09-11-2019, 08:50 PM
मैंने दीदी से हल्के से पूछा दीदी यह क्या आप मुझे दिखा रही हो |
दीदी ने हल्की मुस्कराहट के साथ पुछा - कभी देखा है इसे |
मै - हाँ बहन जब नहाती है तब सारे कपड़े उतार देती है |
दीदी - मै बहन की बात नहीं कर रही हूँ | किसी जवान लड़की को बिना कपड़े का देखा है |
मै - जवान मतलब ??.........नहीं | लेकिन ये पता है लडकियाँ यही से पेशाब करती है |
दीदी - पेशाब के अलावा कुछ नहीं पता तुझे | अच्छा बता इसका नाम क्या है |
मैंने दिमाग पर जोर लगाया - पता नहीं दीदी |
दीदी बोली - पगले इस चूत कहते हैं इसके अंदर लंड जाता है जो तेरे पास है |
मै - मैं कुछ समझ में नहीं दीदी |
दीदी - तू अभी न समझ तो ही ठीक है नहीं तो बिगड़ जायेगा |
दीदी ने हल्के से मेरे हाथ पकड़ा और अपने उस चूत के चिकने इलाके पर रखते हुए नीचे को फिसलती हुए चली गई | दीदी का वो इलाका बहुत ही नरम और गुनगुना था, मुझे एक झटका सा करंट सा लगा | दीदी समझ गई की इससे पहले मैंने चूत के दर्शन नहीं किए हैं |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी यह क्या है और मुझे अजीब सा महसूस क्यों हो रहा है |
दीदी बोली - क्या पगले अब तू जवान होने लगा है इन चीजों के बारे में तुझे पता होना चाहिए | ये मेरी चूत है और यह जो ओंठ आपस में चिपके हुए नीचे तक एक पतली दरार बना रहे है इन्हें चूत के ओठ कहते हैं, जैसे मेरे मुहँ में ओंठ है ऐसे ही चूत के ओंठ है | इसके अंदर एक गुलाबी मखमली सा छेद होता है | जो इन ओंठो को खोलने पर दिखाई देता है | जिसमें घुसने के लिए दुनिया का हर जवान मर्द पगलाया रहता है, ये जो तेरी पेंट में है और जिससे तू पेशाब करता है इसको लंड कहते है | ये लंड ही चूत के छेद में अन्दर घुसता है |
मै - दीदी इसे तो माँ मुनिया कहती है |
दीदी खिलखिला पड़ी - जब तक तुम छोटे थे और सिर्फ इससे पेशाब करते थे तब तक इसे मुनिया कहते है | अब तुम बड़े हो गए हो, अब तुमारी मुनिया भी बड़ी हो गयी है और खड़ी होने लगी है | (मेरी पेंट में हाथ घुसेड़कर मेरा लंड पकड़ते हुए ) तेरी पेंट में जो ये लटकता हुआ लंबा सा है, ये अब मुनिया नहीं लंड कहलाता है |
फिर खुद कुछ रूककर पूछने लगी - अच्छा ये बताओ जब सुबह उठते हो तो जोर से पेशाब लगाती है तब ये तनकर खड़ा नहीं हो जाता | क्या इतना बड़ा ही होता है |
मै हैरानी से - दीदी ये तो बहुत बड़ा हो जाता है इसे तो छुपकर बाथरूम भागना पड़ता है |
दीदी - हाँ तो समझो जब ये खड़ा होता है तभी इस चूत के छेद में घुसता है | दीदी की बता मुझे कुछ समझ न आईओ बल्कि मै और ज्यादा परेशान हो गया | मेरे चेहरे के हव भाव देखकर दीदी बोली - तू अभी ज्यादा जोर मत डाल धीरे धीरे सब समझ में आ जायेगा |
दीदी ने जब से नीचे को अपनी चड्ढी खींची थी तब से मैं उनके उस चिकने गुलाबी त्रिकोण इलाके को देखता रहा | एकटक देखता रहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था हालांकि मुझे समझ में कुछ नहीं आ रहा था फिर मैंने दीदी से पूछा - दीदी यह सब क्या है | ये सब आप मुझे क्यों बता रही हो और अपनी ये चूत मुझे क्यों दिखा रही हो |
दीदी मेरे पास आकर - अब तू जवान हो रहा है तुझे यह सब चीजें सीखनी चाहिए और तुझे मैं इसलिए बता रही हूं क्योंकि तू मेरा सबसे अच्छा स्टूडेंट है और मै तेरी टीचर | अगर तुझे मै ये सब नहीं बताउंगी तो कौन बताएगा | मै तुझे सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देना चाहती हूँ इसलिए तुझे अपनी सबसे खास चीज दिखाई है | तू बहुत खास स्टूडेंट है मेरा इसलिए तुझे ये सब देखने को मिल रहा है | वरना लोग अपनी बीबी की चूत देखने को तरस जाते है |
मै थोड़ा उलझा हुआ - दीदी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है |
दीदी - ठीक है मै तुझे समझाती हूँ आदमी और औरत ..........ऐसे समझ लड़का और लड़की | तू लड़का है और मै लड़की | ठीक है |
मै - हाँ दीदी मै लड़का हूँ |
