04-11-2019, 08:07 AM
(This post was last modified: 04-11-2019, 10:03 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
सूखे लीलोगी या गीली
उनकी आँखें तो लीला के मस्त छोटे-छोटे चूतड़ों से और खट-मिठ कच्ची अमियां से चिपके थे।
रितू भाभी ने और आग में घी डाला।
इन्हें दिखाते ललचाते लीला की कच्ची कसी गाण्ड की दरार पर उन्होंने अपनी मंझली उंगली रगड़नी शुरू की।
और उंगली के टिप का प्रेशर बढ़ाया, लेकिन रितू भाभी की लाख कोशिश के बाद भी उंगली नहीं घुसी।
उन्होंने लाली को चिढ़ाया-
“क्यों ननद रानी सूखे लीलोगी या गीली?”
“नहीं भाभी उधर नहीं, प्लीज, आगे वाले में डलवा लूंगी, लेकिन पिछवाड़े नहीं…”
भाभी ने दूसरे हाथ से लीला की चूत जोर से मसली। सच में वो पनिया गई थी।
चूत से एक तार की चासनी की तरह निकल रहा था।
रितू भाभी ने जिस हाथ से लीला की गाण्ड पे उंगली रगड़ रही थी, उसी से जोर-जोर से दो हाथ उसके चूतड़ पे रसीद किये और बोलीं-
“साल्ली, भाईचोद, छिनार… चूत की चिंता मत कर। बहुत चींटे काट रहे हैं न तुझे, तेरे लिए तो साल भर होली रहेगी।
कल से देखना, अपने सारे देवर चढ़ाऊँगी तेरे ऊपर, एक निकालेगा, दूसरा जाएगा। तेरे भाइयों का तेरी बुर से हरदम सड़का बहता रहेगा। और ये पिछवाड़ा-पिछवाड़ा क्या बोल रही है, बोल साफ-साफ…”
और उन्होंने एक चांटा और पहले से भी तेज उसके गोरे-गोरे नितम्बों पे दिया।
“नहीं भौजी नहीं, गाण्ड में नहीं। बहुत कसी है नहीं जायेगी बहुत दर्द होगा, गाण्ड नहीं…”
लीला ने फिर चिरौरी की।
“अच्छा चल चाट चूट कर उंगली गीली कर वरना सीधी, सूखी ही पेल दूंगी…”
रितू भाभी ने थोड़ा कन्सेसन दिया।
रितू भाभी और रीमा में अच्छी सेटिंग हो गई थी।
रितू भाभी की उंगली, लाली के होंठ की ओर करने के पहले उसने जोर से लाली के जबड़े दबाये और उसने गौरेया के चोंच की तरह मुँह खोल दिया और गड़ाप से भाभी ने अंदर पेल दिया।
पूरी की पूरी अंदर थी जैसे कोई लण्ड मुँह में घुसा हो।
रीमा और रितू भाभी एक दूसरे को देखकर मुश्कुराई, और भाभी ने अबतक का सबसे जोरदार चांटा उसके चूतड़ पे मारा, और लीला को हड़काया-
“हरामी की जनी, चूत मरानो, गदहा चोदी, चूस कस-कसके छिनार। बस यही तेरे थूक की चिकनाहट मिलेगी तेरी गाण्ड को, खूब थूक लगाकर चूस…”
और अगले ही पल लेमन जूस टाफी की तरह लीला जोर-जोर से मुँह में घुसी उंगली चूस रही थी।
और उधर रितू भाभी, लाली के चूतड़ों पे बने ‘आर्ट वर्क’ को दिखा के अपने नंदोई को ललचा रही थीं।
गोरे-गोरे चूतड़ों पे लाल लाल फूल खिल आये थे, उसकी जांघों के ऊपरी भाग से शुरू होकर, एकदम गाण्ड के छेद तक।
और चूतड़ों के ये नए रंग देखकर इनकी हालत और खराब हो रही थी।
लीला अब थूक लगा-लगा के खूब मन से चूस रही थी।
और रितू भाभी ने एक झटके से उंगली खींच ली और सीधे गाण्ड के छेद पे।
दूसरे हाथ के अंगूठे और तरजनी से उन्होंने पूरी ताकत से अपनी छुटकी ननद की गाण्ड के छेद को चियार रखा था, और लीला के ही थूक से गीली मंझली उंगली की टिप, सीधे लीला की गाण्ड में।
लेकिन उसके बाद भी रितू भाभी ऐसी भाभी के लिए भी मुश्किल हो रही थी।
गाण्ड के छेद ने जोर से उंगली भींच ली थी।
लेकिन रितू भाभी तो रितू भाभी थीं। कितनी ननदों की नथ उन्होंने उतारी थी, आगे की भी और पीछे की भी।
उन्होंने पूरे जोर से पुश किया और गोल-गोल घुमाती रहीं।
कुछ देर में दो पोर अंदर था।
बस अब उन्होंने गोल-गोल घुमाना शुरू किया और एक बार फिर गाण्ड का छेद दिखा-दिखाकर ललचाना शुरू किया।
उन्होंने इशारा करके पूछा-
“साल्ली के गाण्ड के अंदर मक्खन मलाई भरी है क्या?”
