03-11-2019, 09:18 PM
सुबह मेरी आँख खुली तो शबनम सोयी हुयी थी । वो एकदम सीधी लेती हुयी थी उसके बड़े बड़े स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे । उसका कुर्ता ऊपर को उठ गया था , उसकी गहरी नाभि और थोड़ा बड़ा पेट साफ नुमाया हो रहा था । वो बहुत गोरी है , उसकी पटियाला सलवार से झांकती हुई गोरी पिंडलियों पर बालों का नामो निशान भी नहीं था । उसने अपना एक पैर सिकोडा और वो पैर ज्यादा समय ऊपर नहीं रहा ।
पैर के बगल को ढलकते ही उसकी योनि का उभार भी नुमाया हो गया । कटि प्रदेश उभरा हुआ , घने बाल जो उसकी सफेद सलवार के ऊपर तक अपनी उपस्थिति का एहसास अपने काले रंग से करवा रहे थे ।
उसने एक हाथ उठाया और अपनी योनि को खुजलाने लगी , वो नींद में ही थी । और उसने हाथ हटाया नहीं बल्कि योनि की लम्बाई में हाथ सलवार के ऊपर से ही फेरने लगी ।
बीचोंबीच एक ऊँगली से वो योनि की दरार में घिस रही थी । वो मेरे सामने ही सोते हुये हस्तमैथुन कर रही थी और मैं तखत पर लेता करवट लिये हुये अपने तने हुये विशाल लन्ड पर पूरी लम्बाई में उसकी लय से ताल मिला रहा था ।
उसकी सफेद सलवार पर योनि का गीला पन अब दिखने लगा था , वो अब एक हाथ से अपने कुर्ते के ऊपर अपने स्तनों को मसलने लगी । और उसकी योनि से बहुत सारा कामरस उसकी सलवार को भिगो रहा था ।
उसका बदन अब अकड़ने लगा था , वो अब स्खलन के नजदीक थी । उसका पूरा बदन कांपने लगा और निप्पल तन गये ।
उसकी सिसकियाँ निकल रही थी । उसको अब मेरे वहाँ होने सोने या जागने का कोई फर्क नहीं था ।
उसके नितंब अब हवा में थे और वो कंपन के साथ नीचे को आगयी । और दोनों पैरों को सिकोड़ कर आपस में सटा लिया ।
वो झड़ चुकी थी , और अब शायद वो उठने का सोच रही थी , मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली ।
सिर्फ ये एहसास किया वो उठी और बाहर चली गयी ।
जारी है ....
पैर के बगल को ढलकते ही उसकी योनि का उभार भी नुमाया हो गया । कटि प्रदेश उभरा हुआ , घने बाल जो उसकी सफेद सलवार के ऊपर तक अपनी उपस्थिति का एहसास अपने काले रंग से करवा रहे थे ।
उसने एक हाथ उठाया और अपनी योनि को खुजलाने लगी , वो नींद में ही थी । और उसने हाथ हटाया नहीं बल्कि योनि की लम्बाई में हाथ सलवार के ऊपर से ही फेरने लगी ।
बीचोंबीच एक ऊँगली से वो योनि की दरार में घिस रही थी । वो मेरे सामने ही सोते हुये हस्तमैथुन कर रही थी और मैं तखत पर लेता करवट लिये हुये अपने तने हुये विशाल लन्ड पर पूरी लम्बाई में उसकी लय से ताल मिला रहा था ।
उसकी सफेद सलवार पर योनि का गीला पन अब दिखने लगा था , वो अब एक हाथ से अपने कुर्ते के ऊपर अपने स्तनों को मसलने लगी । और उसकी योनि से बहुत सारा कामरस उसकी सलवार को भिगो रहा था ।
उसका बदन अब अकड़ने लगा था , वो अब स्खलन के नजदीक थी । उसका पूरा बदन कांपने लगा और निप्पल तन गये ।
उसकी सिसकियाँ निकल रही थी । उसको अब मेरे वहाँ होने सोने या जागने का कोई फर्क नहीं था ।
उसके नितंब अब हवा में थे और वो कंपन के साथ नीचे को आगयी । और दोनों पैरों को सिकोड़ कर आपस में सटा लिया ।
वो झड़ चुकी थी , और अब शायद वो उठने का सोच रही थी , मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली ।
सिर्फ ये एहसास किया वो उठी और बाहर चली गयी ।
जारी है ....