10-11-2019, 09:13 PM
मै - दीदी कुंवारी चूत को चोदते कैसे हैं इसके बारे में बताओ ना |
दीदी - धीरज रख सब बताती हूँ | तुझे सब कुछ बताऊंगी एक एक चीज बताऊंगी छोटी सी छोटी चीज़ दिखाऊंगी और तुझे सब कुछ सिखा दूंगी | मैं सब कुछ तेरे ऊपर लुटा दूंगी, मेरे पास जो कुछ भी है वह सब तेरा है तू सब कुछ लूट ले मेरा | मेरा जिस्म मेरी जवानी मेरा कुंवारापन |
उसके दीदी थोड़ा इमोशनल सी हो गई थी तब मुझे यह नहीं समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन अब मुझे समझ में आ रहा है दीदी मेरे प्यार में पड़ गई थी और वह पूरी तरह से खुद को मेरे को बस समर्पित कर देना चाहती थी दीदी ने मुझे अपनी जांघो से कैद कर लिया और खुद से सटा लिया मेरा लंड उनकी चूत के ओठो पर जाकर सट गया था | इसके बाद दीदी ने पीठ के बल लेट गई और उन्होंने अपनी जांघें पूरी फैला दी और मुझे अपनी जांघों के सामने चूत के मुहाने पर घुटनों के बल बैठने को कहा |
दीदी बोली - सुन आराम आराम से करना मुझे दर्द होगा इसीलिए जब जब भी मैं मना करूं तब रुक जाना |
मैं खुद उत्तेजना के चरम पर था इसीलिए यह तो समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है | मेरे घुटनों के बल बैठते ही दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी चूत के होठों पर लगाने लगी थी |
उसके बाद दीदी ने मुझसे मेरे अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ने को कहा | मैंने अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ा |
उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के सुपाडे को सहारा देकर अपनी चूत के निचले हिस्से पर लगाया और दीदी बोली - चलो अब धीरे-धीरे इसको अंदर की तरफ ठेलो |
मैंने लंड को अन्दर लंड ठेलने की कोशिश की | लंड को अन्दर घुसने की कोशिश की में पहली बार में लंड रपट करके नीचे की तरफ चला गया क्योंकि दीदी की चूत बहुत गीली,चिकनी और टाइट थी | मेरा लंड दीदी की गांड के छेद पर जा कर डाला गया था |
दीदी बोली - झटका मत मारो, चुदी हुई चूत नहीं है की एक बार में लंड घुस जायेगा | चुपचाप इसे चूत के मुहाने पर सटाओ और हल्के हल्के से अंदर की तरफ ठेलते रहो |
इसके बाद मैंने अपने फूले मोटे लंड को फिर से दीदी की चूत पर सटाया | इस बार दीदी ने ऊपर की तरफ उठ करके मेरे चूतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और धीरे-धीरे मेरे चूतड़ों को अपनी तरफ खींचने लगी थी | मेरा लंड दीदी की चूत के मुहाने पर कस के सट गया था और लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ घुसने लगा था | दीदी के चेहरे पर हल्की सी दर्द की रेखाए तैर गयी | लेकिन मैंने आगे की तरफ अपना जोर बनाए रखा और दीदी भी पीछे से मेरे चुताड़ो को अपनी तरफ ठेलने में लगी थी | दीदी आंखें बंद होने लगी थी | मैंने कमर का जोर लगाये रखा | मेरा सुपाडा दीदी की चूत में गायब होने लगा | दीदी अब कुछ नहीं बोल रही थी बस कसकर मेरे चूतड़ थामे मुझे अपने से चिपकाये हुए थी | कुछ देर तक मै उसी तरह से दीदी की कुंवारी चूत में लंड घुसाने की कोशिश करता रहा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी | मेरा लंड भी नरम होने लगा था | दीदी ने मेरे चुताड़ो पर से हाथ हटा लिया और अपने चूत दाने को मसलने लगी | कुछ ही देर में उन्हें अहसास हो हया की मै उनकी चूत में लंड नहीं घुसा पा रहा हूँ | दीदी ने नीचे मेरे लंड को टटोला और तेजी से उठकर बैठ गयी | वो समझ गयी थी अब मेरे बस का कुछ नहीं है | दीदी ने मेरा लंड सीधे मुहँ में ले लिया और बेतहाशा चूसने लगी | कुछ ही देर में लंड की नरमी गायब हो गयी | ददीदी फिर से पीठ के बल लेट गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | कुछ ही देर में दीदी की चूत फिर से पानी का झरना बन गयी तो दीदी ने मेरा ;लंड अपनी सील बंद चूत के मुहाने पर लगा दिया |
