10-11-2019, 09:24 PM
दीदी माँ से बाते कर रही थी उसके बाद वह बोली- वहां से उसके मां-बाप का फोन आया है और वह आज भी नहीं आएंगे इसलिए क्या वह आज रात भी मेरे पास रुक सकता है हालांकि यह मुझे सुनाई नहीं पड़ा था कि मैं अपने कमरे में कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था | इतना कह कर दीदी वापस चली गई शाम को जब मैं ट्यूशन के लिए दीदी के यहां जाने लगा तो माँ ने मुझसे कहा कि अभी से क्यों जा रहा है |
मै - ट्यूशन पढ़ने जा रहा हूँ |
माँ - अरे मै तुझे बताना भूल गयी थी कि आज रात भी तुम ही रुकोगे कि वह अकेली है और उसके मां-बाप आज भी लौट के नहीं आ रहे हैं मैं समझ गया मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन मैं अपनी खुशी छिपाते हुए ठीक है सुबह सुबह ही तो आई थी यह बताने के लिए | मुझे वापस बैग कमरे में रख आया उसके बाद खेलने चला गया | आया दीदी आज खेलने नहीं आई थी इसलिए मुझे थोड़ा सा निराशा लगी थी लेकिन 2 घंटे बाद जब मैं बैग दीदी के पास पंहुचा तो मैंने दीदी से पूछा - दीदी आज आप खेलने क्यों नहीं आई थी |
दीदी बोली - उसके यहां पे दर्द हो रहा था कल उसकी चूत की झिल्ली फटी थी उसका कुंवारे पन लूटा गया था इसलिए आज उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था और वह थोड़ा थकावट महसूस कर रही थी इसलिए आज नीचे नहीं आई |
जाते ही जाते मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और दीदी के चूतड़ मसलने लगा तो दीदी भी मेरे चूतड़ों पर हाथ जमा कर मसलने लगी और मुझे कसके चूमने लगी थी मैं समझ गया था आग दोनों तरफ से बराबर लगी हुई है कुछ दिन पहले तक मुझे इस जवानी की आग का एहसास ही नहीं था लेकिन अब तो हर पल मैं चाहता था कि दीदी मेरे पास ही रहे और मै उन्हें चोदता रहू | दीदी का भी है बुरा हाल था वह भी अब चुदने के लिए तैयार ही बैठी रहती थी | मेरे जाते ही दीदी ने फटाक से बाहर का दरवाजा बंद किया और सोफे पर आकर बैठी थी और टीवी चला दी थी हालांकि मेरे से सब्र नहीं हो रहा था मैंने दीदी का पजामा नीचे की तरफ खींच दिया और मेरा लंड दीदी को देखते ही तन गया था मैंने अपने लंड को एंड से निकालकर दीदी के चूतड़ों और उसकी चूत पर मसलने लगा था |
दीदी - क्या हो गया इतना उतावला क्यों हो रहा है सब तेरा ही तो है, सब कुछ तुझे ही तो लूटना है आराम से जो मर्जी हो वह लूट , ये सारा हुस्न ये जवानी सब तेरे लिए तो है जैसे मर्जी हो वैसे लूट लेकिन मैं कहां दीदी की सुनने वाला था जब तक दीदी कुछ कहती सुनती समझती तब तक मैंने दीदी की पैंटी भी उतार दी थी |
उसके बाद में दीदी की कि वह गुलाबी कसी हुई चूत मेरे सामने नुमाया हो गई थी, मै देखना चाहता था की क्या चूत का छेद बिलकुल वैसा ही है | मैंने दीदी की चूत के ओंठो को फैला दिया | दीदी की चूत खुली हुई थी लेकिन चूत की दीवारों ने आपस में चिपककर सुरंग का रास्ता रोक रखा था | मै दीदी की चूत देखकर पागल सा हो गया था | दीदी टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रही थी | उनका धयान मेरी तरफ बिलकुल नहीं था | जबकि मै बस दीदी की चूत के लिए पगलाया हुआ था |
मैंने आव देखा ना ताव और अपने खड़े हो रहे लंड पर लार उड़ेली और सीधे दीदी की चूत के मुहाने पर सटा के पेल दिया |
