09-11-2019, 06:21 PM
update 31
"t ... thank you !!!!" ऋतू ने रोते-रोते कहा| "But baby why are you crying?” मैंने उससे पूछा तो ऋतू ने अपने आँसूँ पोछे और बोली; "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं कभी ऐसी जगह आ पाऊँगी| ऐसी जगह जहाँ के Main Gate के अंदर घुसने की भी मेरी औकात नहीं है, वहाँ आप मुझे डिनर के लिए लेके आये हो! Thank You!"
"मेरी जानेमन इससे भी कई ज्यादा कीमती है!"
अगले ही पल मैंने अपनी दायीं टाँग मोड़ी और घुटने को जमीन से टिकाया, बायीं बस मोड़ी और ऋतू का बयां हाथ अपने बाएं हाथ में लेते हुए उससे पूछा; " मैंने तुम पर बहुत बार चीखा हूँ, चिल्लाया हूँ यहाँ तक की तुम पर हाथ भी उठाया है पर ये सच है की मैं प्यार सिर्फ और सिर्फ तुम्हीं से करता हूँ| उस दिन जब मैंने तुम्हें पहलीबार दिल से गले लगाया था उसी दिन मैंने तुम्हें अपना दिल दे दिया था| मैं वादा करता हूँ की तुम्हें जिंदगी भर खुश रखूँगा, तुम्हें कभी कोई तकलीफ नहीं दूँगा, तुम्हें पलकों पर बिठा कर रखूँगा| (एक लम्बी साँस लेते हुए) Will you marry me???" ये सुन कर ऋतू की आँखें छलक आईं और उसने हाँ में गर्दन हिलाई और बैठे-बैठे ही मेरे गले लग गई| वहाँ मौजूद सभी लोगों ने तालियाँ बजाई और तब जा कर हम दोनों को होश आया की हम दोनों बाहर आये हैं| ऋतू ने शर्म के मारे अपना मुँह दोनों हाथों से छुपा लिया| तभी वहाँ एक अंकल आये और मुझसे बोले; "Come on man let’s put a ring on her!”
“But I don’t have any ring with me! I didn’t plan this far!” मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने फ़ौरन वेटर को बुलाया और उसके कान में कुछ खुसफुसाये| उसके बाद ऋतू से बोले; “May the love you share today grow stronger as you grow old together.” इतने में वही वेटर वापस आ गया और उसने उन्हें एक छोटी सी डिब्बी दी जिसमें एक वाइट सिल्वर की वेडिंग रिंग थी! उन्होंने मुझे वो डिब्बी दे दी और ऋतू को पहनाने को कहा| मैं और ऋतू हैरानी से उन्हें देखने लगे; "A gift for the beautiful couple.” उन्होंने कहा|
“Sorry sir, but I can’t take this!” मैंने उन्हें मना किया| “Oh comeon dear! Its just a small gift! Take it!” उन्होंने जबरदस्ती करते हुए वो डिब्बी मेरे हाथ में पकड़ा दी| “No..No..Sir… I’ll pay you for this!” वो मुस्कुराने लगे और अपनी जेब में से एक कार्ड निकाला और मुझे दे दिया; "ये लो...जब टाइम हो तब आ कर पैसे दे जाना पर अभी तो ये Moment ख़राब मत करो|" मैंने उनके हाथ से कार्ड ले कर रख लिया और वापस प्रोपोज़ करने का पोज़ बनाया और ऋतू से पूछा; "Will you marry me?” ऋतू ने शर्मा कर हाँ कहा और फिर मैंने उसे वो रिंग पहना दी और ऋतू कस कर मेरे सीने से लग गई| मैंने उसके सर को चूमा और पूरा गार्डन तालियों से गूँज उठा| ौंसले ने फिर से हमें आशीर्वाद दिया और वापस अपने टेबल पर अपने दोस्तों के साथ बैठ कर शराब एन्जॉय करने लगे| ऋतू बहुत खुश थी और उसकी ये ख़ुशी देख कर मैं भी बहुत खुश था| हमने खाना खाया और फिर मैं उन अंकल को दुबारा Thank You बोल कर निकल आया| अब बारी थी राखी की शादी अटेंड करने की, कैब बुक की और उसके आने तक ऋतू मुझसे चिपकी खड़ी रही| कैब में जब हम बैठे तो ऋतू मेरे बाएं कंधे पर सर रख कर बैठ गई और उसी रिंग को देखे जा रही थी| "अब इसे उतार दो, वरना सब पूछेंगे की किसने दी?" मेरी बात सुन कर ऋतू जैसे अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आई| "ना! मैंने नहीं उतारने वाली!" उसने मुँह बनाते हुए कहा| "तो सब से क्या कहोगी?" मैंने पूछा| "कह दूँगी मेरे लवर ने दी है|" ये कह कर वो मुस्कुराने लगी| "और जब उस लड़के का नाम पूछेंगे तब?"