दीदी - चलो जोर लगाकर इसे अन्दर घुसेड़ो | डर डर कर धक्के मरोगे तो कभी चूत की सील नहीं तोड़ पावोगे |
मै - दीदी धक्के मारू |
दीदी - कुछ सोचकर - ठीक है तू कमर हिलाकर धक्के ही मार, जो होगा बर्दास्त कर लूंगी |
रीमा बेतहाशा अपनी चूत में दो उंगली अन्दर बाहर कर रही थी | इतनी देर की मेहनत आखिर रंग लायी | आखिर रीमा की चूत से पानी का झरना बह निकला | रीमा के बदन में बहती तरंगे अपने मुकाम पर पंहुच गयी | रीमा की हल्की सी सिसकारी से जितेश रुक सा गया | वो भी अब बेतहाशा लंड मसल रहा था | ये बात रीमा को भी पता थी | बस घनघोर अँधेरे में आवाज ही एक सहारा था इसलिए दोनों अपने अपने बिस्तर पर क्या कर रहे है इससे किसी कोई कोई मतलब नहीं था |
जितेश - मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं हिचकी आई लग रहा है कोई अपना याद कर रहा है | तुम आगे कहानी सुनावो |
रीमा को अपने से रोहित, अनिल प्रियम और रोहिणी की याद आ गयी | रीमा भावुक हो गयी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी जारी रखी |
जैसे ही मैंने कमर का एक झटका लगाया , लंड फिसल कर दीदी की चूत के ऊपर से उनके दाने को रगड़ता हुआ आगे की तरफ चला गया |
दीदी हलके गुस्से में - इस लंड को पकड़ने के लिए क्या तेरे बाप को बुलाऊ | पिक्चर में देखा नहीं था पहली बार लंड चूत में घुसेड़ते समय वो जड़ से लंड को कसकर पकड़ता है फिर चूत में घुसेड़ता है |
जैसा दीदी बोली मैंने बिलकुल वैसा किया | पहले लंड को दीदी चूत पर सटाया, फिर कसकर कमर को जोर लगा कर अन्दर ढेल दिया | लंड अपने सुपाडे सहित दीदी की चूत में गायब हो गया | लंड थोडा सा आगे खिसक करके करके फस गया | ऐसा लगा किसी ने दीदी की चूत के अन्दर मेरे सुपाडे को जकड लिया है | मैं थोड़ा सा डर गया था और मेरा सुपाड़ा पीछे बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सुपाडा कही जाकर अटक गया है | मैं समझ नहीं पा रहा था यह क्या हो रहा है मेरा पूरा का पूरा लंड बाहर था | सिर्फ सुपाडा घुसा था और वो भी फंस गया | आखिर ये लंड दीदी की चूत में जायेगा कैसे | ये सब कुछ मेरी सोच से परे था | इधर दीदी को दर्द होने लगा था, शायद मेरा लंड उनकी चूत की झिल्ली में जाकर अटक गया था | मैंने जब जोर से दीदी की चूत में लंड घुसेड़ा था तो दीदी को हल्का सा दर्द हुआ था क्योंकि मेरे लंड की ठोकर से उनके झिल्ली फैलने लगी थी दीदी ने आंखें बंद कर ली थी और दर्द से सिसकारियां भरने लगी थी | यह देखकर मैं और डर गया एक तो मेरा लंड दीदी की चूत में फस गया था दीदी भी दर्द से सिसकारियां ले रही है |
मैं डर गया मैंने लंड को बाहर खींच लिया दीदी के अरमानों के पानी फिर गया था |
दीदी - क्या हुआ, लंड बाहर क्यों निकाल लिया |
मै - दीदी आप सी सी करके कराह क्यों रही हो | आपको दर्द हो रहा है |
दीदी - हाँ तो पहली बार में दर्द होता है तुझे बताया तो था | तुमने क्या इसी वजह से लंड के बाहर निकाल लिया |
मै - मेंरा लंड आपकी चूत में फस गया था और आगे नहीं जा रहा था | अगर आपकी चूत में मेरा लंड फंस गया तो मैं सुबह घर कैसे जाऊंगा |
