20-01-2019, 01:53 PM
(This post was last modified: 30-11-2023, 03:03 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शमशेर बहु की नंगी चूचि देख अपने होश खो बैठा था, बिना पलक झपकाए वो टकटकी लगा कर बहु की चूचि को घूरता जा रहा था। बहु इस बात से अन्जान मनिष से बातें करने लगी।
सरोज - मनिष् तुम भी यहाँ होते तो कितना अच्छा होता।। यहाँ सब लोग है ससुर जी, पड़ोस के शमशेर अंकल शाम को पापा भी आ जायेंगे केवल तुम नहीं हो।।
सरोज को बातों-बातों में ध्यान आया की उसकी चूचि बाहर निकल आयी है तो उसने तौलिए से ढ़क् लिया और फिर शमशेर की तरफ देखा। चालाक शमशेर पहले ही अपना मुह घुमा लिया था ताकि बहु को लगे की उसने नोटिस नहीं किया। कुछ देर तक बहु फ़ोन पे बात की और फिर दूबारा बाथरूम चलि गयी।। शमशेर बाथरूम के दरवाजे से अपना लंड सहलाते हुए मेरे पास आया।
शमशेर - देसाई जी देखा आपने? अपनी रंडी बहु की चूचियां?
मै - नहीं तो।। ये तुम क्या बोल रहे हो?
शमशेर - कसम से मैंने बहु की चूचि देखी वो भी पूरी नंगी।।
मै- तुम पागल हो गए हो ऐसा कैसे हो सकता है? बहु ऐसा क्यों करेगी?
शमशेर - अरे देसाई जी।। मेरा विश्वास कीजिये जब मैं उसे फ़ोन देने गया तब उसका टॉवल एक साइड से छूट गया था और मुझे उसके गोल-गोल बडी बड़ी चूचि के दर्शन हो गए।
कमाल के निप्पल हैं बहु के।। आआअह्ह्ह्हह।। (शमशेर अपना लंड मसलते हुए बहु की चूचियों को याद करता रहा)
बहु नहा कर बाथरूम से बाहर निकली और सीधा अपने कमरे में चलि गई, मैं और शमशेर बहुत बेसब्री से बहु का इंतज़ार कर रहे थे।
शमशेर - बहु।।।। हम कबसे तुम्हारा वेट कर रहे हैं केक भी रेडी है।।(शमशेर ने आँख मार कर मेरी तरफ शरारत किया)
शमशेर - देसाई जी।। देखिये तो मेरे मुट्ठ से केक कितना चमक रहा है।। बहु को जरूर पसंद आएगा। मेरी मानो तो आप भी अपना माल निकल दो इसपर।। साली रंडी को हम दोनों का मुट्ठ खा जायेगी।
मै - शट अप शमशेर।। मुझे ये सब नहीं करना।
शमशेर - नहीं करना।। तो क्या अपना माल बहु के बुर में गिराने का इरादा है? या फिर सीधा उसके मुह में?
मै मन ही मन मुस्कराता रहा।। शमशेर तुझे क्या मालूम मैंने तो अबतक २ बार बहु के मुह में अपना लंड का पानी छोड़ा है।
मै - चुप करो शमशेर बहु ने सुन लिया तो।। अपनी लिमिट में रहो।।
शमशेर - ओके ओके।। सॉरी तुम्हारी बहु बहुत ही सीधी-साधि और सादगी की मूरत है।
कौन सादगी की मूरत है अंकल??? बहु अचानक से कमरे में आयी।। उसने एक बहुत ही प्यारा सा रेड कलर का सलवार सूट पहन रखा था।।लकिन उसकी सलवार उसके मोटे मोटे जाँघो को नहीं छिपा पा रही थी और उसके यौवन को और निखार रही थी। बहु हमारे सामने चेयर पे क्रॉस लेग कर बैठ गई।
उसके पूरे शरीर में सिर्फ उसकी मोटी-मोटी जाँघ नज़र आ रही थी।। ओहः।। इतनी मोटी जांघ देख कर तो कोई ऋषि भी मुट्ठ मारने पे मजबूर हो जाए।
शमशेर - (घबराहट में।। ) तुम बहु।। मैं तुम्हारी ही बात कर रहा था।। तुम कितनी अच्छी लगती हो कितनी प्यारी सुशील और सादगी से भरपुर।। देखो तुमने आज कितना प्यारा सा सलवार भी पहना है बिलकुल कॉलेज की स्टूडेंट लग रही हो।।
सरोज - ओह अंकल।। मुझे नहीं अच्छा लगता अब कोई मुझे कॉलेज की लड़की समझता है। मैं तो बड़ी दीखना चाहती हू। मुझे अच्छा लगता है जब सोसाइटी के बच्चे मुझे भाभी-भाभी कह के बुलाते है।