दीदी - दोनों के चड्ढी के अन्दर वाली जगह पर अलग अलग बनावट होती है | जिसे तू भी देख भी रहा है (अपनी चूत की तरफ इशारा करके ) इसे हमारी भाषा में चूत कहते हैं और यह देख ये जो दरार है यह दरार इन दोनों को अलग कर रही है इन दोनों को चूत के ओंठ कहते हैं और यहां पर जो तू बाल देख रहा था इन बालों को झांटे कहते हैं मैं तुझे यह सब खुद को नंगा करके इसलिए बता और दिखा रही हूं ताकि तू समय रहते इन सब का ज्ञान ले ले वरना लोगों की शादी हो जाती है उन्हें इस बारे में पता नहीं चलता | अगर तुझे मै ये सब खोलकर नहीं दिखौंगी तो चार्अट और किताबो से तेरा ज्बञान अधूरा रह जायेगा और तू बस किताबी शेर बनकर रह जायेगा | तो समझ गया मैंने क्या बताया इसे क्या कहते हैं यह चूत है गुलाबी चिकनी चूत | अच्छा इसे छू कर देख तुझे कैसा लगता है |
दीदी ने दुबारा मेरा हाथ पकड़ा और अपनी गुनगुनी नरम चूत पर रख दिया जो कि बिल्कुल पूरी तरह से चिकनी और सफाचट थी | मुझे दीदी की गरम जवान बदन की गर्माहट गुना गुना सा महसूस हुआ और मेरे अंदर एक सनसनी सी दौड़ गई और मेरे पेंट में भी कुछ हरकत होने लगी | दीदी ने मेरे पैंट के ऊपर अपना हाथ जमा दिया और ऊपर नीचे करके सहलाने लगी मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि हो क्या रहा है | दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर चूत के ओठों और दरार पर सहलाने को बोला | दीदी ने मेरा दूसरा हाथ अपने सीने पर रख दिया और उन्होंने कहा इसे दबावों | मुझे फिर समझ में नहीं आया तो दीदी ने खुद ही अपनी उठी हुए उरोजो को मसल कर बताया की कैसे मम्मो को दबाते है | जब दीदी ने खुद दबाकर बताया तो मै भी सीख गया | मै दीदी के उभरे हुए बड़े बड़े मम्मो को दबाने लगा | दीदी की छाती दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था | धीरे धीरे मेरी पेंट में तनाव बढ़ने लगा मुझे समझ में नहीं आ रहा था ऐसा क्हायों हो रहा है | हाँलांकि सुबह सुबह जब मैं पेशाब करने जाता था तब यह बिल्कुल तना हुआ मिलता था पर मुझे लगता था कि पेशाब भरी होने के कारण ऐसा होता होगा | लेकिन अभी तो मुझे पेशाब नहीं लगी थी फिर भी यह सीधा हो रहा था यह मेरे लिए एक हैरानी की बात थी | दीदी मेरे और करीब आ गई और उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया और कहा - तूने मै कैसी लगी | तुझे रोज तो पूछता था दीदी यहां तुमारे बाल क्यों | तुझे चड्ढी क्यों नहीं पहनती | आज देख न तो मेरी चूत पर बाल है और आज मैंने चड्डी भी पहनी है |
मै - दीदी आपके बाल क्या हुए |
दीदी - कभी अपने पापा को दाढ़ी बनाते देखा है |
मै - हाँ |
दीदी - उसी तरह चूत के बालो की भी सेविंग की जाती है | अच्छा अब बता तुझे मै चड्डी पहन के ज्यादा अच्छी लगती हूं या बिना चड्ढी के |
मै - दीदी सच कंहू तो अब से आप मुझे बिना चड्डी के ज्यादा अच्छी लगती हो | आप दूसरी लडकियों से बिलकुल अलग हो आपकी गुलाबी चिकनी चूत का मै दीवाना हो गया हूँ |
दीदी - अच्छा चल अब तू मुझे बता तुझे मेरी चूत कैसी लगती है क्या मैं भी तेरे लिए उतनी ही खास हूं इतना कह कर के दीदी बिस्तर पर लेट गई और उन्होंने अपनी टांगे उठा कर के मोड़ कर पेट से चिपका ली | इस दीदी की चूत बिलकुल साफ़ साफ़ चमकने लगी |
कमरे में बल्ब की आ रही हल्की सुनहरी रोशनी में दीदी का बदन देख कर के तो जैसे मैं हुस्न परियों के स्वर्ग में पहुंच गया हूं |
मै तो दीदी की खूबसूरती देख कर ही मदहोश हो गया | मुझे कुछ और याद ही नहीं रहा | मै बस दीदी की गुलाबी सुनहरे बदन की एकटक देखने लगा |
दीदी मेरी ख़ामोशी से बेचैन हो रही थी - बता न मेरी चूत कैसी लगी तुझे |
मै जैसे किसी सपने से बाहर आया - हाँ दीदी आपकी चूत किसी अप्सरा की जैसी मस्त और खूबसूरत है | बस नीचे के बाल बनाकर इसे ऐसी ही हमेशा चिकनी बनकर रहा करो | दीदी आप तो ऐसे लग रही है जैसे हुस्न परी हो मुझे इतनी हसींन कभी नहीं लगी | आपने इतना खूबसूरत बदन इन कपड़ो में छिपा रखा था उर मुझे भनक तक नहीं लगने दी | दीदी के चूतड़ और जांघे ऐसे चमक रहे हैं जैसे उनसे सुनहरी रोशनी निकल रही हो | दीदी के गुलाबी जिस्म से जैसे लग रहा हूं सोने की रंगत का की रोशनी अपने आप निकल कर चारो ओर फ़ैल रही हो |