"वो सब मैं देख लूँगी! आप उसकी चिंता मत करो|" इतना कह कर ऋतू फिर से उसी रिंग को देखने लगी| मैंने भी सोचा की अपने आप संभालेगी, मैं तो कुछ कह भी नहीं सकता और रायता फैलना है तो फ़ैल ही जाए! जो होगा देख लूँगा! ये सोच कर मैं भी इत्मीनान से बैठ गया| बैंक्वेट हॉल आने लगा तो मैंने ऋतू से कहा की वो अपना मेक-अप ठीक कर ले, फिर हम दोनों जब कैब से उतरे तो ऋतू ने फिर से मेरी बाहों में बाहें डाल ली| हम दोनों कपल लग रहे थे और ये अभी के लिए थोड़ा ज्यादा था| मैंने ऋतू के कान में खुसफुसाते हुए कहा; "जान! यहाँ बॉस भी आएंगे तो थोड़ा सा डिस्टेंस मेन्टेन करो|" ये सुन कर ऋतू ने नकली गुस्सा दिखाया और मेरा हाथ छोड़ दिया| अभी अंदर घुसे भी नहीं थे की मुझे मेरे ऑफिस के colleagues मिल गए और बेशर्मों की तरह ऋतू को घूरे जा रहे थे| "बॉस और अनु mam आगये?" मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया की वो अंदर हैं इसलिए मैंने ऋतू को अंदर जाने को कहा| पर उसका मन अंदर जाने को कतई नहीं था| मैंने उसे आँखों से इशारा कर के समझाया की ये लोग मुझे छोड़ने वाले नहीं हैं, तब जा कर ऋतू मानी| उसके जाते ही सब मेरे ऊपर टूट पड़े, "साले कैसे फँसा लिया तूने?" मैं उनकी सारी बातें बस टालता रहा ये कह की मैंने ऐसा कुछ नहीं किया बस कैब शेयर की थी हमने| पर कमीने तो कमीने ही होते हैं, मैं किसी तरह से उनसे बच के अंदर आ गया| अंदर आ कर देखा तो एक टेबल पर सर, अनु मैडम और ऋतू बैठे हुए बात कर रहे थे| मुझे देखते ही सर बोल उठे; "तुम दोनों साथ आये हो फिर आगे-पीछे क्यों एंटर हुए? हम क्या बेवक़ूफ़ बैठे हैं यहाँ?"
"सर वो बाहर शुक्ल जी मिल गए थे उन्होंने रोक लिया| वैसे साथ आने में कैसे शर्म?" इतना कह कर मैं वहीँ बैठ गया पर मन ही मन ऋतू को कोसने लगा की उसे कोई और जगह नहीं मिली बैठने को?! इधर सर उठ कर कुछ खाने के लिए गए और अनु मैडम को मेरी तारीफ करने का मौका मिल गया; "मानु जी! आज तो बहुत हैंडसम लग रहे हो!"
