09-11-2019, 09:22 PM
मेरी उत्तेजना का ज्वार अब चरम पर पंहुचने लगा था | फिर दीदी ने नीचे की तरफ उंगली ले जा करके बताया, जहाँ पर ये चूत के अंदरूनी ओंठ ख़त्म होते है वहां से चूत की मखमली गुलाबी सुरंग का मुहाना शुरू होता है |
मै गौर से दीदी की चूत की गुलाबी मखमली सुरंग का छेद देखने लगा | लेकिन मुझे तो छेद कही दिखा नहीं |
मै - दीदी आप बोल रही थी चूत में छेद होता है लेकिन मुझे तो कही नहीं दिख रहा |
दीदी - अरे पगले छेद होता है लेकिन अभी मेरी चूत के दीवारों ने उसे कसकर बंद कर रखा है | इसलिए वो बंद है |
मै - दीदी - आपकी चूत में से पानी निकल रहा है क्या |
दीदी - हाँ जब लड़की को चुदास चढती है और वो चूत दाने को रगडती है तो चूत से पानी रिसता है जिससे चूत गीली हो जाती है |
मै - दीदी अपनी चूत की दीवारे फैलावो न मुझे आपकी चूत का छेद देखना है |
दीदी - चूत की दीवारे मै नहीं फैला सकती, उन्हें सिर्फ लंड फैला सकता है, जब मेरी चूत में लंड घुसेड़ोगे तब खुद ब खुद चूत की दीवारे फ़ैल जाएगी तब देख लेना मेरी चूत का छेद |
मै अपनी उत्तेजना के आखिर पड़ाव की पार करने लगा था | दीदी की चूत को देखकर तो जैसे मेरी उत्तेजना समय से पहले बह निकली |
मै अपने चरम के कुछ आखिरी पल में बेतहाशा लंड मुठीयाने लगा | कुछ ही देर में मेरी पिचकारी छूटने वाली थी, मेरे हाथ की स्पीड और कांपती टांगो को देखकर दीदी समझ गई थी मेरी पिचकारी छूटने वाली है मेरे शरीर की अकड़न से ही उन्हें अंदाजा हो गया था | उन्होंने कहा था मै पानी मलाई उनकी चूत के मुहाने पर निकाल दू | मै दीदी की चूत के पास लंड ले गया और तब तक मेरी वासना का बांध टूट चूका था | मै बस तेजी से कराहने लगा | मैंने दीदी चूत के जस्ट ऊपर अपनी पूरी पिचकारी निकाल दी | उनकी पेट के नाभि के नीचे और चूत के ऊपरी हिस्से पर मैंने सारी मलाई निकाल दी | यह देखकर वह बहुत खुश हुई | मै तेजी से हांफता हुआ निढाल सा वही बैठ गया | दीदी एक उंगली से उस मलाई को उसी इलाके में धीरे-धीरे से घुमाने लगी थी | मैं पूरी तरह से पस्त गया था | दीदी की चूत भी बहने लगी थी | दीदी तो जैसे जन्नत में पहुंच गई थी | एक ही घंटे के अंदर उन्होंने मेरी दो बार मलाई निकाल दी थी और मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी कि मैं ठीक से खड़ा हो सकूं मैं वहीं बैठे बैठे बिस्तर निढाल होकर लुढ़क गया |
जितेश को लग रहा था रीमा नीचे उसकी तरफ नहीं देख रही है और सिर्फ उसकी कहानी सुन रही है इसलिए वो तेजी से अपनी चादर के अन्दर अपने लंड को मसल रहा था | रीमा भी चूत में दो उंगलियाँ करके खुद की चूत में मची सनसनाहट मिटाने की असफल कोशिश कर रही थी | जितेश की हिलती चादर देख रीमा समझ गयी की अन्दर क्या चल रहा है | इधर मोमबत्ती अपनी आखिरी सांसे ले रही थी | कुछ ही देर में भभक कर बुझ गयी | अब कमरे में घनघोर अँधेरा था |
रीमा - छुप क्यों हो गए जितेश, आगे बतावो फिर क्या हुआ |
रीमा की आवाज खुद वासना में लड़खड़ा रही थी, उसकी सांसे तेज हो चली थी | इधर जितेश का तो और भी बुरा हाल था | उसकी तेज सांसे और हांफता सीना अभी इस हालत में नहीं था की वो आगे की कहानी सुना सके | उसने एक लम्बी साँस ही और हल्की आवाज में आगे की कहानी सुनानी शुरू कर दी | रीमा उसकी तेज सांसे सुन सकती थी लेकिन रीमा खुद अपनी लगायी आग में घिरी थी वो कहाँ से जितेश के बदन में लगी आग की फिक्र करती | दोनों को साधने वाला बस एक कहानी ही थी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू कर दी | इसी के साथ जितेश का हाथ लंड पर फिसलने लगा और रीमा की उंगलियाँ उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगी |
