20-01-2019, 01:27 PM
सुबह देर तक मैं और बहु एक बिस्तर पे एक चादर के अंदर सोते रहे मुझे ख्याल ही नहीं आया की कब शमशेर हमारे कमरे में आया और मुझे आवाज़ लगाने लगा।
शमशेर- देसाई जी। देसाई जी।। बहु।। बहु।। दिन चढ़ गया है मॉर्निंग वाक पे नहीं जाना क्या।
मै घबरा कर उठ गया मुझे हैरत हुआ की ये शमशेर कबसे हमे उठा रहा है।। कमरे के हालत बहुत ख़राब थी। बहु के ब्रा और पेंटी बिस्तर के नीचे गिरी पड़ी थी और मैं भी पूरा नंगा था। मैं डर गया की शमशेर न जाने क्या सोच रहा होगा हमारे बारे में मैंने छुपके से चादर खीच के बहु के नंगी पीठ को ढक दिया और खुद भी लेता रहा।।
मै - शमशेर वो मेरे सर में दर्द है तो मैं वाक पे नहीं जाउँगा।। तुम चले जाओ।।
शमशेर - और बहु क्या बहु नहीं जाएगी।।?
मै - बहु देर रात तक मनीष से बात कर रही थी तो अभी शायद नहीं उठेगी तुम चलो मैं पूछता हूं।
शमशेर - ठीक है, (और शमशेर कमरे से बाहर चला गया)
सरोज - (उठ के बैठती हुई।।) बाबूजी।।। शमशर अंकल ने सब देख लिया??????? शीट।। मैं क्या मुह दिखाउंगी।।? ओहः।।
मै - (ओह इसका मतलब बहु जानबूझ कर सोने की एक्टिंग कर रही थी उसे पता था की वो बिस्तर से बाहर नहीं निकल सकती)।।। नहीं नहीं बहु उसे पता नहीं चला होगा की चादर के अंदर तुम नंगी हो।। तुम चिंता मत करो।
सरोज- सच में बाबूजी?
मै - हाँ
सरोज - बाबूजी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा ये सब क्या हो रहा है क्यों हो रहा है प्लीज बाबूजी आप रात को इतना बहक जाते हैं मैं आपको कण्ट्रोल नहीं कर पाती आखिर आपको हुआ क्या है क्यों मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर देना चाहते हैं?
मै - नहीं बहु।। ऐसा मत बोलो मैं तुम्हे कभी बदनाम नहीं होने दूंगा। मैं कल रात कुछ ज्यादा ही जिद्दी हो गया था मुझे माफ़ कर दो बहु।।
सरोज - ठीक है बाबूजी।। लेकिन मैं अपने आप को और प्रॉब्लम में नहीं दाल सकती। आप प्लीज शमशेर अंकल को अपने घर जाने के लिए कह दिजिये वो यहाँ क्यों रुके हुए हैं?
मै - बहु।। शमशेर तुम्हारी जिस्म के ख़ूबसूरती पाने के लिए रुका हुआ है मैं क्या बहाना करके उसे अपने घर भेजूं?
सरोज - आप मर्दो का क्या प्रॉब्लम है? क्या मिलता है आपको? क्या वो आपके....आपके... ओ....केले का पानी निकलने से सब ठीक हो जाता है?
मै- हाँ बहु हम मर्दो के लंड का पानी एक बार निकल जाए तो रिलैक्स महसूस होता है। एक बात कहूं बहु अगर तुम बुरा न मानो तो।।
सरोज - क्या बाबूजी?
मै - तुम चाहती हो न की शमशेर अपने घर चला जाए?
सरोज - हाँ
मै - तो फिर तुम उसे सटिस्फाइड क्यों नहीं कर देती?
सरोज - मैं समझी नहीं बाबू जी?
मै - मेरा मतलब।। तुम कुछ ऐसा करो की वो सटिसफाइ हो जाए, वो तुम्हे बहुत पसंद करता है तुमहारे बारे में सोच कर मुठ मारता है। और अगर तुम उसे हेल्प करोगी तो वो खुश हो कर अपने घर चला जाएगा।
सरोज - बाबूजी मैं ये नहीं कर सकती।। ये आप क्या कह रहे हैं?
