10-11-2019, 09:29 PM
दीदी की नींद अभी भी नहीं टूटती थी मैं हैरान था दीदी तो की नींद तो बहुत जल्दी खुल जाती थी अभी क्या हो गया अभी दीदी बिल्कुल सो रही है या सोने का नाटक कर रही है मुझे डर भी लग रहा था लेकिन मेरा लंड दीदी की चूत में सटासट आ जा रहा था | इसलिए मुझे बहुत मजा आ रहा था | दीदी की कसी गुलाबी गरम चूत चोदने का अहसास ही कुछ और था | मुझे नहीं पता था दीदी सो रही है या सोने का नाटक कर रही है लेकिन मुझे लगता था कि नॉर्मल के समय में इतना कुछ होने के बाद जरूर जाग जाती थी लेकिन अभी शायद सोने का नाटक कर रही है लेकिन जब मैंने दीदी को जगाने की कोशिश करी तो ऐसा लगा कि दीदी सचमुच में सो रही है | फिर मैं दीदी को वैसे ही लिटा कर चोदता रहा और चोदते चोदते काफी देर तक मैं दीदी के स्तनों को मुसल्ला रहा उनके चूतड़ों को सहला रहा और उनके उनके पेट को सहलाता रहा | उनकी चूत दाने को रगड़ता दीदी भी सपनों में ही सही हल्की सिसकारियां भर्ती रही | उसके बाद चोदते चोदते आखिरकार मैं उनकी चूत में ही झड़ गया था | शाम से लेकर अब तक दीदी को मैं 3 बार चोद चुका था अभी हिम्मत नहीं थी हालांकि मैं पूरी जैसे जवान था और जोश में भरा हुआ था लेकिन फिर भी मैं थक गया था और मैं उसी तरह से लंड को पूरा का पूरा दीदी की चूत में घुसा के सो गया था | सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा मैं अभी भी सो रहा हूं और दीदी भी सो रही है मेरा लंड दीदी की चूत के पास सिकुड़ा हुआ पड़ा हुआ है और उनकी चूत से निकला हुआ ढेर सारा लंड का रस भी बिस्तर पर पड़ा हुआ है मैंने उठने की कोशिश करी लेकिन मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी इसीलिए लेटा रहा | दीदी की चूत मेरे लंड रस से सनी हुई थी |
तभी दीदी घूम के पलटी और उन्होंने कहा - मजा आया मुझे रात में चोद के मैंने कहा दीदी आप जाग रही थी |
दीदी बोली नहीं जाग तो नहीं रही थी लेकिन मुझे एहसास हो गया था तुम मुझे चोद रहे थे इसका अहसास मुझे हो गया था | मैं अपनी नींद खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने तुम्हें रोका नहीं हो | तुम मुझे चोदते रहे लेकिन मुझे पता चल गया था तुम मुझे चोद रहे हो |
मै - क्या करूं दीदी रात में मन नहीं मान रहा था लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था|
दीदी - कोई बात नहीं इस उमर में ऐसा होता है तुमने भी पहली बार चूत को चोदा है | अभी तो दिन में चार पांच बार भी चुदाई करोगे तो मन नहीं भरेगा | मुझे खुशी है तुमने मुझे एक बार नहीं दो बार नहीं 3 बार चोद दिया है | मै भी कई बार चुदना चाहती थी मेरा भी मन था लेकिन मैं डर रही थी मैं नहीं चाहती थी कि तुम थक जाओ इसीलिए मैंने तुमसे कहा नहीं लेकिन अच्छा हुआ तुमने रात में मुझे चोद दिया | अब मै दिन भर खुस रहूंगी | उसके बाद सुबह में अपनी उस खुशनुमा यादों के साथ में वापस घर चला आया | दीदी के मां-बाप वापस लौट आए