुझे पता है...वो ऐसी ही है शुरू से...जिस तरह की बाते वो करती थी की ये करेगी...वो करेगी...मैं तो सोच भी नहीं सकती थी वो सब...और वो बोल भी देती थी...उसकी बातें सुनकर ही मुझे पता चल गया था की इसके हाथ जो भी पहला शिकार आएगा...वो उसका क्या हाल करेगी...और मुझे क्या पता था की उसका शिकार मेरा भाई ही होकर रहेगा...हा हा''
और वो फिर से अपना पेट पकड़कर ज़ोर-2 से हँसने लगी
अब केशव अपनी बहन को क्या बताता...पहली बार उसने सारिका की चूत यहीं मारी थी...वो भी इसी बेड पर, जहाँ वो इस समय खेल रहे थे..काजल ऑफीस गयी हुई थी और माँ किसी काम से मार्केट...
उस समय उसने सारिका की ऐसी चीखे निकलवाई थी की वो आज भी याद करके सहम जाती है...बाद में तो उसे केशव के मोटे लंड की आदत पड़ गयी...पर बाद मे भी हर बार वो उसकी रेल बनाकर ही चुदाई करता था...
केशव : "ये गेम तो आप जीत गयी...''
काजल : "अब पैसे तो रखे नही है हमने ...फिर मुझे क्या मिलेगा...''
वो मंद -2 मुस्कुरा भी रही थी ये बोलते हुए...
केशव को उसकी हँसी का जो मतलब नज़र आ रहा था..वो कहना नही चाहता था...और ये भी नही बोलना चाहता था की जीतने के बाद वो क्या माँगने की बात कर रही है...
केशव : "वो बाद मे बता देना...अभी मुझे कुछ और देखना है...''
काजल : "क्या ???"
और जान बूझकर काजल ने अपने दोनो हाथ अपनी छातियों पर रख लिए...जैसे केशव उन्हे ही देखने की बात कर रहा हो..
और फिर केशव के मासूमियत से भरे चेहरे पर पसीना देखकर वो खुद ही हंस-हंसकर लोट-पोट हो गयी...
काजल : "हा हा हा ....केशव तू भी ना....कितना बड़ा भोंदू है...पता नही तूने वो सब कैसे किया होगा सारिका के साथ...वो तो तुझे कक्चा खा गयी होगी...''
केशव : "मुझे ...और वो....आप ये बात कैसे कह सकती हो ...''
वो ताश की गड्डी को पीटता हुआ बोला
काजल : "मुझे पता है...वो ऐसी ही है शुरू से...जिस तरह की बाते वो करती थी की ये करेगी...वो करेगी...मैं तो सोच भी नहीं सकती थी वो सब...और वो बोल भी देती थी...उसकी बातें सुनकर ही मुझे पता चल गया था की इसके हाथ जो भी पहला शिकार आएगा...वो उसका क्या हाल करेगी...और मुझे क्या पता था की उसका शिकार मेरा भाई ही होकर रहेगा...हा हा''
और वो फिर से अपना पेट पकड़कर ज़ोर-2 से हँसने लगी
अब केशव अपनी बहन को क्या बताता...पहली बार उसने सारिका की चूत यहीं मारी थी...वो भी इसी बेड पर, जहाँ वो इस समय खेल रहे थे..काजल ऑफीस गयी हुई थी और माँ किसी काम से मार्केट...
उस समय उसने सारिका की ऐसी चीखे निकलवाई थी की वो आज भी याद करके सहम जाती है...बाद में तो उसे केशव के मोटे लंड की आदत पड़ गयी...पर बाद मे भी हर बार वो उसकी रेल बनाकर ही चुदाई करता था...