03-11-2019, 07:58 AM
(This post was last modified: 03-11-2019, 08:20 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
एक प्रौढ़ा ,
एक किशोरी
दोनों ओर से उनपर प्रेशर बढ़ रहा था ,
आगे से एक खेली खायी गदरायी प्रौढा का और पीछे से जोबन के जोश में डूबी नयी बछेड़ी का।
उनका बौराया ,भूखा डंडा बस तड़प रहा था ,मन कर रहा था , कुछ न हो तो मंजू बाई ही मुठिया के एक बार झाड़ दे।
कब से तड़प रहे थे बिचारे वो , पर किस्मत ,...
मंजू बाई के मुठियाते हाथ ने उनके प्यासे चर्मदण्ड को छोड़के सीधे अपनी मुट्ठी में कस के उनके पेल्हड़ को ,बॉल्स को जकड़ लिया
और लगी दबाने।
पिछवाड़े गीता की दो उंगलिया पूरी ताकत से उनके गांड के अंदर बाहर , कभी गोल गोल
और आगे से मंजू बाई की मखमली मांसल मोटी मोटी जाँघों ने उनकी टांगो को इस तरह दबोच रखा था की वो हिल भी नहीं सकते थे ,
उनका खड़ा तन्नाया लन्ड सीधे मंजू बाई की बुर से रगड़ खा रहा था।
गीता का जो हाथ उनके सीने पे उनके निप्स को नोच खसोट रहा था ,रगड़ रहा था सरक के अब नीचे ,
गच्च से गीता ने उनके मोटे कड़े लन्ड को पकड़ लिया और जोर जोर से मंजू बाई के भोसड़े पर रगड़ाती , उन्हें चिढाया ,
" क्यों मादरचोद ,मजा आ रहा है न माँ के भोंसडे पर लन्ड रगडने में। "
और उसी के साथ गीता ने अपनी तीसरी ऊँगली भी गचाक से उनकी गांड में पेल दी।
उनकी चीख घुट के रह गयी ,मंजू बाई की जीभ अभी भी उनके मुंह में थी ,उनके होंठ मंजू बाई के होंठों ने दबोच रखे थे।
लेकिन उनके होंठों को आजाद करते मंजू बाई ने छेड़ा ,गीता से पूछा ,
" क्या हाल है इस गांडू बहनचोद की गांड का,... "
मंजू बाई की तीन उंगलियां उनके बॉल्स को हथेली के साथ दबा रही थीं ,प्रेस कर रही थीं लेकिन तर्जनी और मंझली , पिछवाड़े के गोल दरवाजे का चक्कर काट रही थी।
" अरी माँ ,इस मादरचोद की गांड नहीं है रसीली चूत है हमारी तरह। बस आगे की जगह पीछे है ,चल मिल के हम दोनों इसको तेरे भोंसडे से भी चौड़ा कर देंगे ,बहुत बचा के रखा था गुड्डी के भंडुए ने , डाल के देख ले न ,चिल्लाने दे माँ के खसम को। "
और मंजू बाई ने गांड के पास चक्कर काटती दोनों उँगलियाँ एक झटके में उनके गांड में उतार दी।
एक साथ पांच उंगलिया
जोर से चीखे वो , पर बारिश की आवाज में कौन सुनने वाला था।
मंजू बाई को मालुम था उन्हें चुप कराने का तरीका ,
एक बार फिर से उनके होंठ मंजू बाई के होंठों के बीच और तेजी से काट लिया उनके होंठों को मंजू बाई ने।
गांड बहुत तेज दुःख रही थी ,दोनों की पांच उँगलियाँ अंदर ,
लेकिन एक अलग मजा भी आ रहा था जैसे मंजू बाई की बुर पे रगड़ते सुपाड़े पे आ रहा था।
गीता ने जैसे उनकी मन की बात भांपते , मंजू बाई की बुर के दोनों होंठों को खूब जोर से फैला के उनका मोटा सुपाड़ा उसमें फंसा दिया ,
फिर जैसे एक साथ , पूरी ताकत से धक्का , आगे से भी पीछे से भी
और आधा लन्ड मंजू बाई की रसीली बुर ने घोंट लिया।
और उसी के साथ मंजू गीता की पांच उंगलिया घचाक घचाक उनकी गांड मारने लगी , पूरी ताकत से।
गीता ने अपनी उँगलियाँ मोड़ ली और उस के नकल गांड की दीवालों पर करोच रहीं थीं ,रगड़ रही थी पूरी ताकत से ,
तड़प रहे थे वो दर्द से मजे से
खबरदार जो झड़े तो , पीछे से गीता ने वार्न किया।
….