थे इसके बाद हमें कम से कम अगले 15 दिन तक बिल्कुल भी टाइम नहीं मिला जब हम और दीदी एक दूसरे को चोद सकें | उधर दीदी के मां-बाप को कुछ न कुछ शक हो गया था इसलिए वह बहुत सख्त निगरानी रख रहे थे हालांकि एक दिन मुझे मौका मिल गया जब मेरे मां-बाप शादी के लिए किसी रिश्तेदार के यहां गए थे मुझे पता था अब रात के 1 बजे से पहले से पहले मां-बाप नहीं आएंगे तो इसलिए मैं अकेला था मैं मासूम समूह बनाकर के रात के 8:00 बजे दीदी के घर गया और उनके मां-बाप से बोला अंकल जी मैं बिल्कुल अकेला हूं मुझे वहां डर लग रहा है क्या मैं आपके यहां रुक जाऊं तो अंकल जी बोले यहाँ तो इतनी जगह नहीं | दीदी बोली यहां रुकने जगह नहीं है तो क्या हुआ चल मैं तेरा साथ तेरे घर चलती हूं | दीदी के माँ बाप जानबूझकर भी मना नहीं कर पाए हालांकि उन्होंने दीदी के साथ छुटकी को भी साथ भेज दिया | अब हमारे लिए मुसीबतें थी कि छुटकी और दीदी साथ में आए थे अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था हालांकि मैंने उसका भी इंतजाम ढूंढ दिया मैंने टीवी पर एक कार्टून मूवी लगा दी | छुटकी उस कार्टून मूवी को देखने में पूरी तरह बिजी हो गई | मै दीदी के साथ दुसरे कमरे में आ गया | उसके बाद पहले दीदी ने मेरा लंड चूसा और उसके बाद मैंने दीदी के 2 बार लगातार चोदा | दीदी भी पूरी तरह से मस्त हो गई थी उसके बाद ही अपने घर चली गई | जाने से पहले सुबह दीदी ने मुझसे कहा - देखो अब हम दोनों जवान है,तुम मुझे चोदते हो | मै तुमारी टीचर हूं और तुम मेरे स्सेटूडेंट | इसलिए अब तुम मुझे दीदी मत कहा करो | जब भी हम अकेले होंगे तो मुझे क्रिस्टीना कहोगे और मैं तुम्हारे जितेश कहा करूंगी मैं समझ गया था | दीदी अब नहीं चाहती कि हमारे बीच में यह सामाजिक रिश्तो का नाम नाम हो इसलिए दीदी चाहती थी कि मैं उनको उनके नाम से बुलाऊं मैंने ठीक है आज से आपको मैं क्रिस्टीना कहा करूंगा | उसके बाद सब कुछ करने के बावजूद मै दीदी को घर में नहीं चोद पा रहा था | किसी तरह से एक बार एक पुराने खँडहर में दीदी को चोद रहा था तभी वहां बिच्छू निकल आया और दीदी बहुत डर गयी | फिर एक दिन मै दीदी को उनके घर में हो चोद रहा था तो छुटकी ने मुझे देख लिया था और उसके बाद में छुटकी थोड़ा डर भी गई थी | बड़ी मुश्उकिल से दीदी ने उसे मनाया | उसे प्यार से समझाया | उसके बाद दीदी ने उसकी पेंट में उंगली करके उसकी चूत को रगड़ने लगी थी जिससे छुटकी को मजा आने लगा था | छुटकी को पटाने में दीदी को बहुत मेहनत लगी थी लेकिन आखिरकार चुटकी मान गई थी अब कि वह यह बात किसी को नहीं बताएगी बदले में छुटकी ने दीदी से ₹2000 लिए और इधर मैंने भी छुटकी की चूत को कस करके चूस दिया था जिसे छुटकी मस्त हो गई थी |