दीदी के मुहँ से एक मादक कराह निकल कर रह गयी | मैंने फिर से दीदी की चूत में लंड पेल दिया | दीदी फिर कराह उठी | उनकी चूत में जब मैंने ;लंड घुसेड़ा था तब उनकी चूत सुखी थी लेकिन दो धक्को में ही दीदी की चूत की दीवारों से पानी रिसनेलगा | इससे पता चल रहा था दीदी की चूत कितनी जोर से लंड की भूखी थी | उसके बाद में दीदी समझ गई थी कि मैं रुकने वाला नहीं हूं इसलिए मुझे कुछ कहने की बजाय दीदी उसी तरह से लेटी रही, और फिर से टीवी देखने लगी | उन्हें पता था आज मै उनके कहने से रुकने वाला नहीं हूँ | दूसरा वो भी चुदना चाहती थी इसलिए उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया | साथ ही साथ वो ये भी देखना चाहती थी की मै कितना सीखा हूँ | क्या मुझे ठीक से चूत चोदना आ गया है | दीदी सोफे पर पसरी हुई थी, उनका सर टीवी की तरफ था | जब मुझे चूत में लंड घुसेड़ते देखा | तो अपने अपने बड़े बड़े चुताड़ो को मेरी तरफ थोड़ा और खिसका दिया | मैं खड़े-खड़े जमीन से सोफे पर लेटी दीदी के चूतड़ों को थाम के उनकी चूत में लंड को पेलने लगा | आज दीदी की चूत में आराम से लंड जा रहा था | दीदी काफी देर तक टीवी देखती रही और मैं सटासट दीदी की चूत में लंड चलता रहा था, दीदी को भी वासना की तरंगे महसूस हो रही थी, वो भी सिसकारियो के साथ कराहने लगी थी | लेकिन आज दीदी मेरे मन का मुझे कर लेने देना चाहती थी | आज वो कोई टोका टोकी नहीं करना चाहती थी |
आज सच में लग रहा था चूत चोदने को जन्नत क्यों कहते है | जैसे जैसे मेरा लंड दीदी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मै भी एक एक करके स्वर्ग की सीढियाँ चढ़ रहा था | मै तेजी से दीदी की चूत में लंड पेल रहा था इसलिए जल्दी ही हफाने लगा | उधर दीदी की सांसे भी चढने लगी थी | लगातार चूत में जाते सटासट लंड से दीदी का बदन भी गरम हो गया था | उनकी सांसे भी भाप छोड़ने लगी थी | लेकिन दीदी इसके बाद भी टीवी की तरफ ही देखती रही | मै कमर हिलाकर दीदी को चोदता रहा | आह क्या चूत थी दीदी की बिकुल मख्खन मलाई की तरह नरम चिकनी और कसी हुई | सच में आज अहसास हो रहा था की दीदी ने मुझे अपनी कितनी अनमोल चीज दिखा दी है और अब चोदने को भी दे रही है | क्या कसी दीदी की चूत थी कल तो मेरी जान ही निकल गई थी दीदी की कुंवारी चूत को खोलने में लेकिन आज दीदी की चूत पहले से नरम थी और मेरे लंड को अपनी गर्माहट से, अपने गीलेपन से बहुत मजा दे रही थी |
मै बहुत तेज दीदी के चुताड़ो पर ठोकरे मार रहा था इसलिए बहुत तेज हांफ भी रहा था | मेरी साँस ऊपर तक चढ़ गयी थी | दीदी की चूत को चोदते चोदते में मदहोश हुआ जा रहा था हालांकि कल भी और आज भी दीदी की कसी चूत के कारण मेरी पिचकारी जल्दी ही छूटने को आई थी | मेरा बदन अकड़ने लगा था और पांव कापने लगे थे और मै अपने पर काबू नहीं रख पाया | मेरी पिच्मैंज्कारी दीदी की चूत की गहराई में फुवारे छोड़ने लगी थी | पांच छ झटको के साथ मेरी सारी मलाई दीदी की चूत में निचुड़ गयी |
मुझे कसकर हांफता देखा दीदी ने पीछे घूम कर देखा और बोली - बस इसीलिए कहती हूं ज्यादा जोश दिखाने की जरूरत नहीं है ज्यादा जोश दिखाओगे तो बस जल्दी ही निपट जाओगे |
मैं समझ गया दीदी का कहने का क्या मतलब है लेकिन मैंने दीदी की चूत से लंड नहीं निकाला था क्योंकि मेरा नही मन भरा था और मुझे लग रहा था दीदी भी शायद अभी इतनी कम चुदाई से खुश नहीं थी इसीलिए उन्होंने ताना मारा था - कल से समझा रही हूँ, आराम से चोदो, हट्टे कट्टे मर्द तो हो नहीं | ऊपर में मेरी नयी नवेली कसी चूत, मिनटों ने लंड का जूस निचोड़ लेती है | कितनी बार कहा आराम से चोदो, मुझे भी मजा आएगा और तुम्हे भी मजा आएगा | लेकिन तुम सुनते कहां हो, तुम्हे तो पता नहीं कहाँ की जल्दी पड़ी है |
दीदी की नाराजगी को सुनता हुआ मै उसी तरह खड़ा रहा | मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में घुसा हुआ था |
दीदी - तुमने तो अपनी पिचकारी छोड़ दी मेरी चूत में मेरी चूत में जो आग लगी है उसका क्या होगा |
मैं कुछ समझ नहीं पाया मैंने कहा - मतलब दीदी |
दीदी - मतलब जैसे तुम्हारे लंड से पिचकारी छूटती है और तुम्हे मजा आता है ऐसे ही मेरी चूत का पानी भी तो छुटता है तो मुझे मजा आता है लेकिन जब तुम जल्दी झड़ गए तो मेरी चूत तो प्यासी रह गयी |