मै - मुझे तो पता ही नहीं था दीदी कि चूत होती कैसी है उसको क्या कहते हैं लेकिन मुझे जो भी समझ में आ रहा है दीदी इस कच्ची उम्र में उसके हिसाब से आपकी चूत बहुत खूबसूरत है आपकी चूत बहुत बहुत बहुत खूबसूरत है | सिर्फ आपकी चूत ही नहीं आपके रसीले गुलाबी ओंठ आपकी चंचल हसींन आंखें आपके नरम गुलाबी गाल आपका पतला गला, सपाट पेट , आपके बड़े बड़े दूध से उठा हुआ सीना और आपके बड़े बड़े चूतड़, ये मांसल नरम गुदाज जांघे | दीदी मै आपका एदीवाना हो गया हूँ बस मन कर रहा है ऐसी ही आपको देखता रहू | हुए रोज आपकी पेट आप खाना भी आपकी कमर का पूरा बदन किसी हुस्न परी से कम नहीं है
आप इतनी खूबसूरत होगी इतनी गोरी होगी मुझे तो अंदाजा ही नहीं था आप बहुत ही खूबसूरत है इतनी खूबसूरत है कि मेरे पास उसको बयान करने के लिए शब्द नहीं है देखो ना दीदी आपकी कसी गुलाबी चूत इस बल्ब की रोशनी से किस तरह से सोने की तरह दमक रही है आपके चूतड़ से कैसे सुनहरी सी रोशनी निकल रही है | मेरे पेंट में झटके लगने लगे और मेरा लंड तनने लगा | मै हैरान था ये क्या हो रहा है | लेकिन ,मै दीदी के हुस्न में इतना मदहोश था की मैंने उधर ध्यान ही नहीं दिया |
![[Image: 012.jpg]](https://1.bp.blogspot.com/--bG-bNkDsqw/XanzK_1ubYI/AAAAAAAACKM/bDvjqXsfoU0dbwd_91PmaUsuKt_X7ySEACLcBGAsYHQ/s1600/012.jpg)
दीदी अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हो गयी | शायद उनकी तारीफ अभी तक किसी ने नहीं की थी |
दीदी - तो तू बता अब मैं तुझे कपड़े पहनकर ट्यूशन पढ़ाया करूं या पूरी तरह से कपड़े उतार के ट्यूशन पढ़ाया करू |
मै - दीदी इस समय आप मुझे बहुत अच्छी लग रही हो है मुझे लग रहा है आप मुझे कपड़े उतार के ट्यूशन पढ़ाया करो |
दीदी बोली जोश में आकर के - यह हुई ना बात |
इतना कहकर उन्होंने कस कर के मेरे पैंट के ऊपर बने हुए उभार को कस कर जकड़ लिया - मुझे समझ नहीं आया कि यह क्या है |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी मुझे तो अभी पेशाब भी नहीं लगी है फिर यह मेरा लंड इस तरह से अकड़ कर तब क्यों गया है | वैसे तो ये बस सुबह सुबह होता है |
दीदी बोली- तेरा बहुत बड़ा है यह आदमी का लंड है अब तू मर्द हो गया है अब जैसे ही औरत की चूत तुझे दिखेगी, यह खड़ा हो जाया करेगा और उसको चोदने का तुझे मन करेगा |
मै - दीदी आप क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा |
दीदी - तुम परेशान मत हो ठीक है धीरे धीरे धीरे सब बताऊंगी सब करके भी दिखाऊंगी तो हैरान मत हो |
इतना कह कर के दीदी ने मेरी पैंट के अंदर की ज़िप खोली और अपना हाथ अंदर घुसा करके मेरे लंड को थाम लिया और ऊपर नीचे करके हिला करके मुठ मारने लगी | मैंने आज तक कभी मुठ नहीं मरी थी इसलिए मुझे कुछ समझ में नहीं आया |
दीदी ने कहा - अब एक काम कर चल पीछे की तरफ झुक जा |
मै वैसे ही पीठ के बल जमीन पर लेटता चला गया | दीदी झट से उठी और अपनी चड्ढी निकाल फेंकी और मेरे मुहँ पर आकर बैठ गयी |
दीदी - कभी हथेली पर लगी आइसक्रीम चाटी है |
मै - हाँ दीदी |
दीदी - बस उसी तरफ मेरी चूत चाट |
मै जीभ निकालकर दीदी की चूत चाटने लगा | दीदी की गरम नरम चिकनी चूत चाटने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था | दीदी भी मदमस्त होने लगी | उनके मुहँ से मादक आवाजे निकलने लगी | दीदी सी सी सी सी करने लगी थी मुझे लगा कि दीदी को तकलीफ हो रही है मैंने दीदी से मैंने पूछा - दीदी आपको कही दर्द हो रहा है | \
दीदी मेरे भोलेपन पर हंसने लगी - अरे पगले यह दर्द नहीं है ये तो मजे की सिसकारी है मुझे बहुत मजा आ रहा है तू और कस के मेरी चूत को चाटता रह | इतना कहकर दीदी ने अपनी चूत के ओंठ उंगलियों से फैला दिए और उसके अन्दर तक जीभ घुसेड कर चूत चटाने को कहने लगी | मैंने बिलकुल वैसा ही किया | दीदी अब आगे की तरफ झुक गयी और मेरे लंड को अपने हाथ से सख्ती से जकड लिया और मुठीयाने लगी | जैसे जैसे मै दीदी की चूत में जीभ घुसेड़कर चाटता , दीदी आनंद से मस्त हो जाती और मेरे लंड को और कसकर मसलने लगती | दीदी मेरे लंड को तेजी से मुठिया रही थी मेरी सांसें तेज होने लगी थी और मुझे पसीना आने लगा