मै - देखो बहु तुम अनजाने में कुछ ऐसा करो की वो मुठ मारने पे मजबूर हो जाए। और वो जब सटिसफाई हो जायेगा तो खुद ही चला जाएगा।
सरोज - लेकिन ये होगा कैसे? की मैं भी अन्जान रहूँ और शमशेर अंकल को मजा भी आ जाए? मैं कुछ सोचती हूँ।
मै - ठीक है बहु।।
बहु चादर के अंदर ही अपनी ब्रा पैंटी पहनी फिर नाइटी पहन कर वाशरूम चलि गई।। मैं भी फ्रेश होने चला गया।।। बाथरूम से लौट कर मैं कमरे में घूम रहा था शमशेर सोफ़े पे बैठा टीवी देख रहा था। मैं भी शमशेर के साथ सोफ़े पे बैठ गया। बहु कमरा साफ़ कर रही थी, वो हॉल में झाड़ू लगाने के बाद टीवी के पास बैठ कर कुछ फोटोज फ्रेम साफ़ करने लगी। बहु ने पीली साड़ी पहन रखा था और जब वो हमारे ठीक आगे झुक के सफाई कर रही थी तो उसकी मोटे मोटे कुल्हे उसकी साड़ी में लिपटे बहुत ही मादक लग रहे थे। उसकी कमर का भाग काफी खुला हुआ था और कमर से ले कर हिप तक उसकी शेप देख शमशेर की आँखें बाहर आ गई।
बहु जानबूझ कर अपने कुल्हे हिला रही थी जैसे किसीको आमंत्रित कर रही हो।।शमशेर की हालत ख़राब हो रही थी।। और वो बहु की गांड देख अपना लंड सहलाने लगा।
शमशेर - बहु क्या बात है आज तुम बहुत खुश लग रही हो।।। और बालों में गजरे भी लगाए हैं कोई ख़ास बात?
सरोज - (बहु बिना पीछे मुड़े ही जवाब दी।।। शायद वो जानती थी की शमशेर अपना लंड हिला रहा होगा और वो उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।। ) ख़ास बात तो है लेकिन न तो मेरे पतिदेव को याद है और न ही मेरे ससुर जी को।
मै- क्या ख़ास बात बहु।। ? मेरा न्यूज़ पेपर पे ध्यान गया क्या आज १४ जुलाई है? ओह मेरी बहु का जन्मदिन? (मैं सोफ़े से उठ खड़ा हुआ)
बहु भी खड़ी हो गई और बोली।।
सरोज - हाँ बाबूजी आप भूल गये।।
शमशेर- देसाई जी। देसाई जी।। बहु।। बहु।। दिन चढ़ गया है मॉर्निंग वाक पे नहीं जाना क्या।
मै घबरा कर उठ गया मुझे हैरत हुआ की ये शमशेर कबसे हमे उठा रहा है।। कमरे के हालत बहुत ख़राब थी। बहु के ब्रा और पेंटी बिस्तर के नीचे गिरी पड़ी थी और मैं भी पूरा नंगा था। मैं डर गया की शमशेर न जाने क्या सोच रहा होगा हमारे बारे में मैंने छुपके से चादर खीच के बहु के नंगी पीठ को ढक दिया और खुद भी लेता रहा।।
मै - शमशेर वो मेरे सर में दर्द है तो मैं वाक पे नहीं जाउँगा।। तुम चले जाओ।।
शमशेर - और बहु क्या बहु नहीं जाएगी।।?
मै - बहु देर रात तक मनीष से बात कर रही थी तो अभी शायद नहीं उठेगी तुम चलो मैं पूछता हूं।
शमशेर - ठीक है, (और शमशेर कमरे से बाहर चला गया)
सरोज - (उठ के बैठती हुई।।) बाबूजी।।। शमशर अंकल ने सब देख लिया??????? शीट।। मैं क्या मुह दिखाउंगी।।? ओहः।।
मै - (ओह इसका मतलब बहु जानबूझ कर सोने की एक्टिंग कर रही थी उसे पता था की वो बिस्तर से बाहर नहीं निकल सकती)।।। नहीं नहीं बहु उसे पता नहीं चला होगा की चादर के अंदर तुम नंगी हो।। तुम चिंता मत करो।
सरोज- सच में बाबूजी?
मै - हाँ
सरोज - बाबूजी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा ये सब क्या हो रहा है क्यों हो रहा है प्लीज बाबूजी आप रात को इतना बहक जाते हैं मैं आपको कण्ट्रोल नहीं कर पाती आखिर आपको हुआ क्या है क्यों मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर देना चाहते हैं?