मंजू बाई के होंठों ने अब उनके होंठों को आजाद कर दिया और मंजू के होठ उन गालो को चूम रहे थे चाट रहे थे ,
बीच बीच में कचकचा के काट लेते ,मंजू बाई की लार उनके गालो को गीला कर रही थी , भिगो रही थी।
मंजू बाई की बुर ,नीचे जोर जोर से आधे से ज्यादा घुसे उनके लन्ड को सिकोड़ रही थी ,पूरी ताकत से निचोड़ रही थी।
उन्होंने एक दो बार कोशिश की पर मंजू ने जोर से बरज दिया।
वो जान चुके थे जब तक इन दोनों की मर्जी नहीं होगी ,कुछ भी नहीं हो सकता ,
मंजू बाई की बुर जिस तरह से उनके सुपाड़े को ,उसकी बुर में आधे घुसे लन्ड को , रुक रुक के भींच रही थी
एक जबरदस्त थ्रोबिंग फीलिंग हो रही थी , मस्ती के मारे उनकी आँखे बंद हो रही थी।
अचानक मंजू बाई के होंठ उनके गालों से सरक के सीधे उनके सीने पे ,पूरी ताकत से मंजू बाई ने उनके निप्स को कचकचा के काट लिया ,
वो जोर से चीखे , उईई आहहह ओहह उईईईईई ,
और उनकी गांड मथती गीता की तीन उँगलियाँ जो जम के करोच रही थीं ,रगड़ रही थी ,
मौके का फायदा उठा के सीधे उनके खुले मुंह में।
लिसड़ी लिपटी गीली ,उनके गांड के रस से
एकदम गले तक गीता ने उँगलियाँ ठेल दी थीं और जोर से बोली ,
" चाट साले मादरचोद , बचपन के माँ के यार पैदायशी मादरचोद ,तेरे सारे खानदान की बुर मारूँ , गांडू चाट ,चाट जोर जोर से। "
और उस के साथ मंजू बाई की तगड़ी जाँघों ने एक धक्का और मारा ,
आलमोस्ट पूरा , ६ इंच से ज्यादा लन्ड अब मंजू बाई की बुर में था।
उसी के साथ मंजू बाई ने दो और उंगलिया उनकी गांड में पेल दी ,
मंजू बाई की चार मोटी मोटी उँगलियाँ उनकी गांड में ,हचक हचक कर ,
और उसी सुर ताल में मंजू बाई की बुर ,जाँघे धक्का मारती ,उनके लन्ड पे आगे पीछे होती
हचक हचक कर चोद्ती
पानी तेज हो गया था। हवा झंझावात में बदल रही थी।
देर तक मंजू बाई के धक्के , गीता की शरारते , उसके जोबन का रस , आगे पीछे दोनों और से
लेकिन उस समय उन दोनों ने उन्हें झड़ने नहीं दिया।
एक किशोरी
दोनों ओर से उनपर प्रेशर बढ़ रहा था ,
आगे से एक खेली खायी गदरायी प्रौढा का और पीछे से जोबन के जोश में डूबी नयी बछेड़ी का।
उनका बौराया ,भूखा डंडा बस तड़प रहा था ,मन कर रहा था , कुछ न हो तो मंजू बाई ही मुठिया के एक बार झाड़ दे।
कब से तड़प रहे थे बिचारे वो , पर किस्मत ,...
मंजू बाई के मुठियाते हाथ ने उनके प्यासे चर्मदण्ड को छोड़के सीधे अपनी मुट्ठी में कस के उनके पेल्हड़ को ,बॉल्स को जकड़ लिया
और लगी दबाने।
पिछवाड़े गीता की दो उंगलिया पूरी ताकत से उनके गांड के अंदर बाहर , कभी गोल गोल
और आगे से मंजू बाई की मखमली मांसल मोटी मोटी जाँघों ने उनकी टांगो को इस तरह दबोच रखा था की वो हिल भी नहीं सकते थे ,
उनका खड़ा तन्नाया लन्ड सीधे मंजू बाई की बुर से रगड़ खा रहा था।
गीता का जो हाथ उनके सीने पे उनके निप्स को नोच खसोट रहा था ,रगड़ रहा था सरक के अब नीचे ,
गच्च से गीता ने उनके मोटे कड़े लन्ड को पकड़ लिया और जोर जोर से मंजू बाई के भोसड़े पर रगड़ाती , उन्हें चिढाया ,
" क्यों मादरचोद ,मजा आ रहा है न माँ के भोंसडे पर लन्ड रगडने में। "
और उसी के साथ गीता ने अपनी तीसरी ऊँगली भी गचाक से उनकी गांड में पेल दी।
उनकी चीख घुट के रह गयी ,मंजू बाई की जीभ अभी भी उनके मुंह में थी ,उनके होंठ मंजू बाई के होंठों ने दबोच रखे थे।
लेकिन उनके होंठों को आजाद करते मंजू बाई ने छेड़ा ,गीता से पूछा ,
" क्या हाल है इस गांडू बहनचोद की गांड का,... "
