08-11-2019, 05:50 PM
नम्रता अपनी उंगलियो को धीरे-2 हिलाकर उसकी अंदरूनी दीवारों को मसलने लगी…
संजना के शरीर में लाखों वॉट की बिजली दौड़ रही थी, एकदम गर्म सा हो चुका था उसका बदन…
उसका खुद पर जैसे कोई कंट्रोल ही नही रह गया था…
उसे बंद आँखो से सिर्फ़ और सिर्फ़ निमेश का मोटा लंड दिखाई दे रहा था, जो उसने अपनी पेंट के अंदर अकड़ा कर रखा था, उसे महसूस हुआ की वो लंड उसकी पेंट में नही बल्कि उसकी खुद की गांड में आकर बंद सा हो चुका है, और नम्रता उसे निकालने की कोशिश कर रही है..
और वो ऐसा हरगिज़ नही होने देना चाहती थी… इसलिए उसने अपना हाथ पीछे करके नम्रता का हाथ पकड़ा और उसे अपनी चूत की तरफ धकेल दिया…
नम्रता ने आज से पहले अपनी मालकिन की बुर को हाथ तक नही लगाया था, वो खुद ही नही लगाने देती थी, हालाँकि वो उसके सामने पूरी नंगी होकर मालिश करवाती थी, पर चूत के करीब आते ही वो उसके हाथ को दूर खिसका देती थी…
पर आज ऐसा नही था, वो खुद उसके हाथों को पकड़कर अपनी चूत पर ले गयी और उसकी कड़क उंगलियों को अपनी शहद की शीशी जैसी चूत में डुबो कर सीसीया उठी…
”आआआआआआआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…. उम्म्म्मममममममममम….”
और फिर नम्रता के हाथों को अंदर बाहर करते हुए उसने ये इशारा किया की ऐसे ही करो…
नम्रता बेचारी पहली बार अपनी मालकिन का ये रूप देख रही थी…
वो अपने दाँये हाथ से उसकी चूत में उंगलियाँ डालकर उसे मसलने लगी…
उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसने वो उंगलियाँ जेम की शीशी में डाली हुई है…
एकदम गाढ़ापन लिए उसकी चूत बहुत बड़िया खुश्बू फेंक रही थी..
अब उसका खुद पर भी कण्ट्रोल नहीं रह गया था
आज कुछ स्पेशल होने वाला था उस कमरे में.
संजना ने आँखे खोल कर देखा की नम्रता की साँसे तेज होने लगी है, उसका सुडोल सीना उपर नीचे होकर उसकी उत्तेजना का इज़हार कर रहा था..
शुरू से ही शाही शानोंशोकत में पली संजना का मन एक बार फिर से डोल गया…
पहले वो नम्रता के पति निमेश को देखकर गर्म हो गयी थी और अब उसे देखकर.
ये क्या हो रहा था उसे, ऐसा तो आज तक उसने फील नही किया था…
शायद उसकी हमेशा से कुछ नया ट्राइ करने की आदत ने इस वक़्त उसे बहका सा दिया था, तभी वो नम्रता को अब खा जाने वाली नज़रों से देख रही थी.
नम्रता ने एक कॉटन की साड़ी पहनी हुई थी…संजना ने उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर नीचे गिरा दिया.
नम्रता सकपका कर रह गयी, पर अपनी मालकिन के सामने कुछ भी बोलने की हिम्मत नही थी उसकी.
संजना अब उसके उठते-गिरते सीने को कसे हुए ब्लाउज़ में सॉफ देख पा रही थी, उसके ब्लाउज़ का कट काफ़ी लो था, जिसकी वजह से उसकी सैक्सी क्लीवेज़ सॉफ दिख रही थी.. | संजना सोचने लगी पता नही इन ग़रीब लोगो को क्या शॉंक होता है, इस तरह के लो-कट गले के ब्लाउज़ पहनने का, वो खुद अगर ऐसा ब्लाउज़ पहन कर निकल जाए तो शहर में क़त्ले-आम हो जाए.
पर इस वक़्त उसे वही ‘ग़रीबी से भरे’ बूब्स आकर्षक लग रहे थे…
नीचे उसका सपाट पेट था, नम्रता ने साड़ी भी नेवल से काफ़ी नीचे पहनी हुई थी…
उसकी अंदर की तरफ़ धँसी हुई नाभि भी आकर्षक लग रही थी..