था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या है जो भी हो रहा था उसने मुझे बहुत मजा आ रहा था | दीदी ने मेरे माथे पर पसीने की बूंदें देखि तो दूसरी तरफ को चल रहा टेबल फैन मेरी तरफ को कर दिया और इससे मुझे काफी राहत मिली थी | दीदी कुछ देर तक तेजी से अपने हाथ को हिलाती रही धीरे धीरे मेरी आंखें बंद होने लगी और मैं आनंद के सागर में डूबने लगा था मैं दीदी की चूत चाटना भूल गया था दीदी के हाथ तेजी से मेरे लंड पर आगे पीछे हो रहे थे और वह बहुत तेजी से मेरे लंड को मसल रही थी कुछ देर बाद मेरे शरीर में अजीब सी ऐठन होने लगी | मेरे लंड से तेजी से एक पिचकारी निकली और दीदी के हाथ और उनकी छाती को भिगो गई | दीदी उसके बाद भी नहीं रुकी | मेरी सांसे पूरी तरह उखाड़ चुकी थी मै अपनी सांसे काबू करने लगा | कुछ देर बाद उन्होंने मेरा लंड छोड़ दिया | उन्होंने अपने ऊपर पड़े हुए उस सफेद पदार्थ को चाट लिया और अपने हाथों को चाटने लगी फिर उन्होंने एक रुमाल से मेरे लंड को पूछा और मेरी पैंट के अंदर घुसेड़ कर चेंन बंद कर दी और अपनी उंगलियां को फिर से चाटने लगी | मै दीदी की तरफ देख रहा था | दीदी मेरी पेंट की तरफ |
दीदी हल्का सा बुदबुदाई - कितना बड़ा औजार है अभी से |
मै - दीदी कुछ कहा आपने |
दीदी - तेरा लंड अभी से जवान मर्दों से भी बड़ा है आगे चलकर तो तेरा हथियार मुसल ही बन जायेगा |
मै - दीदी ये सब क्या था वैसे |
दीदी - आज की ट्यूशन खत्म हो गई , कल एक नया पाठ सिखाउंगी | अब घर जा किसी को मत बताना तुझे मेरी कसम | मजा आया |
मै अपनी किताबे समेटता हुआ - बहुत |
दीदी भी अपने कपड़े पहनने लगी - अभी तो शुरुआत है |
खाना कब का ख़त्म हो चूका था रीमा उंगलियाँ चाट चाट कर जितेश की कहानी सुनती रही | जितेश ने बर्तन समेटे और रखने चला गया | रीमा भी उठकर हाथ धोने चली गयी | रीमा ने कमर के नीचे एक तौलिया लपेट ली | हाथ धोकर जब रीमा वापस आई तो उसके मन में बस आगे की कहानी सुनने की ललक बाकि थी | रीमा बिस्तर पर लेट गई और चादर से खुद को ढक लिया |
जितेश ने भी जमीन पर अपना बिस्तर लगा लिया | उसके बाद जितेश ने एक मोमबत्ती बुझा दी | अब कमरे में बस एक मोमबत्ती भर का उजाला था |
रीमा - आगे सुनावो |
जितेश बिस्तर पर आकर लेट गया और सर के किनारे दो तकिये लगा लिए और रीमा की तारफ मुहँ करके करवट लेकर आगे की कहानी सुनाने लगा |
दीदी ने हल्की मुस्कराहट के साथ पुछा - कभी देखा है इसे |
मै - हाँ बहन जब नहाती है तब सारे कपड़े उतार देती है |
दीदी - मै बहन की बात नहीं कर रही हूँ | किसी जवान लड़की को बिना कपड़े का देखा है |
मै - जवान मतलब ??.........नहीं | लेकिन ये पता है लडकियाँ यही से पेशाब करती है |
दीदी - पेशाब के अलावा कुछ नहीं पता तुझे | अच्छा बता इसका नाम क्या है |
मैंने दिमाग पर जोर लगाया - पता नहीं दीदी |
दीदी बोली - पगले इस चूत कहते हैं इसके अंदर लंड जाता है जो तेरे पास है |
मै - मैं कुछ समझ में नहीं दीदी |
दीदी - तू अभी न समझ तो ही ठीक है नहीं तो बिगड़ जायेगा |
दीदी ने हल्के से मेरे हाथ पकड़ा और अपने उस चूत के चिकने इलाके पर रखते हुए नीचे को फिसलती हुए चली गई | दीदी का वो इलाका बहुत ही नरम और गुनगुना था, मुझे एक झटका सा करंट सा लगा | दीदी समझ गई की इससे पहले मैंने चूत के दर्शन नहीं किए हैं |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी यह क्या है और मुझे अजीब सा महसूस क्यों हो रहा है |
दीदी बोली - क्या पगले अब तू जवान होने लगा है इन चीजों के बारे में तुझे पता होना चाहिए | ये मेरी चूत है और यह जो ओंठ आपस में चिपके हुए नीचे तक एक पतली दरार बना रहे है इन्हें चूत के ओठ कहते हैं, जैसे मेरे मुहँ में ओंठ है ऐसे ही चूत के ओंठ है | इसके अंदर एक गुलाबी मखमली सा छेद होता है | जो इन ओंठो को खोलने पर दिखाई देता है | जिसमें घुसने के लिए दुनिया का हर जवान मर्द पगलाया रहता है, ये जो तेरी पेंट में है और जिससे तू पेशाब करता है इसको लंड कहते है | ये लंड ही चूत के छेद में अन्दर घुसता है |
मै - दीदी इसे तो माँ मुनिया कहती है |