दीदी को मेरी बात पर बहुत गुस्सा आ गया - कितना फट्टू लड़का हुई चूत मेरी फटने वाली है और गांड तेरी फट रही है | इतना तो दूध पीते बच्चे को नहीं समझाना पड़ेगा चोदने के लिए | चुपचाप आ करके चोद मुझे, वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा | कितनी देर तक तेरी फत्तुगिरी को झेलती रहूंगी |
मैंने कहा - दीदी आपको दर्द होगा |
दीदी - तो क्या हुआ, दर्द मुझे होगा तुझे नहीं, होने दे, नौटंकी छोड़कर तू बस ढंग से चूत चोद | इसमें नया क्या है दर्द सब को होता है दुनिया की हर औरत को होता है | दुनिया की हर औरत पहली बार जब चुदती है तो सबको दर्द होता है | तेरी मां को भी जब पहली बार किसी ने चोदा होगा तेरी मां भी को भी दर्द हुआ होगा | अब चुपचाप आकर भोसड़ीवाले मुझे चोद नहीं तो सुबह तेरी माँ को मै चोडूंगी |
मैं दीदी के मुंह से गालियां सुन कर हैरानी में था |
मै - आप गाली दे रही हो |
मै - अरे हां भोसड़ी के, अब आकर मुझे चोदना शुरू कर, नहीं तो तेरी बकचोदी सुनकर मै तेरा ,मर्आडर कर दूँगी |
इतना कहकर के दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर खुद अपने ऊपर खींच लिया और मुझे पलट दिया और मेरे को नीचे धकेल दिया और खुद ऊपर आ गई | इसके बाद उन्होंने खुद ही मेरे लंड को अपनी चूत पर सटाके लगा दिया और धीरे से नीचे की तरफ खुद को ठेलती चली गई | उसके बाद दीदी ने पलटकर मुझे ऊपर कर लिया और कहा चुपचाप मेरी चूत में पूरा का पूरा घुसेड़ दे | मै चीखू चिल्लाऊ हाथ पैरों पटकु, अपनी चूत से लंड निकालने बोलू | मत निकालना | कान खोलकर सुन ले , कुछ भी कंहू मत सुनना | जब तक तेरा लंड पिचकारी नहीं छोड़ देता मुझे चोदते रहना | समझ में आया | मैंने हाँ में सर हिला दिया |
दीदी - क्योंकि मुझे दर्द होगा इसलिए मै चीखूंगी चिल्लाऊनगी लेकिन तुझे लंड नहीं निकालना है समझ में आया या नहीं आया |
दीदी का इतना कहना था और मैंने पूरा जोर लगाने की सोची | मै दीदी की चूत में लंड घुसाने लगा लेकिन मैं बहुत डर रहा था इसलिए मेरी हिम्मत नहीं हुई मैंने बस हल्का सा ही जोर लगाया और इससे लंड फिर वही जाकर फस गया जहां पहले फंसा हुआ था |
अब दीदी को गुस्सा आ गया दीदी ने कसके मेरे चूतड़ों को पकड़ा और अपनी तरफ मुझे ठेल दिया और नीचे से भी अपनी कमर उठा दी | यह क्या हुआ मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे लंड को अंदर से छील लिया हो और मेरा लंड घुसता हुआ दीदी की चूत में अन्चदर तक चला गया | दीदी एक लम्बी चीख से कराह गयी | दीदी के चेहरे पर दर्द की लकीरे तैर गई | दीदी दर्द से दोहरी हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनकी कसी हुई नरम सुरंग के अंदर मेरे लंड को चीर के रख दिया गया हो | मेरा लंड दीदी की गरम गुनगुनी चूत में अंदर तक घुसता हुआ चला गया था दीदी दर्द के कारण परेशान हो गई थी |
उन्होंने मेरे चुताड़ो को छोड़कर मुट्ठियाँ भीच कर चादर को कस के पकड़ लिया था और उनकी आंखें कसकर दर्द के मारे बंद थी और उनके किनारों से आंसू बहने लगे थे | मैं बस दीदी के चेहरे को देख रहा था, क्या इतना दर्द होता है पहली बार चुदवाने में | इसी बीच मुहे दीदी की बात याद आ गयी | मैंने ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से अन्दर तक पेलता चला गया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई संकरी मखमली सुरंग मेरे लंड को छील कर रखे दे रही है | दीदी का दर्द और बढ़ गया था |
मै - दीदी |
मेरा इतना बोलना था दीदी बोली - चल चोदना शुरू कर |
