06-11-2019, 06:29 PM
(This post was last modified: 25-01-2021, 01:42 PM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मस्ती ,... आल नाईट
"ले मुन्ना खा ले , माँ के भोसड़े से निकली मलाई का स्वाद और होता है ,जीभ अंदर डाल के चाट , एक भी क़तरा बचा न तो माँ बहुत पीटेगी। "
और वो सपड़ सपड़ एकदम पक्के कम स्लट की तरह
और उधर गीता उनका गन्ना चूसने लगी ,
" अरे भैया तेरे गन्ने में जो लगा बचा है वो मैं चूस के साफ़ कर देती हूँ। "
गीता केहोंठ पल भर में गन्ने पर और मलाई चाटते चाटते उसने ,जोर जोर से चूसना भी शुरू कर दिया।
इनके होंठों से मंजू बाई की रसीली बुर चिपकी थी और मेरे रसीले गन्ने से ,गीता के होंठ
पांच सात मिनट ही गीता ने चूसा होगा पर जंगबहादुर को खड़ा करने के लिए काफी था।
पर तबतक मंजू बाई ने गीता को बुला लिया ,
' हे अपने भैया की दुलारी ,चल आज तुझे तेरे भैया की मलाई खिलाती हूँ। "
अब वो खेल से बाहर थे और गीता ,मंजू बाई की 69 वाली कुश्ती चालू।
मंजू बाई ऊपर
गीता नीचे
और एक बार फिर गीता के चेहरे की तरफ बैठे , उसे मंजू बाई की चाटते चूसते ये देख रहे थे।
लन्ड उनका गीता ने चूस के ही खड़ा कर दिया था और ये लेसबीयन रेसलिंग देख के और ,... ८-१० मिनट वो देखते रहे ,ललचाते रहे ,
मंजू बाई का रसीला भोंसड़ा , गीता के उसे चूसते चाटते होंठ
और उनका लन्ड और बौराया , भूखा , पगलाया ,खड़ा
एक बार फिर गीता ने इशारा किया ,
और गीता ने सही समझा की पता नहीं ये इशारा समझे न समझ तो सीधे उनका लन्ड पकड़ कर के मंजू बाई के भोसड़े से नहीं सिर्फ सटा दिया बल्कि पुश करके उनका तड़पता सुपाड़ा घुसा दिया ,
फिर क्या था उन्होंने जो मंजू बाई के मोटे मोटे चूतड़ पकड़ के जबरदस्त धक्के मारे बस दो चार धक्के में उनका पूरा लम्बा मोटा खूँटा ,मंजू बाई के भोंसडे ने घोंट लिया।
एक बार वो अभी कुछ देर पहले ही झड़े थे इसलिए इस बार तो ,...
और अबकी गीता भी तो थी खेल तमाशे में हिस्सा लेने को मौजूद थी।
कुछ देर जब वो मंजू बाई के भोंसडे परखच्चे उड़ा चुके होते तो ,
गीता अपने कोमल कोमल हाथों से उनके मोटे खूंटे को निकाल के गप्प से अपने मुंह में , और मंजू बाई की ओर इशारे से कहती ,
" तड़पने दो छिनार को "
कुछ देर चुम्मा चाटी ,चूसा चासी के बाद ,
फिर वो हचक हचक के मंजू बाई की भोंसडे की चुदाई में
और गीता भी कभी मंजू बाई के मोटे मोटे लेबिया को चूसती तो कभी हलके से उसकी तड़पती क्लीट को काट लेती।
इस दुहरे हमले का असर हुआ जल्द ही ,मंजू बाई झड़ने के कगार पर पहुँच गयी तो गीता ने न उसे धीमा होना दिया और खुद बल्कि कचकचा के मंजू बाई के क्लीट पर अपने दांत गड़ा दिए ,
बस थोड़े ही देर में मंजू बाई ,
ओह्ह उह्ह्ह आह आह ,... जोर जोर से झड़ना शुरू कर देती।
और उनके धक्को की रफ़्तार और तेज हो जाती।
दो तीन बार झड़ने के बाद जब मंजू बाई एकदम थेथर हो गयी तब भी उन दोनों ने नहीं छोड़ा ,
बार बार वो कहती एक मिनट बस एक मिनट और जवाब में वो
सुपाड़ा आलमोस्ट बाहर तक निकाल के उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूंचियां पकड़ के एक तूफानी धक्का सीधे उसके बच्चेदानी पे ,
साथ ही बहुत बेरहमी से उसके निपल नोच भी लेते।
,
मंजू बाई की चीखे पूरे आँगन में गूँज रही थीं।
३०-४० मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई और उस को तीन बार झाड़ने के बाद ही वो उसके खेले खाये भोंसडे में झड़े,झड़ते रहे।
मंजू बाई के भोंसडे में मलाई भर गयी और बाहर बहने लगी ,
नीचे गीता थी ही उसने सब चाट चुट के ,
भोर की लाली पूरब से दिखने लगी बादलों का घूंघट उठा के ,
रात की काली मिटने लगी ,पूरब में किसी ने आसमान के साँवले सलोने मुंह पे सिन्दूर मल दिया।
बारिश कब की बंद हो चुकी थी , छत और पेड़ से चूने वाली टप टप बूंदे ,अब एकदम धीमी हो गयी थीं।
लेकिन उन की काम क्रीड़ा पर कोई असर नहीं पड़ा ,
चार बार , दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ सिगनल डाउन हुआ। .