छुटकी को पटाने के बाद तो हर दिन हम घर में ही चुदाई करते | एक साल तक लगभग हर रोज ही मै दीदी को चोदता था | मुझे भी बहुत मजा आता था और दीदी को भी चुदवाने की आदत पड़ गयी थी | ऐसा लगता तह जैसे खाना खाना रूटीन हो वैसे दीदी को चोदना रूटीन हो गया था | साल के ख़त्म होते ही दीदी आगे की पढाई के लिए बाहर चली गयी | मुझे चूत की लत लग चुकी थी, 15 दिन तक मैंने किसी तरह सब्र किया लेकिन फिर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी | इसलिए मैंने छुटकी को पटाने की कोशिश की | शुराती ना नुकुर के बाद छुटकी मान भी गयी | अब असल मै मै छुटकी को टूशन देने लगा | इसलिए छुटकी मेरे घर पढ़ने आती थी | फिर मैंने छुटकी की सील भी तोड़ी | छुटकी की चूत भी दीदी की तरह कसी हुई थी | माँ हमेशा उपरी मजिल पर रहती थी इसलिए नीचे कमरा बंद करके मै छुटकी को दो दो घंटा टूशन पढ़ाता | छुटकी के नंबर जब अच्छे आने लगे तो किसी कोई कोई शक भी नहीं हुआ | हालाकि पहली चुदाई में छुटकी को उतना खून्न नहीं निकला |
लेकिन छुटकी भी अब जवान होने लगी थी | उसकी छातियाँ भी भर गयी थी |
कहना गलत नहीं होगा की छुटकी की चूत भी दीदी की तरह पूरी तरह से टाइट थी | छुटकी का बदन भी मस्त था | बस नजर की बात थी कभी उस नजर से उसे पहले देखा नहीं था | जब से छुटकी के नंगे बदन के दर्शन हुए | मै तो छुटकी का दीवाना हो गया | एक बार छुटकी की चूत की सील क्या टूटी फिर तो आये दिन चुदाई शुरू हो गयी | क्या मस्त कसा हुआ बदन था छुटकी | अब तो मै दीदी को भूल ही गया | छुटकी थी भी एक नंबर की चुद्द्कड़ | दीदी के मुकाबले ज्यादा बेशर्म और लंद्खोर | कई बार तो टूशन में आते ही दरवाजा बंद करती और कपड़े उतार कर मेरा लंड चूसने लगती | पुरे दो घन्टे बस चुदती ही रहती | जब मै उसको चोदने में ज्यादा थकने लगा तो उसी ने पता नहीं कहाँ से मुझे कुछ गोलियां लाकर दी | जिनको खाकर मेरा लंड बैठता ही नहीं था | 6 महीने तक ये सिलसिला चलता रहा | दीदी छुट्टियों में वापस आई | दीदी मुझे चुदना चाहती थी लेकिन छुटकी जब मौका दे न | दीदी को जब पता चला मै छुटकी को चोद रहा हूँ तो दीदी ने मुझे बहुत बुरा भला कहा, मुझसे खूब लडाई करी की, मार पीट करी , खूब रोई भी आखिर मैंने उनकी बहन को क्यों चोदा |
दीदी रोते हुए बोली - जितेश मैंने इतने लंड देखे हैं लेकिन तुम्हारा लंड सबसे अलग है इसीलिए मैं तुम्हारे लंड से चुदाई करी और मैं तुम्जिंहे चाहती थी तुमारे साथ न जाने कितने सपने देखे थे | ;लेकिन तुमने अपनी हवस की आग में सब बिखेर दिया | एक बार कहते तो सही मेरी याद आ रही है, ख़ुशी खुसी तुमसे चुदवाने चली आती | तुमने मेरा दिल दुखाया हिया अब मेरी हाय लगेगी तुमको जिदगी भर इसी चूत के लिए तरसोगे | दीदी गुस्सा होकर वापस चली गयी |