दीदी ने क्मैंया कहा मुझे कुछ समझ नहीं आया |
मैंने कहा दीदी - अब मुझे क्या करना है |
दीदी बोली - अब क्या करोगे अब तो तुम झड़ चुके हो |
मै - नहीं दीदी आप जो बोलोगी मैं वह करने के लिए तैयार हूं |
दीदी बोली - कोई फायदा नहीं है इतनी जल्दी तुमारा लंड फिर से खड़ा नहीं होगा |
मै - मतलब दीदी ,
दीदी - अरे इतनी जल्दी तुम्हारा लंडदुबारा कहाँ से खड़ा होगा अच्छे-अच्छे लंड नहीं खड़े हो पाते तुम्हारा कहां से खड़ा होगा |
मै - लेकिन दीदी मेरा लंड तो अभी तक आपकी चूत में ही है |
दीदी - अच्छा ये बात है तो चोदो न दुबारा, आराम से चोदो, मुझे भी संस्तुष्टि चाहिए होती है | मेरी चूत भी पानी छोडती है लेकिन जब तक उसे देर तक नहीं चोदोगे तब तक वो पानी नहीं छोड़ेगी |
अभी कुछ देर पहले पिचकारी छुटते ही मेरी कमर हिलनी बंद हो गयी थी लेकिन मैंने फिर से दीदी की चुत में धक्के लगाने शुरू कर दिए | मेरा लंड पूरी तरह से नहीं मुरझाया था इसकी मुझे हैरानी थी शायद दीदी की चूत चोदने की चाहत में नहीं मुरझाया होगा | दीदी की चूत पूरी तरह से मेरे रस से भरी हुई थी इसलिए उनकी चूत में मेरा लंड आसानी से फिसलने लगा | मेरा लंड हल्का सा नरम हो गया था फिर भी दीदी की चूत पहले से खुली हुई थी और मेरी सफ़ेद मलाई से भरी थी इसलिए आराम से जाने लगा था | मैं फिर से धक्के लगाने लगा था | दीदी हैरान थी |
दीदी बोली - जबरदस्ती करने की कोई जरूरत नहीं है, जब दुबारा लंड खड़ा हो तब चोद देना | इस तरह से खुद से जबरदस्ती न करो | चूत की प्यास है कुछ देर और प्यासी रह लेगी |
दीदी ने जो भी कहा मेरे कानी तक शायद पंहुचा ही नहीं | मैंने कुछ नहीं सुना था | मैंने दीदी चुताड़ो को पकड़कर फिर उसे को चोदने लगा था | दीदी को लगा मै उनकी सुनने वाला नहीं हूं तो अपने हाथ से चूत दाने को मसलते हुए फिर से टीवी देखने मस्त हो गई थी| असल में दीदी टीवी नहीं देख रही थी मेरी चुदाई का आनंद ले रही थी | इस बार मैंने उन्हें लंबे लंबे और धीरे धीरे धक्के लगा रहा था | जैसा कि दीदी ने खुद बताया था कि आराम से पूरा लंड चूत के आखिर छोर तक घुसेड़ो और फिर पूरा लंड बाहर निकालो | मैं उसी तरह से धीरे धीरे दीदी को चोद रहा था |
धीरे धीरे मेरा लंड फिर से पत्थर की तरह सीधा हो गया | दीदी की चूत की गरमी और उसके चुताड़ो की नरम मांसल अहसास ने मेरे जिस्सम में फिर से उत्तेजना भर दी | बार चोदते चोदते काफी देर तक मेरा लंड दीदी की चूत में ही अंदर बाहर होता रहा लेकिन इस बार पिचकारी नहीं छूटी थी मैं भी हैरान था दीदी की बातों में तो जादू था | जैसा दीदी कह रही थी मैं बिल्कुल वैसा ही करता रहा | इसी बीच में मैंने नोटिस किया दीदी का जिस्म दो बार कांपा | दीदी अभी भी टीवी ही देख रही थी लेकिन साथ में चूत दाने को भी मसल रही थी इधर उनकी चूत में सटासट मेरा लंड आ जा रहा था | अब मै दीदी को जोर जोर से पेल रहा था | मै बुरी तरह हांफने लगा था } और मै बुरी तरह से थक भी गया था | वो तो भला तो मेरी सफ़ेद मलाई का जो दीदी की चूत की सुरंग इतनी चिकनी हो गयी नहीं तो अब तक दीदी की नयी नवेली कसी चूत मुझे अब तक निचोड़ चुकी होती | दीदी खुश हो गई थी काफी देर तक चुदाई के बाद दीदी बोली - मुझे अब कसकर चोदो जितेश , जोर जोर से चोदो | जीतनी तेज मेरी चूत में लंड ठेल सकते हो ठेल दो |
दीदी के कहने से मै तेजी से धक्के लगाने लगा | सटासट मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में आ जा रहा था | मै दीदी की कसी चूत को लगातार दुबारा चोद रहा था | मै दीदी की चूत के हर प्यास बुझाने में दिल जान से लगा हुआ था | मेरे जिस्म में जीतनी ताकत थी उससे दे धक्के पे धक्के लगाकर मै दीदी को चोद रहा था | ऐसा लगा रहा था शायद इसके बाद कभी दीदी को चोदने को ना मिले | मेरा लंड और दीदी की चूत में भीषण घर्षण हो रहा था | दीदी की चूत तो जैसी आग की भट्ठी बन गयी ठिया और उसमे मै अपनी आग की मीनार को दनादन पेल रहा था |