मैंने फिर से अपने लंड को पीछे खींचा और फिर अंदर को पेल दिया था दीदी का दर्द और ज्यादा बढ़ गया था | मैंने चार पांच बार उसी तरह से दीदी की कसी चूत में लंड आगे पीछे किया | मुझे लगा दीदी को ज्यादा दर्द हो रहा है इसलिए मैंने अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन दीदी ने पीछे से अपनी जांघो से मुझे कस कर जकड़ रखा था मेरा लंड दीदी की चूत में आधे से ज्यादा घुसा हुआ था और दीदी उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी | मुझे लग रहा था दीदी उस दर्द को भी इंजॉय कर रही थी | मै बस हल्की हल्की कमर हिलाता रहा | मेरे सुपाडे भर का लंड दीदी की चूत में आगे पीछे होता रहा | दीदी अपना चूत दाना कसकर रगड़ने लगी | मै हलके हलके कमर हिलाता रहा | अब मुझे लग रहा था की दीदी की चूत में मेरा लंड आराम से फिसल रहा था | कुछ देर बाद दीदी थोड़ा नॉर्मल हुई मैं तब तक उसी तरह से पड़ा रहा और कमर हिलाता रहा |
मेरा लंड दीदी की मखमली गरम चूत में घुसा हुआ उनकी चूत की चूत की झिल्ली को चीर के अन्उदर तक धंसा था | मैं अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी ने अपनी जांघों पर कसाव बढ़ाते हुए बोली लंड को बाहर मत निकालना और चुपचाप मेरी चूत में ही अंदर ही लंड डाल कर मुझे चोदते रहो |
मै - दीदी आपकी चूत में लंड तो घुस गया, लेकिन आपकी चूत को चोदु कैसे |
दीदी - लंड को चूत में पेलने को ही चोदना कहते है गधे |
मैं बस हलके से कमर हिला हिला करके ही लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी को इसमें मजा नहीं आ रहा था | उनको पता था उनकी सील टूट चुकी है इसलिए वो अब जमकर चुदना चाहती थी | मुझे तो बस जो दीदी बता रही थी वो कर रहा था | अपनी कच्ची उम्र के हिसाब से बहुत कुछ देख लिया था | कर भी रहा था लेकिन समझ नहीं थी |
दीदी - चोदना नहीं आता है देखा नहीं था मूवी में कैसे वो उस लड़की की चूत में लंड पेल रहा था | उस तरह से जोर-जोर झटके मारो |
मैं जोर-जोर से कमर हिलाने लगा था और दीदी की चूत में मेरा लंड का आगे पीछे लगा था | अभी भी दीदी की चूत बहुत टाइट थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को छीलकर रख देगी | दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों के ऊपर जो कर रखा था |
उसके बाद में दीदी ने मुझे चूमते हुए बोली - अच्छा अब एक काम करो नीचे लेट जावो मै तुमको चोदती हूँ | ऐसा लग रहा है जैसे कि तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है|
दीदी ने मुझे अपनी बाहों और जांघों की गिरफ्त से आजाद कर दिया मैं तुरंत ही पीछे उठ कर बैठ गया और जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर निकाला मैंने देखा मेरे लंड का पूरा सुपारा खून से भीगा हुआ है मैं खून देखते ही मुझे चक्कर आने लगे लेकिन तब तक दीदी ने मुझे थाम दिया और बोली - अरे पगले ये खून तो एक वरदान की तरह है, तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है और पता है एक लड़की की जिंदगी में यह पल कितना खास होता है आज तूने मुझे पूरी की पूरी औरत बना दिया है अब मैं कुंवारी नहीं रही यह खून उसकी निशानी है कि अब मैं एक जवान औरत हूं | अगर ये नहीं निकलता तो मै कभी औरत नहीं बन पाती | तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे क्या दिया है | ये बस एक लड़की ही समझ सकती है |
अब चुपचाप मेरी चूत में लंड को जमकर पेल और मेरी चूत का बचा हुआ कुंवारापन भी लूट ले | मुझे चोदकर पूरी की पूरी औरत बना दे जब तक तेरे लंड की पिचकारी मेरी चूत की सुरंग में फुहारे नहीं छोडती तब तक मैं पूरी औरत नहीं बनूंगी |