अब मुझे समझ में आया की वो और रितू भाभी पीछे पड़-पड़ के क्यों लाली को इतना खिला रहे थे।
और रितू भाभी ने मुश्कुरा के अपने नंदोई को इशारे में हामी भरी और फिर कलाई का पूरा जोर लगा के अब पूरी की पूरी उंगली अंदर पेल दी।
लीला बड़ी जोर से चिहुंकी, लेकिन भाभी का एक जोरदार हाथ फिर उसके चूतड़ पर पड़ा।
जैसे कोई टेढ़ी उंगली से घी निकाले, बस उसी तरह उंगली को मोड़कर, वो लीला की गाण्ड की भीतरी दीवारों पे जैसे खरोंच रही थी।
और कुछ देर में जब उंगली निकाली तो सलहज का गेस एकदम सही था।
वास्तव में काफी था, और नन्दोई और सलहज एक दूसरे को देखकर मुश्कुराये।
लेकिन रीमा और रितू भाभी की जुगलबंदी, ननद और भौजाई की भी परफेक्ट थी।
रितू भाभी ने आँख से इशारा किया और, रीमा का एक हाथ सीधे लीला के नथुनो पे था,
जिसे उसने जोर से भींच लिया और लीला की सांस रुकने लगी।
साथ ही रीमा ने दूसरे हाथ से उसके जबड़ो को दबा के उसका मुँह खुलवा दिया।
जब तक वो कुछ समझे समझे, रितू भाभी की गाण्ड रस से लिपटी, मक्खन मलाई से लिथड़ी, चुपड़ी उंगली, लीला के मुँह में थी और वो लाख गों-गों करती रही, रितू भाभी ने उसे हलक तक ठेल के ही दम लिया। और अब रीमा ने दोनों हाथों से उसका मुँह बंद कर दिया था।
और रितू भाभी गरज रही थीं-
“चाट साल्ली, छिनार, भाई चोदी चाट, जल्दी चूस के साफ कर, जैसे अपने भाई का लण्ड चूसती है, चूत-मरानो।
उनकी आँखें तो लीला के मस्त छोटे-छोटे चूतड़ों से और खट-मिठ कच्ची अमियां से चिपके थे।
रितू भाभी ने और आग में घी डाला।
इन्हें दिखाते ललचाते लीला की कच्ची कसी गाण्ड की दरार पर उन्होंने अपनी मंझली उंगली रगड़नी शुरू की।
और उंगली के टिप का प्रेशर बढ़ाया, लेकिन रितू भाभी की लाख कोशिश के बाद भी उंगली नहीं घुसी।
उन्होंने लाली को चिढ़ाया-
“क्यों ननद रानी सूखे लीलोगी या गीली?”
“नहीं भाभी उधर नहीं, प्लीज, आगे वाले में डलवा लूंगी, लेकिन पिछवाड़े नहीं…”
भाभी ने दूसरे हाथ से लीला की चूत जोर से मसली। सच में वो पनिया गई थी।
चूत से एक तार की चासनी की तरह निकल रहा था।
रितू भाभी ने जिस हाथ से लीला की गाण्ड पे उंगली रगड़ रही थी, उसी से जोर-जोर से दो हाथ उसके चूतड़ पे रसीद किये और बोलीं-
“साल्ली, भाईचोद, छिनार… चूत की चिंता मत कर। बहुत चींटे काट रहे हैं न तुझे, तेरे लिए तो साल भर होली रहेगी।
कल से देखना, अपने सारे देवर चढ़ाऊँगी तेरे ऊपर, एक निकालेगा, दूसरा जाएगा। तेरे भाइयों का तेरी बुर से हरदम सड़का बहता रहेगा। और ये पिछवाड़ा-पिछवाड़ा क्या बोल रही है, बोल साफ-साफ…”
और उन्होंने एक चांटा और पहले से भी तेज उसके गोरे-गोरे नितम्बों पे दिया।
“नहीं भौजी नहीं, गाण्ड में नहीं। बहुत कसी है नहीं जायेगी बहुत दर्द होगा, गाण्ड नहीं…”
लीला ने फिर चिरौरी की।
“अच्छा चल चाट चूट कर उंगली गीली कर वरना सीधी, सूखी ही पेल दूंगी…”
रितू भाभी ने थोड़ा कन्सेसन दिया।
रितू भाभी और रीमा में अच्छी सेटिंग हो गई थी।
रितू भाभी की उंगली, लाली के होंठ की ओर करने के पहले उसने जोर से लाली के जबड़े दबाये और उसने गौरेया के चोंच की तरह मुँह खोल दिया और गड़ाप से भाभी ने अंदर पेल दिया।
