01-11-2019, 09:52 AM
मैं साजन की , साजन मेरा
थोड़ी देर में मैं झड़ने लगी , और कस के मैंने उन्हें अपनी बांहों में बाँध लिया ,
साथ में वो भी ,
बड़ी देर तक वो झड़ते , ... रुकते , फिर झड़ने लगते , और फिर
हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे चिपके , सटे न वो अलग होना चाहते थे न मैं ,...
और मैं अपने नितम्बों को पूरी ताकत से ऊपर उठाये , जाँघों को फैलाये, उनकी हर बूँद रोप रही थी ,
जिससे एक बूँद भी बाहर न छलके ,
छलकने का सवाल भी नहीं था ,
उनका मोटा लौंड़ा , किसी सकरी बोतल में घुसे मोटे कॉक की तरह , अंदर धंसा ठूंसा , घुसा, सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी से चिपका , .
और जब धीरे धीरे उन्होंने अपने मूसल को बाहर निकाला , मैंने अपनी चूत को एकदम भींच लिया , जाँघों को भी कस के सिकोड़ लिया ,
जिससे कैसे भी , एक भी बूँद छलक कर बाहर न जाय ,
और फिर , ... अब एक बार फिर मैं उनके ऊपर थी ,
सीधे उनके सर के पास , कस के मेरी जांघों ने सँड़सी की तरह उनके सर को दबोच लिया ,
मेरी उँगलियों ने उनके गालों को दबा कर , ... गौरेया की तरह उन्होंने चोंच खोल दी ,
और मेरे निचले होंठ , उनके ऊपर के होंठों के बीच ,
और मैंने धीरे धीरे अपने निचले होंठों को ढीला कर दिया ,
बूँद बूँद कर मलाई ,.... बल्कि रबड़ी मलाई ,...
थोड़ी देर पहले ही तो मैंने अंदर बाहर सब रबड़ी वहां लिथड़ी थी और सपड़ सपड़ सब उन्होंने चाटा था ,
और अब जो भी बची खुची थी , उन्ही की मलाई से मिलकर रबड़ी मलाई ,
"मलाई तो तुम्हे कई बार खिलाया है , रबड़ी भी अभी चटवाया है , अब ज़रा ये रबड़ी मलाई का स्पेशल स्वाद भी चख लो , "
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
और जैसे कई मेच्योर मर्द नयी लौंडिया के मुंह में कस कस मोटा लंड पेलता है , बस उसी तरह पूरी ताकत से झुक कर उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर , मैं जोर जोर से धक्के मार रही थी ,
और उन्होंने भी कस के अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर पेल दी , फिर तो अंदर भी जो बचा था , एक एक बूँद ,
और जो जीभ निकली , तो बाहर मेरी गुलाबो के दोनों फांकों पर सपड़ सपड़ सारी रबड़ी मलाई उन्होंने चाट ली।
मैंने भी जोर जोर से अपनी बुर उनके होंठों पर रगड़ना शुरू किया और साथ में छेड़ना भी ,
" मजा आ रहा है न चाटने में मेरी ननद के ,
गुड्डी रानी के यार , ...
अरे सोच उसकी भी ऐसे ही चटवाउंगी ,
अभी तो उसकी कच्ची नयी नयी चूत पे झांटे भी नहीं ठीक से आयी हैं ,
एकदम माखन मलाई है गुड्डी छिनार की ,
बस ऐसे ही सपड़ सपड़ उसकी भी चाटना , फाड़ने से पहले , कच्ची अमिया और कच्ची चूत दोनों का मजा , है न ,... "
जैसे उन्हें करेंट लग गया हो चूसने चाटने की रफ्तार दस गुना बढ़ गयी ,
अपने दोनों होंठों के बीच मेरी चूत के दोनों होंठों को दबा दबा के कस कस के वो चूसने लगे ,
मैं समझ रही थी , ... ये असर मेरी चूत का नहीं , मेरी उस कच्ची उम्र वाली ननद का है , ... और कन्फर्म करने के लिए मैंने सर मुड़ा के देखा तो
१०० % मेरा शक सही था , ... झंडा एकदम खड़ा , तन्नाया ,
तो इसका मतलब इस लड़के के मन में कच्चे टिकोरों को कुतरने का शौक है ,...