"Thank you mam!" मैंने शर्माते हुए कहा| "आपको तो रोज ऐसे ही रेडी हो कर ऑफिस आना चाहिए|" ऋतू ने मज़ाक करते हुए कहा|
"हाय!! फिर हम दोनों (अनु मैडम और ऋतू) काम कैसे करेंगे?" अनु मैडम ने ठंडी आह भरते हुए कहा| ये सुन कर हम तीनों हँस पड़े, इतने में सर कुछ खाने को ले आये और सीधा ऋतू को ऑफर कर दिया| ये देख कर मैं थोड़ा हैरान हुआ पर फिर मैं समझ गया की आज ऋतू लग ही इतनी सुन्दर रही है की हर एक की नजर सिर्फ उसी पर है| मैं अपने लिए कुछ खाने के लिए लेने को उठा तो मेरे पीछे-पीछे अनु मैडम भी उठ गईं| जब मैंने मैडम को ढंग से सजा-सांवरा देखा तो मैंने भी उनकी तारीफ करते हुए कहा; "वैसे mam you’re looking fabulous today! ये सुन कर मैडम भी शर्मा गईं और बोलीं; "उतनी सुंदर तो नहीं जितनी आज रितिका लग रही है| उसका लेहंगा तुम ने ही सेलेक्ट किया था ना?" मैंने बिलकुल अनजान बनते हुए कहा; "नहीं तो mam!" मैडम ने शायद मेरी बात मान ली या फिर उन्होंने जानबूझ कर उस बात को और ज्यादा नहीं कुरेदा|
खेर मैं और मैडम खाने-पीने की सभी चीजों का मुआइना कर रहे थे, की तभी उनकी नजर मसाला डोसे पर गई और वो मुझे खींच कर वहाँ ले गईं| मैं एक्स्ट्रा बटर डलवा कर उनके लिए डोसा बनवाया और अपने लिए मैं आलू-चीज पफ ले आया| जब मैंने उन्हें ऑफर किया तो उन्होंने एक पीस खाया और बोलीं; "मानु जी आपकी पसंद का जवाब नहीं! हर चीज में आपकी पसंद awesome है!" मैंने बस उन्हें Thank You कहा और फिर उनके डोसा खत्म होने के बाद वापस आ कर बैठ गए| चूँकि हमें आने में थोड़ा समय लगा था तो सर पूछने लगे; "कहाँ रूक गए थे तुम दोनों?" मेरे कुछ बोलने से पहले ही मैडम बोल पड़ीं; "डोसा खा रहे थे!" अब ये सुन कर सर चुप हो गए| खेर दूल्हे की बारात आई और तभी खाना खुल गया और सभी लोग लाइन में लग गए| सर सबसे पहले और उनके पीछे अनु मैडम, फिर मैं और मेरे पीछे ऋतू| आज पहली बार ऋतू इतनी बड़ी और महंगी शादी में आई थी और खाने के लिए जो चीजें रखी थीं वो उसके नई थी, उसने वो कभी चखी भी नहीं थी| ऋतू ने कहा की उसे दाल-चावल खाने हैं तो मैंने उसे हँसते हुए समझाया की वो सब यहाँ नहीं मिलता| मैंने उसे पहले दाल महारानी, पनीर लबाबदार और 2 रोटी दिलवाई और मैंने अपने लिए चिकन और नान लिया| हम वापस बैठ कर खा रहे थे, मैडम ने भी चिकन लिया था और सर ने वेज लिया था| "तुम सारे नॉन-वेज यहाँ बैठो मैं और रितिका कहीं और बैठेंगे|" अब ये सुन कर मुझे बुरा लगा क्योंकि मैं नहीं चाहता था की ऋतू कहीं और जाए| इसका जवाब खुद ऋतू ने ही दिया; "पर सर सारे टेबल फुल हैं! " ये सुन कर मैडम के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई पर उन्होंने जैसे-तैसे अपनी हँसी छुपाई| अब मैडम ने मुझे इशारा किया और मैं उनका सिहारा समझ गया| हम दोनों ने एक-एक लेग पीस उठाया और जंगलियों की तरह खाने लगे| हमें ऐसा करते हुए देख सर मुँह बिदकाने लगे और बोले; "ढंग से खाओ! ये