19-01-2019, 10:32 PM
मेले में
![[Image: Teej-3fc5e582d1787d32810d89a4fe2444fb.jpg]](https://i.ibb.co/dcrxQXz/Teej-3fc5e582d1787d32810d89a4fe2444fb.jpg)
मेले में गीता के साथ पूरबी, कजरी और बाकी लड़कीयां फिर मिल गयीं।
चन्दा ने आँखों के इशारे से पूछा तो गीता ने उंगली से दो का इशारा किया। मैं समझ गयी कि रवी से ये दो बार चुदा के आ रही है।
पूरे मेले में खिलखिलाती तितलियों की तरह हम लोग उड़ते फिर रहे थे।
हम लोगों ने गोलगप्पे खाये, झूले पर झूले, हम लोगों का झुंड जिधर जाता, पूरे मेले का ध्यान उधर मुड़ जाता और फिर जैसे मिठाई के साथ-साथ मक्खियां आ जाती हैं, हमारे पीछे-पीछे, लड़कों की टोली भी पहुँच जाती।
और दुकानदार भी कम शरारती नहीं थे, कोई चूड़ी पहनाने के बहाने जोबन छू लेता तो कोई कलाई पकड़ लेता। और लड़कीयों को भी इसमें मजा मिल रहा था, क्योंकी इसी बहाने उन्हें खूब छूट जो मिल रही थी।
थोड़ी देर में मैं भी एक्सपर्ट हो गई। दुकानदार के सामने मैं ऐसे झुक जाती कि उसे न सिर्फ चोली के अंदर मेरे जोबन का नजारा मिल जाता बल्की वह मेरे चूचुक तक साफ-साफ देख लेता।
![[Image: cleavage-2123.jpg]](https://i.ibb.co/tKKWkXb/cleavage-2123.jpg)
उसका ध्यान जब उधर होता तो मेरी सहेलियां उसका कुछ सामान तो पार ही कर लेतीं, और मुझे जो वो छूट देता वो अलग।
हम ऐसे ही मस्ती में घूम रहे थे।
![[Image: saree-kajol-agarawal.jpg]](https://i.ibb.co/LY8CsNS/saree-kajol-agarawal.jpg)
पूरबी ने गाया-
अरे मैं तो बनिया यार फँसा लूंगी,
अरे जब वो बनिया चवन्नी मांगे,
अरे जब वो बनिया चवन्नी मांगे, मैं तो जोबना खोल दिखा दूंगी।
अरे मैं तो बनिया यार फँसा लूंगी, दूध जलेबी खा लूंगी
अरे जब वो बनिया रुपैया मांगे,
अरे जब वो बनिया रुपैया मांगे, मैं तो लहंगा खोल दिखा दूंगी।
गुदने वाली के पास भी हम लोग गये और मैंने भी अपनी ठुड्डी पे तिल गुदवाया।
तभी मैंने देखा कि बगल की दुकान पे दो बड़े खूबसूरत लड़के बैठें हैं, खूब गोरे, लंबे, ताकतवर, कसरती, गठे बदन के, उनकी बातों में मेरा नाम सुन के मेरा ध्यान ओर उनकी ओर लग गया।
“अरे तुमने देखा है, उस शहरी माल को, क्या मस्त चीज है…” एक ने कहा।
“अरे मैं, आज तो सारा मेला उसी को देख रहा है, उसकी लम्बी मोटी चूतड़ तक लटकती चोटी, जब चलती है तो कैसे मस्त, कड़े कड़े, मोटे कसमसाते चूतड़, मेरा तो मन करता है, कि उसके दोनों चूतड़ों को पकड़कर उसकी गाण्ड मार लूं… एक बार में अपना लण्ड उसकी गाण्ड में पेल दूं…” दूसरा बोला।
“अरे मुझे तो बस… क्या, गुलाबी गाल हैं उसके भरे-भरे, बस एक चुम्मा दे दे यार, मन तो करता है कि कचाक से उसके गाल काट लूं…” पहला बोला।
दूसरा बोला- “और चूची… ऐसी मस्त रसीली कड़ी-कड़ी चूचियां तो यार पहली बार देखीं, जब चोली के अंदर से इत्ती रसीली लगती हैं तो… बस एक बार चोदने को मिल जाय…”
शायद किसी और दिन मैं किसी को अपने बारे में ऐसी बातें बोलती सुनती तो बहुत गुस्सा लगता, पर आज ये सबसे बड़ी तारीफ लग रही थी… और ये सुनके मैं एकदम मस्त हो गयी।