शमशेर - अच्छा तो तुम्हे भाभी वर्ड सुनना अच्छा लगता है। फिर तो तुम साड़ी पहना करो एकदम मस्त भाभी दिखोगी। वैसे तुम सलवार सूट में कॉलेज के लड़की लगती हो लेकिन तुम टाइट सलवार में एकदम भाभी ही नज़र आती हो।। (शमशेर का चेहरा उसकी बड़े बड़े हिप्स और उसकी मोटी जांघो के तरफ था।।)
सरोज - मैं समझी नहीं अंकल
शमशेर - अरे बेटी।। वो क्या है न की तुम्हारा चेहरा बहुत मासूम है एक बच्ची की तरह लेकिन तुम्हारी जाँघें काफी भरी हैं बिलकुल एक भाभी की तरह।।
सरोज - ओह अंकल आप भी समझते हो की मैं मोटी हूं।।? मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई मुझे मोटा केहता है।
शमशेर - अरे मैंने कब कहा की तुम मोटी हो।। मैंने तो कहा की तुम भरी भरी हो।। ख़ास कर तुम्हारी जांघे।। बहुत हे अच्छी है।। मैंने तुम्हारी कॉलेज के फोटो देखि है।। उसमे तुम बहुत अच्छी लगती हो?
सरोज - कौन सी वाली फोटो अंकल?
शमशेर - अरे वही फोटो जिसमें तुम कॉलेज के सिढ़ियों पे ब्राउन कलर का सलवार सूट पहने बैठी हो।।में उससे रोज देखता हूण।
सरोज ने तुरंत अपनी फोटो एल्बम से निकाल कर शमशेर को दिखाई।।?
सरोज - क्या ये वाली फोटो? आपको बहुत पसंद है।।? आप इसे रोज देखते हैं?
शमशेर- हाँ बेटी।। तुम इन कपड़ों में बहुत अच्छी लगती हो मैं रोज रात को देखता हू।
सरोज - और देख के क्या करते हैं अंकल।।।।।।।।??
सरोज - बोलिये न।।।?? क्या करते हैं??
शमशेर - आ आ।। वो कुछ नहीं बस देखता हूं।। (शमशेर अचानक इस प्रश्न से घबरा गया था।)
सरोज - मनिष् तुम भी यहाँ होते तो कितना अच्छा होता।। यहाँ सब लोग है ससुर जी, पड़ोस के शमशेर अंकल शाम को पापा भी आ जायेंगे केवल तुम नहीं हो।।
सरोज को बातों-बातों में ध्यान आया की उसकी चूचि बाहर निकल आयी है तो उसने तौलिए से ढ़क् लिया और फिर शमशेर की तरफ देखा। चालाक शमशेर पहले ही अपना मुह घुमा लिया था ताकि बहु को लगे की उसने नोटिस नहीं किया। कुछ देर तक बहु फ़ोन पे बात की और फिर दूबारा बाथरूम चलि गयी।। शमशेर बाथरूम के दरवाजे से अपना लंड सहलाते हुए मेरे पास आया।
शमशेर - देसाई जी देखा आपने? अपनी रंडी बहु की चूचियां?
मै - नहीं तो।। ये तुम क्या बोल रहे हो?
शमशेर - कसम से मैंने बहु की चूचि देखी वो भी पूरी नंगी।।
मै- तुम पागल हो गए हो ऐसा कैसे हो सकता है? बहु ऐसा क्यों करेगी?
शमशेर - अरे देसाई जी।। मेरा विश्वास कीजिये जब मैं उसे फ़ोन देने गया तब उसका टॉवल एक साइड से छूट गया था और मुझे उसके गोल-गोल बडी बड़ी चूचि के दर्शन हो गए।
कमाल के निप्पल हैं बहु के।। आआअह्ह्ह्हह।। (शमशेर अपना लंड मसलते हुए बहु की चूचियों को याद करता रहा)
बहु नहा कर बाथरूम से बाहर निकली और सीधा अपने कमरे में चलि गई, मैं और शमशेर बहुत बेसब्री से बहु का इंतज़ार कर रहे थे।
शमशेर - बहु।।।। हम कबसे तुम्हारा वेट कर रहे हैं केक भी रेडी है।।(शमशेर ने आँख मार कर मेरी तरफ शरारत किया)
शमशेर - देसाई जी।। देखिये तो मेरे मुट्ठ से केक कितना चमक रहा है।। बहु को जरूर पसंद आएगा। मेरी मानो तो आप भी अपना माल निकल दो इसपर।। साली रंडी को हम दोनों का मुट्ठ खा जायेगी।
मै - शट अप शमशेर।। मुझे ये सब नहीं करना।
शमशेर - नहीं करना।। तो क्या अपना माल बहु के बुर में गिराने का इरादा है? या फिर सीधा उसके मुह में?