मै - दीदी आपकी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है आःह्ह | इतना मजा तो मुझे पूरी जिंदगी में कभी नहीं मिला |
दीदी - चोदो जितेश, मुझे जी भर के चोदो, मेरी चूत की सारी प्यास बुझा दो | मेरे जिस्म की सारी आग बुझा दो | जमकर चोदो मुझे | जैसे मन हो वैसे चोदो मुझे | जीतनी तेज चोद सकते हो उतनी तेज चोदो मुझे |
मै - हाँ दीदी मैंने अपनी पूरी जान लगा दी है आपको चोदने में |
दीदी में अपने चूत दाने को बुरी तरह मसल रही थी | अभी उनका सर सोफे में घुसा हुआ था | वो भी अपने आखिरी चरम पर थी |
इधर मै दनादन दीदी की चूत में लंड पेले पड़ा था |
दीदी - यस जितेश बस ऐसे ही जोरदार तरीके से मसल डालो इस चूत को ........आआह्ह्ह्ह ऐसे तो मूवी में भी कोई नहीं चोदता है | चोदो मुझे |
न जाने मेरे अन्दर इतनी ताकत कहाँ से आ गयी थी | मै बिना रुके थके दीदी की चूत में लगातार दनादन धक्के मार रहा था | दीदी का जिस्म कसकर हिलने लगा | मैंने कसकर उनके चूतड़ थाम के उन्हें लुढ़कने से रोका और अपना पूरा जोर लगाकर तेजी से लंड को पूरा का पूरा दीदी की चूत में घुसेड लिया | मेरा लंड दीदी की चूत की गहराई में जाकर दुसरे छोर पर टकराया और मेरे अन्दर उबल रहे दावानल का बांध टूट गया | मेरा बदन हिलने लगा | मेरे पाँव जोर जोर से कांपने लगे | मेरे लंड से दीदी की चूत की सुरंग के आखिर छोर पर मेरी सफ़ेद मलाई छुटने लगी | काफी देर तक मेरी पिचकारी निकलती रही | मै पूरी तरह से थक कर पस्त हो चूका था | मुझे नहीं पता कब तक मेरा लंड अपनी मलाई दीदी को चूत में भरता रहा | मै दीदी के चुताड़ो पर ही टिकाकर खड़ा रहा | मेरी पिचकारियो से दीदी की चूत पूरी भर गयी थी | दीदी बोली - जितेश तुमने अपनी दीदी की चूत की प्यास बुझा दी | तुमने मेरी चूत को अपनी मलाई से लबालब भर दिया | असल में इसको चुदाई कहते है | इस उम्र में ही तुम किसी सच्चे मर्द से बढ़कर एक औरत को चोद सकते हो |
मेरा लंड मुरझाने लगा | मै अपने उखड़े प्राण लेकर दीदी की चूत से लंड निकाल कर वही फर्श पर बैठ गया |
मैंने देखा एक मोटी सफेद मलाई की धारा दीदी की चूत से फूट पड़ी थी और उनकी मोटी मोटी जांघो पर से बहती हुई नीचे सोफे पर जाकर के गिरने लगी थी | मै हैरान था हे भगवान इतना इतनी मलाई मैंने दीदी की चूत में भर दी है | मेरा लंड इतनी मलाई छोड़ने लगा है मुझे ऐसा लग रहा था जैसे 10 दिनों के अंदर ही मै पूरी तरह से जवान हो गया हूं | पहले मेरे लंड से इतनी मलाई नहीं निकलती थी लेकिन आज इतनी मलाई निकली है उसको देखकर मैं खुद हैरान रह गया था क्या यह दीदी की चूत का कमाल है या मैं दीदी चोदने की वजह से मिलाई ज्यादा निकलने लगी है मुझे कुछ नहीं पता था लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था |
मैंने दीदी से पूछा दीदी - अब ठीक है |
दीदी बेपरवाह लेती अभी भी टीवी ही देख रही थी | वो उसी में मस्त रही या शायद चुदाई से मस्त हो गयी थी | पता नहीं लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया |
मै - दीदी आपकी चूत की प्यास बुझ गई न |
दीदी - आज का सबक क्या है औरत को चोदने में कभी बहुत जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए औरत को आराम से चोदना चाहिए प्यार से चोदना चोदना चाहिए, जब औरत खुद चोदने को काहे तब उसे चोदना चाहिए |
मैं भी वहीं सोफे की किनारे पर सर रखकर लुढ़क गया और दीदी की चूत की दाल से चूत की से बहती हुई मलाई की धार को गौर से देखने लगा दीदी बोली अच्छा एक काम कर मैं तो टीवी देख रही हूं | अभी मेरी चूत के अंदर से मलाई को पूरी तरह से से इकट्ठा कर और एक कटोरी भर के रख दे |
