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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
#16
जीजा साला और ननदोई 


[Image: Male-tumblr-pggqcbkgbw1rphqceo1-1280.jpg]


उन दोनों को वहीं छोड़ के मैं गई किचेन में जहाँ होली के लिये गुझिया बन रही थी और मेरी सास, बड़ी ननद और जेठानी थी. गुझिया बनाने के साथ-साथ आज खूब खुल के मजाक, गालियाँ चल रही थी. 




बाहर से भी कबीरा गाने, गालियों की आवाज़ें, फागुनी बयार में घुल-घुल के आ रही थी.

ठण्डाई बनाने के लिये भांग रखी थी और कुछ बर्फी में डालने लिये.

मैंने कहा, 

"हे कुछ गुझिया में भी डाल के बना देते है, लोगों को पता नही चलेगा. और फिर खूब मज़ा आएगा.”

मेरी ननद बोली, 

[Image: aaHt-2.jpg]

“हाँ, और फिर हम लोग वो आपको खिला के नंगे नचायेंगे.....”

मैं बोली, 


[Image: 16-saab-2.jpg]

“मैं इतनी भी बेवकूफ नहीं हूँ, भांग वाली और बिना भांग वाली गुझिया अलग-अलग डिब्बे में रखेंगे.”



हम लोगों ने तीन डिब्बों में, एक में डबल डोज वाली, एक में नॉर्मल भांग की और तीसरे में बिना भांग वाली रखी. 


फिर मैं सब लोगों को खाना खाने के लिये बुलाने चल दी.

मेरा भाई भी उनके साथ बैठा था. 

[Image: boy-2121.jpg]


साथ में बड़ी ननद के हसबैंड, मेरे नंदोई भी... 

उनकी बात सुन के मैं दरवाजे पे हीं एक मिनट के लिये ठिठक के रुक गई और उनकी बात सुनने लगी. 


मेरे भाई को उन्होंने सटा के, ऑलमोस्ट अपने गोद में (खींच के गोद में हीं बैठा लिया). 


सामने नंदोई जी एक बोतल (दारू की) खोल रहे थे. मेरे भाई के गालों पे हाथ लगा के बोले, 

“यार तेरा साला तो बड़ा मुलायम है..”

“और क्या एकदम मक्खन मलाई....”


 दूसरे गाल को प्यार से सहलाते वो बोले.

“गाल ऐसा है तो फिर गांड़ तो... क्यों साल्ले कभी मराई है क्या?


बोतल से सीधे घूंट लगाते मेरे नंदोई बोले और फिर बोतल ‘उनकी’ ओर बढ़ा दी.

मेरा भाई मचल गया और मुँह फुला के अपने जीजा से बोला, 


“देखिये जीजाजी, अगर ये ऐसी बात करेंगे तो....”

उन्होंने बोतल से दो बड़ी घूंट ली और बोतल नंदोई को लौटा के बोले, 




“जीजा, ऐसे थोड़े हीं पूछते हैं.!! अभी कच्चा है, मैं पूछता हूँ...”

फिर मेरे भाई के गाल पे प्यार से एक चपत मार के बोले, 


[Image: male-xxxx.jpg]

“अरे ये तेरे जीजा के भी जीजा हैं, मजाक तो करेंगे हीं.... क्या बुरा मानना? फिर होली का मौका है. तू लेकिन साफ-साफ बता, तू इत्ता गोरा चिकना है लौंडियों से भी ज्यादा नमकीन, तो मैं ये मान नहीं सकता कि तेरे पीछे लड़के ना पड़े हों! 

तेरे शहर में तो लोग कहते हैं कि अभी तक इसलिए बड़ी लाइन नहीं बनी कि लोग छोटी लाइन के शौक़ीन हैं.” 

और उन्होंने बोतल नंदोई को दे दी.

ना नुकुर कर के उसने बताया कि कई लड़के उसके पीछे पड़े तो थे और कुछ हीं दिन पहले वो साईकिल से जब घर आ रहा था तो कुछ लड़कों ने उसे रोक लिया और जबरन कॉलेज के सामने एक बांध है, उसके नीचे गन्ने के खेत में ले गए. 