इधर मै फिर से छुटकी को रोज चोदने लगा हालाँकि मुझे दीदी का दुःख था लेकिन मुझे क्या पता था दीदी मुझे चाहने लगी है | इधर छुटकी तो जैसे हरदम चुदने के लिए तैयार बैठी रहती थी | उसके चक्कर में बिलकुल पढाई नहीं कर पाता | मेरे १२ के एग्जाम आ गए, मुझे पढ़ाई करनी थी लेकिन छुटकी को चुदाई का भूत सवार रहता | जब तक एक बार दिन में मेरा लंड घोट नहीं लेती अपनी चूत में उसका मन ही नहीं भरता था | मेरे आसपास ही मडराती रहती | मै भी उसकी चूत का आदी हो गया था | चोदने का मन न भी हो तो ललक जाग उठती थी | घर में आजकल बहुत भीड़ रहती थी क्योंकि मेहमान आये हुए थे इसलिए कॉलेज के बाद मै छुटकी के साथ कॉलेज के पीछे बने खेतो में चला जाता था | वही चुदाई करते थे | छुटकी की कसी कुंवारी चूत को मैंने सात महीने में ही बच्चा जनने वाली औरतो जैसी चूत की सुरंग बना दिया था | उसकी चूत का छेद दूर से ही नजर आ जाता था | छुटकी को भी ये बात पता थी इसलिए अक्सर कहती थी तुमारे इस मुसल लंड ने मेरी कमसिन कुवारी चूत का भोसड़ा बना दिया है | शादी के बाद अपने हुसबंद को क्या कहूँगी |
जब वो ये बात बोलती तो मै उसकी चूत की फाके फैलाकर उसकी चूत का खुला चौड़ा छेद देखने लग जाता | उसमे अपनी जीतनी उंगलियाँ हो सकती घुसाने लगता | ऐसा नहीं था की छुटकी ही चुदाई के लिए पागल थी, मेरा भी बहुत मन उसे चोदने का होता था | घर में अक्सर चुदाई संभव नहीं हो पाती थी तो मै उसे अलग अलग जगहों पर चोदता था | मैंने उसे खेतो में चोदा था, नाले के किनारे चोदा था, छुपम छुपाई खेलते हलका सा अँधेरा होने पर उसे एक कोने में ले जाकर चोदा था, छत की मुंडेर पर भरी दोपहरिया में, कड़ाके की सर्दी में उसकी बालकनी में बाहर से चढ़कर | बारिश में भीगते हुए, उफनते नाले के किनारे, पड़ोस गली के अंकल की कर की डिग्गी में | और तो और मंदिर के पिछवाड़े में, चर्च में पादरी की सीट के पीछे | ऐसी ही तोड़े ही न छुटकी की चूत का भोसड़ा बन गया था | लोग जीतनी चुदाई अपने शादी के 20 साल में नहीं करते है उतनी मैंने 7 महीने में कर ली थी |
हमारी चुदाई का ये आलम था कई बार तो मैंने उसे पीरियड्स में चोदा था | पता नहीं मेरे अन्दर हवस कहाँ से भरी थी | मुझे ये चीज बाद में पता चली की छुटकी मुझे के टॉफी खाने को देती थी असल में जो नशीली दवा थी और उत्तेजना बढ़ाती थी | जब मै छुटकी से दूरी बनाने की कोशिश करता तो छुटकी सबकी बताने की धमकी देती | बोर्ड के एग्जाम आ गये थे और छुटकी पढने का टाइम ही नहीं दे रही थी | मै एग्जाम दे रहा था | एक दिन मै अपना आखिरी पेपर देकर जब वापस आया तो मोहल्ले में हंगामा मचा हुआ था | बाद में पता चला छुटकी पेट से है | सबका निशाना मै था | माँ का तो शर्म से घर से बाहर निकालना ही बंद हो गया | बाप ने गाली देकर बाहर निकाल दिया | किसी तरह से कुछ पैसे जुगाड़ करके चाचा के यहाँ पंहुच गया | चाचा आर्मी में थे, वहाँ उन्होंने एक शर्त पर रखने को राजी हुए | वो शर्त थी उनकी बात मानना | अगले दिन से मेरी मिलटरी वाली ट्रेनिंग शुरू कर दी | सुरुआत के तीन महीने तो कमजोरी और नशीली दवाओं के असर को ख़त्म होने तक मेरी बहुत बुरी हालत हो गयी थी | कुत्तो की तरह हांफता रहता | तीन महीने के बाद सब ठीक होने लगा | मेरे अन्दर से चुदाई की जैसे इक्षा ही ख़त्म हो गयी | तब