मैंने वैसा ही किया |
दीदी - जरा चाट के तो देख कितनी टेस्टी है |
मैंने मुहँ बनाया |
दीदी बोली - खाना है तो खा नहीं तो इधर ला | इतना कहकर मेरे हाथ से कटोरी लेकर सारी मलाई गटक गयी |
मै - ट्यूशन पढ़ने जा रहा हूँ |
माँ - अरे मै तुझे बताना भूल गयी थी कि आज रात भी तुम ही रुकोगे कि वह अकेली है और उसके मां-बाप आज भी लौट के नहीं आ रहे हैं मैं समझ गया मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन मैं अपनी खुशी छिपाते हुए ठीक है सुबह सुबह ही तो आई थी यह बताने के लिए | मुझे वापस बैग कमरे में रख आया उसके बाद खेलने चला गया | आया दीदी आज खेलने नहीं आई थी इसलिए मुझे थोड़ा सा निराशा लगी थी लेकिन 2 घंटे बाद जब मैं बैग दीदी के पास पंहुचा तो मैंने दीदी से पूछा - दीदी आज आप खेलने क्यों नहीं आई थी |
दीदी बोली - उसके यहां पे दर्द हो रहा था कल उसकी चूत की झिल्ली फटी थी उसका कुंवारे पन लूटा गया था इसलिए आज उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था और वह थोड़ा थकावट महसूस कर रही थी इसलिए आज नीचे नहीं आई |
जाते ही जाते मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और दीदी के चूतड़ मसलने लगा तो दीदी भी मेरे चूतड़ों पर हाथ जमा कर मसलने लगी और मुझे कसके चूमने लगी थी मैं समझ गया था आग दोनों तरफ से बराबर लगी हुई है कुछ दिन पहले तक मुझे इस जवानी की आग का एहसास ही नहीं था लेकिन अब तो हर पल मैं चाहता था कि दीदी मेरे पास ही रहे और मै उन्हें चोदता रहू | दीदी का भी है बुरा हाल था वह भी अब चुदने के लिए तैयार ही बैठी रहती थी | मेरे जाते ही दीदी ने फटाक से बाहर का दरवाजा बंद किया और सोफे पर आकर बैठी थी और टीवी चला दी थी हालांकि मेरे से सब्र नहीं हो रहा था मैंने दीदी का पजामा नीचे की तरफ खींच दिया और मेरा लंड दीदी को देखते ही तन गया था मैंने अपने लंड को एंड से निकालकर दीदी के चूतड़ों और उसकी चूत पर मसलने लगा था |
दीदी - क्या हो गया इतना उतावला क्यों हो रहा है सब तेरा ही तो है, सब कुछ तुझे ही तो लूटना है आराम से जो मर्जी हो वह लूट , ये सारा हुस्न ये जवानी सब तेरे लिए तो है जैसे मर्जी हो वैसे लूट लेकिन मैं कहां दीदी की सुनने वाला था जब तक दीदी कुछ कहती सुनती समझती तब तक मैंने दीदी की पैंटी भी उतार दी थी |
उसके बाद में दीदी की कि वह गुलाबी कसी हुई चूत मेरे सामने नुमाया हो गई थी, मै देखना चाहता था की क्या चूत का छेद बिलकुल वैसा ही है | मैंने दीदी की चूत के ओंठो को फैला दिया | दीदी की चूत खुली हुई थी लेकिन चूत की दीवारों ने आपस में चिपककर सुरंग का रास्ता रोक रखा था | मै दीदी की चूत देखकर पागल सा हो गया था | दीदी टीवी पर कोई प्रोग्राम देख रही थी | उनका धयान मेरी तरफ बिलकुल नहीं था | जबकि मै बस दीदी की चूत के लिए पगलाया हुआ था |
मैंने आव देखा ना ताव और अपने खड़े हो रहे लंड पर लार उड़ेली और सीधे दीदी की चूत के मुहाने पर सटा के पेल दिया |
दीदी के मुहँ से एक मादक कराह निकल कर रह गयी | मैंने फिर से दीदी की चूत में लंड पेल दिया | दीदी फिर कराह उठी | उनकी चूत में जब मैंने ;लंड घुसेड़ा था तब उनकी चूत सुखी थी लेकिन दो धक्को में ही दीदी की चूत की दीवारों से पानी रिसनेलगा | इससे पता चल रहा था दीदी की चूत कितनी जोर से लंड की भूखी थी | उसके बाद में दीदी समझ गई थी कि मैं रुकने वाला नहीं हूं इसलिए मुझे कुछ कहने की बजाय दीदी उसी तरह से लेटी रही, और फिर से टीवी देखने लगी | उन्हें पता था आज मै उनके कहने से रुकने वाला नहीं हूँ | दूसरा वो भी चुदना चाहती थी इसलिए उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया | साथ ही साथ वो ये भी देखना चाहती थी की मै कितना सीखा हूँ | क्या