कुल मिलाकर आज पहली बार उसने नम्रता की सुंदरता को नोट किया था…
उसका मस्त बदन नंगा होकर कैसा लगेगा, ये सोचकर ही वो वेट हो गयी….और उसकी चूत से निकले इस पानी की गर्माहट नम्रता ने सॉफ महसूस की.
अचानक संजना ने उसके ब्लाउज़ के उपर से ही उसके बूब्स पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए.
”आआआआआआआआअहह….सस्स्स्स्स्स्स्सस्स…. बीवी जी……..ई का कर रहे हो…..”
बदले में संजना ने उसे अपनी आँखे दिखा दी, बेचारी वहीं चुप सी होकर सिसकती रह गयी.
संजना ने उसके बूब्स की कसावट को अच्छे से अपनी हथेलियों के नीचे महसूस किया…
ऐसे कड़क बूब्स तो उसके 16 की उम्र में थे, उसके बाद तो इनपर इतना काम हुआ की वो गुब्बारे जैसे मुलायम होते चले गये..
उसे इस वक़्त उन्हे मसलने में काफ़ी मज़ा आ रहा था, उसने एक-2 करके उसके ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू कर दिए…
बेचारी नम्रता कुछ भी नही कर पाई और एक ही पल में उसके ब्लाउज़ के दोनो पाट अंदर के दर्शनो के लिए खुल गये.
हमेशा की तरह उसने आज भी ब्रा नही पहनी थी…
संजना ने उसके ब्लाउज़ को खींचकर नीचे उतार दिया और अब वो टॉपलेस होकर उसने सामने खड़ी थी…
उसके कड़क बूब्स की सुंदरता देखते ही बनती थी..
संजना के तो मुँह में पानी सा आ गया, उसने तुरंत उसे अपनी तरफ खींचकर उसके बूब्स पर अपने होंठ रख दिए और उन्हे पागलों की तरह चूसने लगी…
”आआआआआआआआआअहह बीवी जी……… उम्म्म्ममममममममममममममम…. मत करो….ऐसा……अहह… ये ठीक नही है……..अहह”
पर उसकी बुदबुदाहट अंदर ही घुट कर रह गयी…
संजना उसके कड़क निप्पलों में से ताज़ा क्रीम चूसकर निकालने में लगी थी..
हालाँकि नम्रता को भी मज़ा मिलना शुरू हो गया था, पर वो अपनी उत्तेजना का इज़हार करके अपनी मालकिन के सामने कोई सीन क्रियेट नही करना चाहती थी.
संजना ने एक-एक करके उसके दोनो बूब्स को अच्छे से निचोड़कर पिया, ऐसा करते हुए उसने नम्रता के हाथ को अपनी चूत से निकलने भी नही दिया… इस तरह से वो दोनो तरफ का मज़ा ले रही थी.
और उसके बूब्स चूसते -2 उसमें पता नही कौनसी चुड़ेल घुस गयी, वो बेड से उठकर बैठ गयी और उसने आनन फानन में उसकी साड़ी खोलकर एक कोने में फेंक दी, और फिर उसके पेटीकोट के नाडे को खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया.
और उसके बाद नम्रता खड़ी थी उसके सामने
ठीक उसी की तरह नंगी..
पूरी नंगी
संजना तो उसके सुगठित शरीर को देखकर दंग ही रह गयी…
आज तक उसने इस मदहोशी से भरे जिस्म को कपड़ों के नीचे छुपा कर रखा था…
पर आज बेपर्दा होने के बाद वो उसकी सुंदरता की कायल हो गयी..
हालाँकि वो अपनी सुंदरता के आगे किसी को उपर नही मानती थी, पर आज उसका नम्रता की सुंदरता को देखकर दिल से तारीफ करने का मन कर रहा था.
वो आगे बड़ी और उसने नंगी नम्रता को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसे बेतहाशा चूमने लगी…
पहले उसकी गर्दन , फिर चेहरा और अंत में आकर उसके रसीले होंठों को.
संजना के लिए भी ये पहला मौका था की वो किसी और औरत को इस तरह से प्यार कर रही थी, पर नम्रता के नंगे बदन में आकर्षण ही ऐसा था की वो खुद को रोक नही पाई और उससे लिपट कर उसे प्यार करने लगी..
प्यार क्या करने लगी उसे खाने को तैयार हो गयी वो तो..
