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Adultery रीमा की दबी वासना
इसके बाद कई दिन बीत गए थे दीदी को मेरे मुझे दीदी और मुझे अकेले कभी मौका ही नहीं मिला था असल में दीदी की बहन बीमार हो गई थी जिसकी उसे दीदी को उसका ख्याल रखना था इसलिए मुझे सिर्फ चुपचाप की पढ़ कर वापस लौट आता पड़ता था |  इधर दीदी को भी लग रहा था कहीं ऐसा ना हो कि रोज रोज मिलने के चक्कर में किसी दिन पकड़े जाएं इसलिए दीदी भी सावधान हो गई थी और शायद उनके मां-बाप को थोड़ा सा शक भी हो गया था | छोटे शहरो में गॉसिप वाली औरते कुछ भी अफवाह उड़ा देती है | मेरे केस में भी मोहल्ले की किसी औंटी ने दीदी की माँ के कान भर दिए |  हालाँकि वो लाख कोशिशो के बाद कुछ भी नहीं जान पाए लेकिन उनके मन में संखा जरूर पैदा हो गई थी इसीलिए आजकल ऑफिस से जल्दी आने लगे थे | हालांकि कुछ दिनों बाद जैसे सब नॉर्मल हो गया और उनके मां-बाप भी चर्च से देर में वापस आने लगे थे और छुटकी भी बाहर खेलने जाने लगी थी | 

1 दिन की बात है बाहर बहुत  गर्मी थी और दीदी के बरामदे में कूलर भी नहीं था इसलिए मैं और बाकी बच्चे दीदी के कमरे में बैठकर ट्यूशन पढ़ रहे थे  मुझे नहीं पता था कि आज दीदी के मां-बाप घर वापस आएंगे ही नहीं क्योंकि  आज दीदी के मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हैं |  वहां पर उनकी एक रिश्तेदारी है तो वह छुटकी को भी ले गए थे |  दीदी के एग्जाम चल रहे थे इसलिए उन्होंने जाने से मना कर दिया | अब तो  रोज  मन होता था  दीदी को नंगा देखने के लिए लेकिन क्या करें मजबूरी थी कम से कम 10 दिन हो गए थे तब से और आज तक मैंने दीदी की एक झलक भी ठीक से नहीं देखी थी | रोज रात में लंड पकड़ कर दीदी के नाम पर मुथियाता था लेकिन दीदी का जिस्म देखने को तरस रहा था |  
दीदी ने हालांकि बताया नहीं कि उनके मां-बाप किसी की शादी करवाने के लिए दूसरे शहर गए हुए हैं लेकिन जब ट्यूशन खत्म हुई और उसके बाद दीदी बोली  -  अच्छा एक काम करो आज तुम्हारी एक एक्स्ट्रा क्लास लगा देते हैं तब मेरी बुझी हुई उम्मीदों पर एक नई रोशनी पड़ी | मैं अंदर उत्साह से भर गया मैं समझ गया कि आज फिर से दीदी के साथ मुझे जवानी के नए गुर सीखने को मिलेंगे | 