मुझे पता चला सब छुटकी की दी हुई उस टॉफी का असर था | मेरे पिता के यहाँ से न कोई खबर आई न मैंने जानने की कोशिश की | 9 महीने की टट्रेनिंग के बाद मुझे सेना की भर्ती के लिए चाचा बाहर ले गए | इससे पहले वो मेरे घर से सारे डॉक्यूमेंट ले आये | मै पहली बार में ही सेना में सेलेक्ट हो गया | पीछे आतीत का सब कुछ याद रहते हुए भी भूल गया | सेना में आने के बाद भी मेरे माँ बाप ने मुझे नहीं स्वीकारा हालाँकि मै उन्हें पैसे भेजता रहा | सेना में जब फिजा से मिला तो एक बार फिर से दीदी और छुटकी की यादे ताजा हो गयी | फिजा बिलकुल दीदी की तरह स्वाभाव की थी | अन्दर से चुदक्कड़ लेकिन ख्याल रखने वाली | लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, पता नहीं माँ बाप का दिल दुखाने की सजा मिली या दीदी का दिल तोड़ने की लेकिन इतना तो तय किसी न किसी की हाय तो लगी ही है |
तभी दीदी घूम के पलटी और उन्होंने कहा - मजा आया मुझे रात में चोद के मैंने कहा दीदी आप जाग रही थी |
दीदी बोली नहीं जाग तो नहीं रही थी लेकिन मुझे एहसास हो गया था तुम मुझे चोद रहे थे इसका अहसास मुझे हो गया था | मैं अपनी नींद खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए मैंने तुम्हें रोका नहीं हो | तुम मुझे चोदते रहे लेकिन मुझे पता चल गया था तुम मुझे चोद रहे हो |
मै - क्या करूं दीदी रात में मन नहीं मान रहा था लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था|
दीदी - कोई बात नहीं इस उमर में ऐसा होता है तुमने भी पहली बार चूत को चोदा है | अभी तो दिन में चार पांच बार भी चुदाई करोगे तो मन नहीं भरेगा | मुझे खुशी है तुमने मुझे एक बार नहीं दो बार नहीं 3 बार चोद दिया है | मै भी कई बार चुदना चाहती थी मेरा भी मन था लेकिन मैं डर रही थी मैं नहीं चाहती थी कि तुम थक जाओ इसीलिए मैंने तुमसे कहा नहीं लेकिन अच्छा हुआ तुमने रात में मुझे चोद दिया | अब मै दिन भर खुस रहूंगी | उसके बाद सुबह में अपनी उस खुशनुमा यादों के साथ में वापस घर चला आया | दीदी के मां-बाप वापस लौट आए थे इसके बाद हमें कम से कम अगले 15 दिन तक बिल्कुल भी टाइम नहीं मिला जब हम और दीदी एक दूसरे को चोद सकें | उधर दीदी के मां-बाप को कुछ न कुछ शक हो गया था इसलिए वह बहुत सख्त निगरानी रख रहे थे हालांकि एक दिन मुझे मौका मिल गया जब मेरे मां-बाप शादी के लिए किसी रिश्तेदार के यहां गए थे मुझे पता था अब रात के 1 बजे से पहले से पहले मां-बाप नहीं आएंगे तो इसलिए मैं अकेला था मैं मासूम समूह बनाकर के रात के 8:00 बजे दीदी के घर गया और उनके मां-बाप से बोला अंकल जी मैं बिल्कुल अकेला हूं मुझे वहां डर लग रहा है क्या मैं आपके यहां रुक जाऊं तो अंकल जी बोले यहाँ तो इतनी जगह नहीं | दीदी बोली यहां रुकने जगह नहीं है तो क्या हुआ चल मैं तेरा साथ तेरे घर चलती हूं | दीदी के माँ बाप जानबूझकर भी मना नहीं कर पाए हालांकि उन्होंने दीदी के साथ छुटकी को