04-11-2019, 08:12 AM
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सट गया , धंस गया , घुस गया ,
अंड़स गया रे ,
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उन्होंने अपनी साली की कमर पकड़कर जबरदस्त धक्का मारा और आधा सुपाड़ा अंदर घुस गया।
लीला को रीमा और रितू भाभी ने कस के पकड़ रखा था।
वो गाण्ड पटक रही थी, चीख रही थी, चिल्ला रही थी।
लेकिन ऐसे मौके पे चीख पुकार चिल्लाहट, रोना कौन सुनता है। अगर सुनने लगें तो ना किसी लड़की की गाण्ड मारी जाय, न उसकी चूत फटे।
और यहाँ भी कोई नहीं सुन रहा था।
दो तीन जोरदार धक्कों के बाद अब उनका सुपाड़ा अच्छी तरह गाण्ड में धंस गया था।
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रितू भाभी ने हँसते हुए रीमा को बोला-
“छोड़ दे, साल्ली छिनार को। अब लाख चूतड़ पटके, लण्ड गाण्ड से नहीं निकल सकता।
अब तो इसकी हचक-हचक कर गाण्ड मारी ही जानी है…”
और दोनों ने लीला को छोड़ दिया।
रीमा और रितू भाभी ने तो उसे छोड़ दिया ही था।
अब उनका हाथ भी अपनी कुँवारी, किशोर साली की पतली कमर छोड़कर, उसके कच्चे उरोजों की ओर बढ़ रहा था।
बात रितू भाभी की एकदम सही थी।
तीर से बिंधी हिरनी की तरह, वो छटपटा रही थी, कराह रही थी, सिसक रही थी, लेकिन अब तो तीर धंस गया था।
थोड़ी देर तक तो उन्होंने कच्ची अमियों को प्यार से सहलाया, पुचकारा और फिर कसके दबोच लिया, जैसे बहेलिया आसमान में मुक्त उड़ने वाले कबूतर को झपाट से पकड़ ले।
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जोर-जोर से कुछ देर उठती उभरती, उस क्लास नौ की साली की चूची का मजा लेने के बाद उन्होंने जोर से उन कबूतर के चोंचों को अंगूठे और तरजनी के बीच में दबा के मसल दिया। और फिर नाखून से स्क्रैच भी कर दिया।
लीला की छोटी-छोटी चूचियों में जो दर्द उठा और मजा भी, उससे पल भर के लिए वो गाण्ड में घुसे सुपाड़े को भूल गई।
वो तो थे पूरे खिलाड़ी, उन्होंने झुक कर साली के एक टिकोरे को मुँह में भर लिया और लगे खट-मिठ स्वाद का मजा लेने।
उभरते टिकोरों का मजा ही कुछ और है, लेकिन कुछ छेड़ते, चिढ़ाते उन्होंने दांत लगा लिया।
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और लीला जोर से चीख उठी।
यही तो वो चाहते थे।
कच्ची कलियों को चोदने का मजा ही क्या, जब तक कुछ चीख चिल्लाहट न हो कुछ आंसू न ढरकें।
रितू भाभी ने भी निगाहों से तारीफ की।
कुछ देर टिकोरों का मजा लेने के बाद, अब फिर एक बार उनके दोनों हाथ लीला के किशोर नितम्बों पे थे।
लेकिन टिकोरे अब उनकी सलहज के कब्जे में थे और वो छुटकी ननद का मजा ले रही थीं।
लेकिन ननदों के साथ और खास तौर पे ननदों की उभरती चूचियों के साथ वो ज्यादा ही निष्ठुर थीं।
उधर चूतड़ पकड़कर उनके नंदोई ने एकबार फिर लण्ड अंदर ठेलना शुरू किया और दूसरी ओर, उनकी प्यारी सलहज ने लीला के दोनों निपल, एक साथ ट्विस्ट करते हुए जोर से पिंच किये और हड़काया-
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“साल्ली, छिनार, गाण्ड ढीली कर…”
चूचियों में जो दर्द की लहर उठी तो बिचारी की गाण्ड अपने आप ढीली हो गई।
यही तो उसके नंदोई चाहते थे। दोनों चूतड़ पकड़कर उन्होंने वो जबरदस्त धक्का मारा की लीला की चीख पूरे घर में ही नहीं आस-पास के घरों में भी पहुंची होगी। जैसे किसी को बिना धार वाले चाकू से हलाल किया जा रहा हो।
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लेकिन उसकी चीख रोकने की कोशिश न उन्होंने की, न उनकी सलहज ने बल्की ताबड़तोड़, तीन चार धक्के और मार दिए।
अब उसे मोटे मूसल का ⅔ करीब 6” इंच अंदर पैबस्त था।
छुटकी बड़े ध्यान से अपनी समौरिया, अपने क्लास की सहेली की मारी जाती गाण्ड देख रही थी।
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लेकिन गाण्ड मराई तो अभी शुरू हुई थी।
उन्होंने हलके हलके, अपना लण्ड आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाला और, धक्का मारकर अंदर पुश करते गए और जहाँ तक पहली बार गया था, वहां तक पहुंचा के रुक गए। 10-12 बार इन्होंने यही किया तो लण्ड ने लीला की गाण्ड में अपना रास्ता बना लिया।
लण्ड दरेरता, रगड़ता, घिसटता, फाड़ता, फैलाता उस कच्ची कली की गाण्ड में घुस रहा था।
दर्द तो उसे अभी भी बहुत हो रहा था लेकिन अब बजाय चीखने के वो रुक-रुक के कराह रही थी।
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रितू भाभी ने अपनी ननद की चूची पकड़ी और इनके पीछे आके खड़ी हो गई और इन्हें उकसाने लगी-
“अरे नन्दोई जी, इत्ते हलके-हलके धक्कों से मेरी ननदों को मजा नहीं आता। नहीं मार पा रहे हो तो मैं तेरी गाण्ड मार के बताऊँ…”
और रितू भाभी का एक हाथ इनके नितम्बों को सहला रहा था और दूसरे से वो उनके निपल को स्क्रैच कर रही थीं।
असर तुरंत हुआ।
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अबकी उन्होंने लण्ड आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया, एक पल रुके और फिर पूरी कमर के जोर से क्या धक्का मारा की
आलमोस्ट 7” इंच अंदर था।
लीला फिर बड़े जोर से चीखी, लेकिन उसकी परवाह किये बिना हचक-हचक के वो धक्के मार रहे थे।
आखिर सलहज का हुकुम था।
अब गाण्ड मराई अपनी चरम सीमा पर थी। छोटे-छोटे टिकोरे वाली कच्ची कली, निहुरी हुई थी। चूतड़ हवा में उठे और टाँगें खूब फैली, और उसकी कच्ची गाण्ड में पहली बार इनका बीयर कैन ऐसा मोटा हथियार, सटासट जा रहा था।
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दोनों हाथों से वो उसकी गाण्ड खूब जोर से चियारे हुए थे।
लण्ड, गाण्ड फाड़ते हुए रगड़ते हुए घुस रहा था, निकल रहा था।
और लीला की भी खूब जोर से कभी चीख निकल जाती, तो कभी कराह, जब जोर से दरेरते, रगड़ते मोटा लण्ड उनका गाण्ड में अंदर-बाहर होता।
मैं भी उनके बगल में खड़ी, रितू भाभी से सटी कभी गाण्ड मराई का मजा देखती तो कभी उनकी मस्त गदराई सलहज की शरारतें।