मंजू बाई की तीन उंगलियां उनके बॉल्स को हथेली के साथ दबा रही थीं ,प्रेस कर रही थीं लेकिन तर्जनी और मंझली , पिछवाड़े के गोल दरवाजे का चक्कर काट रही थी।
" अरी माँ ,इस मादरचोद की गांड नहीं है रसीली चूत है हमारी तरह। बस आगे की जगह पीछे है ,चल मिल के हम दोनों इसको तेरे भोंसडे से भी चौड़ा कर देंगे ,बहुत बचा के रखा था गुड्डी के भंडुए ने , डाल के देख ले न ,चिल्लाने दे माँ के खसम को। "
और मंजू बाई ने गांड के पास चक्कर काटती दोनों उँगलियाँ एक झटके में उनके गांड में उतार दी।
एक साथ पांच उंगलिया
जोर से चीखे वो , पर बारिश की आवाज में कौन सुनने वाला था।
मंजू बाई को मालुम था उन्हें चुप कराने का तरीका ,
एक बार फिर से उनके होंठ मंजू बाई के होंठों के बीच और तेजी से काट लिया उनके होंठों को मंजू बाई ने।
गांड बहुत तेज दुःख रही थी ,दोनों की पांच उँगलियाँ अंदर ,
लेकिन एक अलग मजा भी आ रहा था जैसे मंजू बाई की बुर पे रगड़ते सुपाड़े पे आ रहा था।
गीता ने जैसे उनकी मन की बात भांपते , मंजू बाई की बुर के दोनों होंठों को खूब जोर से फैला के उनका मोटा सुपाड़ा उसमें फंसा दिया ,
फिर जैसे एक साथ , पूरी ताकत से धक्का , आगे से भी पीछे से भी
और आधा लन्ड मंजू बाई की रसीली बुर ने घोंट लिया।
और उसी के साथ मंजू गीता की पांच उंगलिया घचाक घचाक उनकी गांड मारने लगी , पूरी ताकत से।
गीता ने अपनी उँगलियाँ मोड़ ली और उस के नकल गांड की दीवालों पर करोच रहीं थीं ,रगड़ रही थी पूरी ताकत से ,
तड़प रहे थे वो दर्द से मजे से
खबरदार जो झड़े तो , पीछे से गीता ने वार्न किया।
….
मंजू बाई के होंठों ने अब उनके होंठों को आजाद कर दिया और मंजू के होठ उन गालो को चूम रहे थे चाट रहे थे ,
बीच बीच में कचकचा के काट लेते ,मंजू बाई की लार उनके गालो को गीला कर रही थी , भिगो रही थी।
मंजू बाई की बुर ,नीचे जोर जोर से आधे से ज्यादा घुसे उनके लन्ड को सिकोड़ रही थी ,पूरी ताकत से निचोड़ रही थी।
उन्होंने एक दो बार कोशिश की पर मंजू ने जोर से बरज दिया।
वो जान चुके थे जब तक इन दोनों की मर्जी नहीं होगी ,कुछ भी नहीं हो सकता ,
मंजू बाई की बुर जिस तरह से उनके सुपाड़े को ,उसकी बुर में आधे घुसे लन्ड को , रुक रुक के भींच रही थी
एक जबरदस्त थ्रोबिंग फीलिंग हो रही थी , मस्ती के मारे उनकी आँखे बंद हो रही थी।
अचानक मंजू बाई के होंठ उनके गालों से सरक के सीधे उनके सीने पे ,पूरी ताकत से मंजू बाई ने उनके निप्स को कचकचा के काट लिया ,
वो जोर से चीखे , उईई आहहह ओहह उईईईईई ,
और उनकी गांड मथती गीता की तीन उँगलियाँ जो जम के करोच रही थीं ,रगड़ रही थी ,
मौके का फायदा उठा के सीधे उनके खुले मुंह में।
लिसड़ी लिपटी गीली ,उनके गांड के रस से
एकदम गले तक गीता ने उँगलियाँ ठेल दी थीं और जोर से बोली ,
" चाट साले मादरचोद , बचपन के माँ के यार पैदायशी मादरचोद ,तेरे सारे खानदान की बुर मारूँ , गांडू चाट ,चाट जोर जोर से। "
और उस के साथ मंजू बाई की तगड़ी जाँघों ने एक धक्का और मारा ,
आलमोस्ट पूरा , ६ इंच से ज्यादा लन्ड अब मंजू बाई की बुर में था।
उसी के साथ मंजू बाई ने दो और उंगलिया उनकी गांड में पेल दी ,
मंजू बाई की चार मोटी मोटी उँगलियाँ उनकी गांड में ,हचक हचक कर ,
और उसी सुर ताल में मंजू बाई की बुर ,जाँघे धक्का मारती ,उनके लन्ड पे आगे पीछे होती
हचक हचक कर चोद्ती
पानी तेज हो गया था। हवा झंझावात में बदल रही थी।
देर तक मंजू बाई के धक्के , गीता की शरारते , उसके जोबन का रस , आगे पीछे दोनों और से
लेकिन उस समय उन दोनों ने उन्हें झड़ने नहीं दिया।