05-11-2019, 11:48 AM
नम्रता को ना जाने देने और उसे वहां रखने के पीछे भी संजना का एक मकसद था…
वो इतनी मेहनती नौकरानी नही छोड़ना चाहती थी…
जब से वो आई थी, उसका घर हमेशा चमकता रहता था…
और साथ में जो वो उसकी मालिश वाला काम करती थी, उसकी वजह से तो उसे और भी ज़्यादा लगाव सा हो गया था नम्रता से…
एक अच्छा काम करने वाली नौकरानी जो अच्छी मालिश भी करती हो, कहाँ मिलती है आजकल…
अगर संजना किसी स्पा में जाकर बॉडी मसाज करवाए तो वो नम्रता की सैलेरी के बराबर की रकम होती थी…
हालाँकि संजना को पैसों की कोई कमी नही थी, पर घर में ही जब ऐसी सर्विस मिले तो बाहर क्यों जाना.
पर वो बेचारी ये नही जानती थी की उसका ये कदम उसकी जिंदगी पलट कर रख देगा.
संजना के पति अरुण को जब पता चला तो उसने भी कुछ नही कहा अपनी बीवी से…
घर के मामलों में वो वैसे भी कोई दखल नही देता था…
और वैसे भी, उसकी काफ़ी दिनों से नम्रता पर नज़र थी…
अब वो उनके घर के पीछे ही रहेगी तो शायद काम बन सकता है…
उसकी बीवी तो वैसे ही अक्सर NGO के काम से बाहर रहती थी…ऐसे में वो नम्रता पर चांस मार सकता था…
पर मुसीबत ये थी की उसका पति भी साथ था…
पता नही उसे ऐसा मौका मिल पाएगा या नही जब उसकी बीवी संजना और नम्रता का पति निमेश दोनो घर पर ना हो…
पहले भी उसने अपनी कई नौकरानियों की चूत बजाई थी…
पर नम्रता पर हाथ डालने की उसमें अभी तक हिम्मत नही हुई थी…
वो जानता था की उसकी बीवी की ख़ास है वो, ज़रा सी भी चूक का मतलब था, अपनी बीवी के सामने जॅलील होना, जो वो हरगिज़ नही चाहता था.
अरुण जब अगली सुबह उठकर अपने जॉगिंग शूज़ पहन रहा था तो उसने अपने बेडरूम की खिड़की से पीछे की तरफ झाँका… इस वक़्त सुबा के 5 बाज रहे थे… और उसकी किस्मत तो देखो, नम्रता उसे नहाती हुई दिख गयी…
और वो भी खुल्ले में..
उसे तो अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हुआ..
हालाँकि वो काफ़ी दूर थी, दीवार की आड़ में भी थी… और हल्का फूलका अंधेरा भी था… | पर फिर भी उसके नंगे जिस्म का एहसास उसे सॉफ हो रहा था…
ज़िम जाना तो वो एकदम भूल सा गया और वहीं छुपकर वो उसे नहाते हुए देखने लगा..
नम्रता को तो अभी तक यही पता था की कोठी में इस वक़्त सभी सो रहे होंगे..
और वैसे भी उसे इस तरहा खुल्ले में नहाने की आदत थी…
गाँव में तो वो एक साड़ी लपेट कर नहा लेती थी कुँवे पर…
लेकिन यहाँ कौन देखेगा, यही सोचकर वो नंगी ही नहा रही थी.
साबुन को जब उसने अपने काले कबूतरों पर रगड़ा तो खिड़की पर खड़े अरुण ने अपना लंड पकड़ लिया और जोरों से हिलाने लगा…
एक नौकरानी उसे इस कदर उत्तेजित कर सकती है, ये उसने सोचा भी नही था…
पर ये हो रहा था, शहर का जाना माना नेता, अपनी नौकरानी को नहाते देखकर अपना लंड मसल रहा था…
मसल क्या रहा था उसने तो अपने लंड को बाहर ही निकाल लिया…
और उसे देखकर मूठ मारने लगा…
ऐसी उम्र में आकर उसे ये सब शोभा नही देता था, वो चाहता तो किसी भी कॉल गर्ल के सामने पैसे फेंककर उसकी मार सकता था या उससे लंड चुसवा सकता था, अपनी खुद की बीवी संजना भी कम सैक्सी नही थी,पर अपनी नौकरानी को सिर्फ़ नहाते देखकर वो खुद अपना लंड रगड़ने पर मजबूर हो गया था, ये बहुत बड़ी बात थी.