दीदी खिलखिला पड़ी - जब तक तुम छोटे थे और सिर्फ इससे पेशाब करते थे तब तक इसे मुनिया कहते है | अब तुम बड़े हो गए हो, अब तुमारी मुनिया भी बड़ी हो गयी है और खड़ी होने लगी है | (मेरी पेंट में हाथ घुसेड़कर मेरा लंड पकड़ते हुए ) तेरी पेंट में जो ये लटकता हुआ लंबा सा है, ये अब मुनिया नहीं लंड कहलाता है |
फिर खुद कुछ रूककर पूछने लगी - अच्छा ये बताओ जब सुबह उठते हो तो जोर से पेशाब लगाती है तब ये तनकर खड़ा नहीं हो जाता | क्या इतना बड़ा ही होता है |
मै हैरानी से - दीदी ये तो बहुत बड़ा हो जाता है इसे तो छुपकर बाथरूम भागना पड़ता है |
दीदी - हाँ तो समझो जब ये खड़ा होता है तभी इस चूत के छेद में घुसता है | दीदी की बता मुझे कुछ समझ न आईओ बल्कि मै और ज्यादा परेशान हो गया | मेरे चेहरे के हव भाव देखकर दीदी बोली - तू अभी ज्यादा जोर मत डाल धीरे धीरे सब समझ में आ जायेगा |
दीदी ने जब से नीचे को अपनी चड्ढी खींची थी तब से मैं उनके उस चिकने गुलाबी त्रिकोण इलाके को देखता रहा | एकटक देखता रहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था हालांकि मुझे समझ में कुछ नहीं आ रहा था फिर मैंने दीदी से पूछा - दीदी यह सब क्या है | ये सब आप मुझे क्यों बता रही हो और अपनी ये चूत मुझे क्यों दिखा रही हो |
दीदी मेरे पास आकर - अब तू जवान हो रहा है तुझे यह सब चीजें सीखनी चाहिए और तुझे मैं इसलिए बता रही हूं क्योंकि तू मेरा सबसे अच्छा स्टूडेंट है और मै तेरी टीचर | अगर तुझे मै ये सब नहीं बताउंगी तो कौन बताएगा | मै तुझे सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देना चाहती हूँ इसलिए तुझे अपनी सबसे खास चीज दिखाई है | तू बहुत खास स्टूडेंट है मेरा इसलिए तुझे ये सब देखने को मिल रहा है | वरना लोग अपनी बीबी की चूत देखने को तरस जाते है |
मै थोड़ा उलझा हुआ - दीदी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है |
दीदी - ठीक है मै तुझे समझाती हूँ आदमी और औरत ..........ऐसे समझ लड़का और लड़की | तू लड़का है और मै लड़की | ठीक है |
मै - हाँ दीदी मै लड़का हूँ |
दीदी - दोनों के चड्ढी के अन्दर वाली जगह पर अलग अलग बनावट होती है | जिसे तू भी देख भी रहा है (अपनी चूत की तरफ इशारा करके ) इसे हमारी भाषा में चूत कहते हैं और यह देख ये जो दरार है यह दरार इन दोनों को अलग कर रही है इन दोनों को चूत के ओंठ कहते हैं और यहां पर जो तू बाल देख रहा था इन बालों को झांटे कहते हैं मैं तुझे यह सब खुद को नंगा करके इसलिए बता और दिखा रही हूं ताकि तू समय रहते इन सब का ज्ञान ले ले वरना लोगों की शादी हो जाती है उन्हें इस बारे में पता नहीं चलता | अगर तुझे मै ये सब खोलकर नहीं दिखौंगी तो चार्अट और किताबो से तेरा ज्बञान अधूरा रह जायेगा और तू बस किताबी शेर बनकर रह जायेगा | तो समझ गया मैंने क्या बताया इसे क्या कहते हैं यह चूत है गुलाबी चिकनी चूत | अच्छा इसे छू कर देख तुझे कैसा लगता है |
दीदी ने दुबारा मेरा हाथ पकड़ा और अपनी गुनगुनी नरम चूत पर रख दिया जो कि बिल्कुल पूरी तरह से चिकनी और सफाचट थी | मुझे दीदी की गरम जवान बदन की गर्माहट गुना गुना सा महसूस हुआ और मेरे अंदर एक सनसनी सी दौड़ गई और मेरे पेंट में भी कुछ हरकत होने लगी | दीदी ने मेरे पैंट के ऊपर अपना हाथ जमा दिया और ऊपर नीचे करके सहलाने लगी मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि हो क्या रहा है | दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर चूत के ओठों और दरार पर सहलाने को बोला | दीदी ने मेरा दूसरा हाथ अपने सीने पर रख दिया और उन्होंने कहा इसे दबावों | मुझे फिर समझ में नहीं आया तो दीदी ने खुद ही अपनी उठी हुए उरोजो को मसल कर बताया की कैसे मम्मो को दबाते है | जब दीदी ने खुद दबाकर बताया तो मै भी सीख गया | मै दीदी के उभरे हुए बड़े बड़े मम्मो को दबाने लगा | दीदी की छाती दबाने में बहुत ही मजा आ रहा था | धीरे धीरे मेरी पेंट में तनाव बढ़ने लगा मुझे समझ में नहीं आ रहा था ऐसा क्हायों हो रहा है | हाँलांकि सुबह सुबह जब मैं पेशाब करने जाता था तब यह बिल्कुल तना हुआ मिलता था पर मुझे लगता था कि पेशाब भरी होने के कारण ऐसा होता होगा | लेकिन अभी तो मुझे पेशाब नहीं लगी थी फिर भी यह सीधा हो रहा था यह मेरे लिए एक हैरानी की बात थी | दीदी मेरे और करीब आ गई और उन्होंने मुझे बाहों में भर लिया और कहा - तूने मै कैसी लगी | तुझे रोज तो पूछता था दीदी यहां तुमारे बाल क्यों | तुझे चड्ढी क्यों नहीं पहनती | आज देख न तो मेरी चूत पर बाल है और आज मैंने चड्डी भी पहनी है |
