03-11-2019, 08:16 PM
चाय पीकर मैने शबनम से कहा , "शब्बो जी , मैं जब से आया हूँ यहॉ आस पास कोई दुकान नहीं देखी । क्या यहाँ पर कोई दुकान नहीं है ? "
"अरे है ना डाक्टर साहब । वो पगडंडी जो उस टीले की तरफ जा रही है उसके दूसरी तरफ वाले गाँव के रास्ते पर है एक दुकान । " उसने वो टीले की तरफ इशारा करते हुये कहा ।
"मैं आता हूँ जाकर । "कहा और मैं उस ओर चल पड़ा लगभग आधा किलोमीटर थी वह दुकान ....
दुकान क्या बस एक टप्पर डाला हुआ था , दोनों तरफ पर्दे लटक रहे थे । एक बुड्ढा बाहर निकला और बोला , "चाय पानी कर लो बाबू साहब , अगले गाँव तक कोई टपरी नहीं है। चार कोस पर है गाँव । "
"मूझे अगले गाँव नहीं जाना है , इसी गाँव में रहना है मूझे । " मैने जवाब दिया
"ओह तो आप ही नये डॉक्टर बाबू हैं । " कहते हुये अन्दर चला गया , मैं भी उसके पीछे पीछे गया ।
एक दुबली पतली सी सांवली औरत चाय बना रही थी , उसके स्तन उसकी चोली से बाहर उबल रहे थे , जैसे जैसे वो चाय की केतली को स्टोव पर हिला रही थी वैसे उसके स्तन भी मचल रहे थे ।
"बैठ जाओ बाबू , ऐसे मत देखो । " उसने देखा मूझे मुस्कुराते हुये देख कर कहा तो मैं झेंप गया ।
"जी एक सिगरेट मिलेगी । " मैने उसकी आँखो में देखते हुये कहा
उसने कहा कुछ नहीं पर एक डिब्बे में से एक सिगरेट निकाल कर अपनी हथेली पर रख कर मेरी ओर बढ़ाया । मैने सिगरेट उठायी और उसकी हथेली को भी सहलाया , तो उसने अपना हाथ पीछे कर लिया और धीरे से बोली , " संभल कर बाबू , ये शहर नहीं है। "
"मूझे गाँव और गाँव के लोग पसंद हैं । " मैने भी जवाब दिया
तभी बुड्ढा बाहर चाय देकर आया और उस औरत से बोला , " ओ री माया , डाक्टर बाबू हैं अपने गाँव के , जल्दी चाय बना इनके लिये । "
"अभी बनाती हूँ जी । " माया ने जवाब दिया
अब चौंकने की बारी मेरी थी , माया उस बुड्ढे की बीवी थी ।
बुड्ढा दूसरी तरफ चाय देने गया तो मैने माया से कहा , "ये तुम्हारा पति है। "
"हाँ , तो तुमको क्या लगा बाप है ! " उसने कहा और बड़ी बड़ी भूरी आँखो से मूझे देखने लगी
थोड़ी देर खामोशी छा गयी , मै सिगरेट पीते हुये चाय पीने लगा ।
(दोस्तो सिगरेट के साथ चाय पीने से गारंटी के साथ पेप्टिक अल्सर होता है । सावधान )
चाय खतम होते ही मैने पैसे दिये जो उसने बहुत जोर देने के बाद लिये ।
मैं जाने लगा तो वो इतना ही बोली , "आइएगा जरूर । "
मैं उसको इशारा करता हुआ बाहर निकला तो बुड्ढा बोला , " सुनिए डाक्टर साहब । "
"हाँ बोलो बाबा । "मैंने जानबूझकर उसको बाबा कहा
"जी .... वो ...... मु ...मुझे .... मर्दानगी वाली दवा चाहिए । "उसने झेंपते हुये कहा ।
"ठीक है ... हॉस्पिटल आकर ले जाना । " मैंने मुस्कुराते हुये कहा और पलट कर तेज कदमों से वापिस चल दिया ।
वापिस आया तब तक शबनम खाना बना चुकी थी । थोड़ी देर गाँव और आसपास की जानकारी लेते हुये बाते की और फिर खाना खा कर दोनों वहीं लेते हुये बाते करते करते सो गये ...