![[Image: Teej-3fc5e582d1787d32810d89a4fe2444fb.jpg]](https://i.ibb.co/dcrxQXz/Teej-3fc5e582d1787d32810d89a4fe2444fb.jpg)
मेले में गीता के साथ पूरबी, कजरी और बाकी लड़कीयां फिर मिल गयीं।
चन्दा ने आँखों के इशारे से पूछा तो गीता ने उंगली से दो का इशारा किया। मैं समझ गयी कि रवी से ये दो बार चुदा के आ रही है।
पूरे मेले में खिलखिलाती तितलियों की तरह हम लोग उड़ते फिर रहे थे।
हम लोगों ने गोलगप्पे खाये, झूले पर झूले, हम लोगों का झुंड जिधर जाता, पूरे मेले का ध्यान उधर मुड़ जाता और फिर जैसे मिठाई के साथ-साथ मक्खियां आ जाती हैं, हमारे पीछे-पीछे, लड़कों की टोली भी पहुँच जाती।
और दुकानदार भी कम शरारती नहीं थे, कोई चूड़ी पहनाने के बहाने जोबन छू लेता तो कोई कलाई पकड़ लेता। और लड़कीयों को भी इसमें मजा मिल रहा था, क्योंकी इसी बहाने उन्हें खूब छूट जो मिल रही थी।
थोड़ी देर में मैं भी एक्सपर्ट हो गई। दुकानदार के सामने मैं ऐसे झुक जाती कि उसे न सिर्फ चोली के अंदर मेरे जोबन का नजारा मिल जाता बल्की वह मेरे चूचुक तक साफ-साफ देख लेता।
![[Image: cleavage-2123.jpg]](https://i.ibb.co/tKKWkXb/cleavage-2123.jpg)
उसका ध्यान जब उधर होता तो मेरी सहेलियां उसका कुछ सामान तो पार ही कर लेतीं, और मुझे जो वो छूट देता वो अलग।
हम ऐसे ही मस्ती में घूम रहे थे।
![[Image: saree-kajol-agarawal.jpg]](https://i.ibb.co/LY8CsNS/saree-kajol-agarawal.jpg)
पूरबी ने गाया-
अरे मैं तो बनिया यार फँसा लूंगी,
अरे जब वो बनिया चवन्नी मांगे,
अरे जब वो बनिया चवन्नी मांगे, मैं तो जोबना खोल दिखा दूंगी।
अरे मैं तो बनिया यार फँसा लूंगी, दूध जलेबी खा लूंगी
अरे जब वो बनिया रुपैया मांगे,
अरे जब वो बनिया रुपैया मांगे, मैं तो लहंगा खोल दिखा दूंगी।
गुदने वाली के पास भी हम लोग गये और मैंने भी अपनी ठुड्डी पे तिल गुदवाया।
तभी मैंने देखा कि बगल की दुकान पे दो बड़े खूबसूरत लड़के बैठें हैं, खूब गोरे, लंबे, ताकतवर, कसरती, गठे बदन के, उनकी बातों में मेरा नाम सुन के मेरा ध्यान ओर उनकी ओर लग गया।
“अरे तुमने देखा है, उस शहरी माल को, क्या मस्त चीज है…” एक ने कहा।
“अरे मैं, आज तो सारा मेला उसी को देख रहा है, उसकी लम्बी मोटी चूतड़ तक लटकती चोटी, जब चलती है तो कैसे मस्त, कड़े कड़े, मोटे कसमसाते चूतड़, मेरा तो मन करता है, कि उसके दोनों चूतड़ों को पकड़कर उसकी गाण्ड मार लूं… एक बार में अपना लण्ड उसकी गाण्ड में पेल दूं…” दूसरा बोला।
“अरे मुझे तो बस… क्या, गुलाबी गाल हैं उसके भरे-भरे, बस एक चुम्मा दे दे यार, मन तो करता है कि कचाक से उसके गाल काट लूं…” पहला बोला।
दूसरा बोला- “और चूची… ऐसी मस्त रसीली कड़ी-कड़ी चूचियां तो यार पहली बार देखीं, जब चोली के अंदर से इत्ती रसीली लगती हैं तो… बस एक बार चोदने को मिल जाय…”
शायद किसी और दिन मैं किसी को अपने बारे में ऐसी बातें बोलती सुनती तो बहुत गुस्सा लगता, पर आज ये सबसे बड़ी तारीफ लग रही थी… और ये सुनके मैं एकदम मस्त हो गयी।
![[Image: K-tumblr-p1id1i-Nzke1td52f9o1-540.jpg]](https://i.ibb.co/WDxXTMN/K-tumblr-p1id1i-Nzke1td52f9o1-540.jpg)