मै - दीदी आपके बाल क्या हुए |
दीदी - कभी अपने पापा को दाढ़ी बनाते देखा है |
मै - हाँ |
दीदी - उसी तरह चूत के बालो की भी सेविंग की जाती है | अच्छा अब बता तुझे मै चड्डी पहन के ज्यादा अच्छी लगती हूं या बिना चड्ढी के |
मै - दीदी सच कंहू तो अब से आप मुझे बिना चड्डी के ज्यादा अच्छी लगती हो | आप दूसरी लडकियों से बिलकुल अलग हो आपकी गुलाबी चिकनी चूत का मै दीवाना हो गया हूँ |
दीदी - अच्छा चल अब तू मुझे बता तुझे मेरी चूत कैसी लगती है क्या मैं भी तेरे लिए उतनी ही खास हूं इतना कह कर के दीदी बिस्तर पर लेट गई और उन्होंने अपनी टांगे उठा कर के मोड़ कर पेट से चिपका ली | इस दीदी की चूत बिलकुल साफ़ साफ़ चमकने लगी |
कमरे में बल्ब की आ रही हल्की सुनहरी रोशनी में दीदी का बदन देख कर के तो जैसे मैं हुस्न परियों के स्वर्ग में पहुंच गया हूं |
मै तो दीदी की खूबसूरती देख कर ही मदहोश हो गया | मुझे कुछ और याद ही नहीं रहा | मै बस दीदी की गुलाबी सुनहरे बदन की एकटक देखने लगा |
दीदी मेरी ख़ामोशी से बेचैन हो रही थी - बता न मेरी चूत कैसी लगी तुझे |
मै जैसे किसी सपने से बाहर आया - हाँ दीदी आपकी चूत किसी अप्सरा की जैसी मस्त और खूबसूरत है | बस नीचे के बाल बनाकर इसे ऐसी ही हमेशा चिकनी बनकर रहा करो | दीदी आप तो ऐसे लग रही है जैसे हुस्न परी हो मुझे इतनी हसींन कभी नहीं लगी | आपने इतना खूबसूरत बदन इन कपड़ो में छिपा रखा था उर मुझे भनक तक नहीं लगने दी | दीदी के चूतड़ और जांघे ऐसे चमक रहे हैं जैसे उनसे सुनहरी रोशनी निकल रही हो | दीदी के गुलाबी जिस्म से जैसे लग रहा हूं सोने की रंगत का की रोशनी अपने आप निकल कर चारो ओर फ़ैल रही हो |
मै - मुझे तो पता ही नहीं था दीदी कि चूत होती कैसी है उसको क्या कहते हैं लेकिन मुझे जो भी समझ में आ रहा है दीदी इस कच्ची उम्र में उसके हिसाब से आपकी चूत बहुत खूबसूरत है आपकी चूत बहुत बहुत बहुत खूबसूरत है | सिर्फ आपकी चूत ही नहीं आपके रसीले गुलाबी ओंठ आपकी चंचल हसींन आंखें आपके नरम गुलाबी गाल आपका पतला गला, सपाट पेट , आपके बड़े बड़े दूध से उठा हुआ सीना और आपके बड़े बड़े चूतड़, ये मांसल नरम गुदाज जांघे | दीदी मै आपका एदीवाना हो गया हूँ बस मन कर रहा है ऐसी ही आपको देखता रहू | हुए रोज आपकी पेट आप खाना भी आपकी कमर का पूरा बदन किसी हुस्न परी से कम नहीं है
आप इतनी खूबसूरत होगी इतनी गोरी होगी मुझे तो अंदाजा ही नहीं था आप बहुत ही खूबसूरत है इतनी खूबसूरत है कि मेरे पास उसको बयान करने के लिए शब्द नहीं है देखो ना दीदी आपकी कसी गुलाबी चूत इस बल्ब की रोशनी से किस तरह से सोने की तरह दमक रही है आपके चूतड़ से कैसे सुनहरी सी रोशनी निकल रही है | मेरे पेंट में झटके लगने लगे और मेरा लंड तनने लगा | मै हैरान था ये क्या हो रहा है | लेकिन ,मै दीदी के हुस्न में इतना मदहोश था की मैंने उधर ध्यान ही नहीं दिया |
![[Image: 012.jpg]](https://1.bp.blogspot.com/--bG-bNkDsqw/XanzK_1ubYI/AAAAAAAACKM/bDvjqXsfoU0dbwd_91PmaUsuKt_X7ySEACLcBGAsYHQ/s1600/012.jpg)
दीदी अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हो गयी | शायद उनकी तारीफ अभी तक किसी ने नहीं की थी |
दीदी - तो तू बता अब मैं तुझे कपड़े पहनकर ट्यूशन पढ़ाया करूं या पूरी तरह से कपड़े उतार के ट्यूशन पढ़ाया करू |
मै - दीदी इस समय आप मुझे बहुत अच्छी लग रही हो है मुझे लग रहा है आप मुझे कपड़े उतार के ट्यूशन पढ़ाया करो |
दीदी बोली जोश में आकर के - यह हुई ना बात |
इतना कहकर उन्होंने कस कर के मेरे पैंट के ऊपर बने हुए उभार को कस कर जकड़ लिया - मुझे समझ नहीं आया कि यह क्या है |