उफफफफ्फ़….. क्या मोम्मे है साली कुतिया के…… एकदम कड़क माल है….”
और फिर नहा धोकर नम्रता बिना कपड़ों के, किसी हिरनी की तरह छलांगे मारती हुई अपने रूम में घुस गयी…
उसके हिलते चूतड़ देखकर अरुण की उत्तेजना चरम पर पहुँच गयी और उसने अपना माल वहीं झाड़ दिया.
इतने सालो बाद खुद मुठ मारकर झड़ा था अरुण…
अब किसी भी कीमत पर उसे नम्रता को भोगना था.
पर उससे पहले उसे नम्रता के पति का कुछ करना पड़ेगा…
वो साला हरामखोर बनकर पूरा दिन घर पर बैठेगा तो वो कुछ कर ही नही पाएगा.
उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, पर अभी के लिए उसे जिम के लिए निकलना ज़रूरी था, और वहां से उसे गोल्फ कोर्स जाना था, जहां एक जाने माने उद्योगपति ने एक बहुत बड़ी रकम पहुँचाने का वादा किया था आज..
बाद में उसे क्लब भी जाना था, जुए का चस्का था उसे भी.
वो तैयार होकर निकल गया.
निमेश की जब नींद खुली तो नम्रता काम पर जा चुकी थी…
उसे तो हमेशा से ही देर तक सोने की आदत थी…
टाइम देखा तो 12 बजने वाले थे…
बाहर आकर देखा तो नहाने के लिए कोई अलग जगह उसे दिखाई ही नही दी…
वैसे भी जब तक वो अपनी चॉल में रह रहा था, वहां भी वो खुल्ले में ही नहाता था…
इसलिए अपने कपड़े उतार कर, सिर्फ़ अपना कच्छा पहने हुए वो नहाने पहुँच गया.
उसी वक़्त संजना अपने बेडरूम में किसी काम से आई, पर जैसे ही खिड़की से बाहर उसकी नज़र पड़ी तो उसके होश उड़ गये…
पिछले हिस्से में निमेश बड़ी ही बेशर्मी से खड़ा होकर नहा रहा था…
वो तो शुक्र था की उस छोटी सी दीवार ने उसके ख़ास हिस्से को धक रखा था, वरना उसकी बेशर्मी पूरी उजागर हो जानी थी..
संजना को इस बात पर बहुत गुस्सा आया…
कैसे एक सभ्य समाज और घर में रहना है, इस बात का तरीका ही नही है उसमें ..
उसका तो मन किया की अभी के अभी नम्रता और उसके फूहड़ पति को निकाल बाहर करे…
पर फिर कुछ सोचकर उसने अपने गुस्से पर काबू किया और अलमारी से जो समान लेने आई थी, वो लेकर बाहर निकल गयी.
निमेश के लिए नम्रता अंदर से ही खाना बना कर ले आई थी, खाना खाने के बाद रोजाना की तरह उसने नम्रता के बटुए से पैसे निकाले और बाहर निकल गया…
नम्रता जानती थी की अब वो देर रात तक ही लौटेगा.. आएगा भी तो दारू पीने के बाद.
पर जाने से पहले उसने समझा दिया था की यहां रहना है तो अपने चाल चलन, शोर शराबे और गंदी आदतों पर काबू रखना पड़ेगा, वरना उसकी गंदी आदतों की वजह से उन्हे वहां से निकाला भी जा सकता है.
निमेश भी जानता था की ऐसे फ्री में रहने और खाने की जगह मिलना मुश्किल है, इसलिए वो उसकी बात मानकर बाहर निकल गया.
दोपहर को नम्रता सफाई में लगी रही और शाम को वो वापिस अपने फ्लैट में आई और नहा धोकर जैसे ही कपड़े निकाले, बाहर से अरुण की आवाज़ आई..
इस वक़्त उसने सिर्फ़ एक गीली साड़ी लपेट रखी थी अपने जिस्म पर..
अब यहाँ नम्रता के बारे में एक बात बता देना ज़रूरी है की उसे दुनिया की गंदी नज़रों का कोई आभास ही नही हो पता था
एकदम बोडम महिला थी..(भाभीजी घर पर हैं की अंगूरी भाभी के जैसी)
कोई जितना भी सामने से द्विअर्थी बातें करता रहे, उसके भोले दिमाग़ में उनका ग़लत मतलब आता ही नही था..
जब तक वो बातें खुल कर ना की जाएँ..
गाँव में रहने वाली नम्रता अभी तक शहर के चालू लोगो से अंजान थी.