मैंने हाथ बढ़ाकर उनके मोटे तन्नाए खूंटे को पकड़ लिया और लगी कस कस के रगड़ने मसलने , और जोर जोर से चिढ़ाने लगी
"एकदम इसी तरह से पहले चूसना चाटना , और जब गरमा जाए तो बस हचक के फाड़ देना एक ही धक्के में , दिलवाऊंगी मैं पक्का ,
मेरी सबसे छोटी ननद जो है। "
वो अब जिस तरह से चाट रहे थे उसी ताकत से मैं भी अपनी चूत उनके मुंह पर रगड़ रही थी ,
लेकिन मुझे लगा की अब बस थोड़ी देर में मेरी हालत खराब हो जायेगी , और इस लिए ,...
उसी समय खिड़की बंद थी लेकिन पर्दा खुला था शरद की चांदनी एकदम छलक कर कमरे में फैली हुयी थी , लगता है हवा का जोर , ...
कोई खिड़की हलके से खुल गयी , और जनवरी की रात की ठंडी हवा
अब मैं एकदम उनके पास सटी चिपटी लेटी थी और हम दोनों एक ही रजाई ओढ़े , दुबके
शादी के पहले लड़कियों को ज्ञान देने वालों की कमी नहीं रहती।
सहेलियां , भाभियाँ, चाची, मौसी , बुआ ,... कईयों ने बताया ,
अरे मर्दों को , बस बोलते बहुत हैं बस दो चार मिनट में फुस्स , और फिर औरत की ओर पीठ कर के ऐसे सो जाएंगे जैसे जानते ही न हों ,
मैं मुंह बंद किये सुनती रहती थी ,
दोनों बातों में ये एकदम अलग , जबतक मेरी चूल ढीली न हो जाए ,
एकदम चुद चुद के मैं थेथर न हो जाऊं , आधे पौन घंटे तक उसके बाद ही ,...
और पीठ तो आज तक उन्होंने नहीं की ,
हाँ मैं जरूर उनकी ओर पीठ कर लेती थी ,
और ये उनको लिए भी , ...
बस पीछे से कस के वो मुझे दबोच लेते थे , बल्कि मेरेजोबन को , उनका एक हाथ सोते समय भी हमेशा मेरे उभारो पर ही रहता था ,
और वो दुष्ट बदमाश मूसलचंद , मेरे पिछवाड़े धंसा रहता ,
सोते हुए भी एकदम चिपका रहता , ...पहली रात से साथ सोते जागते लेटते, ...
और रात में क्या दिन में भी , बिस्तर पर पहुँचते ही , ... कोई कपडे की दीवार हम दोनों के बीच नहीं रहती , ...
और आज भी वही ,
सच बोलूं , तो जित्ता मजा उनसे चुदवाने में आता था , उससे कम मजा उनसे चिपक के , उनके सीने में दुबक के सोने में नहीं आता था ,
बात उन्होंने शुरू की , और बात क्या वही बात जो मैं पहले दिन से वो बात करते थे , ...
" मुझे ये लड़की चाहिए ,.. "
मैं उनसे कह कह के थक गयी थी , ... मिल तो गयी ,...
लेकिन जो प्यास भूख उनके मन में मैंने पहले दिन देखी थी ,
अपनी सहेली की शादी में ,... जब मैं छत पर सहेलियों के साथ खड़ी थी , और ये बरात के लड़कों के साथ , ...
जो , जैसे उन्होंने देखा था ,... और ऊपर से मेरा बीड़ा सीधे उनके ऊपर लगा था ,..
सारी बारात , सभी लोग जयमाला के लिए चले गए , वहां पर सन्नाटा , लेकिन , ये लड़का एकदम जैसे जमींन से चिपका , ...सिर्फ मुझे देख रहा था ,...
और मैं उन्हें ही क्यों कहूं , मैं भी , छत से मेरी सारी सहेलियां उतर गयी थीं , पर मैं वहीँ खड़ी की खड़ी इन्हे देखती ,... वापस लौट के मेरी एक कजिन आयी मुझे बुलाने
वही प्यास आज तक , ...
उनकी उँगलियाँ मेरे निपल्स पर थीं ,
मैंने खींच कर बस उन्हें चूम लिया , ...