मै गौर से दीदी की चूत की गुलाबी मखमली सुरंग का छेद देखने लगा | लेकिन मुझे तो छेद कही दिखा नहीं |
मै - दीदी आप बोल रही थी चूत में छेद होता है लेकिन मुझे तो कही नहीं दिख रहा |
दीदी - अरे पगले छेद होता है लेकिन अभी मेरी चूत के दीवारों ने उसे कसकर बंद कर रखा है | इसलिए वो बंद है |
मै - दीदी - आपकी चूत में से पानी निकल रहा है क्या |
दीदी - हाँ जब लड़की को चुदास चढती है और वो चूत दाने को रगडती है तो चूत से पानी रिसता है जिससे चूत गीली हो जाती है |
मै - दीदी अपनी चूत की दीवारे फैलावो न मुझे आपकी चूत का छेद देखना है |
दीदी - चूत की दीवारे मै नहीं फैला सकती, उन्हें सिर्फ लंड फैला सकता है, जब मेरी चूत में लंड घुसेड़ोगे तब खुद ब खुद चूत की दीवारे फ़ैल जाएगी तब देख लेना मेरी चूत का छेद |
मै अपनी उत्तेजना के आखिर पड़ाव की पार करने लगा था | दीदी की चूत को देखकर तो जैसे मेरी उत्तेजना समय से पहले बह निकली |
मै अपने चरम के कुछ आखिरी पल में बेतहाशा लंड मुठीयाने लगा | कुछ ही देर में मेरी पिचकारी छूटने वाली थी, मेरे हाथ की स्पीड और कांपती टांगो को देखकर दीदी समझ गई थी मेरी पिचकारी छूटने वाली है मेरे शरीर की अकड़न से ही उन्हें अंदाजा हो गया था | उन्होंने कहा था मै पानी मलाई उनकी चूत के मुहाने पर निकाल दू | मै दीदी की चूत के पास लंड ले गया और तब तक मेरी वासना का बांध टूट चूका था | मै बस तेजी से कराहने लगा | मैंने दीदी चूत के जस्ट ऊपर अपनी पूरी पिचकारी निकाल दी | उनकी पेट के नाभि के नीचे और चूत के ऊपरी हिस्से पर मैंने सारी मलाई निकाल दी | यह देखकर वह बहुत खुश हुई | मै तेजी से हांफता हुआ निढाल सा वही बैठ गया | दीदी एक उंगली से उस मलाई को उसी इलाके में धीरे-धीरे से घुमाने लगी थी | मैं पूरी तरह से पस्त गया था | दीदी की चूत भी बहने लगी थी | दीदी तो जैसे जन्नत में पहुंच गई थी | एक ही घंटे के अंदर उन्होंने मेरी दो बार मलाई निकाल दी थी और मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी कि मैं ठीक से खड़ा हो सकूं मैं वहीं बैठे बैठे बिस्तर निढाल होकर लुढ़क गया |
जितेश को लग रहा था रीमा नीचे उसकी तरफ नहीं देख रही है और सिर्फ उसकी कहानी सुन रही है इसलिए वो तेजी से अपनी चादर के अन्दर अपने लंड को मसल रहा था | रीमा भी चूत में दो उंगलियाँ करके खुद की चूत में मची सनसनाहट मिटाने की असफल कोशिश कर रही थी | जितेश की हिलती चादर देख रीमा समझ गयी की अन्दर क्या चल रहा है | इधर मोमबत्ती अपनी आखिरी सांसे ले रही थी | कुछ ही देर में भभक कर बुझ गयी | अब कमरे में घनघोर अँधेरा था |
रीमा - छुप क्यों हो गए जितेश, आगे बतावो फिर क्या हुआ |
रीमा की आवाज खुद वासना में लड़खड़ा रही थी, उसकी सांसे तेज हो चली थी | इधर जितेश का तो और भी बुरा हाल था | उसकी तेज सांसे और हांफता सीना अभी इस हालत में नहीं था की वो आगे की कहानी सुना सके | उसने एक लम्बी साँस ही और हल्की आवाज में आगे की कहानी सुनानी शुरू कर दी | रीमा उसकी तेज सांसे सुन सकती थी लेकिन रीमा खुद अपनी लगायी आग में घिरी थी वो कहाँ से जितेश के बदन में लगी आग की फिक्र करती | दोनों को साधने वाला बस एक कहानी ही थी | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू कर दी | इसी के साथ जितेश का हाथ लंड पर फिसलने लगा और रीमा की उंगलियाँ उसकी चूत में अन्दर बाहर होने लगी |