भी साथ भेज दिया | अब हमारे लिए मुसीबतें थी कि छुटकी और दीदी साथ में आए थे अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था हालांकि मैंने उसका भी इंतजाम ढूंढ दिया मैंने टीवी पर एक कार्टून मूवी लगा दी | छुटकी उस कार्टून मूवी को देखने में पूरी तरह बिजी हो गई | मै दीदी के साथ दुसरे कमरे में आ गया | उसके बाद पहले दीदी ने मेरा लंड चूसा और उसके बाद मैंने दीदी के 2 बार लगातार चोदा | दीदी भी पूरी तरह से मस्त हो गई थी उसके बाद ही अपने घर चली गई | जाने से पहले सुबह दीदी ने मुझसे कहा - देखो अब हम दोनों जवान है,तुम मुझे चोदते हो | मै तुमारी टीचर हूं और तुम मेरे स्सेटूडेंट | इसलिए अब तुम मुझे दीदी मत कहा करो | जब भी हम अकेले होंगे तो मुझे क्रिस्टीना कहोगे और मैं तुम्हारे जितेश कहा करूंगी मैं समझ गया था | दीदी अब नहीं चाहती कि हमारे बीच में यह सामाजिक रिश्तो का नाम नाम हो इसलिए दीदी चाहती थी कि मैं उनको उनके नाम से बुलाऊं मैंने ठीक है आज से आपको मैं क्रिस्टीना कहा करूंगा | उसके बाद सब कुछ करने के बावजूद मै दीदी को घर में नहीं चोद पा रहा था | किसी तरह से एक बार एक पुराने खँडहर में दीदी को चोद रहा था तभी वहां बिच्छू निकल आया और दीदी बहुत डर गयी | फिर एक दिन मै दीदी को उनके घर में हो चोद रहा था तो छुटकी ने मुझे देख लिया था और उसके बाद में छुटकी थोड़ा डर भी गई थी | बड़ी मुश्उकिल से दीदी ने उसे मनाया | उसे प्यार से समझाया | उसके बाद दीदी ने उसकी पेंट में उंगली करके उसकी चूत को रगड़ने लगी थी जिससे छुटकी को मजा आने लगा था | छुटकी को पटाने में दीदी को बहुत मेहनत लगी थी लेकिन आखिरकार चुटकी मान गई थी अब कि वह यह बात किसी को नहीं बताएगी बदले में छुटकी ने दीदी से ₹2000 लिए और इधर मैंने भी छुटकी की चूत को कस करके चूस दिया था जिसे छुटकी मस्त हो गई थी |
छुटकी को पटाने के बाद तो हर दिन हम घर में ही चुदाई करते | एक साल तक लगभग हर रोज ही मै दीदी को चोदता था | मुझे भी बहुत मजा आता था और दीदी को भी चुदवाने की आदत पड़ गयी थी | ऐसा लगता तह जैसे खाना खाना रूटीन हो वैसे दीदी को चोदना रूटीन हो गया था | साल के ख़त्म होते ही दीदी आगे की पढाई के लिए बाहर चली गयी | मुझे चूत की लत लग चुकी थी, 15 दिन तक मैंने किसी तरह सब्र किया लेकिन फिर मेरी हिम्मत जवाब दे गयी | इसलिए मैंने छुटकी को पटाने की कोशिश की | शुराती ना नुकुर के बाद छुटकी मान भी गयी | अब असल मै मै छुटकी को टूशन देने लगा | इसलिए छुटकी मेरे घर पढ़ने आती थी | फिर मैंने छुटकी की सील भी तोड़ी | छुटकी की चूत भी दीदी की तरह कसी हुई थी | माँ हमेशा उपरी मजिल पर रहती थी इसलिए नीचे कमरा बंद करके मै छुटकी को दो दो घंटा टूशन पढ़ाता | छुटकी के नंबर जब अच्छे आने लगे तो किसी कोई कोई शक भी नहीं हुआ | हालाकि पहली चुदाई में छुटकी को उतना खून्न नहीं निकला |
लेकिन छुटकी भी अब जवान होने लगी थी | उसकी छातियाँ भी भर गयी थी |