उन लोगों ने तो उसकी पैंट भी सरका के उसे झुका दिया था. लेकिन बगल से एक टीचर की आवाज सुनाई पड़ी तो वो लोग भागे.

“तो तेरी कोरी है अभी? चल हम लोगों की किस्मत... कोरी मारने का मज़ा हीं और है.” 



नंदोई बोले और अबकी बोतल उसके मुँह से लगा दिया. वो लगा छटपटाने....

उन्होंने उसके मुँह से बोतल हटाते हुए कहा,

“अरे जीजा अभी से क्यों इसको पिला रहे हैं?” (लेकिन मुझको लग गया था कि बोतल हटाने के पहले जिस तरह से उन्होंने झटका दिया था, दो-चार घूंट तो उसके मुँह में चला हीं गया.) और खुद पीने लगे.

“कोई बात नहीं...कल जब इसे पेलेंगे तो... पिलायेंगे.” 

संतोष कर नंदोई बोले.

“अरे डरता क्यों है?” 

दो घूंट ले उसके गाल पे हाथ फेरते वो बोले, 

“तेरी बहना की भी तो कोरी थी, एकदम कसी... लेकिन मैंने छोड़ी क्या? पहले उँगली से जगह बनाई, फिर क्रीम लगा के, प्यार से सहला के, 


[Image: anal-doggy-CU.jpg]



धीरे-धीरे... और एक बार जब सुपाड़ा घुस गया... वो चीखी, चिल्लाई लेकिन.... अब हर हफ्ते उसकी पीछे वाली... दो-तीन बार तो कम से कम..” 

और उन्होंने उसको फिर से खींच के अपनी गोद में सेट करके बैठाया.

दरवाजे की फांक से साफ़ दिख रहा था. उनका पजामा जिस तरह से तना था... मैं समझ गई कि उन्होंने सेंटर करके सीधे वहीं लगा के बैठा लिया उसको. 

[Image: Bulge-C1hyehl-WIAAOk7-R.jpg]

वो थोड़ा कुनमुनाया, पर उनकी पकड़ कितनी तगड़ी थी, ये मुझसे अच्छा और कौन जानता था? 


उन्होंने बोतल अब नंदोई को बढ़ा दी...

“यार तेरी बीवी...मेरी सलहज का पिछवाड़ा..उसके गोल गोल गुदाज चूतड़ इतने मस्त हैं कि देख के खड़ा हो जाता है... और ऊपर से गदराई उभरी-उभरी चूचियाँ... बड़ा मज़ा आता होगा तुझे उसकी चूचि पकड़ के गांड़ मारने में..है ना?”


[Image: rear-end-2-190-424-tamanna-stills-in-racha-22.jpg]

बोतल फिर नंदोई जी ने वापस कर दी. एक घूंट मुँह से लगा के ‘ये’ बोले, 

“एकदम सही कहते हैं आप... उसके दोनों मम्मे बड़े कड़क हैं... बहोत मज़ा आता है उसकी गांड़ मारने में ”

“अरे बड़े किस्मत वाले हो साले जी तुम... बस एक बार मुझे मिल जाये ना... बस जीवन धन्य हो जाये...मज़ा आ जाये यार” 

नंदोई जी ने बोतल उठा के कस के लंबी घूंट लगाई... अपनी तारीफ सुन के मैं भी खुश हो गई थी... मेरी चूत भी अब गीली हो रही थी.

“अरे तो इसमें क्या? कल होली भी है और रिश्ता भी.” 


[Image: 2d9patx.jpg]

बोतल अब उनके पास थी. मुझे भी कोई ऐतराज नहीं था. मेरा कोई सगा देवर था नही, फिर नंदोई जी भी बहुत रसीले थे.

“तेरे तो मज़े हैं यार....कल यहाँ होली और परसों ससुराल में...किस उम्र की है तेरी सालियाँ?” 
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RE: ससुराल की पहली होली - by komaalrani - 19-01-2019, 03:32 PM



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