मुझे ठीक से चूत चोदना आ गया है | दीदी सोफे पर पसरी हुई थी, उनका सर टीवी की तरफ था | जब मुझे चूत में लंड घुसेड़ते देखा | तो अपने अपने बड़े बड़े चुताड़ो को मेरी तरफ थोड़ा और खिसका दिया | मैं खड़े-खड़े जमीन से सोफे पर लेटी दीदी के चूतड़ों को थाम के उनकी चूत में लंड को पेलने लगा | आज दीदी की चूत में आराम से लंड जा रहा था | दीदी काफी देर तक टीवी देखती रही और मैं सटासट दीदी की चूत में लंड चलता रहा था, दीदी को भी वासना की तरंगे महसूस हो रही थी, वो भी सिसकारियो के साथ कराहने लगी थी | लेकिन आज दीदी मेरे मन का मुझे कर लेने देना चाहती थी | आज वो कोई टोका टोकी नहीं करना चाहती थी |
आज सच में लग रहा था चूत चोदने को जन्नत क्यों कहते है | जैसे जैसे मेरा लंड दीदी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मै भी एक एक करके स्वर्ग की सीढियाँ चढ़ रहा था | मै तेजी से दीदी की चूत में लंड पेल रहा था इसलिए जल्दी ही हफाने लगा | उधर दीदी की सांसे भी चढने लगी थी | लगातार चूत में जाते सटासट लंड से दीदी का बदन भी गरम हो गया था | उनकी सांसे भी भाप छोड़ने लगी थी | लेकिन दीदी इसके बाद भी टीवी की तरफ ही देखती रही | मै कमर हिलाकर दीदी को चोदता रहा | आह क्या चूत थी दीदी की बिकुल मख्खन मलाई की तरह नरम चिकनी और कसी हुई | सच में आज अहसास हो रहा था की दीदी ने मुझे अपनी कितनी अनमोल चीज दिखा दी है और अब चोदने को भी दे रही है | क्या कसी दीदी की चूत थी कल तो मेरी जान ही निकल गई थी दीदी की कुंवारी चूत को खोलने में लेकिन आज दीदी की चूत पहले से नरम थी और मेरे लंड को अपनी गर्माहट से, अपने गीलेपन से बहुत मजा दे रही थी |
मै बहुत तेज दीदी के चुताड़ो पर ठोकरे मार रहा था इसलिए बहुत तेज हांफ भी रहा था | मेरी साँस ऊपर तक चढ़ गयी थी | दीदी की चूत को चोदते चोदते में मदहोश हुआ जा रहा था हालांकि कल भी और आज भी दीदी की कसी चूत के कारण मेरी पिचकारी जल्दी ही छूटने को आई थी | मेरा बदन अकड़ने लगा था और पांव कापने लगे थे और मै अपने पर काबू नहीं रख पाया | मेरी पिच्मैंज्कारी दीदी की चूत की गहराई में फुवारे छोड़ने लगी थी | पांच छ झटको के साथ मेरी सारी मलाई दीदी की चूत में निचुड़ गयी |
मुझे कसकर हांफता देखा दीदी ने पीछे घूम कर देखा और बोली - बस इसीलिए कहती हूं ज्यादा जोश दिखाने की जरूरत नहीं है ज्यादा जोश दिखाओगे तो बस जल्दी ही निपट जाओगे |
मैं समझ गया दीदी का कहने का क्या मतलब है लेकिन मैंने दीदी की चूत से लंड नहीं निकाला था क्योंकि मेरा नही मन भरा था और मुझे लग रहा था दीदी भी शायद अभी इतनी कम चुदाई से खुश नहीं थी इसीलिए उन्होंने ताना मारा था - कल से समझा रही हूँ, आराम से चोदो, हट्टे कट्टे मर्द तो हो नहीं | ऊपर में मेरी नयी नवेली कसी चूत, मिनटों ने लंड का जूस निचोड़ लेती है | कितनी बार कहा आराम से चोदो, मुझे भी मजा आएगा और तुम्हे भी मजा आएगा | लेकिन तुम सुनते कहां हो, तुम्हे तो पता नहीं कहाँ की जल्दी पड़ी है |
दीदी की नाराजगी को सुनता हुआ मै उसी तरह खड़ा रहा | मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में घुसा हुआ था |
दीदी - तुमने तो अपनी पिचकारी छोड़ दी मेरी चूत में मेरी चूत में जो आग लगी है उसका क्या होगा |
मैं कुछ समझ नहीं पाया मैंने कहा - मतलब दीदी |
दीदी - मतलब जैसे तुम्हारे लंड से पिचकारी छूटती है और तुम्हे मजा आता है ऐसे ही मेरी चूत का पानी भी तो छुटता है तो मुझे मजा आता है लेकिन जब तुम जल्दी झड़ गए तो मेरी चूत तो प्यासी रह गयी |
दीदी ने क्मैंया कहा मुझे कुछ समझ नहीं आया |
मैंने कहा दीदी - अब मुझे क्या करना है |
दीदी बोली - अब क्या करोगे अब तो तुम झड़ चुके हो |
मै - नहीं दीदी आप जो बोलोगी मैं वह करने के लिए तैयार हूं |
