10-11-2019, 12:43 PM
सलहज की बात
मुझे इनकी सलहज की बात याद गयी ,
कितनी बार तो मुझे हड़काया था ,
पाहुन से पिछवाड़ा चटवाया था की नहीं ,
गांड चटवायी
और आज एक बार नहीं दो बार , ...
पहले तो खड़े खड़े ,
और उन्होंने ही खुद ही , मैंने रबड़ी वहां भी तो लथेड़ भी दी थी ,
और अभी उनके ऊपर चढ़ कर , बुर तो कितनी बार चटवायी थी ,
लेकिन आज सरक कर , ... और इस लड़के ने ,
उसके बस का भी नहीं था ना नुकुर करना , मैं इस तरह ऊपर चढ़ी थी ,
लेकिन मजे ले लेकर उन्होंने चाटा
मैं कौन पीछे रहने वाली थी , अगर वो अपनी रीतू सलहज के नन्दोई थे ,
तो मैं अभी अपनी रीतू भाभी की ननद थी , ...
बस मेरी जीभ , ..एक पल के लिए सोच बोलूं , ...मैं हिचकिचाई , .. पर , अभी जो उन्होंने किया था ,
हलके हलके , गोल छेद पर नहीं उसके आस पास , ... जीभ वहां पहुँच भी नहीं पा रही थी ,
मैंने फिर उन्ही की ट्रिक अपनायी , ...
बिस्तर पर के जितने तकिये , कुशन थे सब उनके कमर के नीचे ,
एक दो उनके चूतड़ के भी , बस उसे उठा के , और अब जीभ वहां आराम से पहुँच रही थी ,
पर थोड़ी देर उस गोलकुंडा के दरवाजे के चारों ओर मेरी जीभ ने चक्कर काटे , जैसे नई जवान होती लौंडिया के घर के बाहर मोहल्ले के लौंडे चक्कर काटने लगते हैं ,
बस फिर हिम्मत कर के सीधे छेद पर , ...
जिस तरह से वो गिनगिनाये , खूंटा उनका फनफनाया , ... मैं समझ गयी मुझे उनकी एक जादू की बटन मिल गयी , ... फिर तो , जीभ सीधे छेद पर
लपड़ लपड़ , सपड़ सपड़
मेरे मन ने खुद से कहा ,
कोमल , प्यार में कुछ भी गन्दा , असहज , मना नहीं होता , जो मन को अच्छा लगे , वही अच्छा , और मेरे लिए तो सिर्फ एक कसौटी थी ,
मेरे आनंद को जो आनंद दे , ...
बस मैंने कस के दोनों हाथ से उनके नितम्ब फैलाये और
जीभ की टिप अंदर , ...
गोल गोल , कभी अंदर बाहर
और मेरा एक हाथ अभी भी खड़े तन्नाए , खूंटे को सहला देता तो कभी उनके बॉल्स को हलके से छू देता , पकड़ के हौले से दबा देता ,
जीभ मैंने बाहर निकाली , जैसे बच्चे थूक से बबल गम बनाते हैं , उसी तरह मुंह में खूब ढेर सारा थूक भर के ,
और अबकी दोनों हाथों को लगा के दोनों हाथ के अंगूठे से कस के पकड़ के ,
पिछवाड़े वाले उनके छेद को पूरी तरह से चियारा ,
वो जोर जोर से सिसक रहे थे , छटपटा रहे थे , मचल रहे थे , ...
पर वो कौन मुझे छोड़ते थे जो मैं उन्हें छोड़ दूँ
और पूरा थूक का गोला उनके पिछवाड़े वाले खुले , चियारे हुए छेद में , पूरा थूक उनकी गांड में , ...
और एक बार नहीं , दो बार , तीन बार , ... और उसके बाद ,
फिर से मेरी जीभ , ... और अबकी सिर्फ टिप नहीं ,
क्या कोई लड़की बौरायेगी ,
जिस तरह से वो चूतड़ पटक रहे थे ,
जैसे उनकी जीभ मेरी क्लिट से जब छू जाती थी , जब वो कस कस के मेरी क्लिट चूसते , और मैं मिनट भर में झड़ जाती , बस एकदम उसी तरह ,
और न वो छोड़ते थे , न मैंने छोड़ा , ... मेरी जीभ अंदर कस कस के , साथ में मेरे दोनों होंठ भी चिपक गए थे
ये सब ट्रिक मैंने उन्ही से सीखा था ,
मेरी गुलाबो के दोनों होंठों को अपने होंठो के बीच दबा के कस कस के चूसते हुए , वो अपनी जीभ मेरी बिल में पेल देते थे ,
और फिर , ... अंदर की दीवालों पर , उन्हें यहाँ तक की पता था की मेरा जी प्वाइंट कहाँ है , ...
उस लड़के ने पहली दो रात में मेरी देह के हर रहस्य खोल लिए थे
मैं चूस भी रही थी , चाट भी रही थी और अपनी जीभ से उनकी गांड ,
.. यस ,... उनकी गांड मार भी रही थी ,
थोड़ी देर उन्हें एकदम पागल करने के बाद मैं एक बार फिर उन्हें छोड़कर , ... रजाई में घुस गयी , ... और कहाँ उन से दुबक कर ,
हाँ लेकिन मेरी पीठ उन से चिपकी थी , ...