जारी है ......
"अरे है ना डाक्टर साहब । वो पगडंडी जो उस टीले की तरफ जा रही है उसके दूसरी तरफ वाले गाँव के रास्ते पर है एक दुकान । " उसने वो टीले की तरफ इशारा करते हुये कहा ।
"मैं आता हूँ जाकर । "कहा और मैं उस ओर चल पड़ा लगभग आधा किलोमीटर थी वह दुकान ....
दुकान क्या बस एक टप्पर डाला हुआ था , दोनों तरफ पर्दे लटक रहे थे । एक बुड्ढा बाहर निकला और बोला , "चाय पानी कर लो बाबू साहब , अगले गाँव तक कोई टपरी नहीं है। चार कोस पर है गाँव । "
"मूझे अगले गाँव नहीं जाना है , इसी गाँव में रहना है मूझे । " मैने जवाब दिया
"ओह तो आप ही नये डॉक्टर बाबू हैं । " कहते हुये अन्दर चला गया , मैं भी उसके पीछे पीछे गया ।
एक दुबली पतली सी सांवली औरत चाय बना रही थी , उसके स्तन उसकी चोली से बाहर उबल रहे थे , जैसे जैसे वो चाय की केतली को स्टोव पर हिला रही थी वैसे उसके स्तन भी मचल रहे थे ।
"बैठ जाओ बाबू , ऐसे मत देखो । " उसने देखा मूझे मुस्कुराते हुये देख कर कहा तो मैं झेंप गया ।
"जी एक सिगरेट मिलेगी । " मैने उसकी आँखो में देखते हुये कहा
उसने कहा कुछ नहीं पर एक डिब्बे में से एक सिगरेट निकाल कर अपनी हथेली पर रख कर मेरी ओर बढ़ाया । मैने सिगरेट उठायी और उसकी हथेली को भी सहलाया , तो उसने अपना हाथ पीछे कर लिया और धीरे से बोली , " संभल कर बाबू , ये शहर नहीं है। "
"मूझे गाँव और गाँव के लोग पसंद हैं । " मैने भी जवाब दिया
तभी बुड्ढा बाहर चाय देकर आया और उस औरत से बोला , " ओ री माया , डाक्टर बाबू हैं अपने गाँव के , जल्दी चाय बना इनके लिये । "
"अभी बनाती हूँ जी । " माया ने जवाब दिया
अब चौंकने की बारी मेरी थी , माया उस बुड्ढे की बीवी थी ।
बुड्ढा दूसरी तरफ चाय देने गया तो मैने माया से कहा , "ये तुम्हारा पति है। "
"हाँ , तो तुमको क्या लगा बाप है ! " उसने कहा और बड़ी बड़ी भूरी आँखो से मूझे देखने लगी
थोड़ी देर खामोशी छा गयी , मै सिगरेट पीते हुये चाय पीने लगा ।
(दोस्तो सिगरेट के साथ चाय पीने से गारंटी के साथ पेप्टिक अल्सर होता है । सावधान )
चाय खतम होते ही मैने पैसे दिये जो उसने बहुत जोर देने के बाद लिये ।
मैं जाने लगा तो वो इतना ही बोली , "आइएगा जरूर । "
मैं उसको इशारा करता हुआ बाहर निकला तो बुड्ढा बोला , " सुनिए डाक्टर साहब । "
"हाँ बोलो बाबा । "मैंने जानबूझकर उसको बाबा कहा
"जी .... वो ...... मु ...मुझे .... मर्दानगी वाली दवा चाहिए । "उसने झेंपते हुये कहा ।
"ठीक है ... हॉस्पिटल आकर ले जाना । " मैंने मुस्कुराते हुये कहा और पलट कर तेज कदमों से वापिस चल दिया ।
वापिस आया तब तक शबनम खाना बना चुकी थी । थोड़ी देर गाँव और आसपास की जानकारी लेते हुये बाते की और फिर खाना खा कर दोनों वहीं लेते हुये बाते करते करते सो गये ...
जारी है ......