मैंने दीदी से पूछा - दीदी मुझे तो अभी पेशाब भी नहीं लगी है फिर यह मेरा लंड इस तरह से अकड़ कर तब क्यों गया है | वैसे तो ये बस सुबह सुबह होता है |
दीदी बोली- तेरा बहुत बड़ा है यह आदमी का लंड है अब तू मर्द हो गया है अब जैसे ही औरत की चूत तुझे दिखेगी, यह खड़ा हो जाया करेगा और उसको चोदने का तुझे मन करेगा |
मै - दीदी आप क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा |
दीदी - तुम परेशान मत हो ठीक है धीरे धीरे धीरे सब बताऊंगी सब करके भी दिखाऊंगी तो हैरान मत हो |
इतना कह कर के दीदी ने मेरी पैंट के अंदर की ज़िप खोली और अपना हाथ अंदर घुसा करके मेरे लंड को थाम लिया और ऊपर नीचे करके हिला करके मुठ मारने लगी | मैंने आज तक कभी मुठ नहीं मरी थी इसलिए मुझे कुछ समझ में नहीं आया |
दीदी ने कहा - अब एक काम कर चल पीछे की तरफ झुक जा |
मै वैसे ही पीठ के बल जमीन पर लेटता चला गया | दीदी झट से उठी और अपनी चड्ढी निकाल फेंकी और मेरे मुहँ पर आकर बैठ गयी |
दीदी - कभी हथेली पर लगी आइसक्रीम चाटी है |
मै - हाँ दीदी |
दीदी - बस उसी तरफ मेरी चूत चाट |
मै जीभ निकालकर दीदी की चूत चाटने लगा | दीदी की गरम नरम चिकनी चूत चाटने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था | दीदी भी मदमस्त होने लगी | उनके मुहँ से मादक आवाजे निकलने लगी | दीदी सी सी सी सी करने लगी थी मुझे लगा कि दीदी को तकलीफ हो रही है मैंने दीदी से मैंने पूछा - दीदी आपको कही दर्द हो रहा है | \
दीदी मेरे भोलेपन पर हंसने लगी - अरे पगले यह दर्द नहीं है ये तो मजे की सिसकारी है मुझे बहुत मजा आ रहा है तू और कस के मेरी चूत को चाटता रह | इतना कहकर दीदी ने अपनी चूत के ओंठ उंगलियों से फैला दिए और उसके अन्दर तक जीभ घुसेड कर चूत चटाने को कहने लगी | मैंने बिलकुल वैसा ही किया | दीदी अब आगे की तरफ झुक गयी और मेरे लंड को अपने हाथ से सख्ती से जकड लिया और मुठीयाने लगी | जैसे जैसे मै दीदी की चूत में जीभ घुसेड़कर चाटता , दीदी आनंद से मस्त हो जाती और मेरे लंड को और कसकर मसलने लगती | दीदी मेरे लंड को तेजी से मुठिया रही थी मेरी सांसें तेज होने लगी थी और मुझे पसीना आने लगा था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या है जो भी हो रहा था उसने मुझे बहुत मजा आ रहा था | दीदी ने मेरे माथे पर पसीने की बूंदें देखि तो दूसरी तरफ को चल रहा टेबल फैन मेरी तरफ को कर दिया और इससे मुझे काफी राहत मिली थी | दीदी कुछ देर तक तेजी से अपने हाथ को हिलाती रही धीरे धीरे मेरी आंखें बंद होने लगी और मैं आनंद के सागर में डूबने लगा था मैं दीदी की चूत चाटना भूल गया था दीदी के हाथ तेजी से मेरे लंड पर आगे पीछे हो रहे थे और वह बहुत तेजी से मेरे लंड को मसल रही थी कुछ देर बाद मेरे शरीर में अजीब सी ऐठन होने लगी | मेरे लंड से तेजी से एक पिचकारी निकली और दीदी के हाथ और उनकी छाती को भिगो गई | दीदी उसके बाद भी नहीं रुकी | मेरी सांसे पूरी तरह उखाड़ चुकी थी मै अपनी सांसे काबू करने लगा | कुछ देर बाद उन्होंने मेरा लंड छोड़ दिया | उन्होंने अपने ऊपर पड़े हुए उस सफेद पदार्थ को चाट लिया और अपने हाथों को चाटने लगी फिर उन्होंने एक रुमाल से मेरे लंड को पूछा और मेरी पैंट के अंदर घुसेड़ कर चेंन बंद कर दी और अपनी उंगलियां को फिर से चाटने लगी | मै दीदी की तरफ देख रहा था | दीदी मेरी पेंट की तरफ |
दीदी हल्का सा बुदबुदाई - कितना बड़ा औजार है अभी से |
मै - दीदी कुछ कहा आपने |
दीदी - तेरा लंड अभी से जवान मर्दों से भी बड़ा है आगे चलकर तो तेरा हथियार मुसल ही बन जायेगा |
मै - दीदी ये सब क्या था वैसे |
दीदी - आज की ट्यूशन खत्म हो गई , कल एक नया पाठ सिखाउंगी | अब घर जा किसी को मत बताना तुझे मेरी कसम | मजा आया |
मै अपनी किताबे समेटता हुआ - बहुत |
दीदी भी अपने कपड़े पहनने लगी - अभी तो शुरुआत है |
खाना कब का ख़त्म हो चूका था रीमा उंगलियाँ चाट चाट कर जितेश की कहानी सुनती रही | जितेश ने बर्तन समेटे और रखने चला गया | रीमा भी उठकर हाथ धोने चली गयी | रीमा ने कमर के नीचे एक तौलिया लपेट ली | हाथ धोकर जब रीमा वापस आई तो उसके मन में बस आगे की कहानी सुनने की ललक बाकि थी | रीमा बिस्तर पर लेट गई और चादर से खुद को ढक लिया |