कहना गलत नहीं होगा की छुटकी की चूत भी दीदी की तरह पूरी तरह से टाइट थी | छुटकी का बदन भी मस्त था | बस नजर की बात थी कभी उस नजर से उसे पहले देखा नहीं था | जब से छुटकी के नंगे बदन के दर्शन हुए | मै तो छुटकी का दीवाना हो गया | एक बार छुटकी की चूत की सील क्या टूटी फिर तो आये दिन चुदाई शुरू हो गयी | क्या मस्त कसा हुआ बदन था छुटकी | अब तो मै दीदी को भूल ही गया | छुटकी थी भी एक नंबर की चुद्द्कड़ | दीदी के मुकाबले ज्यादा बेशर्म और लंद्खोर | कई बार तो टूशन में आते ही दरवाजा बंद करती और कपड़े उतार कर मेरा लंड चूसने लगती | पुरे दो घन्टे बस चुदती ही रहती | जब मै उसको चोदने में ज्यादा थकने लगा तो उसी ने पता नहीं कहाँ से मुझे कुछ गोलियां लाकर दी | जिनको खाकर मेरा लंड बैठता ही नहीं था | 6 महीने तक ये सिलसिला चलता रहा | दीदी छुट्टियों में वापस आई | दीदी मुझे चुदना चाहती थी लेकिन छुटकी जब मौका दे न | दीदी को जब पता चला मै छुटकी को चोद रहा हूँ तो दीदी ने मुझे बहुत बुरा भला कहा, मुझसे खूब लडाई करी की, मार पीट करी , खूब रोई भी आखिर मैंने उनकी बहन को क्यों चोदा |
दीदी रोते हुए बोली - जितेश मैंने इतने लंड देखे हैं लेकिन तुम्हारा लंड सबसे अलग है इसीलिए मैं तुम्हारे लंड से चुदाई करी और मैं तुम्जिंहे चाहती थी तुमारे साथ न जाने कितने सपने देखे थे | ;लेकिन तुमने अपनी हवस की आग में सब बिखेर दिया | एक बार कहते तो सही मेरी याद आ रही है, ख़ुशी खुसी तुमसे चुदवाने चली आती | तुमने मेरा दिल दुखाया हिया अब मेरी हाय लगेगी तुमको जिदगी भर इसी चूत के लिए तरसोगे | दीदी गुस्सा होकर वापस चली गयी |
इधर मै फिर से छुटकी को रोज चोदने लगा हालाँकि मुझे दीदी का दुःख था लेकिन मुझे क्या पता था दीदी मुझे चाहने लगी है | इधर छुटकी तो जैसे हरदम चुदने के लिए तैयार बैठी रहती थी | उसके चक्कर में बिलकुल पढाई नहीं कर पाता | मेरे १२ के एग्जाम आ गए, मुझे पढ़ाई करनी थी लेकिन छुटकी को चुदाई का भूत सवार रहता | जब तक एक बार दिन में मेरा लंड घोट नहीं लेती अपनी चूत में उसका मन ही नहीं भरता था | मेरे आसपास ही मडराती रहती | मै भी उसकी चूत का आदी हो गया था | चोदने का मन न भी हो तो ललक जाग उठती थी | घर में आजकल बहुत भीड़ रहती थी क्योंकि मेहमान आये हुए थे इसलिए कॉलेज के बाद मै छुटकी के साथ कॉलेज के पीछे बने खेतो में चला जाता था | वही चुदाई करते थे | छुटकी की कसी कुंवारी चूत को मैंने सात महीने में ही बच्चा जनने वाली औरतो जैसी चूत की सुरंग बना दिया था | उसकी चूत का छेद दूर से ही नजर आ जाता था | छुटकी को भी ये बात पता थी इसलिए अक्सर कहती थी तुमारे इस मुसल लंड ने मेरी कमसिन कुवारी चूत का भोसड़ा बना दिया है | शादी के बाद अपने हुसबंद को क्या कहूँगी |
