20-01-2019, 08:58 PM
सास - बहु की होली
मेरी बात काट के जेठानी बोलीं, “
तू क्या कहना चाहती है कि मेरा देवर....”
“जी...जो आपने समझा कि वो सिर्फ बहनचोद हीं नहीं... मादरचोद भी हैं.”
मैं अब पूरे मूड में आ गई थी.
“बताती हूँ तुझे...”
कह के मेरी सास ने एक झटके में मेरी ब्लाउज खींच के नीचे फेंक दिया. अब मेरे दोनों उरोज सीधे उनके हाथ में.
“बहोत रस है रे तेरी इन चूचियों में, तभी तो सिर्फ मेरा लड़का हीं नहीं गाँव भर के मरद बेचारों की निगाह इन पे टिकी रहती है. जरा आज मैं भी तो मज़ा ले के देखूं...”
और रंग लगाते-लगाते उन्होंने मेरा निप्पल पिंच कर दिया.
“अरे सासू माँ, लगता है आपके लड़के ने कस के चूचि मसलना आपसे हीं सीखा है. बेकार में मैं अपनी ननदों को दोष दे रही थी. इतना दबवाने, चुसवाने के बाद भी इतनी मस्त है आपकी चूचियां...”
मैं भी उनकी चूचि कस के दबाते बोली.
मेरी ननद ने रंग भरी बाल्टी उठा के मेरे ऊपर फेंकी.
मैं झुकी तो वो मेरी चचेरी सास और छोटी ननद के ऊपर जा के पड़ी. फिर तो वो और आस-पास की दो-चार और औरतें जो रिश्ते में सास लगती थी, मैदान में आ गईं.
सास का भी एक हाथ सीने से सीधे नीचे, उन्होंने मेरी साड़ी उठा दी तो मैं क्यों पीछे रहती? मैंने भी उनकी साड़ी आगे से उठा दी...
अब सीधे देह से देह, होली की मस्ती में चूर अब सास-बहु हम लोग भूल चुके थे. अब सिर्फ देह के रस में डूबे हम मस्ती में बेचैन. मैं लेकिन अकेले नहीं थी.
जेठानी मेरा साथ देते बोलीं,
“तू सासू जी के आगे का मज़ा ले और मैं पीछे से इनका मज़ा लेती हूँ. कितने मस्त चूतड़ हैं?”
कस कस के रंग लगाती, चूतड़ मसलती वो बोलीं,
“अरे तो क्या मैं छोड़ दूंगी इस नए माल के मस्त चूतड़ों को? बहोत मस्त गांड़ है. एकदम गांड़ मराने में अपनी छिनाल, रंडी माँ पे गई है, लगता है. देखूं गांड़ के अंदर क्या माल है?”
ये कह के मेरी सास ने भी कस के मेरे चूतड़ों को भींचा और रंग लगाते, दबाते, सहलाते, एक साथ हीं दो उंगलियां मेरी गांड़ में घचाक से पेल दी.
“उईई माँ.....”
मैं चीखी पर सास ने बिना रुके सीधे जड़ तक घुसेड़ के हीं दम लिया.
तब तक मेरी एक चचेरी सास ने एक गिलास मेरे मुँह में, वही तेज, वैसी हीं महक, वैसा हीं रंग... लेकिन अब कुछ भी मेरे बस में नहीं था.
दो सासों ने कस के दबा के मेरा मुँह खोल दिया और चचेरी सास ने पूरा ग्लास खाली कर के दम लिया और बोली,
“अरे मेरा खारा शरबत तो चख...”
फिर उसी तरह दो-तीन ग्लास और...
उधर मेरे सास के एक हाथ की दो उंगलियां गोल-गोल कस के मेरी गांड़ में घूमती, अंदर-बाहर होती और दूसरे हाथ की दो उंगलियां मेरी बुर में.
मैं कौन सी पीछे रहने वाली थी? मैंने भी तीन उंगलियां उनकी बुर में. वो अभी भी अच्छी-खासी टाईट थीं.
“मेरा लड़का बड़ा ख्याल रखता है तेरा बहु... पहले से हीं तेरी पिछवाड़े की कुप्पी में मक्खन मलाई भर रखा है, जिससे मरवाने में तुझे कोई दिक्कत ना हो.”
वो कस के गांड़ में उँगली करती बोलीं.
होली अच्छी-खासी शुरू हो गई थी.