"ले मुन्ना खा ले , माँ के भोसड़े से निकली मलाई का स्वाद और होता है ,जीभ अंदर डाल के चाट , एक भी क़तरा बचा न तो माँ बहुत पीटेगी। "
और वो सपड़ सपड़ एकदम पक्के कम स्लट की तरह
और उधर गीता उनका गन्ना चूसने लगी ,
" अरे भैया तेरे गन्ने में जो लगा बचा है वो मैं चूस के साफ़ कर देती हूँ। "
गीता केहोंठ पल भर में गन्ने पर और मलाई चाटते चाटते उसने ,जोर जोर से चूसना भी शुरू कर दिया।
इनके होंठों से मंजू बाई की रसीली बुर चिपकी थी और मेरे रसीले गन्ने से ,गीता के होंठ
पांच सात मिनट ही गीता ने चूसा होगा पर जंगबहादुर को खड़ा करने के लिए काफी था।
पर तबतक मंजू बाई ने गीता को बुला लिया ,
' हे अपने भैया की दुलारी ,चल आज तुझे तेरे भैया की मलाई खिलाती हूँ। "
अब वो खेल से बाहर थे और गीता ,मंजू बाई की 69 वाली कुश्ती चालू।
मंजू बाई ऊपर
गीता नीचे
और एक बार फिर गीता के चेहरे की तरफ बैठे , उसे मंजू बाई की चाटते चूसते ये देख रहे थे।
लन्ड उनका गीता ने चूस के ही खड़ा कर दिया था और ये लेसबीयन रेसलिंग देख के और ,... ८-१० मिनट वो देखते रहे ,ललचाते रहे ,
मंजू बाई का रसीला भोंसड़ा , गीता के उसे चूसते चाटते होंठ
और उनका लन्ड और बौराया , भूखा , पगलाया ,खड़ा
एक बार फिर गीता ने इशारा किया ,
और गीता ने सही समझा की पता नहीं ये इशारा समझे न समझ तो सीधे उनका लन्ड पकड़ कर के मंजू बाई के भोसड़े से नहीं सिर्फ सटा दिया बल्कि पुश करके उनका तड़पता सुपाड़ा घुसा दिया ,
फिर क्या था उन्होंने जो मंजू बाई के मोटे मोटे चूतड़ पकड़ के जबरदस्त धक्के मारे बस दो चार धक्के में उनका पूरा लम्बा मोटा खूँटा ,मंजू बाई के भोंसडे ने घोंट लिया।
एक बार वो अभी कुछ देर पहले ही झड़े थे इसलिए इस बार तो ,...
और अबकी गीता भी तो थी खेल तमाशे में हिस्सा लेने को मौजूद थी।
कुछ देर जब वो मंजू बाई के भोंसडे परखच्चे उड़ा चुके होते तो ,
गीता अपने कोमल कोमल हाथों से उनके मोटे खूंटे को निकाल के गप्प से अपने मुंह में , और मंजू बाई की ओर इशारे से कहती ,
" तड़पने दो छिनार को "
कुछ देर चुम्मा चाटी ,चूसा चासी के बाद ,
फिर वो हचक हचक के मंजू बाई की भोंसडे की चुदाई में
और गीता भी कभी मंजू बाई के मोटे मोटे लेबिया को चूसती तो कभी हलके से उसकी तड़पती क्लीट को काट लेती।
इस दुहरे हमले का असर हुआ जल्द ही ,मंजू बाई झड़ने के कगार पर पहुँच गयी तो गीता ने न उसे धीमा होना दिया और खुद बल्कि कचकचा के मंजू बाई के क्लीट पर अपने दांत गड़ा दिए ,
बस थोड़े ही देर में मंजू बाई ,
ओह्ह उह्ह्ह आह आह ,... जोर जोर से झड़ना शुरू कर देती।
और उनके धक्को की रफ़्तार और तेज हो जाती।
दो तीन बार झड़ने के बाद जब मंजू बाई एकदम थेथर हो गयी तब भी उन दोनों ने नहीं छोड़ा ,
बार बार वो कहती एक मिनट बस एक मिनट और जवाब में वो
सुपाड़ा आलमोस्ट बाहर तक निकाल के उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूंचियां पकड़ के एक तूफानी धक्का सीधे उसके बच्चेदानी पे ,
साथ ही बहुत बेरहमी से उसके निपल नोच भी लेते।
,
मंजू बाई की चीखे पूरे आँगन में गूँज रही थीं।
३०-४० मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई और उस को तीन बार झाड़ने के बाद ही वो उसके खेले खाये भोंसडे में झड़े,झड़ते रहे।
मंजू बाई के भोंसडे में मलाई भर गयी और बाहर बहने लगी ,
नीचे गीता थी ही उसने सब चाट चुट के ,
भोर की लाली पूरब से दिखने लगी बादलों का घूंघट उठा के ,
रात की काली मिटने लगी ,पूरब में किसी ने आसमान के साँवले सलोने मुंह पे सिन्दूर मल दिया।
बारिश कब की बंद हो चुकी थी , छत और पेड़ से चूने वाली टप टप बूंदे ,अब एकदम धीमी हो गयी थीं।
लेकिन उन की काम क्रीड़ा पर कोई असर नहीं पड़ा ,
चार बार , दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ सिगनल डाउन हुआ। .