संजना के शरीर में लाखों वॉट की बिजली दौड़ रही थी, एकदम गर्म सा हो चुका था उसका बदन…
उसका खुद पर जैसे कोई कंट्रोल ही नही रह गया था…
उसे बंद आँखो से सिर्फ़ और सिर्फ़ निमेश का मोटा लंड दिखाई दे रहा था, जो उसने अपनी पेंट के अंदर अकड़ा कर रखा था, उसे महसूस हुआ की वो लंड उसकी पेंट में नही बल्कि उसकी खुद की गांड में आकर बंद सा हो चुका है, और नम्रता उसे निकालने की कोशिश कर रही है..
और वो ऐसा हरगिज़ नही होने देना चाहती थी… इसलिए उसने अपना हाथ पीछे करके नम्रता का हाथ पकड़ा और उसे अपनी चूत की तरफ धकेल दिया…
नम्रता ने आज से पहले अपनी मालकिन की बुर को हाथ तक नही लगाया था, वो खुद ही नही लगाने देती थी, हालाँकि वो उसके सामने पूरी नंगी होकर मालिश करवाती थी, पर चूत के करीब आते ही वो उसके हाथ को दूर खिसका देती थी…
पर आज ऐसा नही था, वो खुद उसके हाथों को पकड़कर अपनी चूत पर ले गयी और उसकी कड़क उंगलियों को अपनी शहद की शीशी जैसी चूत में डुबो कर सीसीया उठी…
”आआआआआआआआआआआआआआअहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…. उम्म्म्मममममममममम….”
और फिर नम्रता के हाथों को अंदर बाहर करते हुए उसने ये इशारा किया की ऐसे ही करो…
नम्रता बेचारी पहली बार अपनी मालकिन का ये रूप देख रही थी…
वो अपने दाँये हाथ से उसकी चूत में उंगलियाँ डालकर उसे मसलने लगी…
उसे तो ऐसा लग रहा था जैसे उसने वो उंगलियाँ जेम की शीशी में डाली हुई है…
एकदम गाढ़ापन लिए उसकी चूत बहुत बड़िया खुश्बू फेंक रही थी..
अब उसका खुद पर भी कण्ट्रोल नहीं रह गया था
आज कुछ स्पेशल होने वाला था उस कमरे में.
संजना ने आँखे खोल कर देखा की नम्रता की साँसे तेज होने लगी है, उसका सुडोल सीना उपर नीचे होकर उसकी उत्तेजना का इज़हार कर रहा था..
शुरू से ही शाही शानोंशोकत में पली संजना का मन एक बार फिर से डोल गया…
पहले वो नम्रता के पति निमेश को देखकर गर्म हो गयी थी और अब उसे देखकर.
ये क्या हो रहा था उसे, ऐसा तो आज तक उसने फील नही किया था…
शायद उसकी हमेशा से कुछ नया ट्राइ करने की आदत ने इस वक़्त उसे बहका सा दिया था, तभी वो नम्रता को अब खा जाने वाली नज़रों से देख रही थी.
नम्रता ने एक कॉटन की साड़ी पहनी हुई थी…संजना ने उसकी साड़ी का पल्लू खींचकर नीचे गिरा दिया.
नम्रता सकपका कर रह गयी, पर अपनी मालकिन के सामने कुछ भी बोलने की हिम्मत नही थी उसकी.
संजना अब उसके उठते-गिरते सीने को कसे हुए ब्लाउज़ में सॉफ देख पा रही थी, उसके ब्लाउज़ का कट काफ़ी लो था, जिसकी वजह से उसकी सैक्सी क्लीवेज़ सॉफ दिख रही थी.. | संजना सोचने लगी पता नही इन ग़रीब लोगो को क्या शॉंक होता है, इस तरह के लो-कट गले के ब्लाउज़ पहनने का, वो खुद अगर ऐसा ब्लाउज़ पहन कर निकल जाए तो शहर में क़त्ले-आम हो जाए.
पर इस वक़्त उसे वही ‘ग़रीबी से भरे’ बूब्स आकर्षक लग रहे थे…
नीचे उसका सपाट पेट था, नम्रता ने साड़ी भी नेवल से काफ़ी नीचे पहनी हुई थी…
उसकी अंदर की तरफ़ धँसी हुई नाभि भी आकर्षक लग रही थी..