जब वो ये बात बोलती तो मै उसकी चूत की फाके फैलाकर उसकी चूत का खुला चौड़ा छेद देखने लग जाता | उसमे अपनी जीतनी उंगलियाँ हो सकती घुसाने लगता | ऐसा नहीं था की छुटकी ही चुदाई के लिए पागल थी, मेरा भी बहुत मन उसे चोदने का होता था | घर में अक्सर चुदाई संभव नहीं हो पाती थी तो मै उसे अलग अलग जगहों पर चोदता था | मैंने उसे खेतो में चोदा था, नाले के किनारे चोदा था, छुपम छुपाई खेलते हलका सा अँधेरा होने पर उसे एक कोने में ले जाकर चोदा था, छत की मुंडेर पर भरी दोपहरिया में, कड़ाके की सर्दी में उसकी बालकनी में बाहर से चढ़कर | बारिश में भीगते हुए, उफनते नाले के किनारे, पड़ोस गली के अंकल की कर की डिग्गी में | और तो और मंदिर के पिछवाड़े में, चर्च में पादरी की सीट के पीछे | ऐसी ही तोड़े ही न छुटकी की चूत का भोसड़ा बन गया था | लोग जीतनी चुदाई अपने शादी के 20 साल में नहीं करते है उतनी मैंने 7 महीने में कर ली थी |
हमारी चुदाई का ये आलम था कई बार तो मैंने उसे पीरियड्स में चोदा था | पता नहीं मेरे अन्दर हवस कहाँ से भरी थी | मुझे ये चीज बाद में पता चली की छुटकी मुझे के टॉफी खाने को देती थी असल में जो नशीली दवा थी और उत्तेजना बढ़ाती थी | जब मै छुटकी से दूरी बनाने की कोशिश करता तो छुटकी सबकी बताने की धमकी देती | बोर्ड के एग्जाम आ गये थे और छुटकी पढने का टाइम ही नहीं दे रही थी | मै एग्जाम दे रहा था | एक दिन मै अपना आखिरी पेपर देकर जब वापस आया तो मोहल्ले में हंगामा मचा हुआ था | बाद में पता चला छुटकी पेट से है | सबका निशाना मै था | माँ का तो शर्म से घर से बाहर निकालना ही बंद हो गया | बाप ने गाली देकर बाहर निकाल दिया | किसी तरह से कुछ पैसे जुगाड़ करके चाचा के यहाँ पंहुच गया | चाचा आर्मी में थे, वहाँ उन्होंने एक शर्त पर रखने को राजी हुए | वो शर्त थी उनकी बात मानना | अगले दिन से मेरी मिलटरी वाली ट्रेनिंग शुरू कर दी | सुरुआत के तीन महीने तो कमजोरी और नशीली दवाओं के असर को ख़त्म होने तक मेरी बहुत बुरी हालत हो गयी थी | कुत्तो की तरह हांफता रहता | तीन महीने के बाद सब ठीक होने लगा | मेरे अन्दर से चुदाई की जैसे इक्षा ही ख़त्म हो गयी | तब मुझे पता चला सब छुटकी की दी हुई उस टॉफी का असर था | मेरे पिता के यहाँ से न कोई खबर आई न मैंने जानने की कोशिश की | 9 महीने की टट्रेनिंग के बाद मुझे सेना की भर्ती के लिए चाचा बाहर ले गए | इससे पहले वो मेरे घर से सारे डॉक्यूमेंट ले आये | मै पहली बार में ही सेना में सेलेक्ट हो गया | पीछे आतीत का सब कुछ याद रहते हुए भी भूल गया | सेना में आने के बाद भी मेरे माँ बाप ने मुझे नहीं स्वीकारा हालाँकि मै उन्हें पैसे भेजता रहा | सेना में जब फिजा से मिला तो एक बार फिर से दीदी और छुटकी की यादे ताजा हो गयी | फिजा बिलकुल दीदी की तरह स्वाभाव की थी | अन्दर से चुदक्कड़ लेकिन ख्याल रखने वाली | लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, पता नहीं माँ बाप का दिल दुखाने की सजा मिली या दीदी का दिल तोड़ने की लेकिन इतना तो तय किसी न किसी की हाय तो लगी ही है |