क्या जंगलियों की तरह खा रहे हो?" इतना कह कर वो उठ के चले गए और इधर मैं, मैडम और ऋतू हँसने लगे| मैडम की नजर आखिर रिंग पर चली गई और उन्होंने ऋतू से पूछ लिया; "रितिका ये रिंग आपको किसने दी?" अब ये सुनते ही मैंने अपनी आँखें फेर ली और ऐसे दिखाया जैसे मैंने सुना ही ना हो| "वो mam ......" इसके आगे वो कुछ नहीं बोली और शर्माने लगी| "अच्छा जी! उसने तुम्हें प्रोपोज़ कर दिया? और तुमने हाँ भी कर दी?" मैडम ने थोड़ा जोर से बोला ताकि मैं भी उनकी बात सुन लूँ| "प्रोपोज़? किसने किसे किया?" मैंने जान बुझ कर ऐसे जताया जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं| "मानु जी! आपका पत्ता तो कट गया!" मैडम ने मेरे मज़े लेते हुए कहा| मैं जान बुझ कर जोर से हँसा ताकि उन्हें ये इत्मीनान हो जाए की मेरे और ऋतू के बीच में कुछ नहीं चल रहा|
खाने के बाद आखिर दुल्हन का आगमन हुआ, दुल्हन के जोड़े में राखी बहुत ही प्यारी लग रही थी| फिर शुरू हुआ नाच गाने का मौका और डी.जे ने एक के बाद एक गाना बजा कर माहौल में जान डाल डी| मैडम ने सर से नाचने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया| मैं उठ के खड़ा हुआ और ऋतू और मैडम को अपन साथ जबरदस्ती डांस के लिए ले गया और हम तीनों ने बड़े जोर-शोरों से नाचा| सर से हमारी ये ख़ुशी देखि नहीं गई और उन्होंने हमें इशारे से हमें वापस बुलाया और कहा की अब हमें चलना चाहिए| निकलने से पहले हमें शगुन तो देना था इसलिए हम सारे स्टेज के ऊपर चढ़ गए| दूल्हे से मैंने हाथ मिलाया और फिर राखी से मैंने हाथ जोड़ कर नमस्ते की पर वो हमेशा की तरह ही मुझसे गले लग गई| उसके पति को थोड़ा अटपटा सा लगा पर उसने कहा कुछ नहीं| इधर राखी ने खुद ही माहौल को हल्का करने के लिए कहा; "मानु जी इतने हैंडसम लग रहे हो की मैं तो सोच रही हूँ की दूल्हा चेंज कर लूँ|" ये सुन कर सारे हँस दिए और इधर राखी का दूल्हा भी राखी के मज़े लेने लगा और बोला; "सही है! तू अपने मानु जी से शादी कर ले और मैं उनकी गर्लफ्रेंड से!" ये सुन कर मैं और ऋतू दोनों एक दूसरे को देखने लगे और बाकी सब हँसने लगे| मैं और ऋतू ये सोच रहे थे की ये हरामखोर अपनी शादी छोड़ कर हमारे पीछे पड़े हैं!
खेर शगुन दे कर, और फोटो खिचवा के हम जाने लगे तो राखी ने सब को रोक दिया और सर से बोली; "सर अभी तो 12 ही बजे हैं! प्लीज थोड़ी देर और रुक जाइये!" उसका दूल्हा भी बोल पड़ा; "सर अभी तो ड्रिंक्स भी चालु नहीं हुई हैं!" अब फ्री की ड्रिंक्स और मेरे सर उसे छोड़ दें, ऐसा तो हो ही नहीं सकता|
"t ... thank you !!!!" ऋतू ने रोते-रोते कहा| "But baby why are you crying?” मैंने उससे पूछा तो ऋतू ने अपने आँसूँ पोछे और बोली; "मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं कभी ऐसी जगह आ पाऊँगी| ऐसी जगह जहाँ के Main Gate के अंदर घुसने की भी मेरी औकात नहीं है, वहाँ आप मुझे डिनर के लिए लेके आये हो! Thank You!"