कुल मिलाकर आज पहली बार उसने नम्रता की सुंदरता को नोट किया था…
उसका मस्त बदन नंगा होकर कैसा लगेगा, ये सोचकर ही वो वेट हो गयी….और उसकी चूत से निकले इस पानी की गर्माहट नम्रता ने सॉफ महसूस की.
अचानक संजना ने उसके ब्लाउज़ के उपर से ही उसके बूब्स पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए.
”आआआआआआआआअहह….सस्स्स्स्स्स्स्सस्स…. बीवी जी……..ई का कर रहे हो…..”
बदले में संजना ने उसे अपनी आँखे दिखा दी, बेचारी वहीं चुप सी होकर सिसकती रह गयी.
संजना ने उसके बूब्स की कसावट को अच्छे से अपनी हथेलियों के नीचे महसूस किया…
ऐसे कड़क बूब्स तो उसके 16 की उम्र में थे, उसके बाद तो इनपर इतना काम हुआ की वो गुब्बारे जैसे मुलायम होते चले गये..
उसे इस वक़्त उन्हे मसलने में काफ़ी मज़ा आ रहा था, उसने एक-2 करके उसके ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू कर दिए…
बेचारी नम्रता कुछ भी नही कर पाई और एक ही पल में उसके ब्लाउज़ के दोनो पाट अंदर के दर्शनो के लिए खुल गये.
हमेशा की तरह उसने आज भी ब्रा नही पहनी थी…
संजना ने उसके ब्लाउज़ को खींचकर नीचे उतार दिया और अब वो टॉपलेस होकर उसने सामने खड़ी थी…
उसके कड़क बूब्स की सुंदरता देखते ही बनती थी..
संजना के तो मुँह में पानी सा आ गया, उसने तुरंत उसे अपनी तरफ खींचकर उसके बूब्स पर अपने होंठ रख दिए और उन्हे पागलों की तरह चूसने लगी…
”आआआआआआआआआअहह बीवी जी……… उम्म्म्ममममममममममममममम…. मत करो….ऐसा……अहह… ये ठीक नही है……..अहह”
पर उसकी बुदबुदाहट अंदर ही घुट कर रह गयी…
संजना उसके कड़क निप्पलों में से ताज़ा क्रीम चूसकर निकालने में लगी थी..
हालाँकि नम्रता को भी मज़ा मिलना शुरू हो गया था, पर वो अपनी उत्तेजना का इज़हार करके अपनी मालकिन के सामने कोई सीन क्रियेट नही करना चाहती थी.
संजना ने एक-एक करके उसके दोनो बूब्स को अच्छे से निचोड़कर पिया, ऐसा करते हुए उसने नम्रता के हाथ को अपनी चूत से निकलने भी नही दिया… इस तरह से वो दोनो तरफ का मज़ा ले रही थी.
और उसके बूब्स चूसते -2 उसमें पता नही कौनसी चुड़ेल घुस गयी, वो बेड से उठकर बैठ गयी और उसने आनन फानन में उसकी साड़ी खोलकर एक कोने में फेंक दी, और फिर उसके पेटीकोट के नाडे को खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया.
और उसके बाद नम्रता खड़ी थी उसके सामने
ठीक उसी की तरह नंगी..
पूरी नंगी
संजना तो उसके सुगठित शरीर को देखकर दंग ही रह गयी…
आज तक उसने इस मदहोशी से भरे जिस्म को कपड़ों के नीचे छुपा कर रखा था…
पर आज बेपर्दा होने के बाद वो उसकी सुंदरता की कायल हो गयी..
हालाँकि वो अपनी सुंदरता के आगे किसी को उपर नही मानती थी, पर आज उसका नम्रता की सुंदरता को देखकर दिल से तारीफ करने का मन कर रहा था.
वो आगे बड़ी और उसने नंगी नम्रता को अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसे बेतहाशा चूमने लगी…
पहले उसकी गर्दन , फिर चेहरा और अंत में आकर उसके रसीले होंठों को.
संजना के लिए भी ये पहला मौका था की वो किसी और औरत को इस तरह से प्यार कर रही थी, पर नम्रता के नंगे बदन में आकर्षण ही ऐसा था की वो खुद को रोक नही पाई और उससे लिपट कर उसे प्यार करने लगी..
प्यार क्या करने लगी उसे खाने को तैयार हो गयी वो तो..