मै - नहीं बहु।। ऐसा मत बोलो मैं तुम्हे कभी बदनाम नहीं होने दूंगा। मैं कल रात कुछ ज्यादा ही जिद्दी हो गया था मुझे माफ़ कर दो बहु।।
सरोज - ठीक है बाबूजी।। लेकिन मैं अपने आप को और प्रॉब्लम में नहीं दाल सकती। आप प्लीज शमशेर अंकल को अपने घर जाने के लिए कह दिजिये वो यहाँ क्यों रुके हुए हैं?
मै - बहु।। शमशेर तुम्हारी जिस्म के ख़ूबसूरती पाने के लिए रुका हुआ है मैं क्या बहाना करके उसे अपने घर भेजूं?
सरोज - आप मर्दो का क्या प्रॉब्लम है? क्या मिलता है आपको? क्या वो आपके....आपके... ओ....केले का पानी निकलने से सब ठीक हो जाता है?
मै- हाँ बहु हम मर्दो के लंड का पानी एक बार निकल जाए तो रिलैक्स महसूस होता है। एक बात कहूं बहु अगर तुम बुरा न मानो तो।।
सरोज - क्या बाबूजी?
मै - तुम चाहती हो न की शमशेर अपने घर चला जाए?
सरोज - हाँ
मै - तो फिर तुम उसे सटिस्फाइड क्यों नहीं कर देती?
सरोज - मैं समझी नहीं बाबू जी?
मै - मेरा मतलब।। तुम कुछ ऐसा करो की वो सटिसफाइ हो जाए, वो तुम्हे बहुत पसंद करता है तुमहारे बारे में सोच कर मुठ मारता है। और अगर तुम उसे हेल्प करोगी तो वो खुश हो कर अपने घर चला जाएगा।
सरोज - बाबूजी मैं ये नहीं कर सकती।। ये आप क्या कह रहे हैं?
मै - देखो बहु तुम अनजाने में कुछ ऐसा करो की वो मुठ मारने पे मजबूर हो जाए। और वो जब सटिसफाई हो जायेगा तो खुद ही चला जाएगा।
सरोज - लेकिन ये होगा कैसे? की मैं भी अन्जान रहूँ और शमशेर अंकल को मजा भी आ जाए? मैं कुछ सोचती हूँ।
मै - ठीक है बहु।।
बहु चादर के अंदर ही अपनी ब्रा पैंटी पहनी फिर नाइटी पहन कर वाशरूम चलि गई।। मैं भी फ्रेश होने चला गया।।। बाथरूम से लौट कर मैं कमरे में घूम रहा था शमशेर सोफ़े पे बैठा टीवी देख रहा था। मैं भी शमशेर के साथ सोफ़े पे बैठ गया। बहु कमरा साफ़ कर रही थी, वो हॉल में झाड़ू लगाने के बाद टीवी के पास बैठ कर कुछ फोटोज फ्रेम साफ़ करने लगी। बहु ने पीली साड़ी पहन रखा था और जब वो हमारे ठीक आगे झुक के सफाई कर रही थी तो उसकी मोटे मोटे कुल्हे उसकी साड़ी में लिपटे बहुत ही मादक लग रहे थे। उसकी कमर का भाग काफी खुला हुआ था और कमर से ले कर हिप तक उसकी शेप देख शमशेर की आँखें बाहर आ गई।
बहु जानबूझ कर अपने कुल्हे हिला रही थी जैसे किसीको आमंत्रित कर रही हो।।शमशेर की हालत ख़राब हो रही थी।। और वो बहु की गांड देख अपना लंड सहलाने लगा।
शमशेर - बहु क्या बात है आज तुम बहुत खुश लग रही हो।।। और बालों में गजरे भी लगाए हैं कोई ख़ास बात?
सरोज - (बहु बिना पीछे मुड़े ही जवाब दी।।। शायद वो जानती थी की शमशेर अपना लंड हिला रहा होगा और वो उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी।। ) ख़ास बात तो है लेकिन न तो मेरे पतिदेव को याद है और न ही मेरे ससुर जी को।
मै- क्या ख़ास बात बहु।। ? मेरा न्यूज़ पेपर पे ध्यान गया क्या आज १४ जुलाई है? ओह मेरी बहु का जन्मदिन? (मैं सोफ़े से उठ खड़ा हुआ)
बहु भी खड़ी हो गई और बोली।।
सरोज - हाँ बाबूजी आप भूल गये।।