मैं सोच रही थी देखती हूँ अब जनाब ये क्या करते हैं ,
लेकिन ये लड़का सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं तेज था ,
उन्होंने कुछ नहीं किया
सिरफ पीछे से मुझे दबोच लिया
मुझे इनकी सलहज की बात याद गयी ,
कितनी बार तो मुझे हड़काया था ,
पाहुन से पिछवाड़ा चटवाया था की नहीं ,
गांड चटवायी
और आज एक बार नहीं दो बार , ...
पहले तो खड़े खड़े ,
और उन्होंने ही खुद ही , मैंने रबड़ी वहां भी तो लथेड़ भी दी थी ,
और अभी उनके ऊपर चढ़ कर , बुर तो कितनी बार चटवायी थी ,
लेकिन आज सरक कर , ... और इस लड़के ने ,
उसके बस का भी नहीं था ना नुकुर करना , मैं इस तरह ऊपर चढ़ी थी ,
लेकिन मजे ले लेकर उन्होंने चाटा
मैं कौन पीछे रहने वाली थी , अगर वो अपनी रीतू सलहज के नन्दोई थे ,
तो मैं अभी अपनी रीतू भाभी की ननद थी , ...
बस मेरी जीभ , ..एक पल के लिए सोच बोलूं , ...मैं हिचकिचाई , .. पर , अभी जो उन्होंने किया था ,
हलके हलके , गोल छेद पर नहीं उसके आस पास , ... जीभ वहां पहुँच भी नहीं पा रही थी ,
मैंने फिर उन्ही की ट्रिक अपनायी , ...
बिस्तर पर के जितने तकिये , कुशन थे सब उनके कमर के नीचे ,
एक दो उनके चूतड़ के भी , बस उसे उठा के , और अब जीभ वहां आराम से पहुँच रही थी ,
पर थोड़ी देर उस गोलकुंडा के दरवाजे के चारों ओर मेरी जीभ ने चक्कर काटे , जैसे नई जवान होती लौंडिया के घर के बाहर मोहल्ले के लौंडे चक्कर काटने लगते हैं ,
बस फिर हिम्मत कर के सीधे छेद पर , ...
जिस तरह से वो गिनगिनाये , खूंटा उनका फनफनाया , ... मैं समझ गयी मुझे उनकी एक जादू की बटन मिल गयी , ... फिर तो , जीभ सीधे छेद पर
लपड़ लपड़ , सपड़ सपड़
मेरे मन ने खुद से कहा ,
कोमल , प्यार में कुछ भी गन्दा , असहज , मना नहीं होता , जो मन को अच्छा लगे , वही अच्छा , और मेरे लिए तो सिर्फ एक कसौटी थी ,
मेरे आनंद को जो आनंद दे , ...
बस मैंने कस के दोनों हाथ से उनके नितम्ब फैलाये और
जीभ की टिप अंदर , ...
गोल गोल , कभी अंदर बाहर
और मेरा एक हाथ अभी भी खड़े तन्नाए , खूंटे को सहला देता तो कभी उनके बॉल्स को हलके से छू देता , पकड़ के हौले से दबा देता ,
जीभ मैंने बाहर निकाली , जैसे बच्चे थूक से बबल गम बनाते हैं , उसी तरह मुंह में खूब ढेर सारा थूक भर के ,
और अबकी दोनों हाथों को लगा के दोनों हाथ के अंगूठे से कस के पकड़ के ,
पिछवाड़े वाले उनके छेद को पूरी तरह से चियारा ,
वो जोर जोर से सिसक रहे थे , छटपटा रहे थे , मचल रहे थे , ...
पर वो कौन मुझे छोड़ते थे जो मैं उन्हें छोड़ दूँ
और पूरा थूक का गोला उनके पिछवाड़े वाले खुले , चियारे हुए छेद में , पूरा थूक उनकी गांड में , ...
और एक बार नहीं , दो बार , तीन बार , ... और उसके बाद ,
फिर से मेरी जीभ , ... और अबकी सिर्फ टिप नहीं ,
क्या कोई लड़की बौरायेगी ,
जिस तरह से वो चूतड़ पटक रहे थे ,
जैसे उनकी जीभ मेरी क्लिट से जब छू जाती थी , जब वो कस कस के मेरी क्लिट चूसते , और मैं मिनट भर में झड़ जाती , बस एकदम उसी तरह ,
और न वो छोड़ते थे , न मैंने छोड़ा , ... मेरी जीभ अंदर कस कस के , साथ में मेरे दोनों होंठ भी चिपक गए थे
ये सब ट्रिक मैंने उन्ही से सीखा था ,
मेरी गुलाबो के दोनों होंठों को अपने होंठो के बीच दबा के कस कस के चूसते हुए , वो अपनी जीभ मेरी बिल में पेल देते थे ,
और फिर , ... अंदर की दीवालों पर , उन्हें यहाँ तक की पता था की मेरा जी प्वाइंट कहाँ है , ...
उस लड़के ने पहली दो रात में मेरी देह के हर रहस्य खोल लिए थे
मैं चूस भी रही थी , चाट भी रही थी और अपनी जीभ से उनकी गांड ,
.. यस ,... उनकी गांड मार भी रही थी ,
थोड़ी देर उन्हें एकदम पागल करने के बाद मैं एक बार फिर उन्हें छोड़कर , ... रजाई में घुस गयी , ... और कहाँ उन से दुबक कर ,
हाँ लेकिन मेरी पीठ उन से चिपकी थी , ...
मैं सोच रही थी देखती हूँ अब जनाब ये क्या करते हैं ,
लेकिन ये लड़का सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं तेज था ,
उन्होंने कुछ नहीं किया
सिरफ पीछे से मुझे दबोच लिया