दीदी - धीरज रख सब बताती हूँ | तुझे सब कुछ बताऊंगी एक एक चीज बताऊंगी छोटी सी छोटी चीज़ दिखाऊंगी और तुझे सब कुछ सिखा दूंगी | मैं सब कुछ तेरे ऊपर लुटा दूंगी, मेरे पास जो कुछ भी है वह सब तेरा है तू सब कुछ लूट ले मेरा | मेरा जिस्म मेरी जवानी मेरा कुंवारापन |
उसके दीदी थोड़ा इमोशनल सी हो गई थी तब मुझे यह नहीं समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन अब मुझे समझ में आ रहा है दीदी मेरे प्यार में पड़ गई थी और वह पूरी तरह से खुद को मेरे को बस समर्पित कर देना चाहती थी दीदी ने मुझे अपनी जांघो से कैद कर लिया और खुद से सटा लिया मेरा लंड उनकी चूत के ओठो पर जाकर सट गया था | इसके बाद दीदी ने पीठ के बल लेट गई और उन्होंने अपनी जांघें पूरी फैला दी और मुझे अपनी जांघों के सामने चूत के मुहाने पर घुटनों के बल बैठने को कहा |
दीदी बोली - सुन आराम आराम से करना मुझे दर्द होगा इसीलिए जब जब भी मैं मना करूं तब रुक जाना |
मैं खुद उत्तेजना के चरम पर था इसीलिए यह तो समझ में आया था दीदी क्या कह रही है लेकिन मुझे खुद नहीं पता था कि मुझे क्या करना है क्या नहीं करना है | मेरे घुटनों के बल बैठते ही दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसे अपनी चूत के होठों पर लगाने लगी थी |
उसके बाद दीदी ने मुझसे मेरे अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ने को कहा | मैंने अपने लंड को कसकर जड़ से पकड़ा |
उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के सुपाडे को सहारा देकर अपनी चूत के निचले हिस्से पर लगाया और दीदी बोली - चलो अब धीरे-धीरे इसको अंदर की तरफ ठेलो |
मैंने लंड को अन्दर लंड ठेलने की कोशिश की | लंड को अन्दर घुसने की कोशिश की में पहली बार में लंड रपट करके नीचे की तरफ चला गया क्योंकि दीदी की चूत बहुत गीली,चिकनी और टाइट थी | मेरा लंड दीदी की गांड के छेद पर जा कर डाला गया था |
दीदी बोली - झटका मत मारो, चुदी हुई चूत नहीं है की एक बार में लंड घुस जायेगा | चुपचाप इसे चूत के मुहाने पर सटाओ और हल्के हल्के से अंदर की तरफ ठेलते रहो |
इसके बाद मैंने अपने फूले मोटे लंड को फिर से दीदी की चूत पर सटाया | इस बार दीदी ने ऊपर की तरफ उठ करके मेरे चूतड़ों पर अपने हाथ जमा दिए और धीरे-धीरे मेरे चूतड़ों को अपनी तरफ खींचने लगी थी | मेरा लंड दीदी की चूत के मुहाने पर कस के सट गया था और लंड का सुपाड़ा अंदर की तरफ घुसने लगा था | दीदी के चेहरे पर हल्की सी दर्द की रेखाए तैर गयी | लेकिन मैंने आगे की तरफ अपना जोर बनाए रखा और दीदी भी पीछे से मेरे चुताड़ो को अपनी तरफ ठेलने में लगी थी | दीदी आंखें बंद होने लगी थी | मैंने कमर का जोर लगाये रखा | मेरा सुपाडा दीदी की चूत में गायब होने लगा | दीदी अब कुछ नहीं बोल रही थी बस कसकर मेरे चूतड़ थामे मुझे अपने से चिपकाये हुए थी | कुछ देर तक मै उसी तरह से दीदी की कुंवारी चूत में लंड घुसाने की कोशिश करता रहा लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी | मेरा लंड भी नरम होने लगा था | दीदी ने मेरे चुताड़ो पर से हाथ हटा लिया और अपने चूत दाने को मसलने लगी | कुछ ही देर में उन्हें अहसास हो हया की मै उनकी चूत में लंड नहीं घुसा पा रहा हूँ | दीदी ने नीचे मेरे लंड को टटोला और तेजी से उठकर बैठ गयी | वो समझ गयी थी अब मेरे बस का कुछ नहीं है | दीदी ने मेरा लंड सीधे मुहँ में ले लिया और बेतहाशा चूसने लगी | कुछ ही देर में लंड की नरमी गायब हो गयी | ददीदी फिर से पीठ के बल लेट गयी और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत को सहलाने लगी | कुछ ही देर में दीदी की चूत फिर से पानी का झरना बन गयी तो दीदी ने मेरा ;लंड अपनी सील बंद चूत के मुहाने पर लगा दिया |