पूरी की पूरी अंदर थी जैसे कोई लण्ड मुँह में घुसा हो।
रीमा और रितू भाभी एक दूसरे को देखकर मुश्कुराई, और भाभी ने अबतक का सबसे जोरदार चांटा उसके चूतड़ पे मारा, और लीला को हड़काया-
“हरामी की जनी, चूत मरानो, गदहा चोदी, चूस कस-कसके छिनार। बस यही तेरे थूक की चिकनाहट मिलेगी तेरी गाण्ड को, खूब थूक लगाकर चूस…”
और अगले ही पल लेमन जूस टाफी की तरह लीला जोर-जोर से मुँह में घुसी उंगली चूस रही थी।
और उधर रितू भाभी, लाली के चूतड़ों पे बने ‘आर्ट वर्क’ को दिखा के अपने नंदोई को ललचा रही थीं।
गोरे-गोरे चूतड़ों पे लाल लाल फूल खिल आये थे, उसकी जांघों के ऊपरी भाग से शुरू होकर, एकदम गाण्ड के छेद तक।
और चूतड़ों के ये नए रंग देखकर इनकी हालत और खराब हो रही थी।
लीला अब थूक लगा-लगा के खूब मन से चूस रही थी।
और रितू भाभी ने एक झटके से उंगली खींच ली और सीधे गाण्ड के छेद पे।
दूसरे हाथ के अंगूठे और तरजनी से उन्होंने पूरी ताकत से अपनी छुटकी ननद की गाण्ड के छेद को चियार रखा था, और लीला के ही थूक से गीली मंझली उंगली की टिप, सीधे लीला की गाण्ड में।
लेकिन उसके बाद भी रितू भाभी ऐसी भाभी के लिए भी मुश्किल हो रही थी।
गाण्ड के छेद ने जोर से उंगली भींच ली थी।
लेकिन रितू भाभी तो रितू भाभी थीं। कितनी ननदों की नथ उन्होंने उतारी थी, आगे की भी और पीछे की भी।
उन्होंने पूरे जोर से पुश किया और गोल-गोल घुमाती रहीं।
कुछ देर में दो पोर अंदर था।
बस अब उन्होंने गोल-गोल घुमाना शुरू किया और एक बार फिर गाण्ड का छेद दिखा-दिखाकर ललचाना शुरू किया।
उन्होंने इशारा करके पूछा-
“साल्ली के गाण्ड के अंदर मक्खन मलाई भरी है क्या?”
अब मुझे समझ में आया की वो और रितू भाभी पीछे पड़-पड़ के क्यों लाली को इतना खिला रहे थे।
और रितू भाभी ने मुश्कुरा के अपने नंदोई को इशारे में हामी भरी और फिर कलाई का पूरा जोर लगा के अब पूरी की पूरी उंगली अंदर पेल दी।
लीला बड़ी जोर से चिहुंकी, लेकिन भाभी का एक जोरदार हाथ फिर उसके चूतड़ पर पड़ा।
जैसे कोई टेढ़ी उंगली से घी निकाले, बस उसी तरह उंगली को मोड़कर, वो लीला की गाण्ड की भीतरी दीवारों पे जैसे खरोंच रही थी।
और कुछ देर में जब उंगली निकाली तो सलहज का गेस एकदम सही था।
वास्तव में काफी था, और नन्दोई और सलहज एक दूसरे को देखकर मुश्कुराये।
लेकिन रीमा और रितू भाभी की जुगलबंदी, ननद और भौजाई की भी परफेक्ट थी।
रितू भाभी ने आँख से इशारा किया और, रीमा का एक हाथ सीधे लीला के नथुनो पे था,
जिसे उसने जोर से भींच लिया और लीला की सांस रुकने लगी।
साथ ही रीमा ने दूसरे हाथ से उसके जबड़ो को दबा के उसका मुँह खुलवा दिया।
जब तक वो कुछ समझे समझे, रितू भाभी की गाण्ड रस से लिपटी, मक्खन मलाई से लिथड़ी, चुपड़ी उंगली, लीला के मुँह में थी और वो लाख गों-गों करती रही, रितू भाभी ने उसे हलक तक ठेल के ही दम लिया। और अब रीमा ने दोनों हाथों से उसका मुँह बंद कर दिया था।
और रितू भाभी गरज रही थीं-
“चाट साल्ली, छिनार, भाई चोदी चाट, जल्दी चूस के साफ कर, जैसे अपने भाई का लण्ड चूसती है, चूत-मरानो।