06-11-2019, 08:26 PM
(This post was last modified: 29-01-2021, 02:53 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बहन का दूध
गीता की दूध से भरी छातियों को खींच खींच के दूध छलकाने का मजा ही और था।
ऊपर से मंजू बाई उन्हें और उकसा रही थी।
" अरे जरा अपनी बहन का दूध दुह के दिखाओ न , बहनचोद।
अरे अभी तो साल भर ये दूध देगी ही और जब बिसुक गयी न , तो तुझी से गाभिन कराउंगी इसे ,और नौ महीने बाद फिर से दूध। "
मंजू बाई ने समझाया।
वो गीता की चूँचियों से निकला दूध गीता की ही चूंचियों में पोत रहे थे ,लपेट रहे थे।
थोड़ी देर में ही गीता की गोरी गुलाबी चूंचियां ,एकदम दूधिया।
गीता नीचे से चूतड़ उछाल के जबरदस्त धक्के लगाते उन्हें आँख मार के मंजू बाई से बोली ,
"सही है माँ ,और उस बीच इन की वो बहिनिया ,
वो दूध देने लगेगी न ,बस आते ही देखना महीने भर के अंदर उसे गाभिन करा दूँगीं, उसे तो तब पता चलेगा जब उस का पेट फूल जाएगा। बस भैया मेरा वायदा दस महीने के अंदर सोहर होगा। "
लेकिन मंजू बाई किचेन में चली गयी थी ,जब लौटी तो उसके हाथ में एक बड़ी सी पुरानी सी शीशी , शहद से भरी।
मंजू बाई ने उसमें से शहद निकाल के अपनी उँगलियों से खुद गीता की दूध से डूबी चूँचियों पर पोतना शुरू कर दिया और साथ में उन्हें समझा भी रही थीं ,
" ये कोई ऐसा वैसा शहद नहीं है , ख़ास आम के बौर का, पुराना ,जबरदस्त असर होता है इसका। "
कुछ देर में ही आधी बोतल खाली हो गयी थी ,सारी की सारी गीता के जुबना पे ,
चुदाई अपने चरम वेग पर पहुँच गयी थी।
सुबह हुआ चाहती थी ,
गीता जोर जोर से झड़ रही थी , सावन भादो में कांपते पत्तो की तरह उसकी देह काँप रही थी ,
और वो बस , लेकिन मंजू बाई ने अपने हाथ से पकड़ के उनके शिष्न को बाहर कर दिया और सीधे गीता की दोनों चूँचियों पर ,
ढेर सारी थक्केदार मलाई सीधे गीता की चूँचियों पे ,
और अब गीता ने लन्ड पकड़ कर दबाना भींचना शुरू कर दिया ,एक बार फिर से मलाई की पिचकारी दोनों जोबन पर ,
गाढ़े सफ़ेद थक्कों से उसकी छातियाँ भर गयी , बस कहीं कहीं शहद
और बचा खुचा गीता के चेहरे पर ,अच्छा खासा फेसियल हो गया।
कुछ वो समझ रहे थे बाकी गीता के हाथों ने उन्हें समझा दिया ,
उनका मुंह सीधे गीता के उभारों पे ,
गीता का दूध ,आम केबौर का शहद और उनकी मलाई
और साथ गीता की पहले दो ,फिर तीन उँगलियाँ उनकी गांड के अंदर जोर जोर से उनकी गांड मारती , जोश दिलाती ,
"चाट साले ,चाट मादरचोद ,अरे अपने सामने तुझे उस भोंसडे में घुसाउंगी जिससे तू निकला है ,
माँ का यार चाट अपनी बहन की चूंची। "
जब तक चाट चाट के उन्होंने पूरे जोबन को साफ़ नहीं किया ,गीता ने नहीं छोड़ा।
"जबरदस्त असर होगा इसका देखना तुम क्या मस्त ताकत मिलेगी , तेरा झंडा हरदम खड़ा रहेगा ,कभी थकान नहीं लगेगी , और दो चार औरतो को तू बिना सांस लिए निपटा देगा। "
……………………
जब वो वापस निकले , तो छह बज गए थे।
एकदम थके,पस्त।
रात में चार बार ,दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ ,निचोड़ के रख दिया था दोनों ने। लेकिन मजा भी बहुत आया।
मंजू बाई तो कहीं काम पे चली गयी थी ,जब वो निकले उस के पहले।