दीदी - चलो जोर लगाकर इसे अन्दर घुसेड़ो | डर डर कर धक्के मरोगे तो कभी चूत की सील नहीं तोड़ पावोगे |
मै - दीदी धक्के मारू |
दीदी - कुछ सोचकर - ठीक है तू कमर हिलाकर धक्के ही मार, जो होगा बर्दास्त कर लूंगी |
रीमा बेतहाशा अपनी चूत में दो उंगली अन्दर बाहर कर रही थी | इतनी देर की मेहनत आखिर रंग लायी | आखिर रीमा की चूत से पानी का झरना बह निकला | रीमा के बदन में बहती तरंगे अपने मुकाम पर पंहुच गयी | रीमा की हल्की सी सिसकारी से जितेश रुक सा गया | वो भी अब बेतहाशा लंड मसल रहा था | ये बात रीमा को भी पता थी | बस घनघोर अँधेरे में आवाज ही एक सहारा था इसलिए दोनों अपने अपने बिस्तर पर क्या कर रहे है इससे किसी कोई कोई मतलब नहीं था |
जितेश - मैडम क्या हुआ |
रीमा - कुछ नहीं हिचकी आई लग रहा है कोई अपना याद कर रहा है | तुम आगे कहानी सुनावो |
रीमा को अपने से रोहित, अनिल प्रियम और रोहिणी की याद आ गयी | रीमा भावुक हो गयी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी जारी रखी |
जैसे ही मैंने कमर का एक झटका लगाया , लंड फिसल कर दीदी की चूत के ऊपर से उनके दाने को रगड़ता हुआ आगे की तरफ चला गया |
दीदी हलके गुस्से में - इस लंड को पकड़ने के लिए क्या तेरे बाप को बुलाऊ | पिक्चर में देखा नहीं था पहली बार लंड चूत में घुसेड़ते समय वो जड़ से लंड को कसकर पकड़ता है फिर चूत में घुसेड़ता है |
जैसा दीदी बोली मैंने बिलकुल वैसा किया | पहले लंड को दीदी चूत पर सटाया, फिर कसकर कमर को जोर लगा कर अन्दर ढेल दिया | लंड अपने सुपाडे सहित दीदी की चूत में गायब हो गया | लंड थोडा सा आगे खिसक करके करके फस गया | ऐसा लगा किसी ने दीदी की चूत के अन्दर मेरे सुपाडे को जकड लिया है | मैं थोड़ा सा डर गया था और मेरा सुपाड़ा पीछे बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सुपाडा कही जाकर अटक गया है | मैं समझ नहीं पा रहा था यह क्या हो रहा है मेरा पूरा का पूरा लंड बाहर था | सिर्फ सुपाडा घुसा था और वो भी फंस गया | आखिर ये लंड दीदी की चूत में जायेगा कैसे | ये सब कुछ मेरी सोच से परे था | इधर दीदी को दर्द होने लगा था, शायद मेरा लंड उनकी चूत की झिल्ली में जाकर अटक गया था | मैंने जब जोर से दीदी की चूत में लंड घुसेड़ा था तो दीदी को हल्का सा दर्द हुआ था क्योंकि मेरे लंड की ठोकर से उनके झिल्ली फैलने लगी थी दीदी ने आंखें बंद कर ली थी और दर्द से सिसकारियां भरने लगी थी | यह देखकर मैं और डर गया एक तो मेरा लंड दीदी की चूत में फस गया था दीदी भी दर्द से सिसकारियां ले रही है |
मैं डर गया मैंने लंड को बाहर खींच लिया दीदी के अरमानों के पानी फिर गया था |
दीदी - क्या हुआ, लंड बाहर क्यों निकाल लिया |
मै - दीदी आप सी सी करके कराह क्यों रही हो | आपको दर्द हो रहा है |
दीदी - हाँ तो पहली बार में दर्द होता है तुझे बताया तो था | तुमने क्या इसी वजह से लंड के बाहर निकाल लिया |
मै - मेंरा लंड आपकी चूत में फस गया था और आगे नहीं जा रहा था | अगर आपकी चूत में मेरा लंड फंस गया तो मैं सुबह घर कैसे जाऊंगा |
