09-11-2019, 08:59 PM
जितेश और उसकी दीदी की चूत चुदाई की कहानी सुनकर रीमा को बुखार चढ़ने लगा | उसके हाथ चादर के अन्दर उसकी तौलिया को खोलते हुए गुलाबी चूत के लाल चूत दाने तक पंहुच गए | रीमा की एक उंगली उसके उस गुलाबी लाल दाने पर थिरकने लगी |
कुछ देर तक दीदी मुझे निहारती रही और फिर पूछने लगी - कैसा लगा लंड चूसना मजा आया |
मैंने एक लंबी साँस ली और बोला - हां दीदी बहुत मजा आया |
जितेश भी अब सीधे लेट गया | उसके मन में भी सुरूर चढ़ने लगा था | उसने भी अपने ऊपर चादर डाल ली और उसका हाथ भी उसके मुसल लंड तक पंहुच गया | चूँकि मोमबती खाना गरम करने वाली जगह पर रखी थी इसलिए जितेश की हरकत तो रीमा देख सकती थी लेकिन रीमा क्या कर रही है ये जितेश नहीं देख सकता था | दुसरे रीमा बेड पर लेती थी और जितेश जमीन में इसलिए रीमा के लिए जितेश को देखना बहुत आसान था | रीमा समझ गयी जितेश क्रिस्टीना को याद कर रहा है, उसका लंड उसकी दीदी की याद में अकड़ने लगा है | इसलिए वो ऊपर से चादर डालकर अब उसे मसलने लगा है रीमा की चूत दाने पर फिसलती उंगली से रीमा की आवाज में मादकता आने लगी |
रीमा - फिर क्या हुआ | जितेश ने आगे कहानी सुनानी शुरू की |
मैंने फिर से कमर हिलाने शुरू कर दी थी लेकिन इस बार दीदी की उंगलियों का छल्ला बहुत सख्त था इसलिए मेरा लंड उसने फंस जा रहा था दीदी ने ढेर सारी लार मुंह से निकाल कर मेरे लंड पर मसल दी और फिर मेरा लंड आराम से दीदी के उंगलियों के बनाए छल्लो के बीच से फिसलने लगा था मैं धीरे-धीरे जोर जोर से झटके लगाने लगा था | दीदी ने भी हाथों से जोर जोर से झटके लगाकर मेरे लंड को मसलने लगी थी | दीदी ने अपने उंगलियों के छल्लों के आखिरी सिरे पर अपने ओंठ सटा दिए | जिससे कि उनके दोनों हाथों की उंगलियों के बने छल्लो से लंड फिसलता हुआ ऊपर की तरफ निकल जाए और उसका सुपाडा सीधे दीदी के मुहँ की रसीले ओठो की जकड़न में समां जाए | अब मैं नीचे से धक्का मारता था तो दीदी की दोनों हाथो की उंगलियों के छल्लों को चीरता हुआ ....फिसलता हुआ लंड दूसरी छोर पर निकल जाता था और दीदी के नरम ओंठो की सुरंग में समां जाता | दीदी कसकर लंड के सुपाडे को चूस लेती | काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा मैं नीचे से जोर-जोर से बड़े-बड़े धक्के लगाता रहा | सांसे मेरी धौकनी बन चुकी थी लेकिन मैं पूरी तरह से जोश में भरा हुआ था इसलिए मुझे थकान महसूस नहीं हो रही थी कुछ देर बाद दीदी ने फिर से मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया था और अपने दोनों हाथों से मेरे लंड को कसके मसल रही थी और सुपाडे को चूसने लगी थी और जैसे जैसे लंड के ऊपर दीदी अपनी सख्त जकड़न बढ़ाती जा रही थी मेरे लंड में सनसनाहट पड़ने लगी थी मेरा बदन अकड़ने लगा था और मेरे हाथ पांव सब कांपने लगे थे और एकदम से जैसे लगा जैसे कोई तेज लहर आई और मै उसमे बहता चला गया |
जल्द ही मेरा दिमाग और बदन दोनोई मेरे काबू में नहीं थे तेजी से मेरे लंड से पिचकारिया छूटने लगी थी मैं स्खलन की इस भंवर मदहोश हो गया था | मेरे लंड से निकलने वाली पिचकारी दीदी के चेहरे पर जाकर लगी थी उनकी आंख पर जाकर लगी थी उनकी नाक पर जाकर लगी थी और कुछ सीधे उनके मुंह में चली गई थी दीदी उन्हें तुरंत गटक गई और उसके बाद भी उन्होंने मेरे लंड को मसलना और चाटना नहीं छोड़ा था | तब तक मसलती रही जब तक कि उसके अंदर से एक एक बूंद उन्होंने नहीं निकाल दी | दीदी धीरे-धीरे करके सब चट कर गई उन्होंने अपने चेहरे के ऊपर लगी हुए सफ़ेद मलाई को भी चाट नहीं डाला | अपनी उंगलियों को चाट गई और मेरे लंड को भी चाट गई थी मैं तो बिल्कुल निढाल होकर पर पड़ गया था मेरा लंड सूखने लगा था लेकिन दीदी को बहुत मजा आया और मुझे भी बहुत मजा आया था मैं अपनी तेज सांसों को काबू कर रहा था और दीदी मुझे देख रही थी
कुछ देर तक दीदी मुझे निहारती रही और फिर पूछने लगी - कैसा लगा लंड चूसना मजा आया |
मैंने एक लंबी साँस ली और बोला - हां दीदी बहुत मजा आया |