06-11-2019, 08:11 PM
(This post was last modified: 29-01-2021, 01:27 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मस्ती ... थ्री सम इश्टाइल
चार बार , दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ सिगनल डाउन हुआ। .
एक से एक किंक , एक से एक गर्हित हरकतें , न कहने लायक ,न सुनने लायक ,न लिखने लायक ,न पढने लायक।
उन दोनों छिनारों ने क्या क्या किया , क्या क्या उनसे करवाया , सोच के भी बाहर
और बहुत चीजें उन्होंने सीखीं भी ,मंजू बाई ने उन्हें किसी लड़की के थन से दूध दूहना सिखाया ,
पहिलौटी बियाई के दूध का क्या जादुई असर होता है ये भी समझाया।
गीता तो जैसे गुड्डी के पीछे हाथ धो कर पड़ गयी थी।
उनके कुछ सोये ,कुछ थके कुछ मुरझाये हथियार पे , सीधे अपने थन से दूध की धार डालते हुए , उस ढूध को लन्ड पे मसलते रगड़ते बोली ,
" आएगी न वो छिनार , तेरी बहना ,जिस ने मेरे सीधे साधे भैय्या को इतना तड़पाया ,
पहली चुदाई में ही भैया से गाभिन करना , सारी मलाई सीधे उसकी बच्चेदानी में , बस नौ महीने में जब बियाएगी न तो बस ,
फिर तो दूध की कोई कमी नहीं ,
और जब तक वो नहीं बियाएगी न मैं हूँ न भैया , अब मैं अपनी ससुराल नहीं जाने वाली , तेरा ख्याल रखूंगी। "
" और एक बात बताऊँ , पहलौठी का दूध और कुँवारी अनचुदी बुर के फटने का ,... एकदम जादू होता है "
मंजू बाई अपने जादू के पिटारे का ज्ञान बांटती बोली।
" अरे ये तो बहुत बढ़िया है माँ , पंद्रह बीस दिन की तो बात है , "
गीता अपनी मुट्ठी में दूध ले के उनके अब जागे फुंफकारते लन्ड पे रगड़ते बोली ,
" जब तू जाओगे न उस के साथ सुहागरात मनाने , बस अपने हाथ से तैयार करुँगी मैं तुझे और जाने के पहले बजाय तेल के यही लगा के भेजूंगी ,पेल देना एक बार में। जब झिल्ली फटेगी तो सारे मुहल्ले में चीख सुनाई पड़नी चाहिए उसकी। बस ,हो जायेगा न पहलौठी का दूध और कुँवारी की झिल्ली फटने का ,.. क्यों माँ। "
मंजू बाई की ओर देख कर वो बोली।
" एकदम तेरी पिलानिंग एकदम सही है , "
मंजू बाई ने मुस्करा के कहा और उसका असर भी समझाया ,
" उसके बाद तो मुन्ना तेरा एकदम लोहे का खम्भा हो जाएगा। और लोहे का तो खैर अभी गीता जो कर रही है उसी से , सांडे के तेल से १२ गुना ज्यादा असर होता है पहलौठी के दूध का। लेकिन उस के बाद न सिर्फ खूब कड़ा रहेगा ,लेकिन जहदेगा भी तभी जब तुम चाहोगे। हाँ उसका असर उस छिनार गुड्डी पर भी होगा , रोज भिनसारे से उसकी चूत कुलबुलाने लगेगी। बिना लन्ड घोंटे नींद नहीं आयगी छिनार को। "
" अरे माँ ,उस की चिंता काहें करती हो ,मैं हूँ न साली को पूरा रंडी बना दूंगी। जो अबतक नहीं सीखी ,वो सब सीखा दूंगी ,खुद ही लौंडे फांसने लगेगी ,लेकिन उसके पहले मेरे भैय्या से गाभिन होना पडेगा। "
गीता हँसते हुए बोली।
इन सब का असर ये हुआ की उनका लन्ड एक बार फिर से जंगबहादुर हो गया चूत के लिए बेताब ,
क्या क्या नहीं हुआ उस रात , बल्कि सुबह होने वाली थी
गीता को हचक के चोदने के बाद
आंगन में मस्त पुरवाई चल रही थी ,भोर की लालिमा में सब कुछ दिख रहा था।
तेज हवा दरवाजे पर बार बार ,
लग रहा था की कोई दरवाजा खटका रहा है ,
गीता का चम्पई रंग , गले में मंगलसूत्र , आँखों में भरा भरा काजर ,और मांग में दमकता सिन्दूर ,
गीता चुदाई में पूरा साथ दे रही थी ,चूतड़ उचका उचका के ,
उनके सीने पे रसीले जोबन रगड़ कर ,रसीली गालियां उनके मायकेवालों को दे कर ,
ब्याहता औरतों को चोदने का यही मजा है , उनकी झिझक ,संकोच कब की खत्म हो चुकी होती है ,
और लन्ड के लिए ललक भी तगड़ी होती है।
जितना मजा उन्हें गीता को चोदने में आ रहा था उससे ज्यादा उसके दूध से छलकते थनों को दबाने ,रगडने मलसने में,
गीता की दूध से भरी छातियों को खींच खींच के दूध छलकाने का मजा ही और था।
चार बार , दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ सिगनल डाउन हुआ। .