दीदी बोली - कोई फायदा नहीं है इतनी जल्दी तुमारा लंड फिर से खड़ा नहीं होगा |
मै - मतलब दीदी ,
दीदी - अरे इतनी जल्दी तुम्हारा लंडदुबारा कहाँ से खड़ा होगा अच्छे-अच्छे लंड नहीं खड़े हो पाते तुम्हारा कहां से खड़ा होगा |
मै - लेकिन दीदी मेरा लंड तो अभी तक आपकी चूत में ही है |
दीदी - अच्छा ये बात है तो चोदो न दुबारा, आराम से चोदो, मुझे भी संस्तुष्टि चाहिए होती है | मेरी चूत भी पानी छोडती है लेकिन जब तक उसे देर तक नहीं चोदोगे तब तक वो पानी नहीं छोड़ेगी |
अभी कुछ देर पहले पिचकारी छुटते ही मेरी कमर हिलनी बंद हो गयी थी लेकिन मैंने फिर से दीदी की चुत में धक्के लगाने शुरू कर दिए | मेरा लंड पूरी तरह से नहीं मुरझाया था इसकी मुझे हैरानी थी शायद दीदी की चूत चोदने की चाहत में नहीं मुरझाया होगा | दीदी की चूत पूरी तरह से मेरे रस से भरी हुई थी इसलिए उनकी चूत में मेरा लंड आसानी से फिसलने लगा | मेरा लंड हल्का सा नरम हो गया था फिर भी दीदी की चूत पहले से खुली हुई थी और मेरी सफ़ेद मलाई से भरी थी इसलिए आराम से जाने लगा था | मैं फिर से धक्के लगाने लगा था | दीदी हैरान थी |
दीदी बोली - जबरदस्ती करने की कोई जरूरत नहीं है, जब दुबारा लंड खड़ा हो तब चोद देना | इस तरह से खुद से जबरदस्ती न करो | चूत की प्यास है कुछ देर और प्यासी रह लेगी |
दीदी ने जो भी कहा मेरे कानी तक शायद पंहुचा ही नहीं | मैंने कुछ नहीं सुना था | मैंने दीदी चुताड़ो को पकड़कर फिर उसे को चोदने लगा था | दीदी को लगा मै उनकी सुनने वाला नहीं हूं तो अपने हाथ से चूत दाने को मसलते हुए फिर से टीवी देखने मस्त हो गई थी| असल में दीदी टीवी नहीं देख रही थी मेरी चुदाई का आनंद ले रही थी | इस बार मैंने उन्हें लंबे लंबे और धीरे धीरे धक्के लगा रहा था | जैसा कि दीदी ने खुद बताया था कि आराम से पूरा लंड चूत के आखिर छोर तक घुसेड़ो और फिर पूरा लंड बाहर निकालो | मैं उसी तरह से धीरे धीरे दीदी को चोद रहा था |
धीरे धीरे मेरा लंड फिर से पत्थर की तरह सीधा हो गया | दीदी की चूत की गरमी और उसके चुताड़ो की नरम मांसल अहसास ने मेरे जिस्सम में फिर से उत्तेजना भर दी | बार चोदते चोदते काफी देर तक मेरा लंड दीदी की चूत में ही अंदर बाहर होता रहा लेकिन इस बार पिचकारी नहीं छूटी थी मैं भी हैरान था दीदी की बातों में तो जादू था | जैसा दीदी कह रही थी मैं बिल्कुल वैसा ही करता रहा | इसी बीच में मैंने नोटिस किया दीदी का जिस्म दो बार कांपा | दीदी अभी भी टीवी ही देख रही थी लेकिन साथ में चूत दाने को भी मसल रही थी इधर उनकी चूत में सटासट मेरा लंड आ जा रहा था | अब मै दीदी को जोर जोर से पेल रहा था | मै बुरी तरह हांफने लगा था } और मै बुरी तरह से थक भी गया था | वो तो भला तो मेरी सफ़ेद मलाई का जो दीदी की चूत की सुरंग इतनी चिकनी हो गयी नहीं तो अब तक दीदी की नयी नवेली कसी चूत मुझे अब तक निचोड़ चुकी होती | दीदी खुश हो गई थी काफी देर तक चुदाई के बाद दीदी बोली - मुझे अब कसकर चोदो जितेश , जोर जोर से चोदो | जीतनी तेज मेरी चूत में लंड ठेल सकते हो ठेल दो |
दीदी के कहने से मै तेजी से धक्के लगाने लगा | सटासट मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में आ जा रहा था | मै दीदी की कसी चूत को लगातार दुबारा चोद रहा था | मै दीदी की चूत के हर प्यास बुझाने में दिल जान से लगा हुआ था | मेरे जिस्म में जीतनी ताकत थी उससे दे धक्के पे धक्के लगाकर मै दीदी को चोद रहा था | ऐसा लगा रहा था शायद इसके बाद कभी दीदी को चोदने को ना मिले | मेरा लंड और दीदी की चूत में भीषण घर्षण हो रहा था | दीदी की चूत तो जैसी आग की भट्ठी बन गयी ठिया और उसमे मै अपनी आग की मीनार को दनादन पेल रहा था |