"मेरी जानेमन इससे भी कई ज्यादा कीमती है!"
अगले ही पल मैंने अपनी दायीं टाँग मोड़ी और घुटने को जमीन से टिकाया, बायीं बस मोड़ी और ऋतू का बयां हाथ अपने बाएं हाथ में लेते हुए उससे पूछा; " मैंने तुम पर बहुत बार चीखा हूँ, चिल्लाया हूँ यहाँ तक की तुम पर हाथ भी उठाया है पर ये सच है की मैं प्यार सिर्फ और सिर्फ तुम्हीं से करता हूँ| उस दिन जब मैंने तुम्हें पहलीबार दिल से गले लगाया था उसी दिन मैंने तुम्हें अपना दिल दे दिया था| मैं वादा करता हूँ की तुम्हें जिंदगी भर खुश रखूँगा, तुम्हें कभी कोई तकलीफ नहीं दूँगा, तुम्हें पलकों पर बिठा कर रखूँगा| (एक लम्बी साँस लेते हुए) Will you marry me???" ये सुन कर ऋतू की आँखें छलक आईं और उसने हाँ में गर्दन हिलाई और बैठे-बैठे ही मेरे गले लग गई| वहाँ मौजूद सभी लोगों ने तालियाँ बजाई और तब जा कर हम दोनों को होश आया की हम दोनों बाहर आये हैं| ऋतू ने शर्म के मारे अपना मुँह दोनों हाथों से छुपा लिया| तभी वहाँ एक अंकल आये और मुझसे बोले; "Come on man let’s put a ring on her!”
“But I don’t have any ring with me! I didn’t plan this far!” मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने फ़ौरन वेटर को बुलाया और उसके कान में कुछ खुसफुसाये| उसके बाद ऋतू से बोले; “May the love you share today grow stronger as you grow old together.” इतने में वही वेटर वापस आ गया और उसने उन्हें एक छोटी सी डिब्बी दी जिसमें एक वाइट सिल्वर की वेडिंग रिंग थी! उन्होंने मुझे वो डिब्बी दे दी और ऋतू को पहनाने को कहा| मैं और ऋतू हैरानी से उन्हें देखने लगे; "A gift for the beautiful couple.” उन्होंने कहा|
“Sorry sir, but I can’t take this!” मैंने उन्हें मना किया| “Oh comeon dear! Its just a small gift! Take it!” उन्होंने जबरदस्ती करते हुए वो डिब्बी मेरे हाथ में पकड़ा दी| “No..No..Sir… I’ll pay you for this!” वो मुस्कुराने लगे और अपनी जेब में से एक कार्ड निकाला और मुझे दे दिया; "ये लो...जब टाइम हो तब आ कर पैसे दे जाना पर अभी तो ये Moment ख़राब मत करो|" मैंने उनके हाथ से कार्ड ले कर रख लिया और वापस प्रोपोज़ करने का पोज़ बनाया और ऋतू से पूछा; "Will you marry me?” ऋतू ने शर्मा कर हाँ कहा और फिर मैंने उसे वो रिंग पहना दी और ऋतू कस कर मेरे सीने से लग गई| मैंने उसके सर को चूमा और पूरा गार्डन तालियों से गूँज उठा| ौंसले ने फिर से हमें आशीर्वाद दिया और वापस अपने टेबल पर अपने दोस्तों के साथ बैठ कर शराब एन्जॉय करने लगे| ऋतू बहुत खुश थी और उसकी ये ख़ुशी देख कर मैं भी बहुत खुश था| हमने खाना खाया और फिर मैं उन अंकल को दुबारा Thank You बोल कर निकल आया| अब बारी थी राखी की शादी अटेंड करने की, कैब बुक की और उसके आने तक ऋतू मुझसे चिपकी खड़ी रही| कैब में जब हम बैठे तो ऋतू मेरे बाएं कंधे पर सर रख कर बैठ गई और उसी रिंग को देखे जा रही थी| "अब इसे उतार दो, वरना सब पूछेंगे की किसने दी?" मेरी बात सुन कर ऋतू जैसे अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आई| "ना! मैंने नहीं उतारने वाली!" उसने मुँह बनाते हुए कहा| "तो सब से क्या कहोगी?" मैंने पूछा| "कह दूँगी मेरे लवर ने दी है|" ये कह कर वो मुस्कुराने लगी| "और जब उस लड़के का नाम पूछेंगे तब?"