एक से एक किंक , एक से एक गर्हित हरकतें , न कहने लायक ,न सुनने लायक ,न लिखने लायक ,न पढने लायक।
उन दोनों छिनारों ने क्या क्या किया , क्या क्या उनसे करवाया , सोच के भी बाहर
और बहुत चीजें उन्होंने सीखीं भी ,मंजू बाई ने उन्हें किसी लड़की के थन से दूध दूहना सिखाया ,
पहिलौटी बियाई के दूध का क्या जादुई असर होता है ये भी समझाया।
गीता तो जैसे गुड्डी के पीछे हाथ धो कर पड़ गयी थी।
उनके कुछ सोये ,कुछ थके कुछ मुरझाये हथियार पे , सीधे अपने थन से दूध की धार डालते हुए , उस ढूध को लन्ड पे मसलते रगड़ते बोली ,
" आएगी न वो छिनार , तेरी बहना ,जिस ने मेरे सीधे साधे भैय्या को इतना तड़पाया ,
पहली चुदाई में ही भैया से गाभिन करना , सारी मलाई सीधे उसकी बच्चेदानी में , बस नौ महीने में जब बियाएगी न तो बस ,
फिर तो दूध की कोई कमी नहीं ,
और जब तक वो नहीं बियाएगी न मैं हूँ न भैया , अब मैं अपनी ससुराल नहीं जाने वाली , तेरा ख्याल रखूंगी। "
" और एक बात बताऊँ , पहलौठी का दूध और कुँवारी अनचुदी बुर के फटने का ,... एकदम जादू होता है "
मंजू बाई अपने जादू के पिटारे का ज्ञान बांटती बोली।
" अरे ये तो बहुत बढ़िया है माँ , पंद्रह बीस दिन की तो बात है , "
गीता अपनी मुट्ठी में दूध ले के उनके अब जागे फुंफकारते लन्ड पे रगड़ते बोली ,
" जब तू जाओगे न उस के साथ सुहागरात मनाने , बस अपने हाथ से तैयार करुँगी मैं तुझे और जाने के पहले बजाय तेल के यही लगा के भेजूंगी ,पेल देना एक बार में। जब झिल्ली फटेगी तो सारे मुहल्ले में चीख सुनाई पड़नी चाहिए उसकी। बस ,हो जायेगा न पहलौठी का दूध और कुँवारी की झिल्ली फटने का ,.. क्यों माँ। "
मंजू बाई की ओर देख कर वो बोली।
" एकदम तेरी पिलानिंग एकदम सही है , "
मंजू बाई ने मुस्करा के कहा और उसका असर भी समझाया ,
" उसके बाद तो मुन्ना तेरा एकदम लोहे का खम्भा हो जाएगा। और लोहे का तो खैर अभी गीता जो कर रही है उसी से , सांडे के तेल से १२ गुना ज्यादा असर होता है पहलौठी के दूध का। लेकिन उस के बाद न सिर्फ खूब कड़ा रहेगा ,लेकिन जहदेगा भी तभी जब तुम चाहोगे। हाँ उसका असर उस छिनार गुड्डी पर भी होगा , रोज भिनसारे से उसकी चूत कुलबुलाने लगेगी। बिना लन्ड घोंटे नींद नहीं आयगी छिनार को। "
" अरे माँ ,उस की चिंता काहें करती हो ,मैं हूँ न साली को पूरा रंडी बना दूंगी। जो अबतक नहीं सीखी ,वो सब सीखा दूंगी ,खुद ही लौंडे फांसने लगेगी ,लेकिन उसके पहले मेरे भैय्या से गाभिन होना पडेगा। "
गीता हँसते हुए बोली।
इन सब का असर ये हुआ की उनका लन्ड एक बार फिर से जंगबहादुर हो गया चूत के लिए बेताब ,
क्या क्या नहीं हुआ उस रात , बल्कि सुबह होने वाली थी
गीता को हचक के चोदने के बाद
आंगन में मस्त पुरवाई चल रही थी ,भोर की लालिमा में सब कुछ दिख रहा था।
तेज हवा दरवाजे पर बार बार ,
लग रहा था की कोई दरवाजा खटका रहा है ,
गीता का चम्पई रंग , गले में मंगलसूत्र , आँखों में भरा भरा काजर ,और मांग में दमकता सिन्दूर ,
गीता चुदाई में पूरा साथ दे रही थी ,चूतड़ उचका उचका के ,
उनके सीने पे रसीले जोबन रगड़ कर ,रसीली गालियां उनके मायकेवालों को दे कर ,
ब्याहता औरतों को चोदने का यही मजा है , उनकी झिझक ,संकोच कब की खत्म हो चुकी होती है ,
और लन्ड के लिए ललक भी तगड़ी होती है।
जितना मजा उन्हें गीता को चोदने में आ रहा था उससे ज्यादा उसके दूध से छलकते थनों को दबाने ,रगडने मलसने में,
गीता की दूध से भरी छातियों को खींच खींच के दूध छलकाने का मजा ही और था।