और जैसे उन्हें मेरा जवाब मिल गया , फिर मैं उनकी ओर मुड़ गयी ,
उनसे उनकी ट्रेनिंग के बारे में पूछने ,
थोड़ी देर में मैं झड़ने लगी , और कस के मैंने उन्हें अपनी बांहों में बाँध लिया ,
साथ में वो भी ,
बड़ी देर तक वो झड़ते , ... रुकते , फिर झड़ने लगते , और फिर
हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे चिपके , सटे न वो अलग होना चाहते थे न मैं ,...
और मैं अपने नितम्बों को पूरी ताकत से ऊपर उठाये , जाँघों को फैलाये, उनकी हर बूँद रोप रही थी ,
जिससे एक बूँद भी बाहर न छलके ,
छलकने का सवाल भी नहीं था ,
उनका मोटा लौंड़ा , किसी सकरी बोतल में घुसे मोटे कॉक की तरह , अंदर धंसा ठूंसा , घुसा, सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी से चिपका , .
और जब धीरे धीरे उन्होंने अपने मूसल को बाहर निकाला , मैंने अपनी चूत को एकदम भींच लिया , जाँघों को भी कस के सिकोड़ लिया ,
जिससे कैसे भी , एक भी बूँद छलक कर बाहर न जाय ,
और फिर , ... अब एक बार फिर मैं उनके ऊपर थी ,
सीधे उनके सर के पास , कस के मेरी जांघों ने सँड़सी की तरह उनके सर को दबोच लिया ,
मेरी उँगलियों ने उनके गालों को दबा कर , ... गौरेया की तरह उन्होंने चोंच खोल दी ,
और मेरे निचले होंठ , उनके ऊपर के होंठों के बीच ,
और मैंने धीरे धीरे अपने निचले होंठों को ढीला कर दिया ,
बूँद बूँद कर मलाई ,.... बल्कि रबड़ी मलाई ,...
थोड़ी देर पहले ही तो मैंने अंदर बाहर सब रबड़ी वहां लिथड़ी थी और सपड़ सपड़ सब उन्होंने चाटा था ,
और अब जो भी बची खुची थी , उन्ही की मलाई से मिलकर रबड़ी मलाई ,
"मलाई तो तुम्हे कई बार खिलाया है , रबड़ी भी अभी चटवाया है , अब ज़रा ये रबड़ी मलाई का स्पेशल स्वाद भी चख लो , "
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
और जैसे कई मेच्योर मर्द नयी लौंडिया के मुंह में कस कस मोटा लंड पेलता है , बस उसी तरह पूरी ताकत से झुक कर उनके सर को दोनों हाथों से पकड़ कर , मैं जोर जोर से धक्के मार रही थी ,
और उन्होंने भी कस के अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर पेल दी , फिर तो अंदर भी जो बचा था , एक एक बूँद ,
और जो जीभ निकली , तो बाहर मेरी गुलाबो के दोनों फांकों पर सपड़ सपड़ सारी रबड़ी मलाई उन्होंने चाट ली।
मैंने भी जोर जोर से अपनी बुर उनके होंठों पर रगड़ना शुरू किया और साथ में छेड़ना भी ,
" मजा आ रहा है न चाटने में मेरी ननद के ,
गुड्डी रानी के यार , ...
अरे सोच उसकी भी ऐसे ही चटवाउंगी ,
अभी तो उसकी कच्ची नयी नयी चूत पे झांटे भी नहीं ठीक से आयी हैं ,
एकदम माखन मलाई है गुड्डी छिनार की ,
बस ऐसे ही सपड़ सपड़ उसकी भी चाटना , फाड़ने से पहले , कच्ची अमिया और कच्ची चूत दोनों का मजा , है न ,... "
जैसे उन्हें करेंट लग गया हो चूसने चाटने की रफ्तार दस गुना बढ़ गयी ,
अपने दोनों होंठों के बीच मेरी चूत के दोनों होंठों को दबा दबा के कस कस के वो चूसने लगे ,
मैं समझ रही थी , ... ये असर मेरी चूत का नहीं , मेरी उस कच्ची उम्र वाली ननद का है , ... और कन्फर्म करने के लिए मैंने सर मुड़ा के देखा तो
१०० % मेरा शक सही था , ... झंडा एकदम खड़ा , तन्नाया ,
तो इसका मतलब इस लड़के के मन में कच्चे टिकोरों को कुतरने का शौक है ,...