"वो सब मैं देख लूँगी! आप उसकी चिंता मत करो|" इतना कह कर ऋतू फिर से उसी रिंग को देखने लगी| मैंने भी सोचा की अपने आप संभालेगी, मैं तो कुछ कह भी नहीं सकता और रायता फैलना है तो फ़ैल ही जाए! जो होगा देख लूँगा! ये सोच कर मैं भी इत्मीनान से बैठ गया| बैंक्वेट हॉल आने लगा तो मैंने ऋतू से कहा की वो अपना मेक-अप ठीक कर ले, फिर हम दोनों जब कैब से उतरे तो ऋतू ने फिर से मेरी बाहों में बाहें डाल ली| हम दोनों कपल लग रहे थे और ये अभी के लिए थोड़ा ज्यादा था| मैंने ऋतू के कान में खुसफुसाते हुए कहा; "जान! यहाँ बॉस भी आएंगे तो थोड़ा सा डिस्टेंस मेन्टेन करो|" ये सुन कर ऋतू ने नकली गुस्सा दिखाया और मेरा हाथ छोड़ दिया| अभी अंदर घुसे भी नहीं थे की मुझे मेरे ऑफिस के colleagues मिल गए और बेशर्मों की तरह ऋतू को घूरे जा रहे थे| "बॉस और अनु mam आगये?" मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया की वो अंदर हैं इसलिए मैंने ऋतू को अंदर जाने को कहा| पर उसका मन अंदर जाने को कतई नहीं था| मैंने उसे आँखों से इशारा कर के समझाया की ये लोग मुझे छोड़ने वाले नहीं हैं, तब जा कर ऋतू मानी| उसके जाते ही सब मेरे ऊपर टूट पड़े, "साले कैसे फँसा लिया तूने?" मैं उनकी सारी बातें बस टालता रहा ये कह की मैंने ऐसा कुछ नहीं किया बस कैब शेयर की थी हमने| पर कमीने तो कमीने ही होते हैं, मैं किसी तरह से उनसे बच के अंदर आ गया| अंदर आ कर देखा तो एक टेबल पर सर, अनु मैडम और ऋतू बैठे हुए बात कर रहे थे| मुझे देखते ही सर बोल उठे; "तुम दोनों साथ आये हो फिर आगे-पीछे क्यों एंटर हुए? हम क्या बेवक़ूफ़ बैठे हैं यहाँ?"
"सर वो बाहर शुक्ल जी मिल गए थे उन्होंने रोक लिया| वैसे साथ आने में कैसे शर्म?" इतना कह कर मैं वहीँ बैठ गया पर मन ही मन ऋतू को कोसने लगा की उसे कोई और जगह नहीं मिली बैठने को?! इधर सर उठ कर कुछ खाने के लिए गए और अनु मैडम को मेरी तारीफ करने का मौका मिल गया; "मानु जी! आज तो बहुत हैंडसम लग रहे हो!"