वो इतनी मेहनती नौकरानी नही छोड़ना चाहती थी…
जब से वो आई थी, उसका घर हमेशा चमकता रहता था…
और साथ में जो वो उसकी मालिश वाला काम करती थी, उसकी वजह से तो उसे और भी ज़्यादा लगाव सा हो गया था नम्रता से…
एक अच्छा काम करने वाली नौकरानी जो अच्छी मालिश भी करती हो, कहाँ मिलती है आजकल…
अगर संजना किसी स्पा में जाकर बॉडी मसाज करवाए तो वो नम्रता की सैलेरी के बराबर की रकम होती थी…
हालाँकि संजना को पैसों की कोई कमी नही थी, पर घर में ही जब ऐसी सर्विस मिले तो बाहर क्यों जाना.
पर वो बेचारी ये नही जानती थी की उसका ये कदम उसकी जिंदगी पलट कर रख देगा.
संजना के पति अरुण को जब पता चला तो उसने भी कुछ नही कहा अपनी बीवी से…
घर के मामलों में वो वैसे भी कोई दखल नही देता था…
और वैसे भी, उसकी काफ़ी दिनों से नम्रता पर नज़र थी…
अब वो उनके घर के पीछे ही रहेगी तो शायद काम बन सकता है…
उसकी बीवी तो वैसे ही अक्सर NGO के काम से बाहर रहती थी…ऐसे में वो नम्रता पर चांस मार सकता था…
पर मुसीबत ये थी की उसका पति भी साथ था…
पता नही उसे ऐसा मौका मिल पाएगा या नही जब उसकी बीवी संजना और नम्रता का पति निमेश दोनो घर पर ना हो…
पहले भी उसने अपनी कई नौकरानियों की चूत बजाई थी…
पर नम्रता पर हाथ डालने की उसमें अभी तक हिम्मत नही हुई थी…
वो जानता था की उसकी बीवी की ख़ास है वो, ज़रा सी भी चूक का मतलब था, अपनी बीवी के सामने जॅलील होना, जो वो हरगिज़ नही चाहता था.
अरुण जब अगली सुबह उठकर अपने जॉगिंग शूज़ पहन रहा था तो उसने अपने बेडरूम की खिड़की से पीछे की तरफ झाँका… इस वक़्त सुबा के 5 बाज रहे थे… और उसकी किस्मत तो देखो, नम्रता उसे नहाती हुई दिख गयी…
और वो भी खुल्ले में..
उसे तो अपनी आँखो पर विश्वास ही नही हुआ..
हालाँकि वो काफ़ी दूर थी, दीवार की आड़ में भी थी… और हल्का फूलका अंधेरा भी था… | पर फिर भी उसके नंगे जिस्म का एहसास उसे सॉफ हो रहा था…
ज़िम जाना तो वो एकदम भूल सा गया और वहीं छुपकर वो उसे नहाते हुए देखने लगा..
नम्रता को तो अभी तक यही पता था की कोठी में इस वक़्त सभी सो रहे होंगे..
और वैसे भी उसे इस तरहा खुल्ले में नहाने की आदत थी…
गाँव में तो वो एक साड़ी लपेट कर नहा लेती थी कुँवे पर…
लेकिन यहाँ कौन देखेगा, यही सोचकर वो नंगी ही नहा रही थी.
साबुन को जब उसने अपने काले कबूतरों पर रगड़ा तो खिड़की पर खड़े अरुण ने अपना लंड पकड़ लिया और जोरों से हिलाने लगा…
एक नौकरानी उसे इस कदर उत्तेजित कर सकती है, ये उसने सोचा भी नही था…
पर ये हो रहा था, शहर का जाना माना नेता, अपनी नौकरानी को नहाते देखकर अपना लंड मसल रहा था…
मसल क्या रहा था उसने तो अपने लंड को बाहर ही निकाल लिया…
और उसे देखकर मूठ मारने लगा…
ऐसी उम्र में आकर उसे ये सब शोभा नही देता था, वो चाहता तो किसी भी कॉल गर्ल के सामने पैसे फेंककर उसकी मार सकता था या उससे लंड चुसवा सकता था, अपनी खुद की बीवी संजना भी कम सैक्सी नही थी,पर अपनी नौकरानी को सिर्फ़ नहाते देखकर वो खुद अपना लंड रगड़ने पर मजबूर हो गया था, ये बहुत बड़ी बात थी.
उफफफफ्फ़….. क्या मोम्मे है साली कुतिया के…… एकदम कड़क माल है….”