दीदी को मेरी बात पर बहुत गुस्सा आ गया - कितना फट्टू लड़का हुई चूत मेरी फटने वाली है और गांड तेरी फट रही है | इतना तो दूध पीते बच्चे को नहीं समझाना पड़ेगा चोदने के लिए | चुपचाप आ करके चोद मुझे, वर्ना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा | कितनी देर तक तेरी फत्तुगिरी को झेलती रहूंगी |
मैंने कहा - दीदी आपको दर्द होगा |
दीदी - तो क्या हुआ, दर्द मुझे होगा तुझे नहीं, होने दे, नौटंकी छोड़कर तू बस ढंग से चूत चोद | इसमें नया क्या है दर्द सब को होता है दुनिया की हर औरत को होता है | दुनिया की हर औरत पहली बार जब चुदती है तो सबको दर्द होता है | तेरी मां को भी जब पहली बार किसी ने चोदा होगा तेरी मां भी को भी दर्द हुआ होगा | अब चुपचाप आकर भोसड़ीवाले मुझे चोद नहीं तो सुबह तेरी माँ को मै चोडूंगी |
मैं दीदी के मुंह से गालियां सुन कर हैरानी में था |
मै - आप गाली दे रही हो |
मै - अरे हां भोसड़ी के, अब आकर मुझे चोदना शुरू कर, नहीं तो तेरी बकचोदी सुनकर मै तेरा ,मर्आडर कर दूँगी |
इतना कहकर के दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर खुद अपने ऊपर खींच लिया और मुझे पलट दिया और मेरे को नीचे धकेल दिया और खुद ऊपर आ गई | इसके बाद उन्होंने खुद ही मेरे लंड को अपनी चूत पर सटाके लगा दिया और धीरे से नीचे की तरफ खुद को ठेलती चली गई | उसके बाद दीदी ने पलटकर मुझे ऊपर कर लिया और कहा चुपचाप मेरी चूत में पूरा का पूरा घुसेड़ दे | मै चीखू चिल्लाऊ हाथ पैरों पटकु, अपनी चूत से लंड निकालने बोलू | मत निकालना | कान खोलकर सुन ले , कुछ भी कंहू मत सुनना | जब तक तेरा लंड पिचकारी नहीं छोड़ देता मुझे चोदते रहना | समझ में आया | मैंने हाँ में सर हिला दिया |
दीदी - क्योंकि मुझे दर्द होगा इसलिए मै चीखूंगी चिल्लाऊनगी लेकिन तुझे लंड नहीं निकालना है समझ में आया या नहीं आया |
दीदी का इतना कहना था और मैंने पूरा जोर लगाने की सोची | मै दीदी की चूत में लंड घुसाने लगा लेकिन मैं बहुत डर रहा था इसलिए मेरी हिम्मत नहीं हुई मैंने बस हल्का सा ही जोर लगाया और इससे लंड फिर वही जाकर फस गया जहां पहले फंसा हुआ था |
अब दीदी को गुस्सा आ गया दीदी ने कसके मेरे चूतड़ों को पकड़ा और अपनी तरफ मुझे ठेल दिया और नीचे से भी अपनी कमर उठा दी | यह क्या हुआ मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे लंड को अंदर से छील लिया हो और मेरा लंड घुसता हुआ दीदी की चूत में अन्चदर तक चला गया | दीदी एक लम्बी चीख से कराह गयी | दीदी के चेहरे पर दर्द की लकीरे तैर गई | दीदी दर्द से दोहरी हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनकी कसी हुई नरम सुरंग के अंदर मेरे लंड को चीर के रख दिया गया हो | मेरा लंड दीदी की गरम गुनगुनी चूत में अंदर तक घुसता हुआ चला गया था दीदी दर्द के कारण परेशान हो गई थी |
उन्होंने मेरे चुताड़ो को छोड़कर मुट्ठियाँ भीच कर चादर को कस के पकड़ लिया था और उनकी आंखें कसकर दर्द के मारे बंद थी और उनके किनारों से आंसू बहने लगे थे | मैं बस दीदी के चेहरे को देख रहा था, क्या इतना दर्द होता है पहली बार चुदवाने में | इसी बीच मुहे दीदी की बात याद आ गयी | मैंने ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से अन्दर तक पेलता चला गया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई संकरी मखमली सुरंग मेरे लंड को छील कर रखे दे रही है | दीदी का दर्द और बढ़ गया था |
मै - दीदी |
मेरा इतना बोलना था दीदी बोली - चल चोदना शुरू कर |