"Thank you mam!" मैंने शर्माते हुए कहा| "आपको तो रोज ऐसे ही रेडी हो कर ऑफिस आना चाहिए|" ऋतू ने मज़ाक करते हुए कहा|
"हाय!! फिर हम दोनों (अनु मैडम और ऋतू) काम कैसे करेंगे?" अनु मैडम ने ठंडी आह भरते हुए कहा| ये सुन कर हम तीनों हँस पड़े, इतने में सर कुछ खाने को ले आये और सीधा ऋतू को ऑफर कर दिया| ये देख कर मैं थोड़ा हैरान हुआ पर फिर मैं समझ गया की आज ऋतू लग ही इतनी सुन्दर रही है की हर एक की नजर सिर्फ उसी पर है| मैं अपने लिए कुछ खाने के लिए लेने को उठा तो मेरे पीछे-पीछे अनु मैडम भी उठ गईं| जब मैंने मैडम को ढंग से सजा-सांवरा देखा तो मैंने भी उनकी तारीफ करते हुए कहा; "वैसे mam you’re looking fabulous today! ये सुन कर मैडम भी शर्मा गईं और बोलीं; "उतनी सुंदर तो नहीं जितनी आज रितिका लग रही है| उसका लेहंगा तुम ने ही सेलेक्ट किया था ना?" मैंने बिलकुल अनजान बनते हुए कहा; "नहीं तो mam!" मैडम ने शायद मेरी बात मान ली या फिर उन्होंने जानबूझ कर उस बात को और ज्यादा नहीं कुरेदा|
खेर मैं और मैडम खाने-पीने की सभी चीजों का मुआइना कर रहे थे, की तभी उनकी नजर मसाला डोसे पर गई और वो मुझे खींच कर वहाँ ले गईं| मैं एक्स्ट्रा बटर डलवा कर उनके लिए डोसा बनवाया और अपने लिए मैं आलू-चीज पफ ले आया| जब मैंने उन्हें ऑफर किया तो उन्होंने एक पीस खाया और बोलीं; "मानु जी आपकी पसंद का जवाब नहीं! हर चीज में आपकी पसंद awesome है!" मैंने बस उन्हें Thank You कहा और फिर उनके डोसा खत्म होने के बाद वापस आ कर बैठ गए| चूँकि हमें आने में थोड़ा समय लगा था तो सर पूछने लगे; "कहाँ रूक गए थे तुम दोनों?" मेरे कुछ बोलने से पहले ही मैडम बोल पड़ीं; "डोसा खा रहे थे!" अब ये सुन कर सर चुप हो गए| खेर दूल्हे की बारात आई और तभी खाना खुल गया और सभी लोग लाइन में लग गए| सर सबसे पहले और उनके पीछे अनु मैडम, फिर मैं और मेरे पीछे ऋतू| आज पहली बार ऋतू इतनी बड़ी और महंगी शादी में आई थी और खाने के लिए जो चीजें रखी थीं वो उसके नई थी, उसने वो कभी चखी भी नहीं थी| ऋतू ने कहा की उसे दाल-चावल खाने हैं तो मैंने उसे हँसते हुए समझाया की वो सब यहाँ नहीं मिलता| मैंने उसे पहले दाल महारानी, पनीर लबाबदार और 2 रोटी दिलवाई और मैंने अपने लिए चिकन और नान लिया| हम वापस बैठ कर खा रहे थे, मैडम ने भी चिकन लिया था और सर ने वेज लिया था| "तुम सारे नॉन-वेज यहाँ बैठो मैं और रितिका कहीं और बैठेंगे|" अब ये सुन कर मुझे बुरा लगा क्योंकि मैं नहीं चाहता था की ऋतू कहीं और जाए| इसका जवाब खुद ऋतू ने ही दिया; "पर सर सारे टेबल फुल हैं! " ये सुन कर मैडम के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई पर उन्होंने जैसे-तैसे अपनी हँसी छुपाई| अब मैडम ने मुझे इशारा