दीदी बोली - अच्छा ठीक है चलो मैं तुम्हें कुछ और सवाल बताती हूं उसके बाद में तुम जा सकते हो | 
मुझे समझ में नहीं आया कि दीदी अभी तो एक्स्ट्रा क्लास की बात भी कर रही है उसके बाद जाने को भी कह रही हैं | 
दीदी ने मुझे एक सवाल बताया और बोली -  अब ऐसा करो तुम घर जाओ | अभी मुझे कुछ काम है  इसलिए तुम्हें मैं थोड़ी देर बाद बुलाती हूं | उसके बाद मै  किताब लेकर मायूस सा दीदी के घर से अपने घर की तरफ चल दिया था | शाम के आठ बजे थे मै अपना होमवर्क बस ख़त्म ही कर पाया था | बाहर झांक कर देखा तो मेरी माँ किसी से बाते कर रही थी | मैंने देखा कि दीदी मेरे घर आ गई है और मेरी मम्मी से बातें कर रही हैं | 
दीदी ने मम्मी से बोला कि आज रात को अकेली हैं और उनके मां-बाप दूसरे शहर में शादी करवाने गए हुए हैं वह छुटकी भी उनके साथ घूमने के चक्कर में गई हुई है इसलिए क्या मैं आज रात उनके यहां रात में सो सकता हूं मेरे कानों में जैसे ही शब्द बड़े मेरी तो बांछें खिल गई थी | ना कि मैं अपना उत्साह छिपाए  हुए चुपचाप अपनी किताबों को बैग में रखकर और तैयार हो गया | 
 मेरी मां बोली - ठीक है खाना खिलाने के बाद इसको आपके यहां भेज दूंगी खाना | 
दीदी बोली - मेरे यहाँ खाना  कुछ ज्यादा हो गया है तो कोई दिक्कत नहीं आज मेरे यहां खाना खा लेगा | 
माँ को थोडा अचरज हुआ - ठीक है अगर तुम्हें लगता है तो चले जाओ इसी बहाने कुछ वहां पढाई भी कर लेगा | 
दीदी ने बोला - वैसे मैथ में काफी अच्छा हो गया है लेकिन मैं चाहती हूं यह मैथ में डिस्टिंक्शन लाए | 
यह सुनते ही मां खुश हो गई | 
मै - हाँ बेटा तेरी टूशन से इसकी मैच बहुत अच्छी हो गई है मुझे बड़ी खुशी है | 
 इसके बाद दीदी ने मुझे पुकारा और मुझे अपनी मैथ और साइंस की सारी बुक्स बैंग में भर कर लाने को कहा | 
दीदी - चलो आज रात मै ढेर सारा मैथ पढ़ाती हूं साइंस भी पढ़ाती हूं | 
मै तो पहले से ही तैयार था, मैंने बैग में किताबे रखने का नाटक किया  दीदी के साथ चल दिया था | दीदी ने घर में आते ही अपना मैंन गेट बंद कर दिया और लाइट बुझा दी | मेरे अंदर से खुशी का ठिकाना नहीं था मैं इतना खुश था कि10 फुट उछालना चाह रहा था आज फिर से दीदी के साथ में जवानी का मजा लूटूँगा | लेकिन वहां पहुंचते ही मेरा सारा जोश तब काफूर हो गया जब दीदी बोली अच्छा काम करो अपनी मैंथ और  साइंस की किताब खोलो और पढ़ाई शुरू कर दो | तब तक मैं खाना गरम करके लाती हूँ | फिर साथ में  खाना खाएंगे |  मैं  निराश होकर के अपनी किताबें खोल कर बैठ गया | दीदी उधर खाना गर्म करती रही और उसके बाद कुछ देर बाद वह खाना लेकर आ गयी | हम दोनों ने खाना खाया | उसके बाद ने दीदी मुझे फिर से कुछ सवाल समझाने लगी थी हालांकि मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा था लेकिन मैं उन्हें नाराज नहीं कर सकता था | मेरी नजर बार-बार उनके चेहरे और सीने पर जा रही थी | कुछ देर बाद दीदी ने खुद ही किताबे हटाकर अलग रख दें और पता नहीं कौन सी एक सीडी लेकर आए और उसे लगा दिया और टीवी पर मूवी देखने लगी थी | 
मैं भी धीरे-धीरे उनके पास चल गया था | वह कोई रोमांटिक मूवी चाहिए मेरा उस मूवी में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था | दीदी के जब मैं पास गया तो दीदी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं अपने हाथ खिसकाते  हुए दीदी के स्तनों पर ले गया | उनके बड़े-बड़े उठे हुए ठोस सुडौल  उरोंजो को ऊपर से ही मसलने लगा था | दीदी ने मना नहीं किया | धीरे धीरे मै मै हाथ फिसलाते हुए  दीदी के नीचे सलवार में घुसेड़ने लगा तो  दीदी ने रोक दिया और बोली अभी नहीं | 
मैंने कहा - क्यों क्या हुआ दीदी | 
दीदी बोली - पिछले १० दिन में वहां बहुत जंगल हो गया है | 
मैं कुछ समझा नहीं | मेरे बने मेरे कन्फ्यूज्ड चेहरे को देखकर बोली -  झांटे बड़ी हो गई हैं उन्हें बनाना होगा | 
मैं समझ गया कि वहां पर बाल उग आए हैं | 
मैं - तो अब आगे क्या करना | 
दीदी बोली नहीं - धीरज रखो, जंगल साफ़ करने में  टाइम लगेगा तब तक सब्र करो | लेकिन मुझे सब्र नहीं था | 
दीदी चाहती थी पहले मूवी खत्म करें उसके बाद आगे कुछ करे |  लेकिन मुझे सब्र नहीं था मैंने अपना हाथ वहां घुसेड़  दिया और दीदी की चूत के जंगलों के बीच से जाकर के दीदी के चूत के दाने को सहलाने लगा था दीदी भी धीरे-धीरे उत्तेजित होने लगी थी | जैसे ही मूवी खत्म हुई दीदी ने तुरंत मेरे सारे शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी पेंट उतार के अलग फेंक दी | अब मैं दीदी की तरह नीचे चड्डी नहीं पहनता था जैसे ही मेरी पेंट नीचे खिसकी मेरा तना हुआ मोटा तगड़ा लंड  दीदी की आंखों के सामने था |