मैंने फिर से अपने लंड को पीछे खींचा और फिर अंदर को पेल दिया था दीदी का दर्द और ज्यादा बढ़ गया था | मैंने चार पांच बार उसी तरह से दीदी की कसी चूत में लंड आगे पीछे किया | मुझे लगा दीदी को ज्यादा दर्द हो रहा है इसलिए मैंने अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करी लेकिन दीदी ने पीछे से अपनी जांघो से मुझे कस कर जकड़ रखा था मेरा लंड दीदी की चूत में आधे से ज्यादा घुसा हुआ था और दीदी उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी | मुझे लग रहा था दीदी उस दर्द को भी इंजॉय कर रही थी | मै बस हल्की हल्की कमर हिलाता रहा | मेरे सुपाडे भर का लंड दीदी की चूत में आगे पीछे होता रहा | दीदी अपना चूत दाना कसकर रगड़ने लगी | मै हलके हलके कमर हिलाता रहा | अब मुझे लग रहा था की दीदी की चूत में मेरा लंड आराम से फिसल रहा था | कुछ देर बाद दीदी थोड़ा नॉर्मल हुई मैं तब तक उसी तरह से पड़ा रहा और कमर हिलाता रहा |
मेरा लंड दीदी की मखमली गरम चूत में घुसा हुआ उनकी चूत की चूत की झिल्ली को चीर के अन्उदर तक धंसा था | मैं अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी ने अपनी जांघों पर कसाव बढ़ाते हुए बोली लंड को बाहर मत निकालना और चुपचाप मेरी चूत में ही अंदर ही लंड डाल कर मुझे चोदते रहो |
मै - दीदी आपकी चूत में लंड तो घुस गया, लेकिन आपकी चूत को चोदु कैसे |
दीदी - लंड को चूत में पेलने को ही चोदना कहते है गधे |
मैं बस हलके से कमर हिला हिला करके ही लंड को अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगा लेकिन दीदी को इसमें मजा नहीं आ रहा था | उनको पता था उनकी सील टूट चुकी है इसलिए वो अब जमकर चुदना चाहती थी | मुझे तो बस जो दीदी बता रही थी वो कर रहा था | अपनी कच्ची उम्र के हिसाब से बहुत कुछ देख लिया था | कर भी रहा था लेकिन समझ नहीं थी |
दीदी - चोदना नहीं आता है देखा नहीं था मूवी में कैसे वो उस लड़की की चूत में लंड पेल रहा था | उस तरह से जोर-जोर झटके मारो |
मैं जोर-जोर से कमर हिलाने लगा था और दीदी की चूत में मेरा लंड का आगे पीछे लगा था | अभी भी दीदी की चूत बहुत टाइट थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड को छीलकर रख देगी | दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों के ऊपर जो कर रखा था |
उसके बाद में दीदी ने मुझे चूमते हुए बोली - अच्छा अब एक काम करो नीचे लेट जावो मै तुमको चोदती हूँ | ऐसा लग रहा है जैसे कि तुमने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है|
दीदी ने मुझे अपनी बाहों और जांघों की गिरफ्त से आजाद कर दिया मैं तुरंत ही पीछे उठ कर बैठ गया और जैसे ही मैंने दीदी की चूत से लंड को बाहर निकाला मैंने देखा मेरे लंड का पूरा सुपारा खून से भीगा हुआ है मैं खून देखते ही मुझे चक्कर आने लगे लेकिन तब तक दीदी ने मुझे थाम दिया और बोली - अरे पगले ये खून तो एक वरदान की तरह है, तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे एक लड़की से औरत बना दिया है और पता है एक लड़की की जिंदगी में यह पल कितना खास होता है आज तूने मुझे पूरी की पूरी औरत बना दिया है अब मैं कुंवारी नहीं रही यह खून उसकी निशानी है कि अब मैं एक जवान औरत हूं | अगर ये नहीं निकलता तो मै कभी औरत नहीं बन पाती | तुझे नहीं पता है आज तूने मुझे क्या दिया है | ये बस एक लड़की ही समझ सकती है |
अब चुपचाप मेरी चूत में लंड को जमकर पेल और मेरी चूत का बचा हुआ कुंवारापन भी लूट ले | मुझे चोदकर पूरी की पूरी औरत बना दे जब तक तेरे लंड की पिचकारी मेरी चूत की सुरंग में फुहारे नहीं छोडती तब तक मैं पूरी औरत नहीं बनूंगी |