मै - दीदी आपकी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है आःह्ह | इतना मजा तो मुझे पूरी जिंदगी में कभी नहीं मिला |
दीदी - चोदो जितेश, मुझे जी भर के चोदो, मेरी चूत की सारी प्यास बुझा दो | मेरे जिस्म की सारी आग बुझा दो | जमकर चोदो मुझे | जैसे मन हो वैसे चोदो मुझे | जीतनी तेज चोद सकते हो उतनी तेज चोदो मुझे |
मै - हाँ दीदी मैंने अपनी पूरी जान लगा दी है आपको चोदने में |
दीदी में अपने चूत दाने को बुरी तरह मसल रही थी | अभी उनका सर सोफे में घुसा हुआ था | वो भी अपने आखिरी चरम पर थी |
इधर मै दनादन दीदी की चूत में लंड पेले पड़ा था |
दीदी - यस जितेश बस ऐसे ही जोरदार तरीके से मसल डालो इस चूत को ........आआह्ह्ह्ह ऐसे तो मूवी में भी कोई नहीं चोदता है | चोदो मुझे |
न जाने मेरे अन्दर इतनी ताकत कहाँ से आ गयी थी | मै बिना रुके थके दीदी की चूत में लगातार दनादन धक्के मार रहा था | दीदी का जिस्म कसकर हिलने लगा | मैंने कसकर उनके चूतड़ थाम के उन्हें लुढ़कने से रोका और अपना पूरा जोर लगाकर तेजी से लंड को पूरा का पूरा दीदी की चूत में घुसेड लिया | मेरा लंड दीदी की चूत की गहराई में जाकर दुसरे छोर पर टकराया और मेरे अन्दर उबल रहे दावानल का बांध टूट गया | मेरा बदन हिलने लगा | मेरे पाँव जोर जोर से कांपने लगे | मेरे लंड से दीदी की चूत की सुरंग के आखिर छोर पर मेरी सफ़ेद मलाई छुटने लगी | काफी देर तक मेरी पिचकारी निकलती रही | मै पूरी तरह से थक कर पस्त हो चूका था | मुझे नहीं पता कब तक मेरा लंड अपनी मलाई दीदी को चूत में भरता रहा | मै दीदी के चुताड़ो पर ही टिकाकर खड़ा रहा | मेरी पिचकारियो से दीदी की चूत पूरी भर गयी थी | दीदी बोली - जितेश तुमने अपनी दीदी की चूत की प्यास बुझा दी | तुमने मेरी चूत को अपनी मलाई से लबालब भर दिया | असल में इसको चुदाई कहते है | इस उम्र में ही तुम किसी सच्चे मर्द से बढ़कर एक औरत को चोद सकते हो |
मेरा लंड मुरझाने लगा | मै अपने उखड़े प्राण लेकर दीदी की चूत से लंड निकाल कर वही फर्श पर बैठ गया |
मैंने देखा एक मोटी सफेद मलाई की धारा दीदी की चूत से फूट पड़ी थी और उनकी मोटी मोटी जांघो पर से बहती हुई नीचे सोफे पर जाकर के गिरने लगी थी | मै हैरान था हे भगवान इतना इतनी मलाई मैंने दीदी की चूत में भर दी है | मेरा लंड इतनी मलाई छोड़ने लगा है मुझे ऐसा लग रहा था जैसे 10 दिनों के अंदर ही मै पूरी तरह से जवान हो गया हूं | पहले मेरे लंड से इतनी मलाई नहीं निकलती थी लेकिन आज इतनी मलाई निकली है उसको देखकर मैं खुद हैरान रह गया था क्या यह दीदी की चूत का कमाल है या मैं दीदी चोदने की वजह से मिलाई ज्यादा निकलने लगी है मुझे कुछ नहीं पता था लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था |
मैंने दीदी से पूछा दीदी - अब ठीक है |
दीदी बेपरवाह लेती अभी भी टीवी ही देख रही थी | वो उसी में मस्त रही या शायद चुदाई से मस्त हो गयी थी | पता नहीं लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया |
मै - दीदी आपकी चूत की प्यास बुझ गई न |
दीदी - आज का सबक क्या है औरत को चोदने में कभी बहुत जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए औरत को आराम से चोदना चाहिए प्यार से चोदना चोदना चाहिए, जब औरत खुद चोदने को काहे तब उसे चोदना चाहिए |
मैं भी वहीं सोफे की किनारे पर सर रखकर लुढ़क गया और दीदी की चूत की दाल से चूत की से बहती हुई मलाई की धार को गौर से देखने लगा दीदी बोली अच्छा एक काम कर मैं तो टीवी देख रही हूं | अभी मेरी चूत के अंदर से मलाई को पूरी तरह से से इकट्ठा कर और एक कटोरी भर के रख दे |
मैंने वैसा ही किया |
दीदी - जरा चाट के तो देख कितनी टेस्टी है |
मैंने मुहँ बनाया |
दीदी बोली - खाना है तो खा नहीं तो इधर ला | इतना कहकर मेरे हाथ से कटोरी लेकर सारी मलाई गटक गयी |