मैंने हाथ बढ़ाकर उनके मोटे तन्नाए खूंटे को पकड़ लिया और लगी कस कस के रगड़ने मसलने , और जोर जोर से चिढ़ाने लगी
"एकदम इसी तरह से पहले चूसना चाटना , और जब गरमा जाए तो बस हचक के फाड़ देना एक ही धक्के में , दिलवाऊंगी मैं पक्का ,
मेरी सबसे छोटी ननद जो है। "
वो अब जिस तरह से चाट रहे थे उसी ताकत से मैं भी अपनी चूत उनके मुंह पर रगड़ रही थी ,
लेकिन मुझे लगा की अब बस थोड़ी देर में मेरी हालत खराब हो जायेगी , और इस लिए ,...
उसी समय खिड़की बंद थी लेकिन पर्दा खुला था शरद की चांदनी एकदम छलक कर कमरे में फैली हुयी थी , लगता है हवा का जोर , ...
कोई खिड़की हलके से खुल गयी , और जनवरी की रात की ठंडी हवा
अब मैं एकदम उनके पास सटी चिपटी लेटी थी और हम दोनों एक ही रजाई ओढ़े , दुबके
शादी के पहले लड़कियों को ज्ञान देने वालों की कमी नहीं रहती।
सहेलियां , भाभियाँ, चाची, मौसी , बुआ ,... कईयों ने बताया ,
अरे मर्दों को , बस बोलते बहुत हैं बस दो चार मिनट में फुस्स , और फिर औरत की ओर पीठ कर के ऐसे सो जाएंगे जैसे जानते ही न हों ,
मैं मुंह बंद किये सुनती रहती थी ,
दोनों बातों में ये एकदम अलग , जबतक मेरी चूल ढीली न हो जाए ,
एकदम चुद चुद के मैं थेथर न हो जाऊं , आधे पौन घंटे तक उसके बाद ही ,...
और पीठ तो आज तक उन्होंने नहीं की ,
हाँ मैं जरूर उनकी ओर पीठ कर लेती थी ,
और ये उनको लिए भी , ...
बस पीछे से कस के वो मुझे दबोच लेते थे , बल्कि मेरेजोबन को , उनका एक हाथ सोते समय भी हमेशा मेरे उभारो पर ही रहता था ,
और वो दुष्ट बदमाश मूसलचंद , मेरे पिछवाड़े धंसा रहता ,
सोते हुए भी एकदम चिपका रहता , ...पहली रात से साथ सोते जागते लेटते, ...
और रात में क्या दिन में भी , बिस्तर पर पहुँचते ही , ... कोई कपडे की दीवार हम दोनों के बीच नहीं रहती , ...
और आज भी वही ,
सच बोलूं , तो जित्ता मजा उनसे चुदवाने में आता था , उससे कम मजा उनसे चिपक के , उनके सीने में दुबक के सोने में नहीं आता था ,
बात उन्होंने शुरू की , और बात क्या वही बात जो मैं पहले दिन से वो बात करते थे , ...
" मुझे ये लड़की चाहिए ,.. "
मैं उनसे कह कह के थक गयी थी , ... मिल तो गयी ,...
लेकिन जो प्यास भूख उनके मन में मैंने पहले दिन देखी थी ,
अपनी सहेली की शादी में ,... जब मैं छत पर सहेलियों के साथ खड़ी थी , और ये बरात के लड़कों के साथ , ...
जो , जैसे उन्होंने देखा था ,... और ऊपर से मेरा बीड़ा सीधे उनके ऊपर लगा था ,..
सारी बारात , सभी लोग जयमाला के लिए चले गए , वहां पर सन्नाटा , लेकिन , ये लड़का एकदम जैसे जमींन से चिपका , ...सिर्फ मुझे देख रहा था ,...
और मैं उन्हें ही क्यों कहूं , मैं भी , छत से मेरी सारी सहेलियां उतर गयी थीं , पर मैं वहीँ खड़ी की खड़ी इन्हे देखती ,... वापस लौट के मेरी एक कजिन आयी मुझे बुलाने
वही प्यास आज तक , ...
उनकी उँगलियाँ मेरे निपल्स पर थीं ,
मैंने खींच कर बस उन्हें चूम लिया , ...
और जैसे उन्हें मेरा जवाब मिल गया , फिर मैं उनकी ओर मुड़ गयी ,
उनसे उनकी ट्रेनिंग के बारे में पूछने ,