और फिर नहा धोकर नम्रता बिना कपड़ों के, किसी हिरनी की तरह छलांगे मारती हुई अपने रूम में घुस गयी…
उसके हिलते चूतड़ देखकर अरुण की उत्तेजना चरम पर पहुँच गयी और उसने अपना माल वहीं झाड़ दिया.
इतने सालो बाद खुद मुठ मारकर झड़ा था अरुण…
अब किसी भी कीमत पर उसे नम्रता को भोगना था.
पर उससे पहले उसे नम्रता के पति का कुछ करना पड़ेगा…
वो साला हरामखोर बनकर पूरा दिन घर पर बैठेगा तो वो कुछ कर ही नही पाएगा.
उसके दिमाग़ में एक आइडिया आ गया, पर अभी के लिए उसे जिम के लिए निकलना ज़रूरी था, और वहां से उसे गोल्फ कोर्स जाना था, जहां एक जाने माने उद्योगपति ने एक बहुत बड़ी रकम पहुँचाने का वादा किया था आज..
बाद में उसे क्लब भी जाना था, जुए का चस्का था उसे भी.
वो तैयार होकर निकल गया.
निमेश की जब नींद खुली तो नम्रता काम पर जा चुकी थी…
उसे तो हमेशा से ही देर तक सोने की आदत थी…
टाइम देखा तो 12 बजने वाले थे…
बाहर आकर देखा तो नहाने के लिए कोई अलग जगह उसे दिखाई ही नही दी…
वैसे भी जब तक वो अपनी चॉल में रह रहा था, वहां भी वो खुल्ले में ही नहाता था…
इसलिए अपने कपड़े उतार कर, सिर्फ़ अपना कच्छा पहने हुए वो नहाने पहुँच गया.
उसी वक़्त संजना अपने बेडरूम में किसी काम से आई, पर जैसे ही खिड़की से बाहर उसकी नज़र पड़ी तो उसके होश उड़ गये…
पिछले हिस्से में निमेश बड़ी ही बेशर्मी से खड़ा होकर नहा रहा था…
वो तो शुक्र था की उस छोटी सी दीवार ने उसके ख़ास हिस्से को धक रखा था, वरना उसकी बेशर्मी पूरी उजागर हो जानी थी..
संजना को इस बात पर बहुत गुस्सा आया…
कैसे एक सभ्य समाज और घर में रहना है, इस बात का तरीका ही नही है उसमें ..
उसका तो मन किया की अभी के अभी नम्रता और उसके फूहड़ पति को निकाल बाहर करे…
पर फिर कुछ सोचकर उसने अपने गुस्से पर काबू किया और अलमारी से जो समान लेने आई थी, वो लेकर बाहर निकल गयी.
निमेश के लिए नम्रता अंदर से ही खाना बना कर ले आई थी, खाना खाने के बाद रोजाना की तरह उसने नम्रता के बटुए से पैसे निकाले और बाहर निकल गया…
नम्रता जानती थी की अब वो देर रात तक ही लौटेगा.. आएगा भी तो दारू पीने के बाद.
पर जाने से पहले उसने समझा दिया था की यहां रहना है तो अपने चाल चलन, शोर शराबे और गंदी आदतों पर काबू रखना पड़ेगा, वरना उसकी गंदी आदतों की वजह से उन्हे वहां से निकाला भी जा सकता है.
निमेश भी जानता था की ऐसे फ्री में रहने और खाने की जगह मिलना मुश्किल है, इसलिए वो उसकी बात मानकर बाहर निकल गया.
दोपहर को नम्रता सफाई में लगी रही और शाम को वो वापिस अपने फ्लैट में आई और नहा धोकर जैसे ही कपड़े निकाले, बाहर से अरुण की आवाज़ आई..
इस वक़्त उसने सिर्फ़ एक गीली साड़ी लपेट रखी थी अपने जिस्म पर..
अब यहाँ नम्रता के बारे में एक बात बता देना ज़रूरी है की उसे दुनिया की गंदी नज़रों का कोई आभास ही नही हो पता था
एकदम बोडम महिला थी..(भाभीजी घर पर हैं की अंगूरी भाभी के जैसी)
कोई जितना भी सामने से द्विअर्थी बातें करता रहे, उसके भोले दिमाग़ में उनका ग़लत मतलब आता ही नही था..
जब तक वो बातें खुल कर ना की जाएँ..
गाँव में रहने वाली नम्रता अभी तक शहर के चालू लोगो से अंजान थी.