दीदी ने बिना देर किए मेरा लंड सीधे अपने मुंह में रख लियाऔर सुपाडे को कस के ऑटो से चूसने लगी थी|  मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ था मैं सिसकारियां भरता रह गया था | दीदी कसके लंड को चूसने लगी और मसलने लगी |  मैं आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था लेकिन कुछ देर बाद दीदी ने मेरे लंड को चूसना छोड़ दिया और मेरी गोलियों से खेलने लगी थी | मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन इस तरह से दीदी के लंड छोड़ने का कारन मुझे समझ में नहीं आया था मेरा बहुत मन कर रहा था दीदी मेरा लंड चुसे| 
 मैंने दीदी का हाथ फिर से अपने लंड पर लगाने की कोशिश की लेकिन दीदी ने मुझे झटक दिया | 
मैंने दीदी से पूछा - दीदी क्या हुआ,  मेरा लंड चूसो न बहुत मन कर रहा है | 
दीदी बोली - आज तुझे कुछ नया सीखना होगा | अब हर पुरानी चीज नहीं चलेगी | ठीक है तेरा मन जरूर कर रहा है लेकिन तुझे एक चीज याद रखनी चाहिए मेरा मन क्या कर रहा है, ये ज्यादा जरुरी है |  मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है | तेरा लंड खड़ा था इसलिए मैंने चूस दिया था कि तुझे थोड़ा सा राहत मिल जाए हालाँकि तब भी मेरा मन तेरा लंड चूसने का नहीं है | 
मै - ठीक है दीदी फिर आपका क्या मन है | 
दीदी - मै आज बहुत थक गई हूं आज दिन भर बहुत सुबह से काम था क्योंकि मम्मी पापा सुबह ही निकल गए थे इसलिए मुझे सोना है | 
इतना कहकर  दीदी उठकर के बाथरूम की तरफ चली गई और जब वहां से वापस लौटी तो उनके बदन पर सिर्फ एक सफेद झीनी सी पैंटी थी | 
[Image: il_fullxfull.1167330822_d0w0.jpg]

 मैंने देखा दीदी ऊपर से नीचे तक पूरी तरह से नंगी है सिर्फ एक सफेद झीनी चड्डी में घूम रही हैं |  दीदी जिस तरह रूम में आई और वापस भी उसी तरह  चली गई चूतड़ हिलाते हुए | देर तक मैं दीदी को देखता रहा और उनके बारे में सोचता था लेकिन ना तो इतनी समझती ना ही अकल | कुछ देर बाद उठकर  करके सीधे बाथरूम की तरफ चला गया था बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं था मैंने देखा दीदी नहा रही है इतनी रात में कौन नहाता है लेकिन दीदी नहा रही थी | जैसे ही दीदी ने मुझे वहां दरवाजे के पास देखा उन्होंने इशारे से अंदर आने को कहा मैं अंदर चला गया मैं पूरी तरह से नंगा था इसलिए अंदर जाते ही दीदी ने मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दिया और साबुन लगा कर के मुझे भी मलने लगी थी | दीदी की सफेद झीनी पैंटी पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और बाहर से ही दीदी की चूत की दरार और उनके ओंठ  साफ साफ दिख रहे थे | उसके ऊपर हलके हलके काले काले बालो का  एक बड़ा सा इलाका भी दिख रहा था |  साबुन लगाने के बाद दीदी ने मुझे फिर से शावर के नीचे खड़ा कर दिया और दूसरी तरफ से एक क्रीम उठाते हुए मुझसे बोली - पता है इसे क्या कहते हैं | 
मैंने उसे देखते ही पहचान लिया और मै बोला - हां पापा लोग से दाढ़ी बनाते हैं | 
दीदी - हां बिल्कुल तूने सही पहचाना इसलिए सिर्फ  दाढ़ी ही नहीं बनती है इसे झांटे भी बनाई जाती हैं अब मैं इसे अपनी झांटो पर लगा रही हूं और आज तुझे मैं चूत की सेव करना सिखाओगी समझ गया | जब भी किसी औरत की चूत पर ढेर सारी बाल हो और तुझे उसकी चिकनी चूत देखनी है तो तुझे उसके बालो की शेविंग करनी पड़ेगी | इसलिए झांटे कैसे बनाई जाती हैं यह तुझे आज मैं सिखाती हूं | 

