20-01-2019, 08:17 AM
जोरू का गुलाम पोस्ट ६
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
अब तक
"तो बोल , आज से क्या है तू " मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं , कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।
आगे
ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।
मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।
जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे , साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।
लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी , अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।
और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।
" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।
जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने , फिर शरमाते लजाते ,आँख झुका के बोले , ' बहुत अच्छा '.
एक चुम्मी तो बनती थी न ऐसे मौके पे , और मैंने लपक के ले ली और जोर से उन्हें भींच के बोला ,
'जोरू के गुलाम'
और एक बार फिर उन्होंने ब्लश किया।
कपडे पहनते हुए उन्होंने बिंदी हटाने की कोशिश की तो मैंने घुड़ककर कहा , उन्न्ह क्या करते हो , और फिर थोड़ी सॉफ्ट टोन में प्यार से , अच्छी तो लग रही है देखो न , और उनके सामने शीशा रख दिया।
क्या कोई नयी दुलहन शरमायेगी , जिस तरह वो शरमाये।
और मेरे मन के पखेरुओं को पंख लग गए ,कित्ता अच्छा लगेगा , इन कानों में झुमके , आँखों में काजल , हलका सा मस्कारा , होंठों पे पिंक लिपस्टिक बहुत फबती इन पे , बहुत ज़रा सा गालों पर फाउंडेशन ,उनका चेहरा वैसे भी खूब गोरा था , मुलायम , नमकीन जैसे मेरी सहेलियां कहती थीं 'लौंडिया छाप ' बिलकुल वैसे, ।
और फिर नाक में नथुनी , ज्यादा बड़ी नहीं छोटी सी , मेरे होंठवा पे नथुनिया कुलेल करेला टाइप्स।
वो अभी भी शीशे में अपना चंदा सा मुखड़ा निहार रहे थे।
मैं कुछ और छेड़ती की बाहर के कमरे से आवाज आई , " खाना " .
वेटर खाना ले आया था।
ये रूम स्यूट टाइप था , बाहरी कमर ड्राइंग -डाइनिंग रूम टाइप और अंदर बेडरूम।
' वहीँ रख दो , बाद में आके बर्तन ले जाना। " मैंने अंदर से बोला।
दरवाजा बंद होने की आवाज आई , वेटर चला गया था।
मैंने बहुत प्यार से उनके माथे पे लगी बड़ी सी लाल लाल बिंदी को चूमा और गोरे गोरे नमकीन गाल को सहलाते हुए कहा ,
' गुड बेबी , आज तुझे मॉम खाना खिलायेगी , अपने हाथ से। यू हैव बीन अ गुड बेबी , चलो आँखे बंद। " और मैंने अपने रसीले होंठों से उनकी आँखे सील कर दीं।
मैं उनका हाथ पकड़ कर दुसरे कमरे में ले आई।
इट वाज 'डिफरेंट'।
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
अब तक
"तो बोल , आज से क्या है तू " मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं , कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे , वह मुझे और मैं उन्हें।
आगे
ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।
मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।
जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे , साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।
लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी , अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।
और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।
" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।
जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने , फिर शरमाते लजाते ,आँख झुका के बोले , ' बहुत अच्छा '.
एक चुम्मी तो बनती थी न ऐसे मौके पे , और मैंने लपक के ले ली और जोर से उन्हें भींच के बोला ,
'जोरू के गुलाम'
और एक बार फिर उन्होंने ब्लश किया।
कपडे पहनते हुए उन्होंने बिंदी हटाने की कोशिश की तो मैंने घुड़ककर कहा , उन्न्ह क्या करते हो , और फिर थोड़ी सॉफ्ट टोन में प्यार से , अच्छी तो लग रही है देखो न , और उनके सामने शीशा रख दिया।
क्या कोई नयी दुलहन शरमायेगी , जिस तरह वो शरमाये।
और मेरे मन के पखेरुओं को पंख लग गए ,कित्ता अच्छा लगेगा , इन कानों में झुमके , आँखों में काजल , हलका सा मस्कारा , होंठों पे पिंक लिपस्टिक बहुत फबती इन पे , बहुत ज़रा सा गालों पर फाउंडेशन ,उनका चेहरा वैसे भी खूब गोरा था , मुलायम , नमकीन जैसे मेरी सहेलियां कहती थीं 'लौंडिया छाप ' बिलकुल वैसे, ।
और फिर नाक में नथुनी , ज्यादा बड़ी नहीं छोटी सी , मेरे होंठवा पे नथुनिया कुलेल करेला टाइप्स।
वो अभी भी शीशे में अपना चंदा सा मुखड़ा निहार रहे थे।
मैं कुछ और छेड़ती की बाहर के कमरे से आवाज आई , " खाना " .
वेटर खाना ले आया था।
ये रूम स्यूट टाइप था , बाहरी कमर ड्राइंग -डाइनिंग रूम टाइप और अंदर बेडरूम।
' वहीँ रख दो , बाद में आके बर्तन ले जाना। " मैंने अंदर से बोला।
दरवाजा बंद होने की आवाज आई , वेटर चला गया था।
मैंने बहुत प्यार से उनके माथे पे लगी बड़ी सी लाल लाल बिंदी को चूमा और गोरे गोरे नमकीन गाल को सहलाते हुए कहा ,
' गुड बेबी , आज तुझे मॉम खाना खिलायेगी , अपने हाथ से। यू हैव बीन अ गुड बेबी , चलो आँखे बंद। " और मैंने अपने रसीले होंठों से उनकी आँखे सील कर दीं।
मैं उनका हाथ पकड़ कर दुसरे कमरे में ले आई।
इट वाज 'डिफरेंट'।