जितेश ने भी जमीन पर अपना बिस्तर लगा लिया | उसके बाद जितेश ने एक मोमबत्ती बुझा दी | अब कमरे में बस एक मोमबत्ती भर का उजाला था |
रीमा - आगे सुनावो |
जितेश बिस्तर पर आकर लेट गया और सर के किनारे दो तकिये लगा लिए और रीमा की तारफ मुहँ करके करवट लेकर आगे की कहानी सुनाने लगा |
आज जो भी हुआ उसे सोच सोच कर मेरी आंखों की नींद गायब हो गई थी मैं बस उसी के बारे में सोच रहा था दीदी के वह गुलाबी चूत और चिकनी सफाचट इलाका मेरी आंखों से वह हट ही नहीं रहा था धीरे-धीरे मेरे लंड में फिर से तनाव आने लगा था मुझे समझ में नहीं आया क्या करूं मैंने अपनी पैंट के अंदर हाथ को घुसेड़ा और तेजी से अपने लंड को मुट्ठी में भरकर बिलकुल वैसे हिलाने लगा जैसा दीदी ने किया था | मै बिलकुल दीदी की तरह अपना लंड हिलाने लगा | जैसे जैसे मैं दीदी के बारे में सोचता जाता था मेरे लंड में कड़ापन आने लगा था लेकिन लंड को हिलाते हिलाते दीदी के उस खूबसूरत जिस्म के सपनों में खोया हुआ सो गया | सुबह जब आंख खुली तो लंड उसी तरह से तना हुआ था | आंख खुलने के साथ ही सपना भी टुटा | जल्दी से भागकर बाथरूम में घुस गया और फिर कॉलेज के लिए तैयार होने लगा | शाम को जब कॉलेज से घर आया आया तो पता चला दीदी थी किसी काम से बाहर गई हुई है इसलिए टाइम पर नहीं आ पाएंगी इसलिए आज की ट्यूशन कैंसिल | शायद इसलिए आज कॉलेज भी नहीं आई थी | मै दीदी की सपनो में खोया अगले दिन का इन्तजार करने लगा | उसके अगले दिन मै जानबूझकर थोड़ा सा लेट गया था दीदी तीन बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही थी | बाकि बच्चे ट्यूशन पढ़ने आए नहीं थे | दीदी ने जल्दी से उन बच्चों को निपटा दिया और उसके बाद मुझे पढ़ाने लगी थी | उन्होंने 2 घंटे लगातार जान करके मुझे मैथ पढ़ाई | उसके बाद में जब मेरा दिमाग जवाब देना शुरु हो गया |
मै - दीदी अब बस करो मेरा दिमाग थक गया है |
तो दीदी ने कहा - कमरे में चल मैं तेरे दिमाग की थकान दूर करती हूं | दीदी ने झांक करके अपनी बहन को देखा, वो कार्टून देखने में खोयी हुई थी | दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खीचते हुए कमरे में लिए चली गयी |
दीदी ने ऊपर एक टी-शर्ट और नीचे एक लंबा सा लहंगा पहन रखा था | कमरे में जाते ही दीदी ने दरवाजा बंद किया और फटाक से अपनी टी-शर्ट उतार दी उन्होंने टी-शर्ट के अंदर कुछ भी नहीं रखा था दीदी के बड़े-बड़े सफ़ेद उरोज जिनको मैं तब दूध कहता था वह मेरे सामने थे | मै दीदी के दूध देखकर हैरान रहा गया | कितने गोरे और चिकने और बड़े थे | मैंने भी आप देखा ना ताव मैं भी जोश में था मैंने जाकर के उनके दोनों उरोजो को अपने हथेली में जकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा था | बड़ा मजा आ रहा था मैं बार-बार उन्हें दबाने लगा था दीदी मेरे और पास आ गई और उन्होंने मुझे अपने से सटा लिया | दीदी ने अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को कस के पकड़ लिया और अपनी पेट से चिपका लिया था दीदी तेजी से अपनी कमर हिलाने लगी थी और मैं उनके दूध दबा रहा था धीरे-धीरे मेरी पैंट में तनाव बढ़ने लगा मुझे नहीं समझ में आ रहा था इसा क्यों हो रहा है लेकिन बड़ा मजा आ रहा था | दीदी के नरम नरम बदन से निकलती जवानी की गरम आंच से मेरे अंग का रोम रोम उत्तेजित होने लगा | दीदी ने मेरे चूतड़ को छोड़ कर नीचे की तरफ झुकती चली गयी और तेजी से मेरी पेंट खोल दी | मैंने जानबूझकर आज चड्ढी नहीं पहनी थी | जैसे ही दीदी ने मेरी पेंट को नीचे खीचा मेरा तना हुआ लंड हवा में उछल गया और दीदी की चेहरे से जा टकराया | | ये देख दीदी औत मै दोनों हंस पड़े | दीदी ने मेरे गरम लंड को अपने नरम हाथों से थामते हुए खिलखिलाते हुए कहने लगी - अरे आज तो यह बड़ी जल्दी तैयार हो गया क्या बात है तुम बड़ी जल्दी सीख रहे हो जितेश |
मैं कुछ कह नहीं पाया लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था |


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