मै मन ही मन मुस्कराता रहा।। शमशेर तुझे क्या मालूम मैंने तो अबतक २ बार बहु के मुह में अपना लंड का पानी छोड़ा है।
मै - चुप करो शमशेर बहु ने सुन लिया तो।। अपनी लिमिट में रहो।।
शमशेर - ओके ओके।। सॉरी तुम्हारी बहु बहुत ही सीधी-साधि और सादगी की मूरत है।
कौन सादगी की मूरत है अंकल??? बहु अचानक से कमरे में आयी।। उसने एक बहुत ही प्यारा सा रेड कलर का सलवार सूट पहन रखा था।।लकिन उसकी सलवार उसके मोटे मोटे जाँघो को नहीं छिपा पा रही थी और उसके यौवन को और निखार रही थी। बहु हमारे सामने चेयर पे क्रॉस लेग कर बैठ गई।
उसके पूरे शरीर में सिर्फ उसकी मोटी-मोटी जाँघ नज़र आ रही थी।। ओहः।। इतनी मोटी जांघ देख कर तो कोई ऋषि भी मुट्ठ मारने पे मजबूर हो जाए।
शमशेर - (घबराहट में।। ) तुम बहु।। मैं तुम्हारी ही बात कर रहा था।। तुम कितनी अच्छी लगती हो कितनी प्यारी सुशील और सादगी से भरपुर।। देखो तुमने आज कितना प्यारा सा सलवार भी पहना है बिलकुल कॉलेज की स्टूडेंट लग रही हो।।
सरोज - ओह अंकल।। मुझे नहीं अच्छा लगता अब कोई मुझे कॉलेज की लड़की समझता है। मैं तो बड़ी दीखना चाहती हू। मुझे अच्छा लगता है जब सोसाइटी के बच्चे मुझे भाभी-भाभी कह के बुलाते है।
शमशेर - अच्छा तो तुम्हे भाभी वर्ड सुनना अच्छा लगता है। फिर तो तुम साड़ी पहना करो एकदम मस्त भाभी दिखोगी। वैसे तुम सलवार सूट में कॉलेज के लड़की लगती हो लेकिन तुम टाइट सलवार में एकदम भाभी ही नज़र आती हो।। (शमशेर का चेहरा उसकी बड़े बड़े हिप्स और उसकी मोटी जांघो के तरफ था।।)
सरोज - मैं समझी नहीं अंकल
शमशेर - अरे बेटी।। वो क्या है न की तुम्हारा चेहरा बहुत मासूम है एक बच्ची की तरह लेकिन तुम्हारी जाँघें काफी भरी हैं बिलकुल एक भाभी की तरह।।
सरोज - ओह अंकल आप भी समझते हो की मैं मोटी हूं।।? मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई मुझे मोटा केहता है।
शमशेर - अरे मैंने कब कहा की तुम मोटी हो।। मैंने तो कहा की तुम भरी भरी हो।। ख़ास कर तुम्हारी जांघे।। बहुत हे अच्छी है।। मैंने तुम्हारी कॉलेज के फोटो देखि है।। उसमे तुम बहुत अच्छी लगती हो?
सरोज - कौन सी वाली फोटो अंकल?
शमशेर - अरे वही फोटो जिसमें तुम कॉलेज के सिढ़ियों पे ब्राउन कलर का सलवार सूट पहने बैठी हो।।में उससे रोज देखता हूण।
सरोज ने तुरंत अपनी फोटो एल्बम से निकाल कर शमशेर को दिखाई।।?
सरोज - क्या ये वाली फोटो? आपको बहुत पसंद है।।? आप इसे रोज देखते हैं?
शमशेर- हाँ बेटी।। तुम इन कपड़ों में बहुत अच्छी लगती हो मैं रोज रात को देखता हू।
सरोज - और देख के क्या करते हैं अंकल।।।।।।।।??
सरोज - बोलिये न।।।?? क्या करते हैं??
शमशेर - आ आ।। वो कुछ नहीं बस देखता हूं।। (शमशेर अचानक इस प्रश्न से घबरा गया था।)