इसके बाद दीदी ने ढेर सारी सेविंग क्रीम अपने चूत और आसपास के इलाकों में लगा दी और उसके बाद में एक रेजर लेकर धीरे-धीरे उसे बनाने लगी थी | जैसे-जैसे दीदी अपने हाथों से रेजर घुमती जाती वहां के बाल साफ होते जाते |  मैं उन्हें गौर से देख रहा था |  दीदी धीरे-धीरे अपनी चूत के सारे बाल बनाती हुई चली गई और कुछ ही देर में उनकी चूत के ऊपर का इलाका  पूरी तरह से साफ हो गए था | दीदी  की गुलाबी चूत का इलाका  फिर से चमकने लगा था | 
[Image: Pubic_hair_Shaving.jpg]
दीदी ने फिर से एक बार क्रीम लगाई और दोबारा से सेव करने लगी थी | कुछ ही देर में दीदी ने अपनी रेजर मेरी तरह बढ़ाते हुए चलो एक दो बार मेरी चूत के ऊपर रेजर घुमावो | 

तुम्हे भी तो पता चला जिस चिकनी चूत के तुम इतने दीवाने हो उसे इतना सफाचट और चिकना रखने में कितनी मेहनत लगती है |  मै भी दीदी की चूत के इलाके में रेजर घुमाने लगा | जैसे जैसे दीदी बताती गयी मै बिलकुल वैसे वैसे ही करता गया | कुछ ही देर बाद दीदी की चूत पर  बालों का नामोनिशान तक नहीं था ऐसा लग रहा था जैसे वहां कभी बाल थे ही नहीं | दो बार  बाल सेव करने के बाद में दीदी की चूत एकदम से चिकनी और सफाचट हो गई थी और उनकी गुलाबी उस वाली चूत फिर से चमकने लगी थी उसके बाद दीदी ने मेरे लंड के आसपास के इलाकों में भी साबुन लगाई और अच्छे से धोया | इसके बाद दीदी मेरा हाथ पकड़ के चल दी मै भी  उनके पीछे पीछे चल दिया | कमरे में आकर के दीदी ने  मुझे अच्छी तरह से तौलिये से पोंछा और  फिर खुद को भी अच्छी तरह से पोंछा | उसके बाद में दीदी बिस्तर पर लुढ़क गयी  और चद्दर ओढ़ ली | मुझे भी एक चद्दर उढ़ा  दी लेकिन कुछ ही देर बाद दीदी ने अपनी चद्दर फेंक दी और मुझे अपने सीने से  चिपका दिया | आज दीदी का बर्ताव कुछ अलग लग रहा था वो आज बहुत कम बोल रही थी | कुछ देर तक मैं दीदी से चिपका रहा | दीदी के बदन की गर्माहट करके मेरा लंड से सीधा होने लगा लेकिन दीदी ने मुझे बाहों में भर कर खुद से चिपकाये रखा और कुछ देर बाद सो गई |  उनकी सांसों की गर्माहट और आवाज से मैं समझ गया था कि वह पूरी तरह से सो चुकी है अब मैं इस खड़े लंड का क्या करूं मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था जो दीदी को नागवार गुजरे | मै भी दीदी की नरम नरम बांहों में उनके साथ चिपके चिपके सोने की कोशिश करने लगा | दीदी के बारे में सोचते सोचते और उनके बदन से चिपके चिपके उनकी बदन की गरमाहट को महसूस करते करते कब मुझे खुद मेरी आंखें बंद हो गई मुझे पता ही नहीं चला |

[Image: 478094_15big.jpg]

 दीदी के बिस्तर पर हम कितने घंटे गहरी नींद में सोए रहे मुझे भी अंदाजा नहीं था लेकिन नींद मुझे बहुत अच्छी आई और जब मेरी आंख खुली थी दीदी तब भी सो रही थी मैंने देखा नीचे दीदी की जांघों के पास मेरा लंड अभी भी पूरी तरह से बना हुआ है तो क्या मेरा लंड इतनी देर तक तना ही रहा कितने घंटे पूरी तरह से खड़ा  रहा मैं हैरान था | क्या चीज है ये लंड | क्या  इतनी देर तक किसी का लंड का खड़ा रह सकता है लेकिन मेरा लंड खड़ा हुआ था दीदी अभी भी गहरी नींद में सो रही थी अब आगे क्या करना है मुझे कुछ पता ही नहीं था आखिर मै करता  भी तो क्या करता मैं चुपचाप वैसे ही लेटा रहा और दीदी के स्तनों को मसलता हालांकि मैंने टीवी में मूवी में देख लिया था कि एक आदमी कैसे एक औरत को चोद रहा था लेकिन यहां मुझे कुछ पता नहीं था इसीलिए जब तक दीदी कुछ बताएंगे नहीं मैं कुछ कर नहीं सकता था
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 10-11-2019, 05:37 PM



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