किया और मैं उनका सिहारा समझ गया| हम दोनों ने एक-एक लेग पीस उठाया और जंगलियों की तरह खाने लगे| हमें ऐसा करते हुए देख सर मुँह बिदकाने लगे और बोले; "ढंग से खाओ! ये क्या जंगलियों की तरह खा रहे हो?" इतना कह कर वो उठ के चले गए और इधर मैं, मैडम और ऋतू हँसने लगे| मैडम की नजर आखिर रिंग पर चली गई और उन्होंने ऋतू से पूछ लिया; "रितिका ये रिंग आपको किसने दी?" अब ये सुनते ही मैंने अपनी आँखें फेर ली और ऐसे दिखाया जैसे मैंने सुना ही ना हो| "वो mam ......" इसके आगे वो कुछ नहीं बोली और शर्माने लगी| "अच्छा जी! उसने तुम्हें प्रोपोज़ कर दिया? और तुमने हाँ भी कर दी?" मैडम ने थोड़ा जोर से बोला ताकि मैं भी उनकी बात सुन लूँ| "प्रोपोज़? किसने किसे किया?" मैंने जान बुझ कर ऐसे जताया जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं| "मानु जी! आपका पत्ता तो कट गया!" मैडम ने मेरे मज़े लेते हुए कहा| मैं जान बुझ कर जोर से हँसा ताकि उन्हें ये इत्मीनान हो जाए की मेरे और ऋतू के बीच में कुछ नहीं चल रहा|
खाने के बाद आखिर दुल्हन का आगमन हुआ, दुल्हन के जोड़े में राखी बहुत ही प्यारी लग रही थी| फिर शुरू हुआ नाच गाने का मौका और डी.जे ने एक के बाद एक गाना बजा कर माहौल में जान डाल डी| मैडम ने सर से नाचने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया| मैं उठ के खड़ा हुआ और ऋतू और मैडम को अपन साथ जबरदस्ती डांस के लिए ले गया और हम तीनों ने बड़े जोर-शोरों से नाचा| सर से हमारी ये ख़ुशी देखि नहीं गई और उन्होंने हमें इशारे से हमें वापस बुलाया और कहा की अब हमें चलना चाहिए| निकलने से पहले हमें शगुन तो देना था इसलिए हम सारे स्टेज के ऊपर चढ़ गए| दूल्हे से मैंने हाथ मिलाया और फिर राखी से मैंने हाथ जोड़ कर नमस्ते की पर वो हमेशा की तरह ही मुझसे गले लग गई| उसके पति को थोड़ा अटपटा सा लगा पर उसने कहा कुछ नहीं| इधर राखी ने खुद ही माहौल को हल्का करने के लिए कहा; "मानु जी इतने हैंडसम लग रहे हो की मैं तो सोच रही हूँ की दूल्हा चेंज कर लूँ|" ये सुन कर सारे हँस दिए और इधर राखी का दूल्हा भी राखी के मज़े लेने लगा और बोला; "सही है! तू अपने मानु जी से शादी कर ले और मैं उनकी गर्लफ्रेंड से!" ये सुन कर मैं और ऋतू दोनों एक दूसरे को देखने लगे और बाकी सब हँसने लगे| मैं और ऋतू ये सोच रहे थे की ये हरामखोर अपनी शादी छोड़ कर हमारे पीछे पड़े हैं!
खेर शगुन दे कर, और फोटो खिचवा के हम जाने लगे तो राखी ने सब को रोक दिया और सर से बोली; "सर अभी तो 12 ही बजे हैं! प्लीज थोड़ी देर और रुक जाइये!" उसका दूल्हा भी बोल पड़ा; "सर अभी तो ड्रिंक्स भी चालु नहीं हुई हैं!" अब फ्री की ड्रिंक्स और मेरे सर उसे छोड़ दें, ऐसा तो हो ही नहीं सकता|