गीता ने चाय पिला दी थी चलने के पहले इसलिए थोड़ी थकन कम हो गयी ,ताकत वापस आ गयी।
गीता की दूध से भरी छातियों को खींच खींच के दूध छलकाने का मजा ही और था।
ऊपर से मंजू बाई उन्हें और उकसा रही थी।
" अरे जरा अपनी बहन का दूध दुह के दिखाओ न , बहनचोद।
अरे अभी तो साल भर ये दूध देगी ही और जब बिसुक गयी न , तो तुझी से गाभिन कराउंगी इसे ,और नौ महीने बाद फिर से दूध। "
मंजू बाई ने समझाया।
वो गीता की चूँचियों से निकला दूध गीता की ही चूंचियों में पोत रहे थे ,लपेट रहे थे।
थोड़ी देर में ही गीता की गोरी गुलाबी चूंचियां ,एकदम दूधिया।
गीता नीचे से चूतड़ उछाल के जबरदस्त धक्के लगाते उन्हें आँख मार के मंजू बाई से बोली ,
"सही है माँ ,और उस बीच इन की वो बहिनिया ,
वो दूध देने लगेगी न ,बस आते ही देखना महीने भर के अंदर उसे गाभिन करा दूँगीं, उसे तो तब पता चलेगा जब उस का पेट फूल जाएगा। बस भैया मेरा वायदा दस महीने के अंदर सोहर होगा। "
लेकिन मंजू बाई किचेन में चली गयी थी ,जब लौटी तो उसके हाथ में एक बड़ी सी पुरानी सी शीशी , शहद से भरी।
मंजू बाई ने उसमें से शहद निकाल के अपनी उँगलियों से खुद गीता की दूध से डूबी चूँचियों पर पोतना शुरू कर दिया और साथ में उन्हें समझा भी रही थीं ,
" ये कोई ऐसा वैसा शहद नहीं है , ख़ास आम के बौर का, पुराना ,जबरदस्त असर होता है इसका। "
कुछ देर में ही आधी बोतल खाली हो गयी थी ,सारी की सारी गीता के जुबना पे ,
चुदाई अपने चरम वेग पर पहुँच गयी थी।
सुबह हुआ चाहती थी ,
गीता जोर जोर से झड़ रही थी , सावन भादो में कांपते पत्तो की तरह उसकी देह काँप रही थी ,
और वो बस , लेकिन मंजू बाई ने अपने हाथ से पकड़ के उनके शिष्न को बाहर कर दिया और सीधे गीता की दोनों चूँचियों पर ,
ढेर सारी थक्केदार मलाई सीधे गीता की चूँचियों पे ,
और अब गीता ने लन्ड पकड़ कर दबाना भींचना शुरू कर दिया ,एक बार फिर से मलाई की पिचकारी दोनों जोबन पर ,
गाढ़े सफ़ेद थक्कों से उसकी छातियाँ भर गयी , बस कहीं कहीं शहद
और बचा खुचा गीता के चेहरे पर ,अच्छा खासा फेसियल हो गया।
कुछ वो समझ रहे थे बाकी गीता के हाथों ने उन्हें समझा दिया ,
उनका मुंह सीधे गीता के उभारों पे ,
गीता का दूध ,आम केबौर का शहद और उनकी मलाई
और साथ गीता की पहले दो ,फिर तीन उँगलियाँ उनकी गांड के अंदर जोर जोर से उनकी गांड मारती , जोश दिलाती ,
"चाट साले ,चाट मादरचोद ,अरे अपने सामने तुझे उस भोंसडे में घुसाउंगी जिससे तू निकला है ,
माँ का यार चाट अपनी बहन की चूंची। "
जब तक चाट चाट के उन्होंने पूरे जोबन को साफ़ नहीं किया ,गीता ने नहीं छोड़ा।
"जबरदस्त असर होगा इसका देखना तुम क्या मस्त ताकत मिलेगी , तेरा झंडा हरदम खड़ा रहेगा ,कभी थकान नहीं लगेगी , और दो चार औरतो को तू बिना सांस लिए निपटा देगा। "
……………………
जब वो वापस निकले , तो छह बज गए थे।
एकदम थके,पस्त।
रात में चार बार ,दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ ,निचोड़ के रख दिया था दोनों ने। लेकिन मजा भी बहुत आया।
मंजू बाई तो कहीं काम पे चली गयी थी ,जब वो निकले उस के पहले।
गीता ने चाय पिला दी थी चलने के पहले इसलिए थोड़ी थकन कम हो गयी ,ताकत वापस आ गयी।